< 2 Thessalonians 1 >

1 Paul, and Silvanus, and Timotheus, to the assembly of Thessalonians in God our Father, and the Lord Jesus Christ:
थेस्सलोनिकेयुस नगर की कलीसिया को, जो पिता परमेश्वर तथा प्रभु येशु मसीह में है, पौलॉस, सिलवानॉस तथा तिमोथियॉस की ओर से:
2 Grace to you, and peace, from God our Father, and the Lord Jesus Christ!
तुममें पिता परमेश्वर तथा प्रभु येशु मसीह का अनुग्रह तथा शांति बनी रहे.
3 We ought to give thanks to God always for you, brethren, as it is meet, because increase greatly doth your faith, and abound doth the love of each one of you all, to one another;
प्रिय भाई बहनो, तुम्हारे बढ़ते हुए विश्वास तथा हर एक में आपसी प्रेम के दिन-प्रतिदिन बढ़ते जाने के लिए परमेश्वर को हमारा लगातार धन्यवाद सही ही है.
4 so that we ourselves do glory in you in the assemblies of God, for your endurance and faith in all your persecutions and tribulations that ye bear;
इसलिये, परमेश्वर की कलीसियाओं में हम तुम्हारे द्वारा सहे जा रहे उत्पीड़नों और यातनाओं की स्थिति में भी तुम्हारे द्वारा की जा रही लगातार कोशिशों तथा विश्वास का वर्णन अत्यंत गर्व के साथ करते हैं.
5 a token of the righteous judgment of God, for your being counted worthy of the reign of God, for which also ye suffer,
यह सब परमेश्वर के सच्चे न्याय के निर्णय का एक स्पष्ट प्रमाण है, जिसके परिणामस्वरूप तुम परमेश्वर के राज्य के योग्य समझे जाओगे—वस्तुतः तुम यातनाएं इसी के लिए सह रहे हो.
6 since [it is] a righteous thing with God to give back to those troubling you — trouble,
इसलिये परमेश्वर के लिए यही सही है कि वह उन्हें भी क्लेश ही दें, जिन्होंने तुम्हें क्लेश दिया है
7 and to you who are troubled — rest with us in the revelation of the Lord Jesus from heaven, with messengers of his power,
तथा प्रभु येशु के स्वर्ग से ज्वालामय आग में अपने सामर्थ्यी स्वर्गदूतों के साथ प्रकट होने के अवसर पर तुम्हारी और हमारी भी, जो दूर हैं, पीड़ा मिटे.
8 in flaming fire, giving vengeance to those not knowing God, and to those not obeying the good news of our Lord Jesus Christ;
उस अवसर पर वह उन सबसे बदला लेंगे, जो परमेश्वर को जानते नहीं है तथा उनसे भी, जो हमारे प्रभु येशु मसीह के ईश्वरीय सुसमाचार को नहीं मानते हैं.
9 who shall suffer justice — destruction age-during — from the face of the Lord, and from the glory of his strength, (aiōnios g166)
अनंत विनाश उनका दंड होगा. इसमें वे प्रभु की उपस्थिति तथा उनके सामर्थ्य के पराक्रम से दूर कर दिए जाएंगे. (aiōnios g166)
10 when He may come to be glorified in his saints, and to be wondered at in all those believing — because our testimony was believed among you — in that day;
उस समय वह अपने पवित्र लोगों के बीच गौरवान्वित होंगे तथा वे सभी, जिन्होंने उनमें विश्वास किया है, उन्हें चकित हो निहारेंगे. तुम भी उनमें शामिल हो क्योंकि तुमने हमारे संदेश में विश्वास किया है.
11 for which also we do pray always for you, that our God may count you worthy of the calling, and may fulfil all the good pleasure of goodness, and the work of the faith in power,
इस बात के प्रकाश में हम तुम्हारे लिए हमेशा प्रार्थना करते हैं कि तुम हमारे परमेश्वर के मत में अपनी बुलावे के अनुरूप पाए जाओ तथा तुम उत्तम उद्देश्य की हर एक अभिलाषा तथा विश्वास के हर एक काम को सामर्थ्य से पूरा करते जाओ,
12 that the name of our Lord Jesus Christ may be glorified in you, and ye in him, according to the grace of our God and Lord Jesus Christ.
कि हमारे परमेश्वर तथा प्रभु येशु मसीह की कृपा के अनुसार तुममें हमारे प्रभु येशु मसीह की तथा उनमें तुम्हारी महिमा हो.

< 2 Thessalonians 1 >