< Nombres 30 >
1 Moïse parla aux chefs des tribus des enfants d’Israël, en disant: « Voici ce que Yahweh ordonne:
१फिर मूसा ने इस्राएली गोत्रों के मुख्य-मुख्य पुरुषों से कहा, “यहोवा ने यह आज्ञा दी है:
2 Si un homme fait un vœu à Yahweh ou s’il fait un serment pour s’imposer à soi-même un engagement, il ne violera pas sa parole; tout ce qui est sorti de sa bouche, il le fera.
२जब कोई पुरुष यहोवा की मन्नत माने, या अपने आपको वाचा से बाँधने के लिये शपथ खाए, तो वह अपना वचन न टाले; जो कुछ उसके मुँह से निकला हो उसके अनुसार वह करे।
3 Si une femme, encore jeune fille dans la maison de son père, fait un vœu à Yahweh et se lie par un engagement,
३और जब कोई स्त्री अपनी कुँवारी अवस्था में, अपने पिता के घर में रहते हुए, यहोवा की मन्नत माने, व अपने को वाचा से बाँधे,
4 et que son père apprenne son vœu et l’engagement qu’elle s’est imposé à elle-même, et que son père garde le silence envers elle, tous ses vœux qu’elle aura faits et tout engagement qu’elle s’est imposé à elle-même seront valables;
४तो यदि उसका पिता उसकी मन्नत या उसका वह वचन सुनकर, जिससे उसने अपने आपको बाँधा हो, उससे कुछ न कहे; तब तो उसकी सब मन्नतें स्थिर बनी रहें, और कोई बन्धन क्यों न हो, जिससे उसने अपने आपको बाँधा हो, वह भी स्थिर रहे।
5 mais si, le jour où il en a connaissance, son père la désavoue, tous ses vœux et tous les engagements qu’elle s’est imposé à elle-même seront sans valeur; et Yahweh lui pardonnera, parce que son père l’a désavouée.
५परन्तु यदि उसका पिता उसकी सुनकर उसी दिन उसको मना करे, तो उसकी मन्नतें या और प्रकार के बन्धन, जिनसे उसने अपने आपको बाँधा हो, उनमें से एक भी स्थिर न रहे, और यहोवा यह जानकर, कि उस स्त्री के पिता ने उसे मना कर दिया है, उसका यह पाप क्षमा करेगा।
6 Si elle se marie, et que pèsent sur elle ses vœux ou une parole imprudemment sortie de ses lèvres par laquelle elle s’est imposé à elle-même un engagement,
६फिर यदि वह पति के अधीन हो और मन्नत माने, या बिना सोच विचार किए ऐसा कुछ कहे जिससे वह बन्धन में पड़े,
7 et si son mari, l’apprenant, garde le silence envers elle le jour où il l’apprendra, ses vœux seront valables, ainsi que ses engagements qu’elle s’est imposé à elle-même;
७और यदि उसका पति सुनकर उस दिन उससे कुछ न कहे; तब तो उसकी मन्नतें स्थिर रहें, और जिन बन्धनों से उसने अपने आपको बाँधा हो वह भी स्थिर रहें।
8 mais si, le jour où il l’apprend, son mari la désavoue, il rend nul son vœu qui pèse sur elle et la parole imprudemment sortie de ses lèvres par laquelle elle s’est imposé à elle-même un engagement; et Yahweh lui pardonnera.
८परन्तु यदि उसका पति सुनकर उसी दिन उसे मना कर दे, तो जो मन्नत उसने मानी है, और जो बात बिना सोच-विचार किए कहने से उसने अपने आपको वाचा से बाँधा हो, वह टूट जाएगी; और यहोवा उस स्त्री का पाप क्षमा करेगा।
9 Le vœu d’une femme veuve ou répudiée, tout engagement qu’elle s’est imposé à elle-même, seront valables pour elle.
९फिर विधवा या त्यागी हुई स्त्री की मन्नत, या किसी प्रकार की वाचा का बन्धन क्यों न हो, जिससे उसने अपने आपको बाँधा हो, तो वह स्थिर ही रहे।
10 Si c’est dans la maison de son mari qu’une femme a fait un vœu ou s’est imposé à elle-même un engagement par un serment,
१०फिर यदि कोई स्त्री अपने पति के घर में रहते मन्नत माने, या शपथ खाकर अपने आपको बाँधे,
11 et que son mari, l’apprenant, garde le silence envers elle et ne la désavoue pas, tous ses vœux seront valables, ainsi que tous les engagements qu’elle s’est imposé à elle-même;
११और उसका पति सुनकर कुछ न कहे, और न उसे मना करे; तब तो उसकी सब मन्नतें स्थिर बनी रहें, और हर एक बन्धन क्यों न हो, जिससे उसने अपने आपको बाँधा हो, वह स्थिर रहे।
12 mais si, le jour où il l’apprend, son mari les annule, tout ce qui est sorti de ses lèvres, vœux ou engagements, sera sans valeur: son mari les a annulés; et Yahweh lui pardonnera.
१२परन्तु यदि उसका पति उसकी मन्नत आदि सुनकर उसी दिन पूरी रीति से तोड़ दे, तो उसकी मन्नतें आदि, जो कुछ उसके मुँह से अपने बन्धन के विषय निकला हो, उसमें से एक बात भी स्थिर न रहे; उसके पति ने सब तोड़ दिया है; इसलिए यहोवा उस स्त्री का वह पाप क्षमा करेगा।
13 Tout vœu et tout serment par lequel elle s’engage à affliger son âme, son mari peut les ratifier et son mari peut les annuler.
१३कोई भी मन्नत या शपथ क्यों न हो, जिससे उस स्त्री ने अपने जीव को दुःख देने की वाचा बाँधी हो, उसको उसका पति चाहे तो दृढ़ करे, और चाहे तो तोड़े;
14 Si son mari garde d’un jour à l’autre le silence envers elle, il ratifie ainsi tous ses vœux ou tous ses engagements qui pèsent sur elle; il les ratifie, parce qu’il a gardé le silence envers elle le jour où il l’a appris.
१४अर्थात् यदि उसका पति दिन प्रतिदिन उससे कुछ भी न कहे, तो वह उसको सब मन्नतें आदि बन्धनों को जिनसे वह बंधी हो दृढ़ कर देता है; उसने उनको दृढ़ किया है, क्योंकि सुनने के दिन उसने कुछ नहीं कहा।
15 S’il les annule après le jour où il l’a appris, il portera l’iniquité de sa femme. »
१५और यदि वह उन्हें सुनकर बहुत दिन पश्चात् तोड़ दे, तो अपनी स्त्री के अधर्म का भार वही उठाएगा।”
16 Telles sont les lois que Yahweh prescrivit à Moïse, entre un mari et sa femme, entre un père et sa fille, lorsqu’elle est jeune encore et dans la maison de son père.
१६पति-पत्नी के बीच, और पिता और उसके घर में रहती हुई कुँवारी बेटी के बीच, जिन विधियों की आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी वे ये ही हैं।