< Zechariah 13 >
1 In that day there is a fountain opened To the house of David And to the inhabitants of Jerusalem, For sin and for impurity.
१“उसी दिन दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियों के लिये पाप और मलिनता धोने के निमित्त एक बहता हुआ सोता फूटेगा।
2 And it hath come to pass, in that day, An affirmation of Jehovah of Hosts, I cut off the names of the idols from the land, And they are not remembered any more, And also the prophets and the spirit of uncleanness I cause to pass away from the land.
२“सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, कि उस समय मैं इस देश में से मूरतों के नाम मिटा डालूँगा, और वे फिर स्मरण में न रहेंगी; और मैं भविष्यद्वक्ताओं और अशुद्ध आत्मा को इस देश में से निकाल दूँगा।
3 And it hath been, when one prophesieth again, That said unto him have his father and his mother, his parents, 'Thou dost not live, For falsehood thou hast spoken in the name of Jehovah,' And pierced him through have his father and his mother, his parents, in his prophesying.
३और यदि कोई फिर भविष्यद्वाणी करे, तो उसके माता-पिता, जिनसे वह उत्पन्न हुआ, उससे कहेंगे, ‘तू जीवित न बचेगा, क्योंकि तूने यहोवा के नाम से झूठ कहा है;’ इसलिए जब वह भविष्यद्वाणी करे, तब उसके माता-पिता जिनसे वह उत्पन्न हुआ उसको बेध डालेंगे।
4 And it hath come to pass, in that day, Ashamed are the prophets, each of his vision, in his prophesying, And they put not on a hairy robe to deceive.
४उस समय हर एक भविष्यद्वक्ता भविष्यद्वाणी करते हुए अपने-अपने दर्शन से लज्जित होंगे, और धोखा देने के लिये कम्बल का वस्त्र न पहनेंगे,
5 And [one] hath said, 'I am not a prophet, A man, a tiller of ground I am, For ground [is] my possession from my youth.'
५परन्तु वह कहेगा, ‘मैं भविष्यद्वक्ता नहीं, किसान हूँ; क्योंकि लड़कपन ही से मैं दूसरों का दास हूँ।’
6 And [one] hath said unto him, 'What [are] these wounds in thy hands?' And he hath said, 'Because I was smitten [at] home by my lovers.'
६तब उससे यह पूछा जाएगा, ‘तेरी छाती पर ये घाव कैसे हुए,’ तब वह कहेगा, ‘ये वे ही हैं जो मेरे प्रेमियों के घर में मुझे लगे हैं।’”
7 Sword, awake against My shepherd, And against a hero — My fellow, An affirmation of Jehovah of Hosts. Smite the shepherd, and scattered is the flock, And I have put back My hand on the little ones.
७सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, “हे तलवार, मेरे ठहराए हुए चरवाहे के विरुद्ध अर्थात् जो पुरुष मेरा स्वजाति है, उसके विरुद्ध चल। तू उस चरवाहे को काट, तब भेड़-बकरियाँ तितर-बितर हो जाएँगी; और बच्चों पर मैं अपने हाथ बढ़ाऊँगा।
8 And it hath come to pass, In all the land, an affirmation of Jehovah, Two parts in it are cut off — they expire, And the third is left in it.
८यहोवा की यह भी वाणी है, कि इस देश के सारे निवासियों की दो तिहाई मार डाली जाएँगी और बची हुई तिहाई उसमें बनी रहेगी।
9 And I have brought the third into fire, And refined them like a refining of silver, And have tried them like a trying of gold, It doth call in My name, and I answer it, I have said, 'My people it [is],' And it saith, 'Jehovah [is] my God!'
९उस तिहाई को मैं आग में डालकर ऐसा निर्मल करूँगा, जैसा रूपा निर्मल किया जाता है, और ऐसा जाँचूँगा जैसा सोना जाँचा जाता है। वे मुझसे प्रार्थना किया करेंगे, और मैं उनकी सुनूँगा। मैं उनके विषय में कहूँगा, ‘ये मेरी प्रजा हैं,’ और वे मेरे विषय में कहेंगे, ‘यहोवा हमारा परमेश्वर है।’”