< Isaïe 31 >
1 Malheur à ceux qui descendent en Égypte chercher du secours, qui s’appuient sur les chevaux, mettent leur confiance dans les chars, parce qu’ils sont nombreux, et dans les cavaliers, parce qu’ils sont forts, mais ne regardent pas vers le Saint d’Israël, et ne recherchent pas Yahweh.
१हाय उन पर जो सहायता पाने के लिये मिस्र को जाते हैं और घोड़ों का आसरा करते हैं; जो रथों पर भरोसा रखते क्योंकि वे बहुत हैं, और सवारों पर, क्योंकि वे अति बलवान हैं, पर इस्राएल के पवित्र की ओर दृष्टि नहीं करते और न यहोवा की खोज करते हैं!
2 Cependant il est sage, il fait venir le malheur, il ne révoque pas ses paroles; il s’élèvera contre la maison des méchants, et contre le secours de ceux qui commettent l’iniquité.
२परन्तु वह भी बुद्धिमान है और दुःख देगा, वह अपने वचन न टालेगा, परन्तु उठकर कुकर्मियों के घराने पर और अनर्थकारियों के सहायकों पर भी चढ़ाई करेगा।
3 L’Egyptien est un homme, et non un Dieu; ses chevaux sont chair, et non esprit; Yahweh étendra sa main, celui qui secourt trébuchera, et le secouru tombera, et ils périront tous ensemble.
३मिस्री लोग परमेश्वर नहीं, मनुष्य ही हैं; और उनके घोड़े आत्मा नहीं, माँस ही हैं। जब यहोवा हाथ बढ़ाएगा, तब सहायता करनेवाले और सहायता चाहनेवाले दोनों ठोकर खाकर गिरेंगे, और वे सब के सब एक संग नष्ट हो जाएँगे।
4 Car ainsi m’a parlé Yahweh: comme le lion rugit, ainsi que le jeune lion, sur sa proie, alors que se rassemble contre lui la multitude des bergers, sans se laisser effrayer par leurs cris, ni troubler par leur nombre: ainsi Yahweh des armées descendra pour combattre, sur la montagne de Sion et sur sa colline.
४फिर यहोवा ने मुझसे यह कहा, “जिस प्रकार सिंह या जवान सिंह जब अपने अहेर पर गुर्राता हो, और चरवाहे इकट्ठे होकर उसके विरुद्ध बड़ी भीड़ लगाएँ, तो भी वह उनके बोल से न घबराएगा और न उनके कोलाहल के कारण दबेगा, उसी प्रकार सेनाओं का यहोवा, सिय्योन पर्वत और यरूशलेम की पहाड़ी पर, युद्ध करने को उतरेगा।
5 Comme des oiseaux déployant leurs ailes sur leur couvée, ainsi Yahweh des armées couvrira Jérusalem; il couvrira, il sauvera, il passera, il délivrera.
५पंख फैलाई हुई चिड़ियों के समान सेनाओं का यहोवा यरूशलेम की रक्षा करेगा; वह उसकी रक्षा करके बचाएगा, और उसको बिन छूए ही उद्धार करेगा।”
6 Revenez donc à celui dont vous vous êtes tant éloignés, enfants d’Israël.
६हे इस्राएलियों, जिसके विरुद्ध तुम ने भारी बलवा किया है, उसी की ओर फिरो।
7 Car en ce jour-là chacun rejettera ses idoles d’argent et ses idoles d’or, que vous avez fabriquées de vos mains pour pécher.
७उस समय तुम लोग सोने चाँदी की अपनी-अपनी मूर्तियों से जिन्हें तुम बनाकर पापी हो गए हो घृणा करोगे।
8 Et Assur tombera par une épée qui n’est pas de l’homme; une épée qui n’est pas d’un mortel le dévorera; il fuiera devant l’épée, et ses jeunes gens seront assujettis au tribut.
८“तब अश्शूर उस तलवार से गिराया जाएगा जो मनुष्य की नहीं; वह उस तलवार का कौर हो जाएगा जो आदमी की नहीं; और वह तलवार के सामने से भागेगा और उसके जवान बेगार में पकड़े जाएँगे।
9 Son rocher fuira d’épouvante, et ses princes tremblants déserteront l’étendard. — oracle de Yahweh, qui a son feu dans Sion, et sa fournaise dans Jérusalem.
९वह भय के मारे अपने सुन्दर भवन से जाता रहेगा, और उसके हाकिम घबराहट के कारण ध्वजा त्याग कर भाग जाएँगे,” यहोवा जिसकी अग्नि सिय्योन में और जिसका भट्ठा यरूशलेम में हैं, उसी की यह वाणी है।