< Judges 6 >

1 And the children of Israel did evil in the sight of the LORD: and the LORD delivered them into the hand of Midian seven years.
तब इस्राएलियों ने यहोवा की दृष्टि में बुरा किया, इसलिए यहोवा ने उन्हें मिद्यानियों के वश में सात वर्ष कर रखा।
2 And the hand of Midian prevailed against Israel: [and] because of the Midianites the children of Israel made them the dens which [are] in the mountains, and caves, and strong holds.
और मिद्यानी इस्राएलियों पर प्रबल हो गए। मिद्यानियों के डर के मारे इस्राएलियों ने पहाड़ों के गहरे खड्डों, और गुफाओं, और किलों को अपने निवास बना लिए।
3 And [so] it was, when Israel had sown, that the Midianites came up, and the Amalekites, and the children of the east, even they came up against them;
और जब जब इस्राएली बीज बोते तब-तब मिद्यानी और अमालेकी और पूर्वी लोग उनके विरुद्ध चढ़ाई करके
4 And they encamped against them, and destroyed the increase of the earth, till thou comest to Gaza; and left no sustenance for Israel, neither sheep, nor ox, nor ass.
गाज़ा तक छावनी डाल डालकर भूमि की उपज नाश कर डालते थे, और इस्राएलियों के लिये न तो कुछ भोजनवस्तु, और न भेड़-बकरी, और न गाय-बैल, और न गदहा छोड़ते थे।
5 For they came up with their cattle, and their tents, and they came as grasshoppers for multitude; [for] both they and their camels were without number: and they entered into the land to destroy it.
क्योंकि वे अपने पशुओं और डेरों को लिए हुए चढ़ाई करते, और टिड्डियों के दल के समान बहुत आते थे; और उनके ऊँट भी अनगिनत होते थे; और वे देश को उजाड़ने के लिये उसमें आया करते थे।
6 And Israel was greatly impoverished because of the Midianites; and the children of Israel cried to the LORD.
और मिद्यानियों के कारण इस्राएली बड़ी दुर्दशा में पड़ गए; तब इस्राएलियों ने यहोवा की दुहाई दी।
7 And it came to pass, when the children of Israel cried to the LORD because of the Midianites,
जब इस्राएलियों ने मिद्यानियों के कारण यहोवा की दुहाई दी,
8 That the LORD sent a prophet to the children of Israel, who said to them, Thus saith the LORD God of Israel, I brought you up from Egypt, and brought you forth from the house of bondage;
तब यहोवा ने इस्राएलियों के पास एक नबी को भेजा, जिसने उनसे कहा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है: मैं तुम को मिस्र में से ले आया, और दासत्व के घर से निकाल ले आया;
9 And I delivered you from the hand of the Egyptians, and from the hand of all that oppressed you, and drove them out from before you, and gave you their land;
और मैंने तुम को मिस्रियों के हाथ से, वरन् जितने तुम पर अंधेर करते थे उन सभी के हाथ से छुड़ाया, और उनको तुम्हारे सामने से बरबस निकालकर उनका देश तुम्हें दे दिया;
10 And I said to you, I [am] the LORD your God; fear not the gods of the Amorites, in whose land ye dwell: but ye have not obeyed my voice.
१०और मैंने तुम से कहा, ‘मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ; एमोरी लोग जिनके देश में तुम रहते हो उनके देवताओं का भय न मानना।’ परन्तु तुम ने मेरा कहना नहीं माना।”
11 And there came an angel of the LORD, and sat under an oak which [was] in Ophrah, that [pertained] to Joash the Abi-ezrite: and his son Gideon thrashed wheat by the wine-press, to hide [it] from the Midianites.
११फिर यहोवा का दूत आकर उस बांज वृक्ष के तले बैठ गया, जो ओप्रा में अबीएजेरी योआश का था, और उसका पुत्र गिदोन एक दाखरस के कुण्ड में गेहूँ इसलिए झाड़ रहा था कि उसे मिद्यानियों से छिपा रखे।
12 And the angel of the LORD appeared to him, and said to him, The LORD [is] with thee, thou mighty man of valor.
१२उसको यहोवा के दूत ने दर्शन देकर कहा, “हे शूरवीर सूरमा, यहोवा तेरे संग है।”
13 And Gideon said to him, O my LORD, if the LORD is with us, why then hath all this befallen us? and where [are] all his miracles which our fathers told us of, saying, Did not the LORD bring us up from Egypt? but now the LORD hath forsaken us, and delivered us into the hands of the Midianites.
१३गिदोन ने उससे कहा, “हे मेरे प्रभु, विनती सुन, यदि यहोवा हमारे संग होता, तो हम पर यह सब विपत्ति क्यों पड़ती? और जितने आश्चर्यकर्मों का वर्णन हमारे पुरखा यह कहकर करते थे, ‘क्या यहोवा हमको मिस्र से छुड़ा नहीं लाया,’ वे कहाँ रहे? अब तो यहोवा ने हमको त्याग दिया, और मिद्यानियों के हाथ कर दिया है।”
14 And the LORD looked upon him, and said, Go in this thy might, and thou shalt save Israel from the hand of the Midianites: have not I sent thee?
१४तब यहोवा ने उस पर दृष्टि करके कहा, “अपनी इसी शक्ति पर जा और तू इस्राएलियों को मिद्यानियों के हाथ से छुड़ाएगा; क्या मैंने तुझे नहीं भेजा?”
15 And he said to him, O my LORD, by what means shall I save Israel? behold, my family [is] poor in Manasseh, and I [am] the least in my father's house.
१५उसने कहा, “हे मेरे प्रभु, विनती सुन, मैं इस्राएल को कैसे छुड़ाऊँ? देख, मेरा कुल मनश्शे में सबसे कंगाल है, फिर मैं अपने पिता के घराने में सबसे छोटा हूँ।”
16 And the LORD said to him, Surely I will be with thee, and thou shalt smite the Midianites as one man.
१६यहोवा ने उससे कहा, “निश्चय मैं तेरे संग रहूँगा; सो तू मिद्यानियों को ऐसा मार लेगा जैसा एक मनुष्य को।”
17 And he said to him, If now I have found grace in thy sight, then show me a sign that thou talkest with me.
१७गिदोन ने उससे कहा, “यदि तेरा अनुग्रह मुझ पर हो, तो मुझे इसका कोई चिन्ह दिखा कि तू ही मुझसे बातें कर रहा है।
18 Depart not hence, I pray thee, until I come to thee, and bring forth my present, and set [it] before thee. And he said, I will tarry until thou comest again.
१८जब तक मैं तेरे पास फिर आकर अपनी भेंट निकालकर तेरे सामने न रखूँ, तब तक तू यहाँ से न जा।” उसने कहा, “मैं तेरे लौटने तक ठहरा रहूँगा।”
19 And Gideon went in, and made ready a kid, and unleavened cakes of an ephah of flour: the flesh he put in a basket, and he put the broth in a pot, and brought [it] out to him under the oak, and presented [it].
१९तब गिदोन ने जाकर बकरी का एक बच्चा और एक एपा मैदे की अख़मीरी रोटियाँ तैयार कीं; तब माँस को टोकरी में, और रसा को तसले में रखकर बांज वृक्ष के तले उसके पास ले जाकर दिया।
20 And the angel of God said to him, Take the flesh and the unleavened cakes, and lay [them] upon this rock, and pour out the broth. And he did so.
२०परमेश्वर के दूत ने उससे कहा, “माँस और अख़मीरी रोटियों को लेकर इस चट्टान पर रख दे, और रसा को उण्डेल दे।” उसने ऐसा ही किया।
21 Then the angel of the LORD put forth the end of the staff that [was] in his hand, and touched the flesh and the unleavened cakes; and there rose fire out of the rock, and consumed the flesh and the unleavened cakes. Then the angel of the LORD departed from his sight.
२१तब यहोवा के दूत ने अपने हाथ की लाठी को बढ़ाकर माँस और अख़मीरी रोटियों को छुआ; और चट्टान से आग निकली जिससे माँस और अख़मीरी रोटियाँ भस्म हो गईं; तब यहोवा का दूत उसकी दृष्टि से ओझल हो गया।
22 And when Gideon perceived that he was [an] angel of the LORD, Gideon said, Alas, O LORD God! for because I have seen an angel of the LORD face to face.
२२जब गिदोन ने जान लिया कि वह यहोवा का दूत था, तब गिदोन कहने लगा, “हाय, प्रभु यहोवा! मैंने तो यहोवा के दूत को साक्षात् देखा है।”
23 And the LORD said to him, Peace [be] to thee; fear not: thou shalt not die.
२३यहोवा ने उससे कहा, “तुझे शान्ति मिले; मत डर, तू न मरेगा।”
24 Then Gideon built an altar there to the LORD, and called it Jehovah-shalom: to this day it [is] yet in Ophrah of the Abi-ezrites.
२४तब गिदोन ने वहाँ यहोवा की एक वेदी बनाकर उसका नाम, ‘यहोवा शालोम रखा।’ वह आज के दिन तक अबीएजेरियों के ओप्रा में बनी है।
25 And it came to pass the same night, that the LORD said to him, Take thy father's young bullock, even the second bullock of seven years old, and throw down the altar of Baal that thy father hath, and cut down the grove that [is] by it:
२५फिर उसी रात को यहोवा ने गिदोन से कहा, “अपने पिता का जवान बैल, अर्थात् दूसरा सात वर्ष का बैल ले, और बाल की जो वेदी तेरे पिता की है उसे गिरा दे, और जो अशेरा देवी उसके पास है उसे काट डाल;
26 And build an altar to the LORD thy God upon the top of this rock, in the ordered place, and take the second bullock, and offer a burnt-sacrifice with the wood of the grove which thou shalt cut down.
२६और उस दृढ़ स्थान की चोटी पर ठहराई हुई रीति से अपने परमेश्वर यहोवा की एक वेदी बना; तब उस दूसरे बैल को ले, और उस अशेरा की लकड़ी जो तू काट डालेगा जलाकर होमबलि चढ़ा।”
27 Then Gideon took ten men of his servants, and did as the LORD had said to him: and [so] it was, because he feared his father's household, and the men of the city, that he could not do [it] by day, that he did [it] by night.
२७तब गिदोन ने अपने संग दस दासों को लेकर यहोवा के वचन के अनुसार किया; परन्तु अपने पिता के घराने और नगर के लोगों के डर के मारे वह काम दिन को न कर सका, इसलिए रात में किया।
28 And when the men of the city arose early in the morning, behold, the altar of Baal was cast down, and the grove was cut down that [was] by it, and the second bullock was offered upon the altar [that was] built.
२८नगर के लोग सवेरे उठकर क्या देखते हैं, कि बाल की वेदी गिरी पड़ी है, और उसके पास की अशेरा कटी पड़ी है, और दूसरा बैल बनाई हुई वेदी पर चढ़ाया हुआ है।
29 And they said one to another, Who hath done this thing? And when they inquired and asked, they said, Gideon the son of Joash hath done this thing.
२९तब वे आपस में कहने लगे, “यह काम किसने किया?” और पूछपाछ और ढूँढ़-ढाँढ़ करके वे कहने लगे, “यह योआश के पुत्र गिदोन का काम है।”
30 Then the men of the city said to Joash, Bring out thy son, that he may die: because he hath cast down the altar of Baal, and because he hath cut down the grove that [was] by it.
३०तब नगर के मनुष्यों ने योआश से कहा, “अपने पुत्र को बाहर ले आ, कि मार डाला जाए, क्योंकि उसने बाल की वेदी को गिरा दिया है, और उसके पास की अशेरा को भी काट डाला है।”
31 And Joash said to all that stood against him, Will ye plead for Baal? will ye save him? he that will plead for him, let him be put to death whilst [it is yet] morning: if he [is] a god, let him plead for himself, because [one] hath cast down his altar.
३१योआश ने उन सभी से जो उसके सामने खड़े हुए थे कहा, “क्या तुम बाल के लिये वाद विवाद करोगे? क्या तुम उसे बचाओगे? जो कोई उसके लिये वाद विवाद करे वह मार डाला जाएगा। सवेरे तक ठहरे रहो; तब तक यदि वह परमेश्वर हो, तो जिसने उसकी वेदी गिराई है उससे वह आप ही अपना वाद विवाद करे।”
32 Therefore on that day he called him Jerubbaal, saying, Let Baal plead against him, because he hath thrown down his altar.
३२इसलिए उस दिन गिदोन का नाम यह कहकर यरूब्बाल रखा गया, कि इसने जो बाल की वेदी गिराई है तो इस पर बाल आप वाद विवाद कर ले।
33 Then all the Midianites, and the Amalekites, and the children of the east were assembled, and went over, and encamped in the valley of Jezreel.
३३इसके बाद सब मिद्यानी और अमालेकी और पूर्वी इकट्ठे हुए, और पार आकर यिज्रेल की तराई में डेरे डाले।
34 But the Spirit of the LORD came upon Gideon, and he blew a trumpet; and Abiezer was called after him.
३४तब यहोवा का आत्मा गिदोन में समाया; और उसने नरसिंगा फूँका, तब अबीएजेरी उसकी सुनने के लिये इकट्ठे हुए।
35 And he sent messengers throughout all Manasseh; who also was called after him: and he sent messengers to Asher, and to Zebulun, and to Naphtali; and they came up to meet them.
३५फिर उसने समस्त मनश्शे के पास अपने दूत भेजे; और वे भी उसके समीप इकट्ठे हुए। और उसने आशेर, जबूलून, और नप्ताली के पास भी दूत भेजे; तब वे भी उससे मिलने को चले आए।
36 And Gideon said to God, If thou wilt save Israel by my hand, as thou hast said,
३६तब गिदोन ने परमेश्वर से कहा, “यदि तू अपने वचन के अनुसार इस्राएल को मेरे द्वारा छुड़ाएगा,
37 Behold, I will put a fleece of wool on the floor; [and] if the dew shall be on the fleece only, and [it] shall [be] dry upon all the earth [besides], then shall I know that thou wilt save Israel by my hand, as thou hast said.
३७तो सुन, मैं एक भेड़ी की ऊन खलिहान में रखूँगा, और यदि ओस केवल उस ऊन पर पड़े, और उसे छोड़ सारी भूमि सूखी रह जाए, तो मैं जान लूँगा कि तू अपने वचन के अनुसार इस्राएल को मेरे द्वारा छुड़ाएगा।”
38 And it was so: for he rose early on the morrow, and pressed the fleece, and wrung the dew out of the fleece, a bowl-full of water.
३८और ऐसा ही हुआ। इसलिए जब उसने सवेरे उठकर उस ऊन को दबाकर उसमें से ओस निचोड़ी, तब एक कटोरा भर गया।
39 And Gideon said to God, Let not thy anger be hot against me, and I will speak but this once: Let me make trial, I pray thee, but this once with the fleece; let it now be dry only upon the fleece, and upon all the ground let there be dew.
३९फिर गिदोन ने परमेश्वर से कहा, “यदि मैं एक बार फिर कहूँ, तो तेरा क्रोध मुझ पर न भड़के; मैं इस ऊन से एक बार और भी तेरी परीक्षा करूँ, अर्थात् केवल ऊन ही सूखी रहे, और सारी भूमि पर ओस पड़े”
40 And God did so that night: for it was dry upon the fleece only, and there was dew on all the ground.
४०उस रात को परमेश्वर ने ऐसा ही किया; अर्थात् केवल ऊन ही सूखी रह गई, और सारी भूमि पर ओस पड़ी।

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