< Exodus 12 >

1 And Jehovah speaketh unto Moses and unto Aaron, in the land of Egypt, saying,
फिर यहोवा ने मिस्र देश में मूसा और हारून से कहा,
2 'This month [is] to you the chief of months — it [is] the first to you of the months of the year;
“यह महीना तुम लोगों के लिये आरम्भ का ठहरे; अर्थात् वर्ष का पहला महीना यही ठहरे।
3 speak ye unto all the company of Israel, saying, In the tenth of this month — they take to them each man a lamb for the house of the fathers, a lamb for a house.
इस्राएल की सारी मण्डली से इस प्रकार कहो, कि इसी महीने के दसवें दिन को तुम अपने-अपने पितरों के घरानों के अनुसार, घराने पीछे एक-एक मेम्ना ले रखो।
4 '(And if the household be too few for a lamb, then hath he taken, he and his neighbour who is near unto his house, for the number of persons, each according to his eating ye do count for the lamb, )
और यदि किसी के घराने में एक मेम्ने के खाने के लिये मनुष्य कम हों, तो वह अपने सबसे निकट रहनेवाले पड़ोसी के साथ प्राणियों की गिनती के अनुसार एक मेम्ना ले रखे; और तुम हर एक के खाने के अनुसार मेम्ने का हिसाब करना।
5 a lamb, a perfect one, a male, a son of a year, let be to you; from the sheep or from the goats ye do take [it].
तुम्हारा मेम्ना निर्दोष और पहले वर्ष का नर हो, और उसे चाहे भेड़ों में से लेना चाहे बकरियों में से।
6 'And it hath become a charge to you, until the fourteenth day of this month, and the whole assembly of the company of Israel have slaughtered it between the evenings;
और इस महीने के चौदहवें दिन तक उसे रख छोड़ना, और उस दिन सूर्यास्त के समय इस्राएल की सारी मण्डली के लोग उसे बलि करें।
7 and they have taken of the blood, and have put on the two side-posts, and on the lintel over the houses in which they eat it.
तब वे उसके लहू में से कुछ लेकर जिन घरों में मेम्ने को खाएँगे उनके द्वार के दोनों ओर और चौखट के सिरे पर लगाएँ।
8 'And they have eaten the flesh in this night, roast with fire; with unleavened things and bitters they do eat it;
और वे उसके माँस को उसी रात आग में भूनकर अख़मीरी रोटी और कड़वे सागपात के साथ खाएँ।
9 ye do not eat of it raw, or boiled at all in water, but roast with fire, its head with its legs, and with its inwards;
उसको सिर, पैर, और अंतड़ियाँ समेत आग में भूनकर खाना, कच्चा या जल में कुछ भी पकाकर न खाना।
10 and ye do not leave of it till morning, and that which is remaining of it till morning with fire ye do burn.
१०और उसमें से कुछ सवेरे तक न रहने देना, और यदि कुछ सवेरे तक रह भी जाए, तो उसे आग में जला देना।
11 'And thus ye do eat it: your loins girded, your sandals on your feet, and your staff in your hand, and ye have eaten it in haste; it is Jehovah's passover,
११और उसके खाने की यह विधि है; कि कमर बाँधे, पाँव में जूती पहने, और हाथ में लाठी लिए हुए उसे फुर्ती से खाना; वह तो यहोवा का फसह होगा।
12 and I have passed over through the land of Egypt during this night, and have smitten every first-born in the land of Egypt, from man even unto beast, and on all the gods of Egypt I do judgments; I [am] Jehovah.
१२क्योंकि उस रात को मैं मिस्र देश के बीच में से होकर जाऊँगा, और मिस्र देश के क्या मनुष्य क्या पशु, सब के पहिलौठों को मारूँगा; और मिस्र के सारे देवताओं को भी मैं दण्ड दूँगा; मैं तो यहोवा हूँ।
13 'And the blood hath become a sign for you on the houses where ye [are], and I have seen the blood, and have passed over you, and a plague is not on you for destruction in My smiting in the land of Egypt.
१३और जिन घरों में तुम रहोगे उन पर वह लहू तुम्हारे निमित्त चिन्ह ठहरेगा; अर्थात् मैं उस लहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊँगा, और जब मैं मिस्र देश के लोगों को मारूँगा, तब वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और तुम नाश न होंगे।
14 'And this day hath become to you a memorial, and ye have kept it a feast to Jehovah to your generations; — a statute age-during; ye keep it a feast.
१४और वह दिन तुम को स्मरण दिलानेवाला ठहरेगा, और तुम उसको यहोवा के लिये पर्व करके मानना; वह दिन तुम्हारी पीढ़ियों में सदा की विधि जानकर पर्व माना जाए।
15 Seven days ye eat unleavened things; only — in the first day ye cause leaven to cease out of your houses; for any one eating anything fermented from the first day till the seventh day, even that person hath been cut off from Israel.
१५“सात दिन तक अख़मीरी रोटी खाया करना, उनमें से पहले ही दिन अपने-अपने घर में से ख़मीर उठा डालना, वरन् जो पहले दिन से लेकर सातवें दिन तक कोई ख़मीरी वस्तु खाए, वह प्राणी इस्राएलियों में से नाश किया जाए।
16 'And in the first day [is] a holy convocation, and in the seventh day ye have a holy convocation; any work is not done in them, only that which is eaten by any person — it alone is done by you,
१६पहले दिन एक पवित्र सभा, और सातवें दिन भी एक पवित्र सभा करना; उन दोनों दिनों में कोई काम न किया जाए; केवल जिस प्राणी का जो खाना हो उसके काम करने की आज्ञा है।
17 and ye have observed the unleavened things, for in this self-same day I have brought out your hosts from the land of Egypt, and ye have observed this day to your generations — a statute age-during.
१७इसलिए तुम बिना ख़मीर की रोटी का पर्व मानना, क्योंकि उसी दिन मानो मैंने तुम को दल-दल करके मिस्र देश से निकाला है; इस कारण वह दिन तुम्हारी पीढ़ियों में सदा की विधि जानकर माना जाए।
18 'In the first [month], in the fourteenth day of the month, in the evening, ye do eat unleavened things until the one and twentieth day of the month, at evening;
१८पहले महीने के चौदहवें दिन की साँझ से लेकर इक्कीसवें दिन की साँझ तक तुम अख़मीरी रोटी खाया करना।
19 seven days leaven is not found in your houses, for any [one] eating anything fermented — that person hath been cut off from the company of Israel, among the sojourners or among the natives of the land;
१९सात दिन तक तुम्हारे घरों में कुछ भी ख़मीर न रहे, वरन् जो कोई किसी ख़मीरी वस्तु को खाए, चाहे वह देशी हो चाहे परदेशी, वह प्राणी इस्राएलियों की मण्डली से नाश किया जाए।
20 anything fermented ye do not eat, in all your dwellings ye do eat unleavened things.'
२०कोई ख़मीरी वस्तु न खाना; अपने सब घरों में बिना ख़मीर की रोटी खाया करना।”
21 And Moses calleth for all the elders of Israel, and saith unto them, 'Draw out and take for yourselves [from] the flock, for your families, and slaughter the passover-sacrifice;
२१तब मूसा ने इस्राएल के सब पुरनियों को बुलाकर कहा, “तुम अपने-अपने कुल के अनुसार एक-एक मेम्ना अलग कर रखो, और फसह का पशुबलि करना।
22 and ye have taken a bunch of hyssop, and have dipped [it] in the blood which [is] in the basin, and have struck [it] on the lintel, and on the two side-posts, from the blood which [is] in the basin, and ye, ye go not out each from the opening of his house till morning.
२२और उसका लहू जो तसले में होगा उसमें जूफा का एक गुच्छा डुबाकर उसी तसले में के लहू से द्वार के चौखट के सिरे और दोनों ओर पर कुछ लगाना; और भोर तक तुम में से कोई घर से बाहर न निकले।
23 'And Jehovah hath passed on to smite the Egyptians, and hath seen the blood on the lintel, and on the two side-posts, and Jehovah hath passed over the opening, and doth not permit the destruction to come into your houses to smite.
२३क्योंकि यहोवा देश के बीच होकर मिस्रियों को मारता जाएगा; इसलिए जहाँ-जहाँ वह चौखट के सिरे, और दोनों ओर पर उस लहू को देखेगा, वहाँ-वहाँ वह उस द्वार को छोड़ जाएगा, और नाश करनेवाले को तुम्हारे घरों में मारने के लिये न जाने देगा।
24 'And ye have observed this thing, for a statute to thee, and to thy sons — unto the age;
२४फिर तुम इस विधि को अपने और अपने वंश के लिये सदा की विधि जानकर माना करो।
25 and it hath been, when ye come in unto the land which Jehovah giveth to you, as He hath spoken, that ye have kept this service;
२५जब तुम उस देश में जिसे यहोवा अपने कहने के अनुसार तुम को देगा प्रवेश करो, तब वह काम किया करना।
26 and it hath come to pass when your sons say unto you, What [is] this service ye have?
२६और जब तुम्हारे लड़के वाले तुम से पूछें, ‘इस काम से तुम्हारा क्या मतलब है?’
27 that ye have said, A sacrifice of passover it [is] to Jehovah, who passed over the houses of the sons of Israel in Egypt, in His smiting the Egyptians, and our houses He delivered.'
२७तब तुम उनको यह उत्तर देना, ‘यहोवा ने जो मिस्रियों के मारने के समय मिस्र में रहनेवाले हम इस्राएलियों के घरों को छोड़कर हमारे घरों को बचाया, इसी कारण उसके फसह का यह बलिदान किया जाता है।’” तब लोगों ने सिर झुकाकर दण्डवत् किया।
28 And the people bow and do obeisance, and the sons of Israel go and do as Jehovah commanded Moses and Aaron; so have they done.
२८और इस्राएलियों ने जाकर, जो आज्ञा यहोवा ने मूसा और हारून को दी थी, उसी के अनुसार किया।
29 And it cometh to pass, at midnight, that Jehovah hath smitten every first-born in the land of Egypt, from the first-born of Pharaoh who is sitting on his throne, unto the first-born of the captive who [is] in the prison-house, and every first-born of beasts.
२९ऐसा हुआ कि आधी रात को यहोवा ने मिस्र देश में सिंहासन पर विराजनेवाले फ़िरौन से लेकर गड्ढे में पड़े हुए बँधुए तक सब के पहिलौठों को, वरन् पशुओं तक के सब पहिलौठों को मार डाला।
30 And Pharaoh riseth by night, he and all his servants, and all the Egyptians, and there is a great cry in Egypt, for there is not a house where there is not [one] dead,
३०और फ़िरौन रात ही को उठ बैठा, और उसके सब कर्मचारी, वरन् सारे मिस्री उठे; और मिस्र में बड़ा हाहाकार मचा, क्योंकि एक भी ऐसा घर न था जिसमें कोई मरा न हो।
31 and he calleth for Moses and for Aaron by night, and saith, 'Rise, go out from the midst of my people, both ye and the sons of Israel, and go, serve Jehovah according to your word;
३१तब फ़िरौन ने रात ही रात में मूसा और हारून को बुलवाकर कहा, “तुम इस्राएलियों समेत मेरी प्रजा के बीच से निकल जाओ; और अपने कहने के अनुसार जाकर यहोवा की उपासना करो।
32 both your flock and your herd take ye, as ye have spoken, and go; then ye have blessed also me.'
३२अपने कहने के अनुसार अपनी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों को साथ ले जाओ; और मुझे आशीर्वाद दे जाओ।”
33 And the Egyptians are urgent on the people, hasting to send them away out of the land, for they said, 'We are all dead;'
३३और मिस्री जो कहते थे, ‘हम तो सब मर मिटे हैं,’ उन्होंने इस्राएली लोगों पर दबाव डालकर कहा, “देश से झटपट निकल जाओ।”
34 and the people taketh up its dough before it is fermented, their kneading-troughs [are] bound up in their garments on their shoulder.
३४तब उन्होंने अपने गुँधे-गुँधाए आटे को बिना ख़मीर दिए ही कठौतियों समेत कपड़ों में बाँधकर अपने-अपने कंधे पर डाल लिया।
35 And the sons of Israel have done according to the word of Moses, and they ask from the Egyptians vessels of silver and vessels of gold, and garments;
३५इस्राएलियों ने मूसा के कहने के अनुसार मिस्रियों से सोने-चाँदी के गहने और वस्त्र माँग लिए।
36 and Jehovah hath given the grace of the people in the eyes of the Egyptians, and they cause them to ask, and they spoil the Egyptians.
३६और यहोवा ने मिस्रियों को अपनी प्रजा के लोगों पर ऐसा दयालु किया कि उन्होंने जो-जो माँगा वह सब उनको दिया। इस प्रकार इस्राएलियों ने मिस्रियों को लूट लिया।
37 And the sons of Israel journey from Rameses to Succoth, about six hundred thousand men on foot, apart from infants;
३७तब इस्राएली रामसेस से कूच करके सुक्कोत को चले, और बाल-बच्चों को छोड़ वे कोई छः लाख पैदल चलनेवाले पुरुष थे।
38 and a great rabble also hath gone up with them, and flock and herd — very much cattle.
३८उनके साथ मिली-जुली हुई एक भीड़ गई, और भेड़-बकरी, गाय-बैल, बहुत से पशु भी साथ गए।
39 And they bake with the dough which they have brought out from Egypt unleavened cakes, for it hath not fermented; for they have been cast out of Egypt, and have not been able to delay, and also provision they have not made for themselves.
३९और जो गूँधा आटा वे मिस्र से साथ ले गए उसकी उन्होंने बिना ख़मीर दिए रोटियाँ बनाईं; क्योंकि वे मिस्र से ऐसे बरबस निकाले गए, कि उन्हें अवसर भी न मिला की मार्ग में खाने के लिये कुछ पका सके, इसी कारण वह गूँधा हुआ आटा बिना ख़मीर का था।
40 And the dwelling of the sons of Israel which they have dwelt in Egypt [is] four hundred and thirty years;
४०मिस्र में बसे हुए इस्राएलियों को चार सौ तीस वर्ष बीत गए थे।
41 and it cometh to pass, at the end of four hundred and thirty years — yea, it cometh to pass in this self-same day — all the hosts of Jehovah have gone out from the land of Egypt.
४१और उन चार सौ तीस वर्षों के बीतने पर, ठीक उसी दिन, यहोवा की सारी सेना मिस्र देश से निकल गई।
42 A night of watchings it [is] to Jehovah, to bring them out from the land of Egypt; it [is] this night to Jehovah of watchings to all the sons of Israel to their generations.
४२यहोवा इस्राएलियों को मिस्र देश से निकाल लाया, इस कारण वह रात उसके निमित्त मानने के योग्य है; यह यहोवा की वही रात है जिसका पीढ़ी-पीढ़ी में मानना इस्राएलियों के लिये अवश्य है।
43 And Jehovah saith unto Moses and Aaron, 'This [is] a statute of the passover; Any son of a stranger doth not eat of it;
४३फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, “पर्व की विधि यह है; कि कोई परदेशी उसमें से न खाए;
44 and any man's servant, the purchase of money, when thou hast circumcised him — then he doth eat of it;
४४पर जो किसी का मोल लिया हुआ दास हो, और तुम लोगों ने उसका खतना किया हो, वह तो उसमें से खा सकेगा।
45 a settler or hired servant doth not eat of it;
४५पर परदेशी और मजदूर उसमें से न खाएँ।
46 in one house it is eaten, thou dost not carry out of the house [any] of the flesh without, and a bone ye do not break of it;
४६उसका खाना एक ही घर में हो; अर्थात् तुम उसके माँस में से कुछ घर से बाहर न ले जाना; और बलिपशु की कोई हड्डी न तोड़ना।
47 all the company of Israel do keep it.
४७पर्व को मानना इस्राएल की सारी मण्डली का कर्तव्य है।
48 'And when a sojourner sojourneth with thee, and hath made a passover to Jehovah, every male of his [is] to be circumcised, and then he doth come near to keep it, and he hath been as a native of the land, but any uncircumcised one doth not eat of it;
४८और यदि कोई परदेशी तुम लोगों के संग रहकर यहोवा के लिये पर्व को मानना चाहे, तो वह अपने यहाँ के सब पुरुषों का खतना कराए, तब वह समीप आकर उसको माने; और वह देशी मनुष्य के तुल्य ठहरेगा। पर कोई खतनारहित पुरुष उसमें से न खाने पाए।
49 one law is to a native, and to a sojourner who is sojourning in your midst.'
४९उसकी व्यवस्था देशी और तुम्हारे बीच में रहनेवाले परदेशी दोनों के लिये एक ही हो।”
50 And all the sons of Israel do as Jehovah commanded Moses and Aaron; so have they done.
५०यह आज्ञा जो यहोवा ने मूसा और हारून को दी उसके अनुसार सारे इस्राएलियों ने किया।
51 And it cometh to pass in this self-same day, Jehovah hath brought out the sons of Israel from the land of Egypt, by their hosts.
५१और ठीक उसी दिन यहोवा इस्राएलियों को मिस्र देश से दल-दल करके निकाल ले गया।

< Exodus 12 >