< Psalms 69 >
1 To the chief Musician upon Shoshannim, [A Psalm] of David. Save me, O God; for the waters are come in to [my] soul.
१प्रधान बजानेवाले के लिये शोशन्नीम राग में दाऊद का गीत हे परमेश्वर, मेरा उद्धार कर, मैं जल में डूबा जाता हूँ।
2 I sink in deep mire, where [there is] no standing: I am come into deep waters, where the floods overflow me.
२मैं बड़े दलदल में धँसा जाता हूँ, और मेरे पैर कहीं नहीं रुकते; मैं गहरे जल में आ गया, और धारा में डूबा जाता हूँ।
3 I am weary of my crying: my throat is dried: my eyes fail while I wait for my God.
३मैं पुकारते-पुकारते थक गया, मेरा गला सूख गया है; अपने परमेश्वर की बाट जोहते-जोहते, मेरी आँखें धुँधली पड़ गई हैं।
4 They that hate me without a cause are more than the hairs of my head: they that would destroy me, [being] my enemies wrongfully, are mighty: then I restored [that] which I took not away.
४जो अकारण मेरे बैरी हैं, वे गिनती में मेरे सिर के बालों से अधिक हैं; मेरे विनाश करनेवाले जो व्यर्थ मेरे शत्रु हैं, वे सामर्थी हैं, इसलिए जो मैंने लूटा नहीं वह भी मुझ को देना पड़ा।
5 O God, thou knowest my foolishness; and my sins are not hid from thee.
५हे परमेश्वर, तू तो मेरी मूर्खता को जानता है, और मेरे दोष तुझ से छिपे नहीं हैं।
6 Let not them that wait on thee, O LORD God of hosts, be ashamed for my sake: let not those that seek thee be confounded for my sake, O God of Israel.
६हे प्रभु, हे सेनाओं के यहोवा, जो तेरी बाट जोहते हैं, वे मेरे कारण लज्जित न हो; हे इस्राएल के परमेश्वर, जो तुझे ढूँढ़ते हैं, वह मेरे कारण अपमानित न हो।
7 Because for thy sake I have borne reproach; shame hath covered my face.
७तेरे ही कारण मेरी निन्दा हुई है, और मेरा मुँह लज्जा से ढँपा है।
8 I am become a stranger to my brethren, and an alien to my mother's children.
८मैं अपने भाइयों के सामने अजनबी हुआ, और अपने सगे भाइयों की दृष्टि में परदेशी ठहरा हूँ।
9 For the zeal of thy house hath eaten me up; and the reproaches of them that reproached thee have fallen upon me.
९क्योंकि मैं तेरे भवन के निमित्त जलते-जलते भस्म हुआ, और जो निन्दा वे तेरी करते हैं, वही निन्दा मुझ को सहनी पड़ी है।
10 When I wept, [and chastened] my soul with fasting, that was to my reproach.
१०जब मैं रोकर और उपवास करके दुःख उठाता था, तब उससे भी मेरी नामधराई ही हुई।
11 I made sackcloth also my garment; and I became a proverb to them.
११जब मैं टाट का वस्त्र पहने था, तब मेरा दृष्टान्त उनमें चलता था।
12 They that sit in the gate speak against me; and I [was] the song of the drunkards.
१२फाटक के पास बैठनेवाले मेरे विषय बातचीत करते हैं, और मदिरा पीनेवाले मुझ पर लगता हुआ गीत गाते हैं।
13 But as for me, my prayer [is] to thee, O LORD, [in] an acceptable time: O God, in the multitude of thy mercy hear me, in the truth of thy salvation.
१३परन्तु हे यहोवा, मेरी प्रार्थना तो तेरी प्रसन्नता के समय में हो रही है; हे परमेश्वर अपनी करुणा की बहुतायात से, और बचाने की अपनी सच्ची प्रतिज्ञा के अनुसार मेरी सुन ले।
14 Deliver me out of the mire, and let me not sink: let me be delivered from them that hate me, and out of the deep waters.
१४मुझ को दलदल में से उबार, कि मैं धँस न जाऊँ; मैं अपने बैरियों से, और गहरे जल में से बच जाऊँ।
15 Let not the water-flood overflow me, neither let the deep swallow me up, and let not the pit shut her mouth upon me.
१५मैं धारा में डूब न जाऊँ, और न मैं गहरे जल में डूब मरूँ, और न पाताल का मुँह मेरे ऊपर बन्द हो।
16 Hear me, O LORD; for thy loving-kindness [is] good: turn to me according to the multitude of thy tender mercies.
१६हे यहोवा, मेरी सुन ले, क्योंकि तेरी करुणा उत्तम है; अपनी दया की बहुतायत के अनुसार मेरी ओर ध्यान दे।
17 And hide not thy face from thy servant; for I am in trouble: hear me speedily.
१७अपने दास से अपना मुँह न मोड़; क्योंकि मैं संकट में हूँ, फुर्ती से मेरी सुन ले।
18 Draw nigh to my soul, [and] redeem it: deliver me because of my enemies.
१८मेरे निकट आकर मुझे छुड़ा ले, मेरे शत्रुओं से मुझ को छुटकारा दे।
19 Thou hast known my reproach, and my shame, and my dishonor: my adversaries [are] all before thee.
१९मेरी नामधराई और लज्जा और अनादर को तू जानता है: मेरे सब द्रोही तेरे सामने हैं।
20 Reproach hath broken my heart; and I am full of heaviness: and I looked [for some] to take pity, but [there was] none; and for comforters, but I found none.
२०मेरा हृदय नामधराई के कारण फट गया, और मैं बहुत उदास हूँ। मैंने किसी तरस खानेवाले की आशा तो की, परन्तु किसी को न पाया, और शान्ति देनेवाले ढूँढ़ता तो रहा, परन्तु कोई न मिला।
21 They gave me also gall for my food; and in my thirst they gave me vinegar to drink.
२१लोगों ने मेरे खाने के लिये विष दिया, और मेरी प्यास बुझाने के लिये मुझे सिरका पिलाया।
22 Let their table become a snare before them: and [that which should have been] for [their] welfare, [let it become] a trap.
२२उनका भोजन उनके लिये फंदा हो जाए; और उनके सुख के समय जाल बन जाए।
23 Let their eyes be darkened, that they see not; and make their loins continually to shake.
२३उनकी आँखों पर अंधेरा छा जाए, ताकि वे देख न सके; और तू उनकी कमर को निरन्तर कँपाता रह।
24 Pour out thy indignation upon them, and let thy wrathful anger take hold of them.
२४उनके ऊपर अपना रोष भड़का, और तेरे क्रोध की आँच उनको लगे।
25 Let their habitation be desolate; [and] let none dwell in their tents.
२५उनकी छावनी उजड़ जाए, उनके डेरों में कोई न रहे।
26 For they persecute [him] whom thou hast smitten; and they talk to the grief of those whom thou hast wounded.
२६क्योंकि जिसको तूने मारा, वे उसके पीछे पड़े हैं, और जिनको तूने घायल किया, वे उनकी पीड़ा की चर्चा करते हैं।
27 Add iniquity to their iniquity: and let them not come into thy righteousness.
२७उनके अधर्म पर अधर्म बढ़ा; और वे तेरे धर्म को प्राप्त न करें।
28 Let them be blotted out of the book of the living, and not be written with the righteous.
२८उनका नाम जीवन की पुस्तक में से काटा जाए, और धर्मियों के संग लिखा न जाए।
29 But I [am] poor and sorrowful: let thy salvation, O God, set me up on high.
२९परन्तु मैं तो दुःखी और पीड़ित हूँ, इसलिए हे परमेश्वर, तू मेरा उद्धार करके मुझे ऊँचे स्थान पर बैठा।
30 I will praise the name of God with a song, and will magnify him with thanksgiving.
३०मैं गीत गाकर तेरे नाम की स्तुति करूँगा, और धन्यवाद करता हुआ तेरी बड़ाई करूँगा।
31 [This] also shall please the LORD better than an ox [or] bullock that hath horns and hoofs.
३१यह यहोवा को बैल से अधिक, वरन् सींग और खुरवाले बैल से भी अधिक भाएगा।
32 The humble shall see [this], [and] be glad: and your heart shall live that seek God.
३२नम्र लोग इसे देखकर आनन्दित होंगे, हे परमेश्वर के खोजियों, तुम्हारा मन हरा हो जाए।
33 For the LORD heareth the poor, and despiseth not his prisoners.
३३क्योंकि यहोवा दरिद्रों की ओर कान लगाता है, और अपने लोगों को जो बन्दी हैं तुच्छ नहीं जानता।
34 Let the heaven and earth praise him, the seas, and every thing that moveth therein.
३४स्वर्ग और पृथ्वी उसकी स्तुति करें, और समुद्र अपने सब जीवजन्तुओं समेत उसकी स्तुति करे।
35 For God will save Zion, and will build the cities of Judah: that they may dwell there, and have it in possession.
३५क्योंकि परमेश्वर सिय्योन का उद्धार करेगा, और यहूदा के नगरों को फिर बसाएगा; और लोग फिर वहाँ बसकर उसके अधिकारी हो जाएँगे।
36 The seed also of his servants shall inherit it: and they that love his name shall dwell therein.
३६उसके दासों का वंश उसको अपने भाग में पाएगा, और उसके नाम के प्रेमी उसमें वास करेंगे।