< Isaiah 19 >
1 The burden of Egypt. “Behold, Yahweh rides on a swift cloud, and comes to Egypt. The idols of Egypt will tremble at his presence; and the heart of Egypt will melt within it.
मिस्र के विरोध में भविष्यवाणी: देखो, याहवेह उड़नेवाले बादलों पर सवार होकर मिस्र आ रहे हैं. उनके आने से मूर्तियां हिलने लगेंगी, और मिस्र के लोग कांपने लगेंगे.
2 I will stir up the Egyptians against the Egyptians, and they will fight everyone against his brother, and everyone against his neighbor; city against city, and kingdom against kingdom.
“मैं मिस्रियों को एक दूसरे के विरुद्ध भड़काऊंगा— वे आपस में झगड़ा करेंगे, भाई अपने भाई से, पड़ोसी अपने पड़ोसी से, नगर दूसरे नगर के विरुद्ध, और राज्य दूसरे राज्य के विरुद्ध हो जायेंगे.
3 The spirit of the Egyptians will fail within them. I will destroy their counsel. They will seek the idols, the charmers, those who have familiar spirits, and the wizards.
तब मिस्रियों की हिम्मत टूट जाएगी, और मैं उनकी सब योजनाओं को विफल कर दूंगा; तब वे मूर्तियां, ओझों, तांत्रों तथा टोन्हों की शरण में जाएंगे.
4 I will give over the Egyptians into the hand of a cruel lord. A fierce king will rule over them,” says the Lord, Yahweh of Armies.
मैं मिस्रियों को एक निर्दयी स्वामी के अधीन कर दूंगा, और एक भयंकर राजा उन पर शासन करेगा,” सर्वशक्तिमान याहवेह की यह वाणी है.
5 The waters will fail from the sea, and the river will be wasted and become dry.
समुद्र का जल सूख जाएगा, और नदियां भी सूख कर खाली हो जाएंगी.
6 The rivers will become foul. The streams of Egypt will be diminished and dried up. The reeds and flags will wither away.
नदियों से बदबू आएगी; और मिस्र की नहरें सूख कर खाली हो जाएंगी. सरकंडे और सिवार मुरझा जाएंगे,
7 The meadows by the Nile, by the brink of the Nile, and all the sown fields of the Nile, will become dry, be driven away, and be no more.
नदी तट के मुहाने के सरकंडे, और नदी के किनारे में लगाए गए पौधे सूख जाएंगे, वहां कुछ नहीं बचेगा.
8 The fishermen will lament, and all those who fish in the Nile will mourn, and those who spread nets on the waters will languish.
मछुवे रोएंगे, जो नील नदी में मछली पकड़ने लिए जाल डालते हैं; वे दुःखी होंगे.
9 Moreover those who work in combed flax, and those who weave white cloth, will be confounded.
सूत बुनने वाले निराश होंगे. बुनकरों की उम्मीद कम हो जाएगी!
10 The pillars will be broken in pieces. All those who work for hire will be grieved in soul.
मिस्र के अमीर लोग निराश होंगे, और भाड़े के मज़दूर उदास हो जाएंगे.
11 The princes of Zoan are utterly foolish. The counsel of the wisest counselors of Pharaoh has become stupid. How do you say to Pharaoh, “I am the son of the wise, the son of ancient kings”?
ज़ोअन के शासक सब मूर्ख हैं; फ़रोह के सब मंत्री मूर्ख हैं. तुम फ़रोह से कैसे कह सकते हो, “मैं बुद्धिमान राजा का पुत्र हूं.”
12 Where then are your wise men? Let them tell you now; and let them know what Yahweh of Armies has purposed concerning Egypt.
तो, कहां है तुम्हारी बुद्धि? जो बता सके कि मिस्र के विरुद्ध सर्वशक्तिमान याहवेह ने क्या योजना बनाई है.
13 The princes of Zoan have become fools. The princes of Memphis are deceived. They have caused Egypt to go astray, those who are the cornerstone of her tribes.
ज़ोअन के शासक मूर्ख हैं, और नोफ के उच्च अधिकारियों को धोखा मिला; जो उसके कुल के मुखिया थे वे मिस्र को विनाश की ओर ले गए हैं.
14 Yahweh has mixed a spirit of perverseness in the middle of her; and they have caused Egypt to go astray in all of its works, like a drunken man staggers in his vomit.
याहवेह ने मुखियाओं को मूर्खता की आत्मा दी है, मिस्र को उसके सब कामों में धोखा दे रहे थे. वे मतवाले की नाई डगमगाते थे.
15 Neither shall there be any work for Egypt, which head or tail, palm branch or rush, may do.
मिस्र की न तो सिर और न ही पूंछ न ही ऊपर खजूर की डाली और न नीचे सरकंडा किसी प्रकार से सहायक हो सकेगा.
16 In that day the Egyptians will be like women. They will tremble and fear because of the shaking of Yahweh of Armies’s hand, which he shakes over them.
उस समय मिस्री स्त्रियों के समान होगें. जब याहवेह उन पर अपना हाथ बढ़ायेंगे तब वे डरकर कांपने लगेंगे.
17 The land of Judah will become a terror to Egypt. Everyone to whom mention is made of it will be afraid, because of the plans of Yahweh of Armies, which he determines against it.
यहूदाह मिस्र के लोगों के लिए डर का कारण हो जाएगा; जो कोई इनकी बात सुनेगा वह कांप जाएगा, त्सबाओथ के याहवेह ने उनके विरुद्ध ऐसा ही किया है.
18 In that day, there will be five cities in the land of Egypt that speak the language of Canaan, and swear to Yahweh of Armies. One will be called “The city of destruction.”
उस समय मिस्र देश में पांच नगर होंगे जो कनानी भाषा बोलेंगे और वे सर्वशक्तिमान याहवेह के प्रति आदर रखने की शपथ खाएंगे. उन पांच नगरों में से एक नगर का नाम नाश नगर रखा जाएगा.
19 In that day, there will be an altar to Yahweh in the middle of the land of Egypt, and a pillar to Yahweh at its border.
उस समय वे मिस्र देश में याहवेह के लिए एक वेदी और गढ़ बनाएंगे, और मिस्र की सीमाओं में याहवेह के लिये एक खंभा खड़ा होगा.
20 It will be for a sign and for a witness to Yahweh of Armies in the land of Egypt; for they will cry to Yahweh because of oppressors, and he will send them a savior and a defender, and he will deliver them.
मिस्र देश में यह सर्वशक्तिमान याहवेह का एक चिन्ह और साक्षी होगा. जब वे दुःख देने वालों के कारण याहवेह को पुकारेंगे, तब याहवेह उनके पास एक उद्धारकर्ता और रक्षक भेजकर उनको छुड़ाएंगे.
21 Yahweh will be known to Egypt, and the Egyptians will know Yahweh in that day. Yes, they will worship with sacrifice and offering, and will vow a vow to Yahweh, and will perform it.
याहवेह स्वयं अपने आपको मिस्रियों पर प्रकट करेंगे, और उस दिन मिस्री याहवेह को पहचानेंगे और बलि और भेंट के साथ याहवेह की आराधना करेंगे. वे याहवेह की शपथ खाएंगे और उन्हें पूरा भी करेंगे.
22 Yahweh will strike Egypt, striking and healing. They will return to Yahweh, and he will be entreated by them, and will heal them.
याहवेह मिस्रियों को मारेंगे; याहवेह मारेंगे और चंगा भी करेंगे. तब वे याहवेह की ओर लौट आएंगे, याहवेह उन्हें उत्तर देंगे और चंगा करेंगे.
23 In that day there will be a highway out of Egypt to Assyria, and the Assyrian shall come into Egypt, and the Egyptian into Assyria; and the Egyptians will worship with the Assyrians.
उस समय मिस्र से अश्शूर तक एक राजमार्ग होगा. अश्शूरी मिस्र देश में आएंगे और मिस्री अश्शूर देश में और दोनों मिलकर आराधना करेंगे.
24 In that day, Israel will be the third with Egypt and with Assyria, a blessing within the earth;
उस समय मिस्र, अश्शूर तथा इस्राएल तीनों पृथ्वी पर आशीष पायेंगे.
25 because Yahweh of Armies has blessed them, saying, “Blessed be Egypt my people, Assyria the work of my hands, and Israel my inheritance.”
जिनके विषय में याहवेह ने कहा है, “मेरी प्रजा मिस्र पर आशीष पाए और अश्शूर, जो मेरे हाथों की रचना है, तथा इस्राएल भी जो मेरी मीरास है.”