< Lamentations 1 >
1 Hélas! Comme elle est assise solitaire, la cité naguère si populeuse! Elle, si puissante parmi les peuples, ressemble à une veuve; elle qui était une souveraine parmi les provinces a été rendue tributaire!
कैसी अकेली रह गई है, यह नगरी जिसमें कभी मनुष्यों का बाहुल्य हुआ करता था! कैसा विधवा के सदृश स्वरूप हो गया है इसका, जो राष्ट्रों में सर्वोत्कृष्ट हुआ करती थी! जो कभी प्रदेशों के मध्य राजकुमारी थी आज बंदी बन चुकी है.
2 Elle pleure amèrement dans la nuit, les larmes inondent ses joues; personne ne la console de tous ceux qui l’aimaient; tous ses amis l’ont trahie, se sont changés pour elle en ennemis.
रात्रि में बिलख-बिलखकर रोती रहती है, अश्रु उसके गालों पर सूखते ही नहीं. उसके अनेक-अनेक प्रेमियों में अब उसे सांत्वना देने के लिए कोई भी शेष न रहा. उसके सभी मित्रों ने उससे छल किया है; वस्तुतः वे तो अब उसके शत्रु बन बैठे हैं.
3 Juda est allé en exil, accablé par la misère et une dure servitude; il demeure parmi les nations, sans trouver de repos. Ses persécuteurs, tous ensemble, l’ont atteint dans les étroits défilés.
यहूदिया के निर्वासन का कारण था उसकी पीड़ा तथा उसका कठोर दासत्व. अब वह अन्य राष्ट्रों के मध्य में ही है; किंतु उसके लिए अब कोई विश्राम स्थल शेष न रह गया; उसकी पीड़ा ही की स्थिति में वे जो उसका पीछा कर रहे थे, उन्होंने उसे जा पकड़ा.
4 Les routes de Sion sont en deuil, personne ne se rendant à ses solennités; toutes ses portes sont en ruines, ses prêtres gémissent, ses vierges sont en proie à la douleur, et elle-même est abreuvée d’amertume.
ज़ियोन के मार्ग विलाप के हैं, निर्धारित उत्सवों के लिए कोई भी नहीं पहुंच रहा. समस्त नगर प्रवेश द्वार सुनसान हैं, पुरोहित कराह रहे हैं, नवयुवतियों को घसीटा गया है, नगरी का कष्ट दारुण है.
5 Ses adversaires ont pris le dessus, ses ennemis vivent en sécurité, car l’Eternel l’a frappée pour ses nombreux péchés; ses jeunes enfants s’en vont captifs, poussés par le vainqueur.
आज उसके शत्रु ही अध्यक्ष बने बैठे हैं; आज समृद्धि उसके शत्रुओं के पक्ष में है. क्योंकि याहवेह ने ही उसे पीड़ित किया है. क्योंकि उसके अपराध असंख्य थे. उसके बालक उसके देखते-देखते ही शत्रु द्वारा बंधुआई में ले जाए गए हैं.
6 La fille de Sion a vu partir toute sa splendeur; ses princes, tels des cerfs qui ne trouvent pas de pâturage, s’avancent à bout de forces devant qui les pourchasse.
ज़ियोन की पुत्री से उसके वैभव ने विदा ले ली है. उसके अधिकारी अब उस हिरण-सदृश हो गए हैं, जिसे चरागाह ही प्राप्त नहीं हो रहा; वे उनके समक्ष, जो उनका पीछा कर रहे हैं, बलहीन होकर भाग रहे हैं.
7 Aux jours de misère et de souffrance, Jérusalem se souvient de tous les biens qu’elle possédait dans les temps passés. Quand son peuple tomba entre les mains du vainqueur et que personne ne vint la secourir, les ennemis, en la voyant, se sont divertis de ses ruines.
अब इन पीड़ा के दिनों में, इन भटकाने के दिनों में येरूशलेम को स्मरण आ रहा है वह युग, जब वह अमूल्य वस्तुओं की स्वामिनी थी. जब उसके नागरिक शत्रुओं के अधिकार में जा पड़े, जब सहायता के लिए कोई भी न रह गया. उसके शत्रु बड़े ही संतोष के भाव में उसे निहार रहे हैं, वस्तुतः वे उसके पतन का उपहास कर रहे हैं.
8 Jérusalem a gravement prévariqué, aussi est-elle devenue un objet de répulsion; tous ceux qui l’honoraient la bafouent, car ils ont vu sa nudité. Elle-même soupire et détourne la face.
येरूशलेम ने घोर पाप किया है परिणामस्वरूप वह अशुद्ध हो गई. उन सबको उससे घृणा हो गई, जिनके लिए वह सामान्य थी, क्योंकि वे उसकी निर्लज्जता के प्रत्यक्षदर्शी हैं; वस्तुतः अब तो वही कराहते हुए अपना मुख फेर रही है.
9 Sa souillure est attachée aux pans de sa robe: elle ne songeait pas à l’avenir! Elle est donc tombée d’une manière prodigieuse, et personne ne la console. Vois, ô Eternel, ma misère, car l’ennemi est triomphant.
उसकी गंदगी तो उसके वस्त्रों में थी; उसने अपने भविष्य का कोई ध्यान न रखा. इसलिये उसका पतन ऐसा घोर है; अब किसी से भी उसे सांत्वना प्राप्त नहीं हो रही. “याहवेह, मेरी पीड़ा पर दृष्टि कीजिए, क्योंकि जय शत्रु की हुई है.”
10 Le vainqueur a fait main basse sur tous ses trésors; elle a vu des peuples pénétrer dans ton sanctuaire, des peuples que tu avais défendu d’admettre dans ton assemblée.
शत्रु ने अपनी भुजाएं उसके समस्त गौरव की ओर विस्तीर्ण कर रखी है; उसके देखते-देखते जनताओं ने उसके पवित्र स्थान में बलात प्रवेश कर लिया है, उस पवित्र स्थान में, जहां प्रवेश आपकी सभा तक के लिए वर्जित था.
11 Tous ses habitants gémissent, demandent du pain: ils échangent leurs biens les plus chers contre des aliments, pour ranimer leur vie. Vois, ô Eternel, et regarde comme je suis devenue misérable!
उसके सभी नागरिक कराहते हुए भोजन की खोज कर रहे हैं; वे अपनी मूल्यवान वस्तुओं का विनिमय भोजन के लिए कर रहे हैं, कि उनमें शक्ति का संचार हो सके. “याहवेह, देखिए, ध्यान से देखिए, क्योंकि मैं घृणा का पात्र हो चुकी हूं.”
12 N’Est-ce pas à vous que je m’adresse, O vous tous qui passez par là? Regardez et voyez s’il est une douleur comparable à ma douleur à moi, dont l’Eternel m’a affligée au jour de son ardente colère.
“तुम सभी के लिए, जो इस मार्ग से होकर निकल जाते हो, क्या यह तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं? खोज करके देख लो. कि कहीं भी क्या मुझ पर आई वेदना जैसी देखी गई है, मुझे दी गई वह दारुण वेदना, जो याहवेह ने अपने उग्र कोप के दिन मुझ पर प्रभावी कर दी है?
13 Des hauteurs il a lancé dans mes membres un feu qui les ravage; il a tendu un filet sous mes pas; il m’a ramenée violemment en arrière; il a fait de moi une ruine, un être souffrant sans trêve.
“उच्च स्थान से याहवेह ने मेरी अस्थियों में अग्नि लगा दी, यह अग्नि उन पर प्रबल रही. मेरे पैरों के लिए याहवेह ने जाल बिछा दिया और उन्होंने मुझे लौटा दिया. उन्होंने मुझे सारे दिन के लिए, निर्जन एवं मनोबल विहीन कर दिया है.
14 Le joug de mes péchés a été attaché par ses propres mains; noués l’un à l’autre, ils pèsent sur ma nuque et paralysent mes forces: le Seigneur m’a livrée entre des mains contre lesquelles je ne puis me défendre.
“मेरे अपराध मुझ पर ही जूआ बना दिए गए हैं; उन्हें तो याहवेह ने गूंध दिया है. वे मेरे गले पर आ पड़े हैं, मेरे बल को उन्होंने विफल कर दिया है. याहवेह ने मुझे उनके अधीन कर दिया है, मैं जिनका सामना करने में असमर्थ हूं.
15 Tous mes vaillants combattants, le Seigneur les a broyés dans mon enceinte; il a convoqué une assemblée pour briser mes jeunes guerriers. Le Seigneur a foulé un pressoir à la vierge, fille de Juda.
“प्रभु ने मेरे सभी शूर योद्धाओं को अयोग्य घोषित कर दिया है; जो हमारी सेना के अंग थे, उन्होंने मेरे विरुद्ध एक ऐसा दिन निर्धारित कर दिया है जब वह मेरे युवाओं को कुचल देंगे. प्रभु ने यहूदिया की कुंवारी कन्या को ऐसे कुचल दिया है, जैसे रसकुंड में द्राक्षा कुचली जाती है.
16 Voilà pourquoi je pleure; mes yeux, mes yeux ruissellent de larmes; car autour de moi il n’est personne pour me consoler, pour relever mon courage. Mes fils sont dans la désolation, car l’ennemi l’a emporté.
“यही सब मेरे रोने का कारण हैं और मेरे नेत्रों से हो रहा अश्रुपात बहता है. क्योंकि मुझसे अत्यंत दूर है सांत्वना देनेवाला, जिसमें मुझमें नवजीवन संचार करने की क्षमता है. मेरे बालक अब निस्सहाय रह गए हैं, क्योंकि शत्रु प्रबल हो गया है.”
17 Sion tend les mains: personne ne la console. L’Eternel a convoqué contre Jacob ses ennemis à la ronde; Jérusalem est devenue un objet de dégoût parmi eux.
ज़ियोन ने अपने हाथ फैलाए हैं, कोई भी नहीं, जो उसे सांत्वना दे सके. याकोब के संबंध में याहवेह का आदेश प्रसारित हो चुका है, कि वे सभी जो याकोब के आस-पास बने रहते हैं, वस्तुतः वे उसके शत्रु हैं; उनके मध्य अब येरूशलेम एक घृणित वस्तु होकर रह गया है.
18 Juste est l’Eternel, car je fus rebelle à ses ordres. Ecoutez donc, vous tous, ô peuples, et voyez ma douleur! Mes vierges et mes jeunes gens sont allés en captivité.
“याहवेह सच्चा हैं, फिर भी विद्रोह तो मैंने उनके आदेश के विरुद्ध किया है. अब सभी लोग यह सुन लें; तथा मेरी इस वेदना को देख लें. मेरे युवक एवं युवतियां बंधुआई में जा चुके हैं.
19 J’Ai appelé ceux qui m’aimaient: ce sont eux qui m’ont leurrée! Mes prêtres et mes vieillards ont expiré dans la ville, car vainement ils demandaient de la nourriture pour ranimer leur vie.
“मैंने अपने प्रेमियों को पुकारा, किंतु उन्होंने मुझे धोखा दे दिया. मेरे पुरोहित एवं मेरे पूर्वज नगर में ही नष्ट हो चुके हैं, जब वे स्वयं अपनी खोई शक्ति की पुनःप्राप्ति के उद्देश्य से भोजन खोज रहे थे.
20 Vois, ô Eternel, quelle est ma détresse; mes entrailles brûlent, mon cœur est bouleversé en mon sein, car profonde fut ma rébellion. Au dehors sévit le glaive, comme la peste au dedans.
“याहवेह, मेरी ओर दृष्टि कीजिए! क्योंकि मैं पीड़ा में डूबी हुई हूं, अत्यंत प्रचंड है मेरी आत्मा की वेदना, अपने इस विकट विद्रोह के कारण मेरे अंतर में मेरा हृदय अत्यंत व्यग्र है. बाहर तो तलवार संहार में सक्रिय है; यहां आवास में मानो मृत्यु व्याप्त है.
21 On entend que je gémis: nul ne songe à me consoler; tous mes ennemis, en apprenant mon malheur, sont dans la joie, parce que, toi, tu en es l’auteur. Puisses-tu amener le jour que tu as annoncé, pour qu’ils soient comme moi!
“उन्होंने मेरी कराहट सुन ली है, कोई न रहा जो मुझे सांत्वना दे सके. मेरे समस्त शत्रुओं तक मेरे इस विनाश का समाचार पहुंच चुका है; आपने जो किया है, उस पर वे आनंद मनाते हैं. उत्तम तो यह होता कि आप उस दिन का सूत्रपात कर देते जिसकी आप पूर्वघोषणा कर चुके हैं, कि मेरे शत्रु मेरे सदृश हो जाते.
22 Que toute leur méchanceté apparaisse devant toi! Traite-les comme tu m’as traitée à cause de tous mes péchés! Car violents sont mes gémissements, et mon cœur est endolori.
“उनकी समस्त दुष्कृति आपके समक्ष प्रकट हो जाए; आप उनके साथ वही व्यवहार करें, जैसा आपने मेरे साथ किया है मेरे समस्त अपराध के परिणामस्वरूप. गहन है मेरी कराहट तथा शून्य रह गया है मेरा मनोबल.”