< Cantiques 1 >
1 Le Cantique des Cantiques, composé par Salomon.
१श्रेष्ठगीत जो सुलैमान का है। वधू
2 Qu’il me prodigue les baisers de sa bouche! Car tes caresses sont plus délicieuses que le vin.
२तू अपने मुँह के चुम्बनों से मुझे चूमे! क्योंकि तेरा प्रेम दाखमधु से उत्तम है,
3 Tes parfums sont suaves à respirer; une huile aromatique qui se répand, tel est ton nom. C’Est pourquoi les jeunes filles sont éprises de toi.
३तेरे भाँति-भाँति के इत्रों का सुगन्ध उत्तम है, तेरा नाम उण्डेले हुए इत्र के तुल्य है; इसलिए कुमारियाँ तुझ से प्रेम रखती हैं
4 Entraîne-moi à ta suite, courons! Le roi m’a conduite dans ses appartements, mais c’est en toi que nous cherchons joie et allégresse; nous prisons tes caresses plus que le vin: on a raison de t’aimer.
४मुझे खींच ले; हम तेरे पीछे दौड़ेंगे। राजा मुझे अपने महल में ले आया है। हम तुझ में मगन और आनन्दित होंगे; हम दाखमधु से अधिक तेरे प्रेम की चर्चा करेंगे; वे ठीक ही तुझ से प्रेम रखती हैं।
5 Je suis noircie, ô filles de Jérusalem, gracieuse pourtant, comme les tentes de Kêdar, comme les pavillons de Salomon.
५हे यरूशलेम की पुत्रियों, मैं काली तो हूँ परन्तु सुन्दर हूँ, केदार के तम्बुओं के और सुलैमान के पर्दों के तुल्य हूँ।
6 Ne me regardez pas avec dédain parce que je suis noirâtre; c’est que le soleil m’a hâlée. Les fils de ma mère étaient en colère contre moi: ils m’ont fait garder les vignobles, et mon vignoble à moi, je ne l’ai point gardé!
६मुझे इसलिए न घूर कि मैं साँवली हूँ, क्योंकि मैं धूप से झुलस गई। मेरी माता के पुत्र मुझसे अप्रसन्न थे, उन्होंने मुझ को दाख की बारियों की रखवालिन बनाया; परन्तु मैंने अपनी निज दाख की बारी की रखवाली नहीं की!
7 Indique-moi, toi que chérit mon âme, où tu mènes paître ton troupeau, où tu le fais reposer à l’heure de midi. Pourquoi serais-je comme une femme voilée auprès des troupeaux de tes compagnons?
७हे मेरे प्राणप्रिय मुझे बता, तू अपनी भेड़-बकरियाँ कहाँ चराता है, दोपहर को तू उन्हें कहाँ बैठाता है; मैं क्यों तेरे संगियों की भेड़-बकरियों के पास घूँघट काढ़े हुए भटकती फिरूँ? वर
8 Si tu ne le sais pas, ô la plus belle des femmes, suis donc les traces des brebis, et fais paître tes chevreaux près des huttes des bergers.
८हे स्त्रियों में सुन्दरी, यदि तू यह न जानती हो तो भेड़-बकरियों के खुरों के चिन्हों पर चल और चरावाहों के तम्बुओं के पास, अपनी बकरियों के बच्चों को चरा।
9 A une cavale, attelée aux chars de Pharaon, je te compare, mon amie.
९हे मेरी प्रिय मैंने तेरी तुलना फ़िरौन के रथों में जुती हुई घोड़ी से की है।
10 Charmantes sont tes joues ornées de rangs de perles, ton cou paré de colliers.
१०तेरे गाल केशों के लटों के बीच क्या ही सुन्दर हैं, और तेरा कण्ठ हीरों की लड़ियों के बीच। वधू
11 Nous te ferons des chaînons d’or avec des paillettes d’argent.
११हम तेरे लिये चाँदी के फूलदार सोने के आभूषण बनाएँगे।
12 Tandis que le roi demeure sur son divan, mon nard exhale son arome.
१२जब राजा अपनी मेज के पास बैठा था मेरी जटामासी की सुगन्ध फैल रही थी।
13 Mon bien-aimé est pour moi un bouquet de myrrhe, qui repose sur mon sein.
१३मेरा प्रेमी मेरे लिये लोबान की थैली के समान है जो मेरी छातियों के बीच में पड़ी रहती है।
14 Mon bien-aimé est pour moi une grappe de troène dans les vignes d’En-Ghedi.
१४मेरा प्रेमी मेरे लिये मेंहदी के फूलों के गुच्छे के समान है, जो एनगदी की दाख की बारियों में होता है। वर
15 Que tu es belle, mon amie, que tu es belle! Tes yeux sont ceux d’une colombe.
१५तू सुन्दरी है, हे मेरी प्रिय, तू सुन्दरी है; तेरी आँखें कबूतरी की सी हैं। वधू
16 Que tues beau, mon bien-aimé, et combien aimable! Notre couche est un lit de verdure.
१६हे मेरे प्रिय तू सुन्दर और मनभावना है और हमारा बिछौना भी हरा है;
17 Les solives de nos maisons sont de cèdre, nos lambris sont de cyprès.
१७हमारे घर के धरन देवदार हैं और हमारी छत की कड़ियाँ सनोवर हैं।