< Deuteronomy 28 >
1 'And it hath been, if thou dost hearken diligently to the voice of Jehovah thy God, to observe to do all His commands which I am commanding thee to-day, that Jehovah thy God hath made thee uppermost above all the nations of the earth,
१“यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाएँ, जो मैं आज तुझे सुनाता हूँ, चौकसी से पूरी करने को चित्त लगाकर उसकी सुने, तो वह तुझे पृथ्वी की सब जातियों में श्रेष्ठ करेगा।
2 and all these blessings have come upon thee, and overtaken thee, because thou dost hearken to the voice of Jehovah thy God:
२फिर अपने परमेश्वर यहोवा की सुनने के कारण ये सब आशीर्वाद तुझ पर पूरे होंगे।
3 'Blessed [art] thou in the city, and blessed [art] thou in the field.
३धन्य हो तू नगर में, धन्य हो तू खेत में।
4 'Blessed [is] the fruit of thy womb, and the fruit of thy ground, and the fruit of thy cattle, increase of thine oxen, and wealth of thy flock.
४धन्य हो तेरी सन्तान, और तेरी भूमि की उपज, और गाय और भेड़-बकरी आदि पशुओं के बच्चे।
5 'Blessed [is] thy basket and thy kneading-trough.
५धन्य हो तेरी टोकरी और तेरा आटा गूँधने का पात्र।
6 'Blessed [art] thou in thy coming in, and blessed [art] thou in thy going out.
६धन्य हो तू भीतर आते समय, और धन्य हो तू बाहर जाते समय।
7 'Jehovah giveth thine enemies, who are rising up against thee — smitten before thy face; in one way they come out unto thee, and in seven ways they flee before thee.
७“यहोवा ऐसा करेगा कि तेरे शत्रु जो तुझ पर चढ़ाई करेंगे वे तुझ से हार जाएँगे; वे एक मार्ग से तुझ पर चढ़ाई करेंगे, परन्तु तेरे सामने से सात मार्ग से होकर भाग जाएँगे।
8 'Jehovah commandeth with thee the blessing in thy storehouses, and in every putting forth of thy hand, and hath blessed thee in the land which Jehovah thy God is giving to thee.
८तेरे खत्तों पर और जितने कामों में तू हाथ लगाएगा उन सभी पर यहोवा आशीष देगा; इसलिए जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसमें वह तुझे आशीष देगा।
9 'Jehovah doth establish thee to Himself for a holy people, as He hath sworn to thee, when thou keepest the commands of Jehovah thy God, and hast walked in His ways;
९यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं को मानते हुए उसके मार्गों पर चले, तो वह अपनी शपथ के अनुसार तुझे अपनी पवित्र प्रजा करके स्थिर रखेगा।
10 and all the peoples of the land have seen that the name of Jehovah is called upon thee, and they have been afraid of thee.
१०और पृथ्वी के देश-देश के सब लोग यह देखकर, कि तू यहोवा का कहलाता है, तुझ से डर जाएँगे।
11 'And Jehovah hath made thee abundant in good, in the fruit of the womb, and in the fruit of thy cattle, and in the fruit of thy ground, on the ground which Jehovah hath sworn to thy fathers to give to thee.
११और जिस देश के विषय यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर तुझे देने को कहा था, उसमें वह तेरी सन्तान की, और भूमि की उपज की, और पशुओं की बढ़ती करके तेरी भलाई करेगा।
12 'Jehovah doth open to thee his good treasure — the heavens — to give the rain of thy land in its season, and to bless all the work of thy hand, and thou hast lent to many nations, and thou — thou dost not borrow.
१२यहोवा तेरे लिए अपने आकाशरूपी उत्तम भण्डार को खोलकर तेरी भूमि पर समय पर मेंह बरसाया करेगा, और तेरे सारे कामों पर आशीष देगा; और तू बहुतेरी जातियों को उधार देगा, परन्तु किसी से तुझे उधार लेना न पड़ेगा।
13 'And Jehovah hath given thee for head, and not for tail; and thou hast been only above, and art not beneath, for thou dost hearken unto the commands of Jehovah thy God, which I am commanding thee to-day, to keep and to do,
१३और यहोवा तुझको पूँछ नहीं, किन्तु सिर ही ठहराएगा, और तू नीचे नहीं, परन्तु ऊपर ही रहेगा; यदि परमेश्वर यहोवा की आज्ञाएँ जो मैं आज तुझको सुनाता हूँ, तू उनके मानने में मन लगाकर चौकसी करे;
14 and thou dost not turn aside from all the words which I am commanding you to-day — right or left — to go after other gods, to serve them.
१४और जिन वचनों की मैं आज तुझे आज्ञा देता हूँ उनमें से किसी से दाएँ या बाएँ मुड़कर पराए देवताओं के पीछे न हो ले, और न उनकी सेवा करे।
15 'And it hath been, if thou dost not hearken unto the voice of Jehovah thy God to observe to do all His commands, and His statutes, which I am commanding thee to-day, that all these revilings have come upon thee, and overtaken thee:
१५“परन्तु यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की बात न सुने, और उसकी सारी आज्ञाओं और विधियों के पालन करने में जो मैं आज सुनाता हूँ चौकसी नहीं करेगा, तो ये सब श्राप तुझ पर आ पड़ेंगे।
16 'Cursed [art] thou in the city, and cursed [art] thou in the field.
१६श्रापित हो तू नगर में, श्रापित हो तू खेत में।
17 'Cursed [is] thy basket and thy kneading-trough.
१७श्रापित हो तेरी टोकरी और तेरा आटा गूँधने का पात्र।
18 'Cursed [is] the fruit of thy body, and the fruit of thy land, increase of thine oxen, and wealth of thy flock.
१८श्रापित हो तेरी सन्तान, और भूमि की उपज, और गायों और भेड़-बकरियों के बच्चे।
19 'Cursed [art] thou in thy coming in, and cursed [art] thou in thy going out.
१९श्रापित हो तू भीतर आते समय, और श्रापित हो तू बाहर जाते समय।
20 'Jehovah doth send on thee the curse, the trouble, and the rebuke, in every putting forth of thy hand which thou dost, till thou art destroyed, and till thou perish hastily, because of the evil of thy doings [by] which thou hast forsaken Me.
२०“फिर जिस-जिस काम में तू हाथ लगाए, उसमें यहोवा तब तक तुझको श्राप देता, और भयातुर करता, और धमकी देता रहेगा, जब तक तू मिट न जाए, और शीघ्र नष्ट न हो जाए; यह इस कारण होगा कि तू यहोवा को त्याग कर दुष्ट काम करेगा।
21 'Jehovah doth cause to cleave to thee the pestilence, till He consume thee from off the ground whither thou art going in to possess it.
२१और यहोवा ऐसा करेगा कि मरी तुझ में फैलकर उस समय तक लगी रहेगी, जब तक जिस भूमि के अधिकारी होने के लिये तू जा रहा है उस पर से तेरा अन्त न हो जाए।
22 'Jehovah doth smite thee with consumption, and with fever, and with inflammation, and with extreme burning, and with sword, and with blasting, and with mildew, and they have pursued thee till thou perish
२२यहोवा तुझको क्षयरोग से, और ज्वर, और दाह, और बड़ी जलन से, और तलवार, और झुलस, और गेरूई से मारेगा; और ये उस समय तक तेरा पीछा किए रहेंगे, जब तक तेरा सत्यानाश न हो जाए।
23 'And thy heavens which [are] over thy head have been brass, and the earth which [is] under thee iron;
२३और तेरे सिर के ऊपर आकाश पीतल का, और तेरे पाँव के तले भूमि लोहे की हो जाएगी।
24 Jehovah giveth the rain of thy land — dust and ashes; from the heavens it cometh down on thee till thou art destroyed.
२४यहोवा तेरे देश में पानी के बदले रेत और धूलि बरसाएगा; वह आकाश से तुझ पर यहाँ तक बरसेगी कि तेरा सत्यानाश हो जाएगा।
25 'Jehovah giveth thee smitten before thine enemies; in one way thou goest out unto them, and in seven ways dost flee before them, and thou hast been for a trembling to all kingdoms of the earth;
२५“यहोवा तुझको शत्रुओं से हरवाएगा; और तू एक मार्ग से उनका सामना करने को जाएगा, परन्तु सात मार्ग से होकर उनके सामने से भाग जाएगा; और पृथ्वी के सब राज्यों में मारा-मारा फिरेगा।
26 and thy carcase hath been for food to every fowl of the heavens, and to the beast of the earth, and there is none causing trembling.
२६और तेरा शव आकाश के भाँति-भाँति के पक्षियों, और धरती के पशुओं का आहार होगा; और उनको कोई भगानेवाला न होगा।
27 'Jehovah doth smite thee with the ulcer of Egypt, and with emerods, and with scurvy, and with itch, of which thou art not able to be healed.
२७यहोवा तुझको मिस्र के से फोड़े, और बवासीर, और दाद, और खुजली से ऐसा पीड़ित करेगा, कि तू चंगा न हो सकेगा।
28 'Jehovah doth smite thee with madness, and with blindness, and with astonishment of heart;
२८यहोवा तुझे पागल और अंधा कर देगा, और तेरे मन को अत्यन्त घबरा देगा;
29 and thou hast been gropling at noon, as the blind gropeth in darkness; and thou dost not cause thy ways to prosper; and thou hast been only oppressed and plundered all the days, and there is no saviour.
२९और जैसे अंधा अंधियारे में टटोलता है वैसे ही तू दिन दुपहरी में टटोलता फिरेगा, और तेरे काम-काज सफल न होंगे; और तू सदैव केवल अत्याचार सहता और लुटता ही रहेगा, और तेरा कोई छुड़ानेवाला न होगा।
30 'A woman thou dost betroth, and another man doth lie with her; a house thou dost build, and dost not dwell in it; a vineyard thou dost plant, and dost not make it common;
३०तू स्त्री से ब्याह की बात लगाएगा, परन्तु दूसरा पुरुष उसको भ्रष्ट करेगा; घर तू बनाएगा, परन्तु उसमें बसने न पाएगा; दाख की बारी तू लगाएगा, परन्तु उसके फल खाने न पाएगा।
31 thine ox [is] slaughtered before thine eyes, and thou dost not eat of it; thine ass [is] taken violently away from before thee, and it is not given back to thee; thy sheep [are] given to thine enemies, and there is no saviour for thee.
३१तेरा बैल तेरी आँखों के सामने मारा जाएगा, और तू उसका माँस खाने न पाएगा; तेरा गदहा तेरी आँख के सामने लूट में चला जाएगा, और तुझे फिर न मिलेगा; तेरी भेड़-बकरियाँ तेरे शत्रुओं के हाथ लग जाएँगी, और तेरी ओर से उनका कोई छुड़ानेवाला न होगा।
32 'Thy sons and thy daughters [are] given to another people, and thine eyes are looking and consuming for them all the day, and thy hand is not to God!
३२तेरे बेटे-बेटियाँ दूसरे देश के लोगों के हाथ लग जाएँगे, और उनके लिये चाव से देखते-देखते तेरी आँखें रह जाएँगी; और तेरा कुछ बस न चलेगा।
33 The fruit of thy ground, and all thy labour, eat up doth a people whom thou hast not known; and thou hast been only oppressed and bruised all the days;
३३तेरी भूमि की उपज और तेरी सारी कमाई एक अनजाने देश के लोग खा जाएँगे; और सर्वदा तू केवल अत्याचार सहता और पिसता रहेगा;
34 and thou hast been mad, because of the sight of thine eyes which thou dost see.
३४यहाँ तक कि तू उन बातों के कारण जो अपनी आँखों से देखेगा पागल हो जाएगा।
35 'Jehovah doth smite thee with an evil ulcer, on the knees, and on the legs (of which thou art not able to be healed), from the sole of thy foot even unto thy crown.
३५यहोवा तेरे घुटनों और टाँगों में, वरन् नख से शीर्ष तक भी असाध्य फोड़े निकालकर तुझको पीड़ित करेगा।
36 'Jehovah doth cause thee to go, and thy king whom thou raisest up over thee, unto a nation which thou hast not known, thou and thy fathers, and thou hast served there other gods, wood and stone;
३६“यहोवा तुझको उस राजा समेत, जिसको तू अपने ऊपर ठहराएगा, तेरे और तेरे पूर्वजों के लिए अनजानी एक जाति के बीच पहुँचाएगा; और उसके मध्य में रहकर तू काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना और पूजा करेगा।
37 and thou hast been for an astonishment, for a simile, and for a byword among all the peoples whither Jehovah doth lead thee.
३७और उन सब जातियों में जिनके मध्य में यहोवा तुझको पहुँचाएगा, वहाँ के लोगों के लिये तू चकित होने का, और दृष्टान्त और श्राप का कारण समझा जाएगा।
38 'Much seed thou dost take out into the field, and little thou dost gather in, for the locust doth consume it;
३८तू खेत में बीज तो बहुत सा ले जाएगा, परन्तु उपज थोड़ी ही बटोरेगा; क्योंकि टिड्डियाँ उसे खा जाएँगी।
39 vineyards thou dost plant, and hast laboured, and wine thou dost not drink nor gather, for the worm doth consume it;
३९तू दाख की बारियाँ लगाकर उनमें काम तो करेगा, परन्तु उनकी दाख का मधु पीने न पाएगा, वरन् फल भी तोड़ने न पाएगा; क्योंकि कीड़े उनको खा जाएँगे।
40 olives are to thee in all thy border, and oil thou dost not pour out, for thine olive doth fall off.
४०तेरे सारे देश में जैतून के वृक्ष तो होंगे, परन्तु उनका तेल तू अपने शरीर में लगाने न पाएगा; क्योंकि वे झड़ जाएँगे।
41 'Sons and daughters thou dost beget, and they are not with thee, for they go into captivity;
४१तेरे बेटे-बेटियाँ तो उत्पन्न होंगे, परन्तु तेरे रहेंगे नहीं; क्योंकि वे बन्धुवाई में चले जाएँगे।
42 all thy trees and the fruit of thy ground doth the locust possess;
४२तेरे सब वृक्ष और तेरी भूमि की उपज टिड्डियाँ खा जाएँगी।
43 the sojourner who [is] in thy midst goeth up above thee very high, and thou goest down very low;
४३जो परदेशी तेरे मध्य में रहेगा वह तुझ से बढ़ता जाएगा; और तू आप घटता चला जाएगा।
44 he doth lend [to] thee, and thou dost not lend [to] him; he is for head, and thou art for tail.
४४“वह तुझको उधार देगा, परन्तु तू उसको उधार न दे सकेगा; वह तो सिर और तू पूँछ ठहरेगा।
45 'And come upon thee have all these curses, and they have pursued thee, and overtaken thee, till thou art destroyed, because thou hast not hearkened to the voice of Jehovah thy God, to keep His commands, and His statutes, which he hath commanded thee;
४५तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की दी हुई आज्ञाओं और विधियों के मानने को उसकी न सुनेगा, इस कारण ये सब श्राप तुझ पर आ पड़ेंगे, और तेरे पीछे पड़े रहेंगे, और तुझको पकड़ेंगे, और अन्त में तू नष्ट हो जाएगा।
46 and they have been on thee for a sign and for a wonder, also on thy seed — to the age.
४६और वे तुझ पर और तेरे वंश पर सदा के लिये बने रहकर चिन्ह और चमत्कार ठहरेंगे;
47 'Because that thou hast not served Jehovah thy God with joy, and with gladness of heart, because of the abundance of all things —
४७“तू जो सब पदार्थ की बहुतायत होने पर भी आनन्द और प्रसन्नता के साथ अपने परमेश्वर यहोवा की सेवा नहीं करेगा,
48 thou hast served thine enemies, whom Jehovah sendeth against thee, in hunger, and in thirst, and in nakedness, and in lack of all things; and he hath put a yoke of iron on thy neck, till He hath destroyed thee.
४८इस कारण तुझको भूखा, प्यासा, नंगा, और सब पदार्थों से रहित होकर अपने उन शत्रुओं की सेवा करनी पड़ेगी जिन्हें यहोवा तेरे विरुद्ध भेजेगा; और जब तक तू नष्ट न हो जाए तब तक वह तेरी गर्दन पर लोहे का जूआ डाल रखेगा।
49 'Jehovah doth lift up against thee a nation, from afar, from the end of the earth, as the eagle it flieth; a nation whose tongue thou hast not heard,
४९यहोवा तेरे विरुद्ध दूर से, वरन् पृथ्वी के छोर से वेग से उड़नेवाले उकाब सी एक जाति को चढ़ा लाएगा जिसकी भाषा को तू न समझेगा;
50 a nation — fierce of countenance — which accepteth not the face of the aged, and the young doth not favour;
५०उस जाति के लोगों का व्यवहार क्रूर होगा, वे न तो बूढ़ों का मुँह देखकर आदर करेंगे, और न बालकों पर दया करेंगे;
51 and it hath eaten the fruit of thy cattle, and the fruit of thy ground, till thou art destroyed; which leaveth not to thee corn, new wine, and oil, increase of thine oxen, and wealth of thy flock, till it hath destroyed thee.
५१और वे तेरे पशुओं के बच्चे और भूमि की उपज यहाँ तक खा जाएँगे कि तू नष्ट हो जाएगा; और वे तेरे लिये न अन्न, और न नया दाखमधु, और न टटका तेल, और न बछड़े, न मेम्ने छोड़ेंगे, यहाँ तक कि तू नाश हो जाएगा।
52 'And it hath laid siege to thee in all thy gates, till thy walls come down, the high and the fenced ones in which thou art trusting, in all thy land; yea, it hath laid siege to thee in all thy gates, in all thy land, which Jehovah thy God hath given to thee;
५२और वे तेरे परमेश्वर यहोवा के दिये हुए सारे देश के सब फाटकों के भीतर तुझे घेर रखेंगे; वे तेरे सब फाटकों के भीतर तुझे उस समय तक घेरेंगे, जब तक तेरे सारे देश में तेरी ऊँची-ऊँची और दृढ़ शहरपनाहें जिन पर तू भरोसा करेगा गिर न जाएँ।
53 and thou hast eaten the fruit of thy body, flesh of thy sons and thy daughters (whom Jehovah thy God hath given to thee), in the siege, and in the straitness with which thine enemies do straiten thee.
५३तब घिर जाने और उस संकट के समय जिसमें तेरे शत्रु तुझको डालेंगे, तू अपने निज जन्माए बेटे-बेटियों का माँस जिन्हें तेरा परमेश्वर यहोवा तुझको देगा खाएगा।
54 'The man who is tender in thee, and who [is] very delicate — his eye is evil against his brother, and against the wife of his bosom, and against the remnant of his sons whom he leaveth,
५४और तुझ में जो पुरुष कोमल और अति सुकुमार हो वह भी अपने भाई, और अपनी प्राणप्रिय, और अपने बचे हुए बालकों को क्रूर दृष्टि से देखेगा;
55 against giving to one of them of the flesh of his sons whom he eateth, because he hath nothing left to him, in the siege, and in the straitness with which thine enemy doth straiten thee in all thy gates.
५५और वह उनमें से किसी को भी अपने बालकों के माँस में से जो वह आप खाएगा कुछ न देगा, क्योंकि घिर जाने और उस संकट में, जिसमें तेरे शत्रु तेरे सारे फाटकों के भीतर तुझे घेर डालेंगे, उसके पास कुछ न रहेगा।
56 'The tender woman in thee, and the delicate, who hath not tried the sole of her foot to place on the ground because of delicateness and because of tenderness — her eye is evil against the husband of her bosom, and against her son, and against her daughter,
५६और तुझ में जो स्त्री यहाँ तक कोमल और सुकुमार हो कि सुकुमारपन के और कोमलता के मारे भूमि पर पाँव धरते भी डरती हो, वह भी अपने प्राणप्रिय पति, और बेटे, और बेटी को,
57 and against her seed which cometh out from between her feet, even against her sons whom she doth bear, for she doth eat them for the lacking of all things in secret, in the siege and in the straitness with which thine enemy doth straiten thee within thy gates.
५७अपनी खेरी, वरन् अपने जने हुए बच्चों को क्रूर दृष्टि से देखेगी, क्योंकि घिर जाने और उस संकट के समय जिसमें तेरे शत्रु तुझे तेरे फाटकों के भीतर घेरकर रखेंगे, वह सब वस्तुओं की घटी के मारे उन्हें छिपके खाएगी।
58 'If thou dost not observe to do all the words of this law which are written in this book, to fear this honoured and fearful name — Jehovah thy God —
५८“यदि तू इन व्यवस्था के सारे वचनों का पालन करने में, जो इस पुस्तक में लिखे हैं, चौकसी करके उस आदरणीय और भययोग्य नाम का, जो यहोवा तेरे परमेश्वर का है भय न माने,
59 then hath Jehovah made wonderful thy strokes, and the strokes of thy seed — great strokes, and stedfast, and evil sicknesses, and stedfast.
५९तो यहोवा तुझको और तेरे वंश को भयानक-भयानक दण्ड देगा, वे दुष्ट और बहुत दिन रहनेवाले रोग और भारी-भारी दण्ड होंगे।
60 'And He hath brought back on thee all the diseases of Egypt, of the presence of which thou hast been afraid, and they have cleaved to thee;
६०और वह मिस्र के उन सब रोगों को फिर तेरे ऊपर लगा देगा, जिनसे तू भय खाता था; और वे तुझ में लगे रहेंगे।
61 also every sickness and every stroke which is not written in the book of this law; Jehovah doth cause them to go up upon thee till thou art destroyed,
६१और जितने रोग आदि दण्ड इस व्यवस्था की पुस्तक में नहीं लिखे हैं, उन सभी को भी यहोवा तुझको यहाँ तक लगा देगा, कि तेरा सत्यानाश हो जाएगा।
62 and ye have been left with few men, instead of which ye have been as stars of the heavens for multitude, because thou hast not hearkened to the voice of Jehovah thy God.
६२और तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की न मानेगा, इस कारण आकाश के तारों के समान अनगिनत होने के बदले तुझ में से थोड़े ही मनुष्य रह जाएँगे।
63 'And it hath been, as Jehovah hath rejoiced over you to do you good, and to multiply you, so doth Jehovah rejoice over you to destroy you, and to lay you waste; and ye have been pulled away from off the ground whither thou art going in to possess it;
६३और जैसे अब यहोवा को तुम्हारी भलाई और बढ़ती करने से हर्ष होता है, वैसे ही तब उसको तुम्हारा नाश वरन् सत्यानाश करने से हर्ष होगा; और जिस भूमि के अधिकारी होने को तुम जा रहे हो उस पर से तुम उखाड़े जाओगे।
64 and Jehovah hath scattered thee among all the peoples, from the end of the earth even unto the end of the earth; and thou hast served there other gods which thou hast not known, thou and thy fathers — wood and stone.
६४और यहोवा तुझको पृथ्वी के इस छोर से लेकर उस छोर तक के सब देशों के लोगों में तितर-बितर करेगा; और वहाँ रहकर तू अपने और अपने पुरखाओं के अनजाने काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना करेगा।
65 'And among those nations thou dost not rest, yea, there is no resting-place for the sole of thy foot, and Jehovah hath given to thee there a trembling heart, and failing of eyes, and grief of soul;
६५और उन जातियों में तू कभी चैन न पाएगा, और न तेरे पाँव को ठिकाना मिलेगा; क्योंकि वहाँ यहोवा ऐसा करेगा कि तेरा हृदय काँपता रहेगा, और तेरी आँखें धुँधली पड़ जाएँगी, और तेरा मन व्याकुल रहेगा;
66 and thy life hath been hanging in suspense before thee, and thou hast been afraid by night and by day, and dost not believe in thy life;
६६और तुझको जीवन का नित्य सन्देह रहेगा; और तू दिन-रात थरथराता रहेगा, और तेरे जीवन का कुछ भरोसा न रहेगा।
67 in the morning thou sayest, O that it were evening! and in the evening thou sayest, O that it were morning! from the fear of thy heart, with which thou art afraid, and from the sight of thine eyes which thou seest.
६७तेरे मन में जो भय बना रहेगा, और तेरी आँखों को जो कुछ दिखता रहेगा, उसके कारण तू भोर को आह मारकर कहेगा, ‘साँझ कब होगी!’ और साँझ को आह मारकर कहेगा, ‘भोर कब होगा!’
68 'And Jehovah hath brought thee back to Egypt with ships, by a way of which I said to thee, Thou dost not add any more to see it, and ye have sold yourselves there to thine enemies, for men-servants and for maid-servants, and there is no buyer.'
६८और यहोवा तुझको नावों पर चढ़ाकर मिस्र में उस मार्ग से लौटा देगा, जिसके विषय में मैंने तुझ से कहा था, कि वह फिर तेरे देखने में न आएगा; और वहाँ तुम अपने शत्रुओं के हाथ दास-दासी होने के लिये बिकाऊ तो रहोगे, परन्तु तुम्हारा कोई ग्राहक न होगा।”