< Leviticus 19 >
1 The LORD spoke to Moses, saying,
१फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2 “Speak to all the congregation of the children of Israel, and tell them, ‘You shall be holy; for I, the LORD your God, am holy.
२“इस्राएलियों की सारी मण्डली से कह कि तुम पवित्र बने रहो; क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा पवित्र हूँ।
3 “‘Each one of you shall respect his mother and his father. You shall keep my Sabbaths. I am the LORD your God.
३तुम अपनी-अपनी माता और अपने-अपने पिता का भय मानना, और मेरे विश्रामदिनों को मानना: मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
4 “‘Don’t turn to idols, nor make molten gods for yourselves. I am the LORD your God.
४तुम मूरतों की ओर न फिरना, और देवताओं की प्रतिमाएँ ढालकर न बना लेना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
5 “‘When you offer a sacrifice of peace offerings to the LORD, you shall offer it so that you may be accepted.
५“जब तुम यहोवा के लिये मेलबलि करो, तब ऐसा बलिदान करना जिससे मैं तुम से प्रसन्न हो जाऊँ।
6 It shall be eaten the same day you offer it, and on the next day. If anything remains until the third day, it shall be burned with fire.
६उसका माँस बलिदान के दिन और दूसरे दिन खाया जाए, परन्तु तीसरे दिन तक जो रह जाए वह आग में जला दिया जाए।
7 If it is eaten at all on the third day, it is an abomination. It will not be accepted;
७यदि उसमें से कुछ भी तीसरे दिन खाया जाए, तो यह घृणित ठहरेगा, और ग्रहण न किया जाएगा।
8 but everyone who eats it shall bear his iniquity, because he has profaned the holy thing of the LORD, and that soul shall be cut off from his people.
८और उसका खानेवाला यहोवा के पवित्र पदार्थ को अपवित्र ठहराता है, इसलिए उसको अपने अधर्म का भार स्वयं उठाना पड़ेगा; और वह प्राणी अपने लोगों में से नष्ट किया जाएगा।
9 “‘When you reap the harvest of your land, you shall not wholly reap the corners of your field, neither shall you gather the gleanings of your harvest.
९“फिर जब तुम अपने देश के खेत काटो, तब अपने खेत के कोने-कोने तक पूरा न काटना, और काटे हुए खेत की गिरी पड़ी बालों को न चुनना।
10 You shall not glean your vineyard, neither shall you gather the fallen grapes of your vineyard. You shall leave them for the poor and for the foreigner. I am the LORD your God.
१०और अपनी दाख की बारी का दाना-दाना न तोड़ लेना, और अपनी दाख की बारी के झड़े हुए अंगूरों को न बटोरना; उन्हें दीन और परदेशी लोगों के लिये छोड़ देना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
11 “‘You shall not steal. “‘You shall not lie. “‘You shall not deceive one another.
११“तुम चोरी न करना, और एक दूसरे से, न तो कपट करना, और न झूठ बोलना।
12 “‘You shall not swear by my name falsely, and profane the name of your God. I am the LORD.
१२तुम मेरे नाम की झूठी शपथ खाके अपने परमेश्वर का नाम अपवित्र न ठहराना; मैं यहोवा हूँ।
13 “‘You shall not oppress your neighbor, nor rob him. “‘The wages of a hired servant shall not remain with you all night until the morning.
१३“एक दूसरे पर अंधेर न करना, और न एक दूसरे को लूट लेना। मजदूर की मजदूरी तेरे पास सारी रात सवेरे तक न रहने पाए।
14 “‘You shall not curse the deaf, nor put a stumbling block before the blind; but you shall fear your God. I am the LORD.
१४बहरे को श्राप न देना, और न अंधे के आगे ठोकर रखना; और अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं यहोवा हूँ।
15 “‘You shall do no injustice in judgment. You shall not be partial to the poor, nor show favoritism to the great; but you shall judge your neighbor in righteousness.
१५“न्याय में कुटिलता न करना; और न तो कंगाल का पक्ष करना और न बड़े मनुष्यों का मुँह देखा विचार करना; एक दूसरे का न्याय धार्मिकता से करना।
16 “‘You shall not go around as a slanderer among your people. “‘You shall not endanger the life of your neighbor. I am the LORD.
१६बकवादी बनके अपने लोगों में न फिरा करना, और एक दूसरे का लहू बहाने की युक्तियाँ न बाँधना; मैं यहोवा हूँ।
17 “‘You shall not hate your brother in your heart. You shall surely rebuke your neighbor, and not bear sin because of him.
१७“अपने मन में एक दूसरे के प्रति बैर न रखना; अपने पड़ोसी को अवश्य डाँटना, नहीं तो उसके पाप का भार तुझको उठाना पड़ेगा।
18 “‘You shall not take vengeance, nor bear any grudge against the children of your people; but you shall love your neighbor as yourself. I am the LORD.
१८बदला न लेना, और न अपने जातिभाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूँ।
19 “‘You shall keep my statutes. “‘You shall not cross-breed different kinds of animals. “‘You shall not sow your field with two kinds of seed; “‘Don’t wear a garment made of two kinds of material.
१९“तुम मेरी विधियों को निरन्तर मानना। अपने पशुओं को भिन्न जाति के पशुओं से मेल न खाने देना; अपने खेत में दो प्रकार के बीज इकट्ठे न बोना; और सनी और ऊन की मिलावट से बना हुआ वस्त्र न पहनना।
20 “‘If a man lies carnally with a woman who is a slave girl, pledged to be married to another man, and not ransomed or given her freedom; they shall be punished. They shall not be put to death, because she was not free.
२०“फिर कोई स्त्री दासी हो, और उसकी मंगनी किसी पुरुष से हुई हो, परन्तु वह न तो दास से और न सेंत-मेंत स्वाधीन की गई हो; उससे यदि कोई कुकर्म करे, तो उन दोनों को दण्ड तो मिले, पर उस स्त्री के स्वाधीन न होने के कारण वे दोनों मार न डाले जाएँ।
21 He shall bring his trespass offering to the LORD, to the door of the Tent of Meeting, even a ram for a trespass offering.
२१पर वह पुरुष मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के पास एक मेढ़ा दोषबलि के लिये ले आए।
22 The priest shall make atonement for him with the ram of the trespass offering before the LORD for his sin which he has committed; and the sin which he has committed shall be forgiven him.
२२और याजक उसके किए हुए पाप के कारण दोषबलि के मेढ़े के द्वारा उसके लिये यहोवा के सामने प्रायश्चित करे; तब उसका किया हुआ पाप क्षमा किया जाएगा।
23 “‘When you come into the land, and have planted all kinds of trees for food, then you shall count their fruit as forbidden. For three years it shall be forbidden to you. It shall not be eaten.
२३“फिर जब तुम कनान देश में पहुँचकर किसी प्रकार के फल के वृक्ष लगाओ, तो उनके फल तीन वर्ष तक तुम्हारे लिये मानो खतनारहित ठहरे रहें; इसलिए उनमें से कुछ न खाया जाए।
24 But in the fourth year all its fruit shall be holy, for giving praise to the LORD.
२४और चौथे वर्ष में उनके सब फल यहोवा की स्तुति करने के लिये पवित्र ठहरें।
25 In the fifth year you shall eat its fruit, that it may yield its increase to you. I am the LORD your God.
२५तब पाँचवें वर्ष में तुम उनके फल खाना, इसलिए कि उनसे तुम को बहुत फल मिलें; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
26 “‘You shall not eat any meat with the blood still in it. You shall not use enchantments, nor practice sorcery.
२६“तुम लहू लगा हुआ कुछ माँस न खाना। और न टोना करना, और न शुभ या अशुभ मुहूर्त्तों को मानना।
27 “‘You shall not cut the hair on the sides of your head or clip off the edge of your beard.
२७अपने सिर में घेरा रखकर न मुण्डाना, और न अपने गाल के बालों को मुण्डाना।
28 “‘You shall not make any cuttings in your flesh for the dead, nor tattoo any marks on you. I am the LORD.
२८मुर्दों के कारण अपने शरीर को बिलकुल न चीरना, और न उसमें छाप लगाना; मैं यहोवा हूँ।
29 “‘Don’t profane your daughter, to make her a prostitute; lest the land fall to prostitution, and the land become full of wickedness.
२९“अपनी बेटियों को वेश्या बनाकर अपवित्र न करना, ऐसा न हो कि देश वेश्यागमन के कारण महापाप से भर जाए।
30 “‘You shall keep my Sabbaths, and reverence my sanctuary; I am the LORD.
३०मेरे विश्रामदिन को माना करना, और मेरे पवित्रस्थान का भय निरन्तर मानना; मैं यहोवा हूँ।
31 “‘Don’t turn to those who are mediums, nor to the wizards. Don’t seek them out, to be defiled by them. I am the LORD your God.
३१“ओझाओं और भूत साधनेवालों की ओर न फिरना, और ऐसों की खोज करके उनके कारण अशुद्ध न हो जाना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
32 “‘You shall rise up before the gray head and honor the face of the elderly; and you shall fear your God. I am the LORD.
३२“पक्के बाल वाले के सामने उठ खड़े होना, और बूढ़े का आदरमान करना, और अपने परमेश्वर का भय निरन्तर मानना; मैं यहोवा हूँ।
33 “‘If a stranger lives as a foreigner with you in your land, you shall not do him wrong.
३३“यदि कोई परदेशी तुम्हारे देश में तुम्हारे संग रहे, तो उसको दुःख न देना।
34 The stranger who lives as a foreigner with you shall be to you as the native-born among you, and you shall love him as yourself; for you lived as foreigners in the land of Egypt. I am the LORD your God.
३४जो परदेशी तुम्हारे संग रहे वह तुम्हारे लिये देशी के समान हो, और उससे अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
35 “‘You shall do no unrighteousness in judgment, in measures of length, of weight, or of quantity.
३५“तुम न्याय में, और परिमाण में, और तौल में, और नाप में, कुटिलता न करना।
36 You shall have just balances, just weights, a just ephah, and a just hin. I am the LORD your God, who brought you out of the land of Egypt.
३६सच्चा तराजू, धर्म के बटखरे, सच्चा एपा, और धर्म का हीन तुम्हारे पास रहें; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ जो तुम को मिस्र देश से निकाल ले आया।
37 “‘You shall observe all my statutes and all my ordinances, and do them. I am the LORD.’”
३७इसलिए तुम मेरी सब विधियों और सब नियमों को मानते हुए निरन्तर पालन करो; मैं यहोवा हूँ।”