< Jonas 2 >
1 Dans les entrailles mêmes de ce poisson, Jonas adressa une prière à l’Eternel, son Dieu,
१तब योना ने महा मच्छ के पेट में से अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना करके कहा,
2 et il dit: "Dans ma détresse j’ai invoqué l’Eternel, il m’a répondu: du sein du Cheol je t’ai imploré, tu as entendu ma voix. (Sheol )
२“मैंने संकट में पड़े हुए यहोवा की दुहाई दी, और उसने मेरी सुन ली है; अधोलोक के उदर में से मैं चिल्ला उठा, और तूने मेरी सुन ली। (Sheol )
3 Le flot me ballottait au cœur des mers, et les courants m’enveloppaient; toutes tes vagues et toutes tes lames passaient sur moi.
३तूने मुझे गहरे सागर में समुद्र की थाह तक डाल दिया; और मैं धाराओं के बीच में पड़ा था, तेरी सब तरंग और लहरें मेरे ऊपर से बह गईं।
4 Déjà je me disais: "Je suis repoussé loin de tes regards!" Mais non, je veux contempler encore ton temple saint.
४तब मैंने कहा, ‘मैं तेरे सामने से निकाल दिया गया हूँ; कैसे मैं तेरे पवित्र मन्दिर की ओर फिर ताकूँगा?’
5 Les eaux m’investissaient, menaçant ma vie, j’étais cerné par l’Abîme, les algues étreignaient ma tête.
५मैं जल से यहाँ तक घिरा हुआ था कि मेरे प्राण निकले जाते थे; गहरा सागर मेरे चारों ओर था, और मेरे सिर में सिवार लिपटा हुआ था।
6 Précipité jusqu’à la racine des montagnes, la terre me fermait ses barrières pour toujours… Tu as sauvé ma vie de la perdition, Eternel, mon Dieu.
६मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुँच गया था; मैं सदा के लिये भूमि में बन्द हो गया था; तो भी हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तूने मेरे प्राणों को गड्ढे में से उठाया है।
7 Quand mon âme, dans mon sein, allait défaillir, je me suis ressouvenu de l’Eternel, et ma prière a monté vers toi, vers ton sanctuaire auguste.
७जब मैं मूर्छा खाने लगा, तब मैंने यहोवा को स्मरण किया; और मेरी प्रार्थना तेरे पास वरन् तेरे पवित्र मन्दिर में पहुँच गई।
8 Ceux qui révèrent des idoles menteuses, ceux-là font bon marché de leur salut.
८जो लोग धोखे की व्यर्थ वस्तुओं पर मन लगाते हैं, वे अपने करुणानिधान को छोड़ देते हैं।
9 Pour moi, c’est en te rendant hautement grâce, que je t’offrirai des sacrifices; j’accomplirai les vœux que j’ai prononcés: le secours vient du Seigneur!"
९परन्तु मैं ऊँचे शब्द से धन्यवाद करके तुझे बलिदान चढ़ाऊँगा; जो मन्नत मैंने मानी, उसको पूरी करूँगा। उद्धार यहोवा ही से होता है।”
10 L’Eternel ordonna au poisson de rejeter Jonas sur la côte.
१०और यहोवा ने महा मच्छ को आज्ञा दी, और उसने योना को स्थल पर उगल दिया।