< Psalms 82 >
1 A Psalm by Asaph. God presides in the great assembly. He judges among the gods.
१आसाप का भजन परमेश्वर दिव्य सभा में खड़ा है: वह ईश्वरों के बीच में न्याय करता है।
2 “How long will you judge unjustly, and show partiality to the wicked?” (Selah)
२“तुम लोग कब तक टेढ़ा न्याय करते और दुष्टों का पक्ष लेते रहोगे? (सेला)
3 “Defend the weak, the poor, and the fatherless. Maintain the rights of the poor and oppressed.
३कंगाल और अनाथों का न्याय चुकाओ, दीन-दरिद्र का विचार धर्म से करो।
4 Rescue the weak and needy. Deliver them out of the hand of the wicked.”
४कंगाल और निर्धन को बचा लो; दुष्टों के हाथ से उन्हें छुड़ाओ।”
5 They don’t know, neither do they understand. They walk back and forth in darkness. All the foundations of the earth are shaken.
५वे न तो कुछ समझते और न कुछ जानते हैं, परन्तु अंधेरे में चलते फिरते रहते हैं; पृथ्वी की पूरी नींव हिल जाती है।
6 I said, “You are gods, all of you are sons of the Most High.
६मैंने कहा था “तुम ईश्वर हो, और सब के सब परमप्रधान के पुत्र हो;
7 Nevertheless you shall die like men, and fall like one of the rulers.”
७तो भी तुम मनुष्यों के समान मरोगे, और किसी प्रधान के समान गिर जाओगे।”
8 Arise, God, judge the earth, for you inherit all of the nations.
८हे परमेश्वर उठ, पृथ्वी का न्याय कर; क्योंकि तू ही सब जातियों को अपने भाग में लेगा!