< Lamentations 2 >
1 Comment, dans sa colère, le Seigneur a-t-il couvert d’un nuage la fille de Sion! Il a jeté des cieux sur la terre la beauté d’Israël, et, au jour de sa colère, il ne s’est pas souvenu du marchepied de ses pieds.
१यहोवा ने सिय्योन की पुत्री को किस प्रकार अपने कोप के बादलों से ढाँप दिया है! उसने इस्राएल की शोभा को आकाश से धरती पर पटक दिया; और कोप के दिन अपने पाँवों की चौकी को स्मरण नहीं किया।
2 Le Seigneur a englouti, sans épargner, toutes les habitations de Jacob; il a renversé dans sa fureur les forteresses de la fille de Juda; il a jeté par terre, il a profané le royaume et ses princes.
२यहोवा ने याकूब की सब बस्तियों को निष्ठुरता से नष्ट किया है; उसने रोष में आकर यहूदा की पुत्री के दृढ़ गढ़ों को ढाकर मिट्टी में मिला दिया है; उसने हाकिमों समेत राज्य को अपवित्र ठहराया है।
3 Il a retranché, dans l’ardeur de sa colère, toute la corne d’Israël; il a retiré sa droite devant l’ennemi, et il a brûlé en Jacob comme un feu flamboyant qui dévore à l’entour.
३उसने क्रोध में आकर इस्राएल के सींग को जड़ से काट डाला है; उसने शत्रु के सामने उनकी सहायता करने से अपना दाहिना हाथ खींच लिया है; उसने चारों ओर भस्म करती हुई लौ के समान याकूब को जला दिया है।
4 Il a bandé son arc comme un ennemi; il s’est tenu là avec sa droite comme un adversaire, et il a tué tout ce qui était agréable à l’œil dans la tente de la fille de Sion; il a versé, comme un feu, sa fureur.
४उसने शत्रु बनकर धनुष चढ़ाया, और बैरी बनकर दाहिना हाथ बढ़ाए हुए खड़ा है; और जितने देखने में मनभावने थे, उन सब को उसने घात किया; सिय्योन की पुत्री के तम्बू पर उसने आग के समान अपनी जलजलाहट भड़का दी है।
5 Le Seigneur a été comme un ennemi; il a englouti Israël; il a englouti tous ses palais, il a détruit ses forteresses, et il a multiplié chez la fille de Juda le gémissement et la plainte.
५यहोवा शत्रु बन गया, उसने इस्राएल को निगल लिया; उसके सारे भवनों को उसने मिटा दिया, और उसके दृढ़ गढ़ों को नष्ट कर डाला है; और यहूदा की पुत्री का रोना-पीटना बहुत बढ़ाया है।
6 Il a saccagé sa clôture comme un jardin; il a détruit le lieu de son assemblée. L’Éternel a fait oublier dans Sion jour solennel et sabbat; et, dans l’indignation de sa colère, il a méprisé roi et sacrificateur.
६उसने अपना मण्डप बारी के मचान के समान अचानक गिरा दिया, अपने मिलाप-स्थान को उसने नाश किया है; यहोवा ने सिय्योन में नियत पर्व और विश्रामदिन दोनों को भुला दिया है, और अपने भड़के हुए कोप से राजा और याजक दोनों का तिरस्कार किया है।
7 Le Seigneur a rejeté son autel, il a répudié son sanctuaire; il a livré en la main de l’ennemi les murs de ses palais; on a poussé des cris dans la maison de l’Éternel comme au jour d’une fête solennelle.
७यहोवा ने अपनी वेदी मन से उतार दी, और अपना पवित्रस्थान अपमान के साथ तज दिया है; उसके भवनों की दीवारों को उसने शत्रुओं के वश में कर दिया; यहोवा के भवन में उन्होंने ऐसा कोलाहल मचाया कि मानो नियत पर्व का दिन हो।
8 L’Éternel s’est proposé de détruire la muraille de la fille de Sion; il a étendu le cordeau, il n’a pas retiré sa main pour cesser de détruire; et il fait mener deuil au rempart et à la muraille: ils languissent ensemble.
८यहोवा ने सिय्योन की कुमारी की शहरपनाह तोड़ डालने की ठानी थी: उसने डोरी डाली और अपना हाथ उसे नाश करने से नहीं खींचा; उसने किले और शहरपनाह दोनों से विलाप करवाया, वे दोनों एक साथ गिराए गए हैं।
9 Ses portes sont enfoncées dans la terre; il a détruit et brisé ses barres; son roi et ses princes sont parmi les nations; la loi n’est plus; ses prophètes aussi ne trouvent pas de vision de la part de l’Éternel.
९उसके फाटक भूमि में धस गए हैं, उनके बेंड़ों को उसने तोड़कर नाश किया। उसके राजा और हाकिम अन्यजातियों में रहने के कारण व्यवस्थारहित हो गए हैं, और उसके भविष्यद्वक्ता यहोवा से दर्शन नहीं पाते हैं।
10 Les anciens de la fille de Sion sont assis par terre, ils gardent le silence; ils ont mis de la poussière sur leur tête, ils se sont ceints de sacs; les vierges de Jérusalem baissent leur tête vers la terre.
१०सिय्योन की पुत्री के पुरनिये भूमि पर चुपचाप बैठे हैं; उन्होंने अपने सिर पर धूल उड़ाई और टाट का फेंटा बाँधा है; यरूशलेम की कुमारियों ने अपना-अपना सिर भूमि तक झुकाया है।
11 Mes yeux se consument dans les larmes, mes entrailles sont agitées, mon foie s’est répandu sur la terre, à cause de la ruine de la fille de mon peuple, parce que les enfants et ceux qui tètent défaillent dans les places de la ville.
११मेरी आँखें आँसू बहाते-बहाते धुँधली पड़ गई हैं; मेरी अंतड़ियाँ ऐंठी जाती हैं; मेरे लोगों की पुत्री के विनाश के कारण मेरा कलेजा फट गया है, क्योंकि बच्चे वरन् दूध-पीते बच्चे भी नगर के चौकों में मूर्छित होते हैं।
12 Ils disent à leurs mères: Où est le blé et le vin? – défaillant dans les places de la ville comme des blessés à mort, [et] rendant l’âme sur le sein de leurs mères.
१२वे अपनी-अपनी माता से रोकर कहते हैं, अन्न और दाखमधु कहाँ हैं? वे नगर के चौकों में घायल किए हुए मनुष्य के समान मूर्छित होकर अपने प्राण अपनी-अपनी माता की गोद में छोड़ते हैं।
13 Quel témoignage t’apporterai-je? Que comparerai-je à toi, fille de Jérusalem? Qui est-ce que j’égalerai à toi, afin que je te console, vierge, fille de Sion? car ta ruine est grande comme la mer: qui te guérira?
१३हे यरूशलेम की पुत्री, मैं तुझ से क्या कहूँ? मैं तेरी उपमा किस से दूँ? हे सिय्योन की कुमारी कन्या, मैं कौन सी वस्तु तेरे समान ठहराकर तुझे शान्ति दूँ? क्योंकि तेरा दुःख समुद्र सा अपार है; तुझे कौन चंगा कर सकता है?
14 Tes prophètes ont vu pour toi la vanité et la folie, et ils n’ont pas mis à découvert ton iniquité pour détourner ta captivité; mais ils ont vu pour toi des oracles de vanité et de séduction.
१४तेरे भविष्यद्वक्ताओं ने दर्शन का दावा करके तुझ से व्यर्थ और मूर्खता की बातें कही हैं; उन्होंने तेरा अधर्म प्रगट नहीं किया, नहीं तो तेरी बँधुआई न होने पाती; परन्तु उन्होंने तुझे व्यर्थ के और झूठे वचन बताए। जो तेरे लिये देश से निकाल दिए जाने का कारण हुए।
15 Tous ceux qui passent par le chemin battent des mains sur toi; ils sifflent et branlent la tête sur la fille de Jérusalem: Est-ce ici la ville dont on disait: La parfaite en beauté, la joie de toute la terre?
१५सब बटोही तुझ पर ताली बजाते हैं; वे यरूशलेम की पुत्री पर यह कहकर ताली बजाते और सिर हिलाते हैं, क्या यह वही नगरी है जिसे परम सुन्दरी और सारी पृथ्वी के हर्ष का कारण कहते थे?
16 Tous tes ennemis ouvrent la bouche sur toi; ils sifflent et grincent des dents; ils disent: Nous les avons engloutis; oui, c’est ici le jour que nous attendions! Nous l’avons trouvé, nous l’avons vu!
१६तेरे सब शत्रुओं ने तुझ पर मुँह पसारा है, वे ताली बजाते और दाँत पीसते हैं, वे कहते हैं, हम उसे निगल गए हैं! जिस दिन की बाट हम जोहते थे, वह यही है, वह हमको मिल गया, हम उसको देख चुके हैं!
17 L’Éternel a fait ce qu’il s’était proposé, il a accompli sa parole qu’il avait commandée dès les jours d’autrefois; il a renversé et n’a point épargné, et il a fait que l’ennemi s’est réjoui sur toi; il a élevé la corne de tes adversaires.
१७यहोवा ने जो कुछ ठाना था वही किया भी है, जो वचन वह प्राचीनकाल से कहता आया है वही उसने पूरा भी किया है; उसने निष्ठुरता से तुझे ढा दिया है, उसने शत्रुओं को तुझ पर आनन्दित किया, और तेरे द्रोहियों के सींग को ऊँचा किया है।
18 Leur cœur a crié au Seigneur. Muraille de la fille de Sion, laisse couler des larmes jour et nuit, comme un torrent; ne te donne pas de relâche, que la prunelle de tes yeux ne cesse point!
१८वे प्रभु की ओर तन मन से पुकारते हैं! हे सिय्योन की कुमारी की शहरपनाह, अपने आँसू रात दिन नदी के समान बहाती रह! तनिक भी विश्राम न ले, न तेरी आँख की पुतली चैन ले!
19 Lève-toi, crie de nuit au commencement des veilles; répands ton cœur comme de l’eau devant la face du Seigneur. Lève tes mains vers lui pour la vie de tes petits enfants qui défaillent de faim au coin de toutes les rues.
१९रात के हर पहर के आरम्भ में उठकर चिल्लाया कर! प्रभु के सम्मुख अपने मन की बातों को धारा के समान उण्डेल! तेरे बाल-बच्चे जो हर एक सड़क के सिरे पर भूख के कारण मूर्छित हो रहे हैं, उनके प्राण के निमित्त अपने हाथ उसकी ओर फैला।
20 Regarde, Éternel, et considère à qui tu as fait ainsi! Les femmes dévoreront-elles leur fruit, les petits enfants dont elles prennent soin? Tuera-t-on le sacrificateur et le prophète dans le sanctuaire du Seigneur?
२०हे यहोवा दृष्टि कर, और ध्यान से देख कि तूने यह सब दुःख किसको दिया है? क्या स्त्रियाँ अपना फल अर्थात् अपनी गोद के बच्चों को खा डालें? हे प्रभु, क्या याजक और भविष्यद्वक्ता तेरे पवित्रस्थान में घात किए जाएँ?
21 L’enfant et le vieillard sont couchés par terre dans les rues; mes vierges et mes jeunes hommes sont tombés par l’épée: tu as tué au jour de ta colère, tu as égorgé, tu n’as point épargné!
२१सड़कों में लड़के और बूढ़े दोनों भूमि पर पड़े हैं; मेरी कुमारियाँ और जवान लोग तलवार से गिर गए हैं; तूने कोप करने के दिन उन्हें घात किया; तूने निष्ठुरता के साथ उनका वध किया है।
22 Tu as convoqué, comme en un jour de fête solennelle, mes terreurs de toutes parts; et au jour de la colère de l’Éternel, il n’y a eu ni réchappé, ni reste: ceux dont j’avais pris soin et que j’avais élevés, mon ennemi les a consumés.
२२तूने मेरे भय के कारणों को नियत पर्व की भीड़ के समान चारों ओर से बुलाया है; और यहोवा के कोप के दिन न तो कोई भाग निकला और न कोई बच रहा है; जिनको मैंने गोद में लिया और पाल-पोसकर बढ़ाया था, मेरे शत्रु ने उनका अन्त कर डाला है।