< 1 Samuel 11 >

1 Then Nahash the Ammonite came up and encamped against Jabesh Gilead; and all the men of Jabesh said to Nahash, “Make a covenant with us, and we will serve you.”
तब अम्मोनी नाहाश ने चढ़ाई करके गिलाद के याबेश के विरुद्ध छावनी डाली; और याबेश के सब पुरुषों ने नाहाश से कहा, “हम से वाचा बाँध, और हम तेरी अधीनता मान लेंगे।”
2 Nahash the Ammonite said to them, “On this condition I will make it with you, that all your right eyes be gouged out. I will make this dishonor all Israel.”
अम्मोनी नाहाश ने उनसे कहा, “मैं तुम से वाचा इस शर्त पर बाँधूँगा, कि मैं तुम सभी की दाहिनी आँखें फोड़कर इसे सारे इस्राएल की नामधराई का कारण कर दूँ।”
3 The elders of Jabesh said to him, “Give us seven days, that we may send messengers to all the borders of Israel; and then, if there is no one to save us, we will come out to you.”
याबेश के वृद्ध लोगों ने उससे कहा, “हमें सात दिन का अवसर दे तब तक हम इस्राएल के सारे देश में दूत भेजेंगे। और यदि हमको कोई बचानेवाला न मिलेगा, तो हम तेरे ही पास निकल आएँगे।”
4 Then the messengers came to Gibeah of Saul, and spoke these words in the ears of the people, then all the people lifted up their voice and wept.
दूतों ने शाऊलवाले गिबा में आकर लोगों को यह सन्देश सुनाया, और सब लोग चिल्ला चिल्लाकर रोने लगे।
5 Behold, Saul came following the oxen out of the field; and Saul said, “What ails the people that they weep?” They told him the words of the men of Jabesh.
शाऊल बैलों के पीछे-पीछे मैदान से चला आता था; और शाऊल ने पूछा, “लोगों को क्या हुआ कि वे रोते हैं?” उन्होंने याबेश के लोगों का सन्देश उसे सुनाया।
6 God’s Spirit came mightily on Saul when he heard those words, and his anger burned hot.
यह सन्देश सुनते ही शाऊल पर परमेश्वर का आत्मा बल से उतरा, और उसका कोप बहुत भड़क उठा।
7 He took a yoke of oxen and cut them in pieces, then sent them throughout all the borders of Israel by the hand of messengers, saying, “Whoever doesn’t come out after Saul and after Samuel, so shall it be done to his oxen.” The dread of the LORD fell on the people, and they came out as one man.
और उसने एक जोड़ी बैल लेकर उसके टुकड़े-टुकड़े काटे, और यह कहकर दूतों के हाथ से इस्राएल के सारे देश में कहला भेजा, “जो कोई आकर शाऊल और शमूएल के पीछे न हो लेगा उसके बैलों से ऐसा ही किया जाएगा।” तब यहोवा का भय लोगों में ऐसा समाया कि वे एक मन होकर निकल आए।
8 He counted them in Bezek; and the children of Israel were three hundred thousand, and the men of Judah thirty thousand.
तब उसने उन्हें बेजेक में गिन लिया, और इस्राएलियों के तीन लाख, और यहूदियों के तीस हजार ठहरे।
9 They said to the messengers who came, “Tell the men of Jabesh Gilead, ‘Tomorrow, by the time the sun is hot, you will be rescued.’” The messengers came and told the men of Jabesh; and they were glad.
और उन्होंने उन दूतों से जो आए थे कहा, “तुम गिलाद में के याबेश के लोगों से यह कहो, कल धूप तेज होने की घड़ी तक तुम छुटकारा पाओगे।” तब दूतों ने जाकर याबेश के लोगों को सन्देश दिया, और वे आनन्दित हुए।
10 Therefore the men of Jabesh said, “Tomorrow we will come out to you, and you shall do with us all that seems good to you.”
१०तब याबेश के लोगों ने नाहाश से कहा, “कल हम तुम्हारे पास निकल आएँगे, और जो कुछ तुम को अच्छा लगे वही हम से करना।”
11 On the next day, Saul put the people in three companies; and they came into the middle of the camp in the morning watch, and struck the Ammonites until the heat of the day. Those who remained were scattered, so that no two of them were left together.
११दूसरे दिन शाऊल ने लोगों के तीन दल किए; और उन्होंने रात के अन्तिम पहर में छावनी के बीच में आकर अम्मोनियों को मारा; और धूप के कड़े होने के समय तक ऐसे मारते रहे कि जो बच निकले वे यहाँ तक तितर-बितर हुए कि दो जन भी एक संग कहीं न रहे।
12 The people said to Samuel, “Who is he who said, ‘Shall Saul reign over us?’ Bring those men, that we may put them to death!”
१२तब लोग शमूएल से कहने लगे, “जिन मनुष्यों ने कहा था, ‘क्या शाऊल हम पर राज्य करेगा?’ उनको लाओ कि हम उन्हें मार डालें।”
13 Saul said, “No man shall be put to death today; for today the LORD has rescued Israel.”
१३शाऊल ने कहा, “आज के दिन कोई मार डाला न जाएगा; क्योंकि आज यहोवा ने इस्राएलियों को छुटकारा दिया है।”
14 Then Samuel said to the people, “Come! Let’s go to Gilgal, and renew the kingdom there.”
१४तब शमूएल ने इस्राएलियों से कहा, “आओ, हम गिलगाल को चलें, और वहाँ राज्य को नये सिरे से स्थापित करें।”
15 All the people went to Gilgal; and there they made Saul king before the LORD in Gilgal. There they offered sacrifices of peace offerings before the LORD; and there Saul and all the men of Israel rejoiced greatly.
१५तब सब लोग गिलगाल को चले, और वहाँ उन्होंने गिलगाल में यहोवा के सामने शाऊल को राजा बनाया; और वहीं उन्होंने यहोवा को मेलबलि चढ़ाए; और वहीं शाऊल और सब इस्राएली लोगों ने अत्यन्त आनन्द मनाया।

< 1 Samuel 11 >