< 1 Samuel 18 >
1 Et les chœurs de danseuses, transportées de joie, sortirent de toutes les villes d'Israël à la rencontre de David, avec des tambours et des cymbales.
जब वह साऊल से बातें कर चुका, तो यूनतन का दिल दाऊद के दिल से ऐसा मिल गया कि यूनतन उससे अपनी जान के बराबर मुहब्बत करने लगा।
2 Et les chœurs de danseuses, transportées de joie, sortirent de toutes les villes d'Israël à la rencontre de David, avec des tambours et des cymbales.
और साऊल ने उस दिन से उसे अपने साथ रख्खा और फिर उसे उसके बाप के घर जाने न दिया।
3 Et les chœurs de danseuses, transportées de joie, sortirent de toutes les villes d'Israël à la rencontre de David, avec des tambours et des cymbales.
और यूनतन और दाऊद ने आपस में 'अहद किया, क्यूँकि वह उससे अपनी जान के बराबर मुहब्बत रखता था।
4 Et les chœurs de danseuses, transportées de joie, sortirent de toutes les villes d'Israël à la rencontre de David, avec des tambours et des cymbales.
तब यूनतन ने वह क़बा जो वह पहने हुए था उतार कर दाऊद को दी ओर अपनी पोशाक बल्कि अपनी तलवार और अपनी कमान और अपना कमर बन्द तक दे दिया।
5 Et les chœurs de danseuses, transportées de joie, sortirent de toutes les villes d'Israël à la rencontre de David, avec des tambours et des cymbales.
और जहाँ, कहीं साऊल दाऊद को भेजता वह जाता और 'अक़्लमन्दी से काम करता था, और साऊल ने उसे जंगी मर्दों पर मुक़र्रर कर दिया और यह बात सारी क़ौम की और साऊल के मुलाज़िमों की नज़र में अच्छी थी।
6 Et les chœurs de danseuses, transportées de joie, sortirent de toutes les villes d'Israël à la rencontre de David, avec des tambours et des cymbales.
जब दाऊद उस फ़िलिस्ती को क़त्ल कर के लौटा आता था, और वह सब भी आ रहे थे, तो इस्राईल के सब शहरों से 'औरतें गाती और नाचती हुई दफ़ों और ख़ुशी के ना'रों और बाजों के साथ साऊल बादशाह के इस्तक़बाल को निकलीं।
7 Les femmes entonnaient le chant et elles disaient: Saül les a tués par milliers, et David par myriades.
और वह 'औरतें नाचती हुई गाती जाती थीं, कि साऊल ने तो हज़ारों को पर दाऊद ने लाखों को मारा।
8 La chose parut mauvaise à Saül, et il dit: Elles attribuent à David des myriades, et à moi des milliers.
और साऊल निहायत ख़फ़ा हुआ क्यूँकि वह बात उसे बड़ी बुरी लगी, और वह कहने लगा, कि उन्होंने दाऊद के लिए तो लाखों और मेरे लिए सिर्फ़ हज़ारों ही ठहराए। इसलिए बादशाही के 'अलावा उसे और क्या मिलना बाक़ी है?
9 [Et Saül regarda David d'un œil méfiant, à partir de ce jour et après.]
इसलिए उस दिन से आगे को साऊल दाऊद को बद गुमानी से देखने लगा।
10 [Et Saül regarda David d'un œil méfiant, à partir de ce jour et après.]
और दूसरे दिन ऐसा हुआ, कि ख़ुदा कि तरफ़ से बुरी रूह साऊल पर ज़ोर से नाज़िल हुई और वह घर के अंदर नबुव्वत करने लगा, और दाऊद हर दिन की तरह अपने हाथ से बजा रहा था, और साऊल अपने हाथ में अपना भाला लिए था।
11 [Et Saül regarda David d'un œil méfiant, à partir de ce jour et après.]
तब साऊल ने भाला चलाया क्यूँकि उसने कहा, कि मैं दाऊद को दीवार के साथ छेद दूँगा, और दाऊद उसके सामने से दो बार हट गया।
12 Et Saül fut alarmé au sujet de David.
इसलिए साऊल दाऊद से डरा करता था क्यूँकि ख़ुदावन्द उसके साथ था और साऊल से अलग हो गया था।
13 Il l'éloigna de sa personne; il lui donna un commandement de mille hommes, et David fit ses évolutions devant le peuple.
इसलिए साऊल ने उसे अपने पास से अलग कर के उसे हज़ार जवानों का सरदार बना दिया, और वह लोगों के सामने आया जाया करता था।
14 Et David en toutes ses démarches se conduisit avec prudence, car le Seigneur était avec lui.
और दाऊद अपनी सब राहों में 'अक़्लमन्दी के साथ चलता था, और ख़ुदावन्द उसके साथ था।
15 Et Saül vit sa grande sagesse, et il eut crainte de lui.
जब साऊल ने देखा कि वह 'अक़्लमन्दी से काम करता है, तो वह उससे डरने लगा।
16 Or, tout Israël et tout Juda aimaient David, parce qu'il marchait à la tête du peuple.
लेकिन पूरा इस्राईल और यहूदाह के लोग दाऊद को प्यार करते थे, इसलिए कि वह उनके सामने आया जाया करता था।
17 Or, tout Israël et tout Juda aimaient David, parce qu'il marchait à la tête du peuple.
तब साऊल ने दाऊद से कहा कि देख मैं अपनी बड़ी बेटी मेरब को तुझ से ब्याह दूँगा, तू सिर्फ़ मेरे लिए बहादुरी का काम कर और ख़ुदावन्द की लड़ाइयाँ लड़, क्यूँकि साऊल ने कहा कि मेरा हाथ नहीं बल्कि फ़िलिस्तियों का हाथ उस पर चले।
18 Or, tout Israël et tout Juda aimaient David, parce qu'il marchait à la tête du peuple.
दाऊद ने साऊल से कहा, मैं क्या हूँ और मेरी हस्ती ही क्या और इस्राईल में मेरे बाप का ख़ानदान क्या है, कि मैं बादशाह का दामाद बनूँ?“
19 Or, tout Israël et tout Juda aimaient David, parce qu'il marchait à la tête du peuple.
लेकिन जब वक़्त आ गया कि साऊल की बेटी मेरब दाऊद से ब्याही जाए, तो वह महूलाती 'अदरीएल से ब्याह दी गई।
20 Et Michol, fille de Saül, aima David; on l'alla dire à Saül, et la nouvelle lui plut.
और साऊल की बेटी मीकल दाऊद को चाहती थीं, इसलिए उन्होंने साऊल को बताया और वह इस बात से ख़ुश हुआ।
21 Car Saül dit: Je la lui donnerai, et ce sera pour lui une pierre d'achoppement. La main des Philistins était alors contre Saül.
तब साऊल ने कहा, मैं उसी को उसे दूँगा, ताकि यह उसके लिए फंदा हो और फ़िलिस्तियों का हाथ उस पर पड़े, इसलिए साऊल ने दाऊद से कहा कि इस दूसरी दफ़ा' तो तू आज के दिन मेरा दामाद हो जाएगा।
22 Et Saül donna ses ordres à ses serviteurs, disant: Parlez en secret à David, et dites-lui: Voilà que le roi se plaît avec toi, tous ses serviteurs t'aiment, sois donc le gendre du roi.
और साऊल ने अपने ख़ादिमों को हुक्म किया कि दाऊद से चुपके चुपके बातें करो और कहो कि देख बादशाह तुझ से ख़ुश है और उसके सब ख़ादिम तुझे प्यार करतें हैं इसलिए अब तू बादशाह का दामाद बन जा।
23 Les serviteurs de Saül répétèrent tout bas ces paroles à David, et il leur répondit: Est-ce si peu de chose à vos yeux de devenir gendre du roi? Je suis d'humble condition et nullement illustre.
चुनाँचे साऊल के मुलाज़िमों ने यह बातें दाऊद के कान तक पहूँचाईं, दाऊद ने कहा, क्या बादशाह का दामाद बनना तुमको कोई हल्की बात मा'लूम होती है, जिस हाल कि मैं ग़रीब आदमी हूँ और मेरी कुछ औक़ात नहीं?”
24 Et les serviteurs de Saül lui firent leur rapport, en conséquence de ce que leur avait dit David.
तब साऊल के मुलाज़िमों ने उसे बताया कि दाऊद ऐसा कहता है।
25 Et Saül reprit: Voilà ce que vous direz à David: Le roi n'a que faire de présents, si ce n'est de cent prépuces de Philistins, pour se venger des ennemis du roi. Saül comptait ainsi le jeter entre les mains des étrangers.
तब साऊल ने कहा, तुम दाऊद से कहना कि बादशाह मेहर नही माँगता वह सिर्फ़ फ़िलिस्तियों की सौ खलड़ियाँ चाहता है, ताकि बादशाह के दुश्मनों से इन्तक़ाम लिया जाए, साऊल का यह इरादा था, कि दाऊद को फ़िलिस्तियों के हाथ से मरवा डाले।
26 Les serviteurs de Saül répétèrent ces paroles à David, et il lui parut bon d'être gendre du roi.
जब उसके ख़ादिमो ने यह बातें दाऊद से कहीं तो दाऊद बादशाह का दामाद बनने को राज़ी हो गया और अभी दिन पूरे भी नहीं हुए थे।
27 David partit donc, il se mit en campagne avec ses hommes, il tua cent Philistins, rapporta leurs prépuces, et devint gendre du roi; Saül lui donna pour femme sa fille Michol.
कि दाऊद उठा, और अपने लोगों को लेकर गया और दो सौ फ़िलिस्ती क़त्ल कर डाले और दाऊद उनकी खलड़ियाँ लाया और उन्होंने उनकी पूरी ता'दाद में बादशाह को दिया ताकि वह बादशाह का दामाद हो, और साऊल ने अपनी बेटी मीकल उसे ब्याह दी।
28 Et Saül vit que le Seigneur était avec David, et que tout Israël l'aimait.
और साऊल ने देखा और जान लिया कि ख़ुदावन्द दाऊद के साथ है, और साऊल की बेटी मीकल उसे चाहती थी।
29 Et il se défia encore davantage de David.
और साऊल दाऊद से और भी डरने लगा, और साऊल बराबर दाऊद का दुश्मन रहा।
फिर फ़िलिस्तियों के सरदारों ने धावा किया और जब जब उन्होंने धावा किया साऊल के सब ख़ादिमों की निस्बत दाऊद ने ज़्यादा 'अक़्लमंदी का काम किया इस से उसका नाम बहुत बड़ा हो गया।