< Jeremiah 34 >

1 The word which came to Jeremiah from the LORD, when Nebuchadnezzar king of Babylon, and all his army, and all the kingdoms of the earth of his dominion, and all the people fought against Jerusalem, and against all its cities, saying,
जब बाबेल का राजा नबूकदनेस्सर अपनी सारी सेना समेत और पृथ्वी के जितने राज्य उसके वश में थे, उन सभी के लोगों समेत यरूशलेम और उसके सब गाँवों से लड़ रहा था, तब यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा
2 Thus saith the LORD, the God of Israel; Go and speak to Zedekiah king of Judah, and tell him, Thus saith the LORD; Behold, I will give this city into the hand of the king of Babylon, and he shall burn it with fire:
“इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है: जाकर यहूदा के राजा सिदकिय्याह से कह, ‘यहोवा यह कहता है: देख, मैं इस नगर को बाबेल के राजा के वश में कर देने पर हूँ, और वह इसे फुँकवा देगा।
3 And thou shalt not escape from his hand, but shalt surely be taken, and delivered into his hand; and thy eyes shall behold the eyes of the king of Babylon, and he shall speak with thee mouth to mouth, and thou shalt go to Babylon.
तू उसके हाथ से न बचेगा, निश्चय पकड़ा जाएगा और उसके वश में कर दिया जाएगा; और तेरी आँखें बाबेल के राजा को देखेंगी, और तुम आमने-सामने बातें करोगे; और तू बाबेल को जाएगा।’
4 Yet hear the word of the LORD, O Zedekiah king of Judah; Thus saith the LORD concerning thee, Thou shalt not die by the sword:
तो भी हे यहूदा के राजा सिदकिय्याह, यहोवा का यह भी वचन सुन जिसे यहोवा तेरे विषय में कहता है: ‘तू तलवार से मारा न जाएगा।
5 [But] thou shalt die in peace: and with the burnings of thy fathers, the former kings who were before thee, so shall they burn [odors] for thee; and they will lament thee, [saying], Ah lord! for I have pronounced the word, saith the LORD.
तू शान्ति के साथ मरेगा। और जैसा तेरे पितरों के लिये अर्थात् जो तुझ से पहले राजा थे, उनके लिये सुगन्ध-द्रव्य जलाया गया, वैसा ही तेरे लिये भी जलाया जाएगा; और लोग यह कहकर, “हाय मेरे प्रभु!” तेरे लिये छाती पीटेंगे, यहोवा की यही वाणी है।’”
6 Then Jeremiah the prophet spoke all these words to Zedekiah king of Judah in Jerusalem,
ये सब वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता ने यहूदा के राजा सिदकिय्याह से यरूशलेम में उस समय कहे,
7 When the king of Babylon's army fought against Jerusalem, and against all the cities of Judah that were left, against Lachish, and against Azekah: for these fortified cities remained of the cities of Judah.
जब बाबेल के राजा की सेना यरूशलेम से और यहूदा के जितने नगर बच गए थे, उनसे अर्थात् लाकीश और अजेका से लड़ रही थी; क्योंकि यहूदा के जो गढ़वाले नगर थे उनमें से केवल वे ही रह गए थे।
8 [This is] the word that came to Jeremiah from the LORD, after king Zedekiah had made a covenant with all the people who [were] at Jerusalem, to proclaim liberty to them;
यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास उस समय आया जब सिदकिय्याह राजा ने सारी प्रजा से जो यरूशलेम में थी यह वाचा बँधाई कि दासों के स्वाधीन होने का प्रचार किया जाए,
9 That every man should liberate his man-servant, and every man his maid-servant, [being] a Hebrew or a Hebrewess; that none should retain them in service, [to wit], a Jew his brother.
कि सब लोग अपने-अपने दास-दासी को जो इब्री या इब्रिन हों, स्वाधीन करके जाने दें, और कोई अपने यहूदी भाई से फिर अपनी सेवा न कराए।
10 Now when all the princes, and all the people who had entered into the covenant, heard that every one should liberate his man-servant, and every one his maid-servant, that none should retain them in service any more, then they obeyed, and let [them] go.
१०तब सब हाकिमों और सारी प्रजा ने यह प्रण किया कि हम अपने-अपने दास दासियों को स्वतंत्र कर देंगे और फिर उनसे अपनी सेवा न कराएँगे; इसलिए उस प्रण के अनुसार उनको स्वतंत्र कर दिया।
11 But afterwards they turned, and caused the servants and the handmaids, whom they had liberated, to return, and brought them into subjection for servants and for handmaids.
११परन्तु इसके बाद वे फिर गए और जिन दास दासियों को उन्होंने स्वतंत्र करके जाने दिया था उनको फिर अपने वश में लाकर दास और दासी बना लिया।
12 Therefore the word of the LORD came to Jeremiah from the LORD, saying,
१२तब यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा
13 Thus saith the LORD, the God of Israel; I made a covenant with your fathers in the day that I brought them forth from the land of Egypt, out of the house of bond-men, saying,
१३“इस्राएल का परमेश्वर यहोवा तुम से यह कहता है, जिस समय मैं तुम्हारे पितरों को दासत्व के घर अर्थात् मिस्र देश से निकाल ले आया, उस समय मैंने आप उनसे यह कहकर वाचा बाँधी
14 At the end of seven years dismiss ye every man his brother a Hebrew, who hath been sold to thee; and when he hath served thee six years, thou shalt let him go free from thee: but your fathers hearkened not to me, neither inclined their ear.
१४‘तुम्हारा जो इब्री भाई तुम्हारे हाथ में बेचा जाए उसको तुम सातवें वर्ष में छोड़ देना; छः वर्ष तो वह तुम्हारी सेवा करे परन्तु इसके बाद तुम उसको स्वतंत्र करके अपने पास से जाने देना।’ परन्तु तुम्हारे पितरों ने मेरी न सुनी, न मेरी ओर कान लगाया।
15 And ye had now turned, and had done right in my sight, in proclaiming liberty every man to his neighbor; and ye had made a covenant before me in the house which is called by my name:
१५तुम अभी फिरे तो थे और अपने-अपने भाई को स्वतंत्र कर देने का प्रचार कराके जो काम मेरी दृष्टि में भला है उसे तुम ने किया भी था, और जो भवन मेरा कहलाता है उसमें मेरे सामने वाचा भी बाँधी थी;
16 But ye turned and profaned my name, and caused every man his servant, and every man his handmaid, whom he had set at liberty at their pleasure, to return, and brought them into subjection, to be to you for servants and for handmaids.
१६पर तुम भटक गए और मेरा नाम इस रीति से अशुद्ध किया कि जिन दास दासियों को तुम स्वतंत्र करके उनकी इच्छा पर छोड़ चुके थे उन्हें तुम ने फिर अपने वश में कर लिया है, और वे फिर तुम्हारे दास- दासियाँ बन गए हैं।
17 Therefore thus saith the LORD; Ye have not hearkened to me, in proclaiming liberty, every one to his brother, and every man to his neighbor: behold, I proclaim a liberty for you, saith the LORD, to the sword, to the pestilence, and to the famine; and I will make you to be removed into all the kingdoms of the earth.
१७इस कारण यहोवा यह कहता है: तुम ने जो मेरी आज्ञा के अनुसार अपने-अपने भाई के स्वतंत्र होने का प्रचार नहीं किया, अतः यहोवा का यह वचन है, सुनो, मैं तुम्हारे इस प्रकार से स्वतंत्र होने का प्रचार करता हूँ कि तुम तलवार, मरी और अकाल में पड़ोगे; और मैं ऐसा करूँगा कि तुम पृथ्वी के राज्य-राज्य में मारे-मारे फिरोगे।
18 And I will give the men that have transgressed my covenant, who have not performed the words of the covenant which they had made before me, when they cut the calf in two, and passed between the parts of it,
१८जो लोग मेरी वाचा का उल्लंघन करते हैं और जो प्रण उन्होंने मेरे सामने और बछड़े को दो भाग करके उसके दोनों भागों के बीच होकर किया परन्तु उसे पूरा न किया,
19 The princes of Judah, and the princes of Jerusalem, the eunuchs, and the priests, and all the people of the land, who passed between the parts of the calf;
१९अर्थात् यहूदा देश और यरूशलेम नगर के हाकिम, खोजे, याजक और साधारण लोग जो बछड़े के भागों के बीच होकर गए थे,
20 I will even give them into the hand of their enemies, and into the hand of them that seek their life: and their dead bodies shall be for food to the fowls of the heaven, and to the beasts of the earth.
२०उनको मैं उनके शत्रुओं अर्थात् उनके प्राण के खोजियों के वश में कर दूँगा और उनकी लोथ आकाश के पक्षियों और मैदान के पशुओं का आहार हो जाएँगी।
21 And Zedekiah king of Judah and his princes I will give into the hand of their enemies, and into the hand of them that seek their life, and into the hand of the king of Babylon's army, which are gone up from you.
२१मैं यहूदा के राजा सिदकिय्याह और उसके हाकिमों को उनके शत्रुओं और उनके प्राण के खोजियों अर्थात् बाबेल के राजा की सेना के वश में कर दूँगा जो तुम्हारे सामने से चली गई है।
22 Behold, I will command, saith the LORD, and cause them to return to this city; and they shall fight against it, and take it, and burn it with fire: and I will make the cities of Judah a desolation without an inhabitant.
२२यहोवा का यह वचन है कि देखो, मैं उनको आज्ञा देकर इस नगर के पास लौटा ले आऊँगा और वे लड़कर इसे ले लेंगे और फूँक देंगे; और यहूदा के नगरों को मैं ऐसा उजाड़ दूँगा कि कोई उनमें न रहेगा।”

< Jeremiah 34 >