< Psalms 90 >
1 A prayer of Moses the man of God. LORD, thou hast been our dwelling-place in all generations.
१परमेश्वर के जन मूसा की प्रार्थना हे प्रभु, तू पीढ़ी से पीढ़ी तक हमारे लिये धाम बना है।
2 Before the mountains were brought forth, or ever thou hadst formed the earth and the world, even from everlasting to everlasting, thou [art] God.
२इससे पहले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, या तूने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन् अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू ही परमेश्वर है।
3 Thou turnest man to destruction; and sayest, Return, ye children of men.
३तू मनुष्य को लौटाकर मिट्टी में ले जाता है, और कहता है, “हे आदमियों, लौट आओ!”
4 For a thousand years in thy sight [are but] as yesterday when it is past, and [as] a watch in the night.
४क्योंकि हजार वर्ष तेरी दृष्टि में ऐसे हैं, जैसा कल का दिन जो बीत गया, या रात का एक पहर।
5 Thou carriest them away as with a flood; they are [as] a sleep; in the morning [they are] like grass [which] groweth.
५तू मनुष्यों को धारा में बहा देता है; वे स्वप्न से ठहरते हैं, वे भोर को बढ़नेवाली घास के समान होते हैं।
6 In the morning it flourisheth, and groweth; in the evening it is cut down, and withereth.
६वह भोर को फूलती और बढ़ती है, और साँझ तक कटकर मुर्झा जाती है।
7 For we are consumed by thy anger, and by thy wrath are we troubled.
७क्योंकि हम तेरे क्रोध से भस्म हुए हैं; और तेरी जलजलाहट से घबरा गए हैं।
8 Thou hast set our iniquities before thee, our secret [sins] in the light of thy countenance.
८तूने हमारे अधर्म के कामों को अपने सम्मुख, और हमारे छिपे हुए पापों को अपने मुख की ज्योति में रखा है।
9 For all our days are passed away in thy wrath: we spend our years, as a tale [that is told].
९क्योंकि हमारे सब दिन तेरे क्रोध में बीत जाते हैं, हम अपने वर्ष शब्द के समान बिताते हैं।
10 The days of our years [are] seventy years; and if by reason of strength [they are] eighty years, yet [is] their strength labor and sorrow; for it is soon cut off, and we fly away.
१०हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष भी हो जाएँ, तो भी उनका घमण्ड केवल कष्ट और शोक ही शोक है; क्योंकि वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं।
11 Who knoweth the power of thy anger? even according to thy fear, [so is] thy wrath.
११तेरे क्रोध की शक्ति को और तेरे भय के योग्य तेरे रोष को कौन समझता है?
12 So teach [us] to number [our] days, that we may apply our hearts to wisdom.
१२हमको अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएँ।
13 Return, O LORD, how long? and repent thou concerning thy servants.
१३हे यहोवा, लौट आ! कब तक? और अपने दासों पर तरस खा!
14 O satisfy us early with thy mercy; that we may rejoice and be glad all our days.
१४भोर को हमें अपनी करुणा से तृप्त कर, कि हम जीवन भर जयजयकार और आनन्द करते रहें।
15 Make us glad according to the days [in which] thou hast afflicted us, [and] the years [in which] we have seen evil.
१५जितने दिन तू हमें दुःख देता आया, और जितने वर्ष हम क्लेश भोगते आए हैं उतने ही वर्ष हमको आनन्द दे।
16 Let thy work appear to thy servants, and thy glory to their children.
१६तेरा काम तेरे दासों को, और तेरा प्रताप उनकी सन्तान पर प्रगट हो।
17 And let the beauty of the LORD our God be upon us: and establish thou the work of our hands upon us; yes, the work of our hands establish thou it.
१७हमारे परमेश्वर यहोवा की मनोहरता हम पर प्रगट हो, तू हमारे हाथों का काम हमारे लिये दृढ़ कर, हमारे हाथों के काम को दृढ़ कर।