< 1 Samuel 7 >

1 Et les hommes de Cariath-Iarim vinrent; ils emmenèrent l'arche de l'alliance du Seigneur, et ils l'introduisirent dans la maison qu'Aminadab possédait sur la colline. Puis ils sanctifièrent son fils Eléazar, afin qu'il gardât l'arche de l'alliance du Seigneur.
तब किरयथ-यआरीम से कुछ लोग आए और याहवेह के संदूक को वहां से ले जाकर पर्वत पर बने अबीनादाब के घर में रख दिया. उन्होंने याहवेह के संदूक की देखरेख के लिए अबीनादाब के पुत्र एलिएज़र का अभिषेक किया.
2 A partir du jour où l'arche entra à Cariath-Iarim, bien des jours s'écoulèrent, elle y était déjà depuis vingt ans, quand tout Israël se tourna vers le Seigneur.
लंबे समय तक लगभग बीस वर्ष तक, संदूक किरयथ-यआरीम में ही रहा. अब सारे इस्राएल राष्ट्र को याहवेह की चाह होने लगी थी.
3 Alors, Samuel parla à toute la maison d'Israël, disant: Si c'est de tout votre cœur que vous revenez à Dieu, chassez du milieu de vous les dieux étrangers, détruisez leurs bois sacrés, préparez vos âmes pour le Seigneur Dieu, ne servez que lui seul; et il vous affranchira du joug des Philistins.
शमुएल ने समस्त इस्राएली राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, “यदि तुम हृदय की गहराई से याहवेह की ओर फिर रहे हो, तो अपने बीच से सारे पराए देवताओं तथा अश्तोरेथ की प्रतिमाओं को हटाकर दूर कर दो. अपना हृदय याहवेह को समर्पित कर सिर्फ उन्हीं की वंदना करते रहो. तब याहवेह तुम्हें फिलिस्तीनियों के सताने से मुक्त करेंगे.”
4 Les fils d'Israël chassèrent donc Baal; ils détruisirent les bois sacrés d'Astaroth, et ils ne servirent que le Seigneur.
तब इस्राएलियों ने अपने मध्य से सारे पराए देवताओं और अश्तोरेथ की मूर्तियों का त्याग कर दिया तथा वे सिर्फ याहवेह ही की वंदना करने लगे.
5 Et Samuel dit: Réunissez tout Israël en Masphath; et je prierai pour vous le Seigneur.
तब शमुएल ने उन्हें आदेश दिया, “सारा इस्राएल मिज़पाह नामक स्थान पर एकत्र हो, कि मैं तुम्हारे लिए याहवेह से प्रार्थना करूं.”
6 Et ils se rassemblèrent en Masphath; ils puisèrent de l'eau, et la répandirent sur la terre devant le Seigneur; ce jour-là ils jeûnèrent, et ils dirent: Nous avons péché devant le Seigneur. Puis, Samuel jugea les fils d'Israël en Masphath.
वे सभी मिज़पाह में इकट्ठा हो गए और उन्होंने जल निकाला और याहवेह के सामने उंडेल दिया. उस दिन उन्होंने उपवास किया और यह स्वीकार किया, “हमने याहवेह के विरुद्ध पाप किया है.” मिज़पाह ही वह स्थान था, जहां से शमुएल ने इस्राएल राष्ट्र के न्यायाध्यक्ष के पद पर काम करना शुरू किया.
7 Et les Philistins apprirent que tous les fils d'Israël étaient assemblés en Masphath, les chefs des Philistins se mirent aussitôt en marche contre Israël; les fils d'Israël le surent, et ils eurent crainte des étrangers.
जब फिलिस्तीनियों को यह समाचार प्राप्‍त हुआ कि इस्राएली मिज़पाह क्षेत्र में एकत्र हो गए हैं, फिलिस्तीनी प्रधानों ने इस्राएल के विरुद्ध मोर्चा बांधा. जब इस्राएलियों को इसके विषय में सूचना प्राप्‍त हुई, वे फिलिस्तीनियों से डरने लगे.
8 Et les fils d'Israël dirent à Samuel: Ne cesse pas de crier pour nous au Seigneur ton Dieu; il nous sauvera des mains de nos ennemis.
उन्होंने शमुएल से आग्रह किया, “हमारी ओर से याहवेह हमारे परमेश्वर से प्रार्थना करना बंद न कीजिए, कि हमें फिलिस्तीनियों से सुरक्षा प्राप्‍त होती रहे.”
9 Samuel prit un agneau de lait, et avec tout le peuple, il l'offrit en holocauste au Seigneur; Samuel cria au Seigneur en faveur du peuple, et le Seigneur l'exauça.
इस पर शमुएल ने एक दूध पीता मेमना लेकर उसे याहवेह के सामने अग्निबलि के रूप में अर्पण किया. तब शमुएल ने इस्राएल की ओर से याहवेह की दोहाई दी, और याहवेह ने उन्हें इसका प्रत्युत्तर दिया.
10 Samuel était à offrir l'holocauste pendant que les Philistins s'avançaient pour combattre Israël; et ce jour-là le Seigneur fit entendre contre les Philistins la grande voix du tonnerre; ils furent confondus, et ils s'enfuirent devant Israël.
जब शमुएल यह अग्निबलि अर्पित कर ही रहे थे, फिलिस्तीनी इस्राएल पर हमला करने के लक्ष्य से निकट आ गए. मगर उस दिन याहवेह फिलिस्तीनियों पर बादल द्वारा ऐसे गरजे कि फिलिस्तीनी आतंक के कारण सम्भ्रमित हो गए. तब इस्राएलियों ने उन्हें वहीं हरा दिया.
11 Et les hommes d'Israël sortirent de Masphath, poursuivirent les Philistins, et les taillèrent en pièces jusqu'au-dessous de Bethchor.
फिर इस्राएली मिज़पाह से बाहर निकल आए फिलिस्तीनियों को खदेड़ते हुए, उनका संहार करते हुए, बेथ-कार नामक स्थान के नीचे तक चले गए.
12 Après cela, Samuel prit une pierre qu'il dressa entre Masphath et la vieille ville; et il l'appela Abenézer, Pierre du Secours, et il dit: ici le Seigneur nous a secourus.
मिज़पाह तथा शेन नामक स्थानों के मध्य शमुएल ने इस घटना की स्मारक स्वरूप, एक शिला लेकर वहां प्रतिष्ठित कर उसे एबेन-एज़र नाम दिया; क्योंकि उन्होंने यह गवाह दिया, “अब तक याहवेह ने हमारी सहायता की है.”
13 Ainsi, le Seigneur humilia les Philistins; ils cessèrent d'envahir le territoire d'Israël, et la main du Seigneur se tourna contre les Philistins durant tous les jours de Samuel.
इस प्रकार फिलिस्तीनी हरा दिए गए. इसके बाद उन्होंने इस्राएल की सीमा पर हमला दोबारा नहीं किया. शमुएल के संपूर्ण जीवनकाल में फिलिस्तीनियों पर याहवेह का गुस्सा बना रहा.
14 Et les Philistins rendirent toutes les villes qu'ils avaient prises aux fils d'Israël; ils les rendirent à Israël depuis Ascalon jusqu'à Azot. Israël recouvra ses limites qu'il reprit aux Philistins; cependant la paix régnait entre Israël et l'Amorrhéen.
एक्रोन से लेकर गाथ तक, वे नगर, जो फिलिस्तीनियों ने इस्राएल से छीन लिए थे, इस्राएल को लौटा दिए गए. स्वयं इस्राएल ने फिलिस्तीनियों द्वारा अधिकृत किए गए अपने क्षेत्र उनसे मुक्त करवा लिए. इस्राएल तथा अमोरियों के बीच भी शान्तिपूर्ण संबंधों की स्थापना हो गई.
15 Ensuite, Samuel jugea le peuple, durant tons les jours de sa vie.
शमुएल आजीवन इस्राएल के प्रशासक-न्यायध्यक्ष रहे.
16 Tous les ans il voyageait; il passait dans sa tournée par Béthel, Galgala et Masphath; et en tous ces lieux saints, il jugeait Israël.
वर्ष-प्रतिवर्ष वह भ्रमण करते हुए बेथेल, गिलगाल तथा मिज़पाह ये तीन मुख्यालयों पर जाकर इस्राएल का न्याय करते थे.
17 Enfin, il rentrait en Armathem, où était sa demeure; il y jugeait Israël, et il y bâtit un autel au Seigneur.
फिर वह रामाह नगर को लौट जाते थे, क्योंकि उनका घर-परिवार यहीं था. वह इस्राएल का न्याय और शासन यहां से भी करते थे, साथ ही उन्होंने यहां याहवेह के लिए एक वेदी भी बनाई थी.

< 1 Samuel 7 >