< 2 Samuel 19 >
1 On vint dire à Joab: « Voici que le roi pleure et se lamente sur son fils. »
योआब को इसकी सूचना इस प्रकार दी गई, “अपने राजा रो-रोकर अबशालोम के लिए विलाप कर रहे हैं.”
2 La victoire, ce jour-là, fut changée en deuil pour tout le peuple, car le peuple entendit dire en ce jour-là: « Le roi est affligé à cause de son fils. »
तब उस दिन विजय का हर्ष सारी सेना के लिए विलाप में बदल गया; क्योंकि सेना को यह बताया गया था, “महाराज अपने पुत्र के लिए रो रहे है.” उस दिन की जीत की खुशी गहरी उदासी में बदल गई थी.
3 Ce jour-là le peuple entra dans la ville à la dérobée, comme entrent à la dérobée des gens honteux d’avoir fui dans la bataille.
फलस्वरूप, सैनिक नगर में चुपके-चुपके ऐसे प्रवेश कर रहे थे, मानो वे लज्जित होकर युद्ध में शत्रु को पीठ दिखाकर भाग आए हों.
4 Le roi s’était voilé le visage, et le roi criait à haute voix: « Mon fils Absalom! Absalom, mon fils, mon fils! »
राजा अपना मुखमंडल ढांप कर ऊंची आवाज में रो रहे थे, “मेरे पुत्र अबशालोम, मेरे पुत्र, मेरे पुत्र!”
5 Joab vint vers le roi chez lui, et dit: « Tu couvres aujourd’hui de confusion la face de tous tes serviteurs qui ont en ce jour sauvé ta vie et la vie de tes fils et de tes filles, et la vie de tes femmes et la vie de tes concubines.
तब योआब ने उस कमरे में जाकर राजा से कहा, “आज आपने अपने उन सभी अधिकारियों का मुख लज्जा से झुका दिया है, जिन्होंने आपकी और आपके पुत्र-पुत्रियों, पत्नियों और उपपत्नियों के जीवन की रक्षा की है.
6 Tu aimes ceux qui te haïssent et tu hais ceux qui t’aiment, car tu montres aujourd’hui que chefs et serviteurs ne sont rien pour toi, et je vois aujourd’hui que si Absalom vivait et que nous fussions tous morts en ce jour, cela serait heureux à tes yeux.
आप उनसे तो प्रेम करते हैं, जिन्हें आपसे प्रेम नहीं, और उनसे घृणा करते हैं, जो आपसे प्रेम करते हैं. आज आपने यह साफ़ कर दिया है कि आपकी दृष्टि में न तो अधिकारियों का कोई महत्व है, न सैनिकों का. आज मुझे यह मालूम हो गया है कि आज यदि अबशालोम जीवित होता और हम सभी मृत, तो आपको अत्यंत हर्ष होता.
7 Lève-toi donc, sors et parle selon le cœur de tes serviteurs; car je jure par Yahweh que, si tu ne sors pas, pas un homme ne passera avec toi cette nuit; et ce sera pour toi un mal pire que tous les maux qui te sont arrivés depuis ta jeunesse jusqu’à présent. »
अब ऐसा कीजिए: उठिए, बाहर आइए और अपने सैनिकों से सांत्वनापूर्ण शब्दों में बातें कीजिए, नहीं तो जीवित याहवेह की शपथ, यदि आप यह न करेंगे, एक भी सैनिक आज रात आपके साथ देखा न जाएगा. यह आपके लिए ऐसी किसी भी विपदा से कहीं अधिक सोचने लायक होगा, जो आपके बाल्यकाल से आज तक आप पर न आन पड़ी है.”
8 Alors le roi se leva et il s’assit à la porte. On l’annonça à tout le peuple en disant: « Voici que le roi est assis à la porte. » Et tout le peuple vint devant le roi. Israël s’était enfui chacun dans sa tente.
तब राजा उठे और नगर द्वार पर जाकर बैठ गए, जब लोगों ने यह सुना, “सुनो, सुनो, राजा द्वार पर बैठे हुए है,” तो लोग राजा के निकट आने लगे. इस्राएली अपने-अपने घर भाग जा चुके थे.
9 Tout le peuple, dans toutes les tribus d’Israël, s’accusait, en disant: « Le roi nous a délivrés de la main de nos ennemis; c’est lui qui nous a sauvés de la main des Philistins; et maintenant il a dû fuir du pays devant Absalom.
इस्राएल के सारे गोत्रों में इस समय इस विषय पर उग्र विवाद छिड़ा हुआ था, “राजा ही हमें हमारे शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करते आए हैं, वही हमें फिलिस्तीनियों से मुक्त करते आए हैं, अब वह अबशालोम के कारण देश छोड़कर भाग गए हैं.
10 Or Absalom, que nous avions oint pour régner sur nous, est mort dans la bataille: pourquoi donc ne parlez-vous pas de faire revenir le roi? »
यहां हमने अबशालोम का राजाभिषेक किया और वह युद्ध में मारा गया. तब अब राजा को वापस लाने के बारे में कुछ क्यों नहीं किया जा रहा?”
11 Le roi David envoya parler aux prêtres Sadoc et Abiathar en ces termes: « Parlez aux anciens de Juda et dites-leur: Pourquoi seriez-vous les derniers à ramener le roi dans sa maison? — Et ce qui se disait dans tout Israël était parvenu au roi chez lui. —
राजा दावीद ने पुरोहित सादोक और अबीयाथर के लिए यह संदेश भेजा: “आप यहूदिया के पुरनियों से इस विषय में विचार-विमर्श करें: ‘राजा को उसके आवास में लौटा लाने के विषय में आप सबसे पीछे क्यों हैं, जबकि सारे इस्राएल इस विषय में राजा तक अपने विचार भेज चुका है?
12 Vous êtes mes frères, vous êtes mes os et ma chair: pourquoi seriez-vous les derniers à ramener le roi. »
आप मेरे रिश्तेदार हैं, आप में और मुझे में लहू-मांस का संबंध है. तब आप ही राजा की पुनःस्थापना में पीछे क्यों हैं?’
13 Vous direz aussi à Amasa: « N’es-tu pas mon os et ma chair? Que Dieu me traite dans toute sa rigueur, si tu ne deviens pas devant moi pour toujours chef de l’armée à la place de Joab! »
अमासा से कहिये, ‘क्या तुम मेरा लहू-मांस नहीं हो? यदि योआब के स्थान पर तुम आज से ही स्थायी रूप से मेरी सेना के सेनापति का पद ग्रहण न करो, तो मैं परमेश्वर के सामने दंड के योग्य रहूंगा.’”
14 Et David fléchit le cœur de tous les hommes de Juda comme d’un seul homme; et ils envoyèrent dire au roi: « Reviens, toi et tous tes serviteurs ».
इस बात ने यहूदिया की जनता का हृदय एक सूत्र में बांध दिया; तब उन्होंने राजा के लिए यह संदेश भेजा, “आप और आपके सारे सेवक यहां लौट आएं.”
15 Le roi revint et arriva jusqu’au Jourdain; et Juda se rendit à Galgala pour aller au-devant du roi et faire passer au roi le Jourdain.
तब राजा लौटकर यरदन नदी तक पहुंचे. तब यहूदियावासी गिलगाल नामक स्थान पर उनका स्वागत करते हुए प्रतीक्षा कर रहे थे, कि उन्हें यरदन नदी के पार ले आएं.
16 Séméï, fils de Géra, Benjamite, de Bahurim, se hâta de descendre avec les hommes de Juda à la rencontre du roi David.
बहुरीम नामक स्थान से बिन्यामिन के एक वंशज, गेरा के पुत्र शिमेई यहूदिया के व्यक्तियों को लेकर शीघ्रतापूर्वक राजा दावीद से भेंटकरने आ गए.
17 Il avait avec lui mille hommes de Benjamin, et Siba, serviteur de la maison de Saül, et ses quinze fils et ses vingt serviteurs; ils se précipitèrent au Jourdain devant le roi.
उनके साथ बिन्यामिन वंश के हज़ार व्यक्ति भी थे. उसी समय शाऊल का गृह प्रबंधक ज़ीबा भी अपने पन्द्रह पुत्रों और बीस सेवकों के साथ, ढलान पर यरदन नदी की ओर दौड़ता हुआ राजा से भेंटकरने आया.
18 Déjà le bateau qui devait transporter la maison du roi et se mettre à sa disposition, était passé. Séméï, fils de Géra, se jeta aux pieds du roi, au moment où celui-ci allait passer le Jourdain,
उन्होंने राजा के परिवार को नदी पार करने में सहायता दी, और उनकी सुविधाओं के लिए प्रयास करते रहे. राजा नदी पार करने पर ही थे, कि गेरा का पुत्र शिमेई आकर राजा के चरणों में गिर पड़ा.
19 et il dit au roi: « Que mon seigneur ne m’impute point d’iniquité, et ne se souvienne pas de l’offense de ton serviteur, le jour où le roi mon seigneur sortait de Jérusalem, pour y prêter attention, ô roi!
उसने राजा से तेज आवाज में विनती की, “मेरे स्वामी, न तो मुझे दोषी ठहराएं और न ही मेरे उस गलत व्यवहार को याद रखें, जो मैंने मेरे स्वामी महाराज के येरूशलेम से जाने के अवसर में किया था. महाराज इसे अपने हृदय में न रखें.
20 Car ton serviteur reconnaît que j’ai péché; et voici que je viens aujourd’hui le premier de toute la maison de Joseph pour descendre à la rencontre du roi mon seigneur. »
आपके सेवक को यह पता है, कि मैंने यह पाप किया है. इसलिये यह देखिए, आज मैं ही सारे योसेफ़ वंश में से पहला हूं, जो महाराज, मेरे स्वामी से भेंटकरने आया हूं.”
21 Abisaï, fils de Sarvia, prit la parole et dit: « Au contraire, Séméï ne doit-il pas être mis à mort pour avoir maudit l’oint de Yahweh? »
ज़ेरुइयाह के पुत्र अबीशाई ने इसके लिए सुझाव दिया, “क्या सही नहीं कि जो कुछ शिमेई ने किया है, उसके लिए उसे मृत्यु दंड दिया जाए? उसने याहवेह के अभिषिक्त को शाप दिया था.”
22 Mais David dit: « Qu’ai-je à faire avec vous, fils de Sarvia, que vous vous faites aujourd’hui mes adversaires? Un homme serait-il mis à mort en ce jour en Israël? Ne sais-je donc pas que je deviens roi aujourd’hui sur Israël? »
“तुम ज़ेरुइयाह के पुत्रो,” दावीद ने कहा, “क्या लेना देना है मेरा तुम्हारा? क्या कारण है तुम आज मेरे विपरीत ही जा रहे हो? क्या आज वह दिन है, जिसमें इस्राएल के किसी भी व्यक्ति को प्राण-दंड दिया जाना सही होगा? क्या मुझे यह मालूम नहीं कि मैं इस समय इस्राएल का राजा हूं?”
23 Et le roi dit à Séméï: « Tu ne mourras point »; et le roi le lui jura.
तब शिमेई से उन्मुख हो राजा ने कहा, “तुम्हें मृत्यु दंड नहीं दिया जाएगा.” इसके लिए राजा ने उससे शपथ खाई.
24 Miphiboseth, petit -fils de Saül, descendit aussi à la rencontre du roi. Il n’avait pas lavé ses pieds ni arrangé sa moustache, il n’avait pas lavé ses vêtements depuis le jour où le roi était parti jusqu’au jour où il revenait en paix.
शाऊल का पुत्र मेफ़िबोशेथ भी राजा से भेंटकरने आया. जिस दिन से राजा ने पलायन किया था, उस दिन से राजा के सुरक्षित लौटने तक उसने पैरों का ध्यान न रखा था, न अपनी दाढ़ी का प्रसाधन किया था, और न ही उसने धुले हुए कपड़े पहने थे.
25 Lorsqu’il vint de Jérusalem au-devant du roi, le roi lui dit: « Pourquoi n’es-tu pas venu avec moi, Miphiboseth? »
जब वह राजा से भेंटकरने येरूशलेम में आया, राजा ने उससे कहा, “मेफ़िबोशेथ, पलायन करते समय तुम मेरे साथ क्यों नहीं थे?”
26 Et il répondit: « Mon seigneur le roi, mon serviteur m’a trompé; car ton serviteur s’était dit: Je ferai seller l’ânesse, je monterai sur elle et j’irai avec le roi! car ton serviteur est boiteux.
उसने उत्तर में कहा, “महाराज, मेरे स्वामी, मेरे सेवक ने मेरे साथ छल किया. आपके सेवक ने उससे कह रखा था, ‘मैं अपने लिए गधे की काठी कसूंगा कि मैं उस पर चढ़कर राजा के निकट जा सकूं,’ क्योंकि मैं ठहरा अपंग.
27 Et il a calomnié ton serviteur auprès de mon seigneur le roi. Mais mon seigneur le roi est comme un ange de Dieu; fais ce qui te semblera bon.
इसके अलावा उसने महाराज, मेरे स्वामी से आपके सेवक के विरुद्ध झूठा आरोप भी प्रसारित कर दी; मगर महाराज, मेरे स्वामी, आप परमेश्वर के स्वर्गदूत तुल्य हैं; आपको जो कुछ सही लगे, आप वही करें.
28 Car toute la maison de mon père n’est faite pour mon seigneur le roi que de gens dignes de mort; et cependant tu as mis ton serviteur au nombre de ceux qui mangent à ta table. Quel droit puis-je encore avoir de crier encore vers le roi? »
महाराज मेरे स्वामी के सामने, मेरे पिता का वंश मृतकों के समान छोटा था, फिर भी आपने अपने सेवक को उनमें स्थान दिया, जो आपके साथ भोजन करने के लिए चुने गए थे. महाराज से इससे अधिक अपेक्षा करने का मेरा अधिकार ही नहीं रह जाता.”
29 Le roi lui dit: « Pourquoi tant de paroles? Je l’ai déclaré: toi et Siba, vous partagerez les terres. »
राजा ने उससे कहा, “अब ज्यादा बोलने से क्या लाभ? मैंने यह निश्चय किया है कि तुम्हारे और ज़ीबा के बीच संपत्ति को बांट दिया जाएगा.”
30 Et Miphiboseth dit au roi: « Qu’il prenne même le tout, puisque mon seigneur le roi est rentré en paix dans sa maison. »
मेफ़िबोशेथ ने राजा से कहा, “आप उसे संपूर्ण संपत्ति ही ले लेने दें. मेरे लिए यही काफ़ी है कि महाराज, मेरे स्वामी सुरक्षित लौट आए हैं.”
31 Berzellaï le Galaadite descendit de Rogelim et passa vers le roi au Jourdain pour l’accompagner au fleuve.
रोगेलिम नामक स्थान से गिलआदवासी बारज़िल्लई भी आए हुए थे. वह राजा के साथ साथ यरदन नदी तक गए थे, कि उन्हें यरदन नदी पार उतार दें.
32 Berzellaï était très vieux, âgé de quatre-vingt ans; il avait fourni des aliments au roi pendant son séjour à Mahanaïm, car c’était un homme fort riche.
बारज़िल्लई बहुत वृद्ध व्यक्ति थे, वह अस्सी वर्षीय थे. राजा के माहानाईम पड़ाव के अवसर पर उन्हीं ने राजा की सुरक्षा का प्रबंध किया था, क्योंकि वहां वह अत्यंत प्रतिष्ठित व्यक्ति थे.
33 Le roi dit à Berzellaï: « Passe avec moi, je te nourrirai chez moi à Jérusalem. »
राजा ने बारज़िल्लई से कहा, “आप मेरे साथ नदी पार कर चलिए. येरूशलेम में आप मेरे साथ रहेंगे, मैं आपको आश्रय दूंगा.”
34 Mais Berzellaï répondit au roi: « Combien d’années ai-je encore à vivre, pour que je monte avec le roi à Jérusalem?
मगर बारज़िल्लई ने राजा को उत्तर दिया, “और कितने दिन बाकी हैं मेरे जीवन के, कि मैं महाराज के साथ येरूशलेम चलूं?
35 Je suis aujourd’hui âgé de quatre-vingt ans. Puis-je distinguer ce qui est bon de ce qui est mauvais? Ton serviteur peut-il savourer ce qu’il mange et ce qu’il boit? Puis-je encore entendre la voix des chanteurs et des chanteuses? Et pourquoi ton serviteur serait-il encore à charge à mon seigneur le roi?
इस समय मेरी आयु अस्सी वर्ष की है. क्या मुझमें अब यह बोध रह गया है कि सुखद क्या है, और क्या नहीं? क्या आपके सेवक में अब भोजन और पेय से संबंधित स्वाद बोध शेष रह गया है? अथवा क्या में अब भी स्त्री-पुरुष गायक-वृन्द की प्रस्तुति सुनने में समर्थ रह गया हूं? तब क्या लाभ है कि आपका सेवक महाराज मेरे स्वामी पर अतिरिक्त बोझ बनकर रहे?
36 Ton serviteur passera un peu au delà du Jourdain avec le roi. Et pourquoi le roi m’accorderait-il cette récompense?
आपका सेवक महाराज के साथ मात्र यरदन नदी पार ही करेगा, पर क्या आवश्यकता है कि महाराज प्रतिफल में यह पुरस्कार दें.
37 Laisse, je t’en prie, ton serviteur s’en retourner, et que je meure dans ma ville, près du sépulcre de mon père et de ma mère. Mais voici ton serviteur Chamaam; qu’il passe avec le roi mon seigneur, et fais pour lui ce que tu trouveras bon. »
कृपा कर अपने सेवक को लौटने की अनुमति प्रदान करें, कि मेरा देहांत मेरे ही गृहनगर में, मेरी माता-पिता की कब्र के निकट ही हो. हां, यह किमहाम है, मेरा पुत्र, आपका सेवक. उसे ही आज्ञा दें कि वह महाराज मेरे स्वामी के साथ जाए, और आपकी उपयुक्त इच्छा पूर्ण करता रहे.”
38 Le roi dit: « Que Chamaam passe avec moi, et je ferai pour lui tout ce qui te plaira; et tout ce que tu désireras de moi, je te l’accorderai. »
राजा ने सहमति प्रदान की: “किमहाम मेरे साथ अवश्य जाएगा, और मैं उसके लिए वही करूंगा, जो आपकी अभिलाषा है, साथ ही मैं आपके लिए भी वहीं करूंगा, जो मुझसे आपकी इच्छा है.”
39 Et quand tout le peuple eut passé le Jourdain, le roi le passa aussi, et le roi baisa Berzellaï et le bénit, et celui-ci retourna chez lui.
इसके बाद सभी यरदन नदी के पार चले गए, राजा ने भी नदी पार की. तब राजा ने बारज़िल्लई का चुंबन लेते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया. इसके बाद बारज़िल्लई अपने घर लौट गए.
40 Le roi passa à Galgala, et Chamaam passa avec lui; et tout le peuple de Juda, ainsi que la moitié du peuple d’Israël escortèrent le roi.
राजा गिलगाल की ओर बढ़ते गए. किमहाम राजा के साथ था. राजा के साथ यहूदिया की सभी सेना और इस्राएल की आधी सेना थी.
41 Mais voici que tous les hommes d’Israël vinrent auprès du roi et lui dirent: « Pourquoi nos frères, les hommes de Juda, t’ont-ils enlevé, et ont-ils fait passer le Jourdain au roi, à sa maison et à tous les gens de David avec lui? »
तब इस्राएल के सभी व्यक्ति आकर राजा से कहने लगे, “ऐसा क्यों हुआ है कि हमारे भाई-बंधुओं, यहूदियावासियों ने चुपके-चुपके यरदन के उस पार जाकर, राजा और उनके परिवार को और उनके सारे साथियों को यहां ले आए है?”
42 Tous les hommes de Juda répondirent aux hommes d’Israël: « C’est que le roi me tient de plus près; pourquoi te fâches-tu de cela? Avons-nous vécu aux dépens du roi? Ou bien en avons-nous reçu quelque chose? »
यहूदिया के सभी निवासियों ने इस्राएल के निवासियों को उत्तर दिया, “इसलिये, कि राजा हमारे निकट संबंधी हैं. इस पर क्रुद्ध होने का क्या कारण है? क्या हमने अपने भोजन के लिए राजा की धनराशि में से खर्च किया है? अथवा क्या उन्होंने हमें उपहार में कुछ दिया है?”
43 Les hommes d’Israël répondirent aux hommes de Juda, en disant: « J’ai dix parts sur le roi, et même David m’appartient plus qu’à toi. Pourquoi m’as-tu fait cette injure? Ma parole n’a-t-elle pas été la première pour rétablir mon roi? Et le langage des hommes de Juda fut plus dur que celui des hommes d’Israël.
यह सुन इस्राएलियों ने यहूदियावासियों को उत्तर दिया, “राजा में हमारे दस अंश निहित है. तब दावीद पर हमारा अधिकार तुमसे अधिक होता ही है. तब तुमने हमें तुच्छ क्यों समझा? क्या राजा को दोबारा प्रतिष्ठित करने का प्रस्ताव सबसे पहले हमारी ओर से ही नहीं आया था?” इसमें यहूदियावासियों के वचन इस्राएलियों के उद्गारों से अधिक प्रभावी रहे.