< Genesis 24 >

1 And Abraham [is] old, he hath entered into days, and Jehovah hath blessed Abraham in all [things];
अब्राहम अब वृद्ध हो गया था और उसकी आयु बहुत थी और यहोवा ने सब बातों में उसको आशीष दी थी।
2 and Abraham saith unto his servant, the eldest of his house, who is ruling over all that he hath, 'Put, I pray thee, thy hand under my thigh,
अब्राहम ने अपने उस दास से, जो उसके घर में पुरनिया और उसकी सारी सम्पत्ति पर अधिकारी था, कहा, “अपना हाथ मेरी जाँघ के नीचे रख;
3 and I cause thee to swear by Jehovah, God of the heavens, and God of the earth, that thou dost not take a wife for my son from the daughters of the Canaanite, in the midst of whom I am dwelling;
और मुझसे आकाश और पृथ्वी के परमेश्वर यहोवा की इस विषय में शपथ खा, कि तू मेरे पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से, जिनके बीच मैं रहता हूँ, किसी को न लाएगा।
4 but unto my land and unto my kindred dost thou go, and hast taken a wife for my son, for Isaac.'
परन्तु तू मेरे देश में मेरे ही कुटुम्बियों के पास जाकर मेरे पुत्र इसहाक के लिये एक पत्नी ले आएगा।”
5 And the servant saith unto him, 'It may be the woman is not willing to come after me unto this land; do I at all cause thy son to turn back unto the land from whence thou camest out?'
दास ने उससे कहा, “कदाचित् वह स्त्री इस देश में मेरे साथ आना न चाहे; तो क्या मुझे तेरे पुत्र को उस देश में जहाँ से तू आया है ले जाना पड़ेगा?”
6 And Abraham saith unto him, 'Take heed to thyself, lest thou cause my son to turn back thither;
अब्राहम ने उससे कहा, “चौकस रह, मेरे पुत्र को वहाँ कभी न ले जाना।”
7 Jehovah, God of the heavens, who hath taken me from the house of my father, and from the land of my birth, and who hath spoken to me, and who hath sworn to me, saying, To thy seed I give this land, He doth send His messenger before thee, and thou hast taken a wife for my son from thence;
स्वर्ग का परमेश्वर यहोवा, जिसने मुझे मेरे पिता के घर से और मेरी जन्म-भूमि से ले आकर मुझसे शपथ खाकर कहा कि “मैं यह देश तेरे वंश को दूँगा; वही अपना दूत तेरे आगे-आगे भेजेगा, कि तू मेरे पुत्र के लिये वहाँ से एक स्त्री ले आए।
8 and if the woman be not willing to come after thee, then thou hast been acquitted from this mine oath: only my son thou dost not cause to turn back thither.'
और यदि वह स्त्री तेरे साथ आना न चाहे तब तो तू मेरी इस शपथ से छूट जाएगा; पर मेरे पुत्र को वहाँ न ले जाना।”
9 And the servant putteth his hand under the thigh of Abraham his lord, and sweareth to him concerning this matter.
तब उस दास ने अपने स्वामी अब्राहम की जाँघ के नीचे अपना हाथ रखकर उससे इस विषय की शपथ खाई।
10 And the servant taketh ten camels of the camels of his lord and goeth, also of all the goods of his lord in his hand, and he riseth, and goeth unto Aram-Naharaim, unto the city of Nahor;
१०तब वह दास अपने स्वामी के ऊँटों में से दस ऊँट छाँटकर उसके सब उत्तम-उत्तम पदार्थों में से कुछ कुछ लेकर चला; और अरम्नहरैम में नाहोर के नगर के पास पहुँचा।
11 and he causeth the camels to kneel at the outside of the city, at the well of water, at even-time, at the time of the coming out of the women who draw water.
११और उसने ऊँटों को नगर के बाहर एक कुएँ के पास बैठाया। वह संध्या का समय था, जिस समय स्त्रियाँ जल भरने के लिये निकलती हैं।
12 And he saith, 'Jehovah, God of my lord Abraham, cause to meet, I pray Thee, before me this day — (and do kindness with my lord Abraham;
१२वह कहने लगा, “हे मेरे स्वामी अब्राहम के परमेश्वर यहोवा, आज मेरे कार्य को सिद्ध कर, और मेरे स्वामी अब्राहम पर करुणा कर।
13 lo, I am standing by the fountain of water, and daughters of the men of the city are coming out to draw water;
१३देख, मैं जल के इस सोते के पास खड़ा हूँ; और नगरवासियों की बेटियाँ जल भरने के लिये निकली आती हैं
14 and it hath been, the young person unto whom I say, Incline, I pray thee, thy pitcher, and I drink, and she hath said, Drink, and I water also thy camels) — her Thou hast decided for Thy servant, for Isaac; and by it I know that Thou hast done kindness with my lord.'
१४इसलिए ऐसा होने दे कि जिस कन्या से मैं कहूँ, ‘अपना घड़ा मेरी ओर झुका, कि मैं पीऊँ,’ और वह कहे, ‘ले, पी ले, बाद में मैं तेरे ऊँटों को भी पिलाऊँगी,’ यह वही हो जिसे तूने अपने दास इसहाक के लिये ठहराया हो; इसी रीति मैं जान लूँगा कि तूने मेरे स्वामी पर करुणा की है।”
15 And it cometh to pass, before he hath finished speaking, that lo, Rebekah (who was born to Bethuel, son of Milcah, wife of Nahor, brother of Abraham) is coming out, and her pitcher on her shoulder,
१५और ऐसा हुआ कि जब वह कह ही रहा था कि रिबका, जो अब्राहम के भाई नाहोर के जन्माये मिल्का के पुत्र, बतूएल की बेटी थी, वह कंधे पर घड़ा लिये हुए आई।
16 and the young person [is] of very good appearance, a virgin, and a man hath not known her; and she goeth down to the fountain, and filleth her pitcher, and cometh up.
१६वह अति सुन्दर, और कुमारी थी, और किसी पुरुष का मुँह न देखा था। वह कुएँ में सोते के पास उतर गई, और अपना घड़ा भरकर फिर ऊपर आई।
17 And the servant runneth to meet her, and saith, 'Let me swallow, I pray thee, a little water from thy pitcher;'
१७तब वह दास उससे भेंट करने को दौड़ा, और कहा, “अपने घड़े में से थोड़ा पानी मुझे पिला दे।”
18 and she saith, 'Drink, my lord;' and she hasteth, and letteth down her pitcher upon her hand, and giveth him drink.
१८उसने कहा, “हे मेरे प्रभु, ले, पी ले,” और उसने फुर्ती से घड़ा उतारकर हाथ में लिये-लिये उसको पानी पिला दिया।
19 And she finisheth giving him drink, and saith, 'Also for thy camels I draw till they have finished drinking;'
१९जब वह उसको पिला चुकी, तब कहा, “मैं तेरे ऊँटों के लिये भी तब तक पानी भर-भर लाऊँगी, जब तक वे पी न चुकें।”
20 and she hasteth, and emptieth her pitcher into the drinking-trough, and runneth again unto the well to draw, and draweth for all his camels.
२०तब वह फुर्ती से अपने घड़े का जल हौद में उण्डेलकर फिर कुएँ पर भरने को दौड़ गई; और उसके सब ऊँटों के लिये पानी भर दिया।
21 And the man, wondering at her, remaineth silent, to know whether Jehovah hath made his way prosperous or not.
२१और वह पुरुष उसकी ओर चुपचाप अचम्भे के साथ ताकता हुआ यह सोचता था कि यहोवा ने मेरी यात्रा को सफल किया है कि नहीं।
22 And it cometh to pass when the camels have finished drinking, that the man taketh a golden ring (whose weight [is] a bekah), and two bracelets for her hands (whose weight [is] ten [bekahs] of gold),
२२जब ऊँट पी चुके, तब उस पुरुष ने आधा तोला सोने का एक नत्थ निकालकर उसको दिया, और दस तोले सोने के कंगन उसके हाथों में पहना दिए;
23 and saith, 'Whose daughter [art] thou? declare to me, I pray thee, is the house of thy father a place for us to lodge in?'
२३और पूछा, “तू किसकी बेटी है? यह मुझ को बता। क्या तेरे पिता के घर में हमारे टिकने के लिये स्थान है?”
24 And she saith unto him, 'I [am] daughter of Bethuel, son of Milcah, whom she hath borne to Nahor.'
२४उसने उत्तर दिया, “मैं तो नाहोर के जन्माए मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी हूँ।”
25 She saith also unto him, 'Both straw and provender [are] abundant with us, also a place to lodge in.'
२५फिर उसने उससे कहा, “हमारे यहाँ पुआल और चारा बहुत है, और टिकने के लिये स्थान भी है।”
26 And the man boweth, and doth obeisance to Jehovah,
२६तब उस पुरुष ने सिर झुकाकर यहोवा को दण्डवत् करके कहा,
27 and saith, 'Blessed [is] Jehovah, God of my lord Abraham, who hath not left off His kindness and His truth with my lord; — I [being] in the way, Jehovah hath led me to the house of my lord's brethren.'
२७“धन्य है मेरे स्वामी अब्राहम का परमेश्वर यहोवा, जिसने अपनी करुणा और सच्चाई को मेरे स्वामी पर से हटा नहीं लिया: यहोवा ने मुझ को ठीक मार्ग पर चलाकर मेरे स्वामी के भाई-बन्धुओं के घर पर पहुँचा दिया है।”
28 And the young person runneth, and declareth to the house of her mother according to these words.
२८तब उस कन्या ने दौड़कर अपनी माता को इस घटना का सारा हाल बता दिया।
29 And Rebekah hath a brother, and his name [is] Laban, and Laban runneth unto the man who [is] without, unto the fountain;
२९तब लाबान जो रिबका का भाई था, बाहर कुएँ के निकट उस पुरुष के पास दौड़ा गया।
30 yea, it cometh to pass, when he seeth the ring, and the bracelets on the hands of his sister, and when he heareth the words of Rebekah his sister, saying, 'Thus hath the man spoken unto me,' that he cometh in unto the man, and lo, he is standing by the camels by the fountain.
३०और ऐसा हुआ कि जब उसने वह नत्थ और अपनी बहन रिबका के हाथों में वे कंगन भी देखे, और उसकी यह बात भी सुनी कि उस पुरुष ने मुझसे ऐसी बातें कहीं; तब वह उस पुरुष के पास गया; और क्या देखा, कि वह सोते के निकट ऊँटों के पास खड़ा है।
31 And he saith, 'Come in, O blessed one of Jehovah, why standest thou without, and I — I have prepared the house and place for the camels!'
३१उसने कहा, “हे यहोवा की ओर से धन्य पुरुष भीतर आ तू क्यों बाहर खड़ा है? मैंने घर को, और ऊँटों के लिये भी स्थान तैयार किया है।”
32 And he bringeth in the man into the house, and looseth the camels, and giveth straw and provender for the camels, and water to wash his feet, and the feet of the men who [are] with him:
३२इस पर वह पुरुष घर में गया; और लाबान ने ऊँटों की काठियाँ खोलकर पुआल और चारा दिया; और उसके और उसके साथियों के पाँव धोने को जल दिया।
33 and setteth before him to eat; but he saith, 'I do not eat till I have spoken my word;' and he saith, 'Speak.'
३३तब अब्राहम के दास के आगे जलपान के लिये कुछ रखा गया; पर उसने कहा “मैं जब तक अपना प्रयोजन न कह दूँ, तब तक कुछ न खाऊँगा।” लाबान ने कहा, “कह दे।”
34 And he saith, 'I [am] Abraham's servant;
३४तब उसने कहा, “मैं तो अब्राहम का दास हूँ।
35 and Jehovah hath blessed my lord exceedingly, and he is great; and He giveth to him flock, and herd, and silver, and gold, and men-servants, and maid-servants, and camels, and asses;
३५यहोवा ने मेरे स्वामी को बड़ी आशीष दी है; इसलिए वह महान पुरुष हो गया है; और उसने उसको भेड़-बकरी, गाय-बैल, सोना-रूपा, दास-दासियाँ, ऊँट और गदहे दिए हैं।
36 and Sarah, my lord's wife, beareth a son to my lord, after she hath been aged, and he giveth to him all that he hath.
३६और मेरे स्वामी की पत्नी सारा के बुढ़ापे में उससे एक पुत्र उत्पन्न हुआ है; और उस पुत्र को अब्राहम ने अपना सब कुछ दे दिया है।
37 'And my lord causeth me to swear, saying, Thou dost not take a wife to my son from the daughters of the Canaanite, in whose land I am dwelling.
३७मेरे स्वामी ने मुझे यह शपथ खिलाई है, कि ‘मैं उसके पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से जिनके देश में वह रहता है, कोई स्त्री न ले आऊँगा।
38 If not — unto the house of my father thou dost go, and unto my family, and thou hast taken a wife for my son.
३८मैं उसके पिता के घर, और कुल के लोगों के पास जाकर उसके पुत्र के लिये एक स्त्री ले आऊँगा।’
39 'And I say unto my lord, It may be the woman doth not come after me;
३९तब मैंने अपने स्वामी से कहा, ‘कदाचित् वह स्त्री मेरे पीछे न आए।’
40 and he saith unto me, Jehovah, before whom I have walked habitually, doth send His messenger with thee, and hath prospered thy way, and thou hast taken a wife for my son from my family, and from the house of my father;
४०तब उसने मुझसे कहा, ‘यहोवा, जिसके सामने मैं चलता आया हूँ, वह तेरे संग अपने दूत को भेजकर तेरी यात्रा को सफल करेगा; और तू मेरे कुल, और मेरे पिता के घराने में से मेरे पुत्र के लिये एक स्त्री ले आ सकेगा।
41 then art thou acquitted from my oath, when thou comest unto my family, and if they give not [one] to thee; then thou hast been acquitted from my oath.
४१तू तब ही मेरी इस शपथ से छूटेगा, जब तू मेरे कुल के लोगों के पास पहुँचेगा; और यदि वे तुझे कोई स्त्री न दें, तो तू मेरी शपथ से छूटेगा।’
42 'And I come to-day unto the fountain, and I say, Jehovah, God of my lord Abraham, if Thou art, I pray Thee, making prosperous my way in which I am going —
४२इसलिए मैं आज उस कुएँ के निकट आकर कहने लगा, ‘हे मेरे स्वामी अब्राहम के परमेश्वर यहोवा, यदि तू मेरी इस यात्रा को सफल करता हो;
43 (lo, I am standing by the fountain of water), then the virgin who is coming out to draw, and I have said unto her, Let me drink, I pray thee, a little water from thy pitcher,
४३तो देख मैं जल के इस कुएँ के निकट खड़ा हूँ; और ऐसा हो, कि जो कुमारी जल भरने के लिये आए, और मैं उससे कहूँ, “अपने घड़े में से मुझे थोड़ा पानी पिला,”
44 and she hath said unto me, Both drink thou, and also for thy camels I draw — she is the woman whom Jehovah hath decided for my lord's son.
४४और वह मुझसे कहे, “पी ले, और मैं तेरे ऊँटों के पीने के लिये भी पानी भर दूँगी,” वह वही स्त्री हो जिसको तूने मेरे स्वामी के पुत्र के लिये ठहराया है।’
45 'Before I finish speaking unto my heart, then lo, Rebekah is coming out, and her pitcher on her shoulder, and she goeth down to the fountain, and draweth; and I say unto her, Let me drink, I pray thee,
४५मैं मन ही मन यह कह ही रहा था, कि देख रिबका कंधे पर घड़ा लिये हुए निकल आई; फिर वह सोते के पास उतरकर भरने लगी। मैंने उससे कहा, ‘मुझे पानी पिला दे।’
46 and she hasteth and letteth down her pitcher from off her and saith, Drink, and thy camels also I water; and I drink, and the camels also she hath watered.
४६और उसने जल्दी से अपने घड़े को कंधे पर से उतार के कहा, ‘ले, पी ले, पीछे मैं तेरे ऊँटों को भी पिलाऊँगी,’ इस प्रकार मैंने पी लिया, और उसने ऊँटों को भी पिला दिया।
47 'And I ask her, and say, Whose daughter [art] thou? and she saith, Daughter of Bethuel, son of Nahor, whom Milcah hath borne to him, and I put the ring on her nose, and the bracelets on her hands,
४७तब मैंने उससे पूछा, ‘तू किसकी बेटी है?’ और उसने कहा, ‘मैं तो नाहोर के जन्माए मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी हूँ,’ तब मैंने उसकी नाक में वह नत्थ, और उसके हाथों में वे कंगन पहना दिए।
48 and I bow, and do obeisance before Jehovah, and I bless Jehovah, God of my lord Abraham, who hath led me in the true way to receive the daughter of my lord's brother for his son.
४८फिर मैंने सिर झुकाकर यहोवा को दण्डवत् किया, और अपने स्वामी अब्राहम के परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा, क्योंकि उसने मुझे ठीक मार्ग से पहुँचाया कि मैं अपने स्वामी के पुत्र के लिये उसके कुटुम्बी की पुत्री को ले जाऊँ।
49 'And now, if ye are dealing kindly and truly with my lord, declare to me; and if not, declare to me; and I turn unto the right or unto the left.'
४९इसलिए अब, यदि तुम मेरे स्वामी के साथ कृपा और सच्चाई का व्यवहार करना चाहते हो, तो मुझसे कहो; और यदि नहीं चाहते हो; तो भी मुझसे कह दो; ताकि मैं दाहिनी ओर, या बाईं ओर फिर जाऊँ।”
50 And Laban answereth — Bethuel also — and they say, 'The thing hath gone out from Jehovah; we are not able to speak unto thee bad or good;
५०तब लाबान और बतूएल ने उत्तर दिया, “यह बात यहोवा की ओर से हुई है; इसलिए हम लोग तुझ से न तो भला कह सकते हैं न बुरा।
51 lo, Rebekah [is] before thee, take and go, and she is a wife to thy lord's son, as Jehovah hath spoken.'
५१देख, रिबका तेरे सामने है, उसको ले जा, और वह यहोवा के वचन के अनुसार, तेरे स्वामी के पुत्र की पत्नी हो जाए।”
52 And it cometh to pass, when the servant of Abraham hath heard their words, that he boweth himself towards the earth before Jehovah;
५२उनकी यह बात सुनकर, अब्राहम के दास ने भूमि पर गिरकर यहोवा को दण्डवत् किया।
53 and the servant taketh out vessels of silver, and vessels of gold, and garments, and giveth to Rebekah; precious things also he hath given to her brother and to her mother.
५३फिर उस दास ने सोने और रूपे के गहने, और वस्त्र निकालकर रिबका को दिए; और उसके भाई और माता को भी उसने अनमोल-अनमोल वस्तुएँ दीं।
54 And they eat and drink, he and the men who [are] with him, and lodge all night; and they rise in the morning, and he saith, 'Send me to my lord;'
५४तब उसने अपने संगी जनों समेत भोजन किया, और रात वहीं बिताई। उसने तड़के उठकर कहा, “मुझ को अपने स्वामी के पास जाने के लिये विदा करो।”
55 and her brother saith — her mother also — 'Let the young person abide with us a week or ten days, afterwards doth she go.'
५५रिबका के भाई और माता ने कहा, “कन्या को हमारे पास कुछ दिन, अर्थात् कम से कम दस दिन रहने दे; फिर उसके पश्चात् वह चली जाएगी।”
56 And he saith unto them, 'Do not delay me, seeing Jehovah hath prospered my way; send me away, and I go to my lord;'
५६उसने उनसे कहा, “यहोवा ने जो मेरी यात्रा को सफल किया है; इसलिए तुम मुझे मत रोको अब मुझे विदा कर दो, कि मैं अपने स्वामी के पास जाऊँ।”
57 and they say, 'Let us call for the young person, and ask at her mouth;'
५७उन्होंने कहा, “हम कन्या को बुलाकर पूछते हैं, और देखेंगे, कि वह क्या कहती है।”
58 and they call for Rebekah, and say unto her, 'Dost thou go with this man?' and she saith, 'I go.'
५८और उन्होंने रिबका को बुलाकर उससे पूछा, “क्या तू इस मनुष्य के संग जाएगी?” उसने कहा, “हाँ मैं जाऊँगी।”
59 And they send away Rebekah their sister, and her nurse, and Abraham's servant, and his men;
५९तब उन्होंने अपनी बहन रिबका, और उसकी दाई और अब्राहम के दास, और उसके साथी सभी को विदा किया।
60 and they bless Rebekah, and say to her, 'Thou [art] our sister; become thou thousands of myriads, and thy seed doth possess the gate of those hating it.'
६०और उन्होंने रिबका को आशीर्वाद देकर कहा, “हे हमारी बहन, तू हजारों लाखों की आदिमाता हो, और तेरा वंश अपने बैरियों के नगरों का अधिकारी हो।”
61 And Rebekah and her young women arise, and ride on the camels, and go after the man; and the servant taketh Rebekah and goeth.
६१तब रिबका अपनी सहेलियों समेत चली; और ऊँट पर चढ़कर उस पुरुष के पीछे हो ली। इस प्रकार वह दास रिबका को साथ लेकर चल दिया।
62 And Isaac hath come in from the entrance of the Well of the Living One, my Beholder; and he is dwelling in the land of the south,
६२इसहाक जो दक्षिण देश में रहता था, लहैरोई नामक कुएँ से होकर चला आता था।
63 and Isaac goeth out to meditate in the field, at the turning of the evening, and he lifteth up his eyes, and looketh, and lo, camels are coming.
६३साँझ के समय वह मैदान में ध्यान करने के लिये निकला था; और उसने आँखें उठाकर क्या देखा, कि ऊँट चले आ रहे हैं।
64 And Rebekah lifteth up her eyes, and seeth Isaac, and alighteth from off the camel;
६४रिबका ने भी आँखें उठाकर इसहाक को देखा, और देखते ही ऊँट पर से उतर पड़ी।
65 and she saith unto the servant, 'Who [is] this man who is walking in the field to meet us?' and the servant saith, 'It [is] my lord;' and she taketh the veil, and covereth herself.
६५तब उसने दास से पूछा, “जो पुरुष मैदान पर हम से मिलने को चला आता है, वह कौन है?” दास ने कहा, “वह तो मेरा स्वामी है।” तब रिबका ने घूँघट लेकर अपने मुँह को ढाँप लिया।
66 And the servant recounteth to Isaac all the things that he hath done,
६६दास ने इसहाक से अपने साथ हुई घटना का वर्णन किया।
67 and Isaac bringeth her in unto the tent of Sarah his mother, and he taketh Rebekah, and she becometh his wife, and he loveth her, and Isaac is comforted after [the death of] his mother.
६७तब इसहाक रिबका को अपनी माता सारा के तम्बू में ले आया, और उसको ब्याह कर उससे प्रेम किया। इस प्रकार इसहाक को माता की मृत्यु के पश्चात् शान्ति प्राप्त हुई।

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