< Isaiah 7 >
1 And it came to pass in the days of Ahaz the son of Jotham, the son of Uzziah, king of Judah, [that] Rezin the king of Syria, and Pekah the son of Remaliah, king of Israel, went up towards Jerusalem to war against it, but could not prevail against it.
१यहूदा का राजा आहाज जो योताम का पुत्र और उज्जियाह का पोता था, उसके दिनों में अराम के राजा रसीन और इस्राएल के राजा रमल्याह के पुत्र पेकह ने यरूशलेम से लड़ने के लिये चढ़ाई की, परन्तु युद्ध करके उनसे कुछ न बन पड़ा।
2 And it was told the house of David, saying, Syria is confederate with Ephraim. And his heart was moved, and the heart of his people, as the trees of the wood are moved with the wind.
२जब दाऊद के घराने को यह समाचार मिला कि अरामियों ने एप्रैमियों से संधि की है, तब उसका और प्रजा का भी मन ऐसा काँप उठा जैसे वन के वृक्ष वायु चलने से काँप जाते हैं।
3 Then said the LORD to Isaiah, Go forth now to meet Ahaz, thou, and Shear-jashub thy son, at the end of the conduit of the upper pool in the highway of the fuller's field;
३तब यहोवा ने यशायाह से कहा, “अपने पुत्र शार्याशूब को लेकर धोबियों के खेत की सड़क से ऊपरवाले जलकुण्ड की नाली के सिरे पर आहाज से भेंट करने के लिये जा,
4 And say to him, Take heed, and be quiet; fear not, neither be faint-hearted for the two tails of these smoking fire-brands, for the fierce anger of Rezin with Syria, and of the son of Remaliah.
४और उससे कह, ‘सावधान और शान्त हो; और उन दोनों धुआँ निकलती लुकटियों से अर्थात् रसीन और अरामियों के भड़के हुए कोप से, और रमल्याह के पुत्र से मत डर, और न तेरा मन कच्चा हो।
5 Because Syria, Ephraim, and the son of Remaliah, have taken evil counsel against thee, saying,
५क्योंकि अरामियों और रमल्याह के पुत्र समेत एप्रैमियों ने यह कहकर तेरे विरुद्ध बुरी युक्ति ठानी है कि आओ,
6 Let us go up against Judah, and harass it, and let us make a breach therein for us, and set a king in the midst of it, [even] the son of Tabeal:
६हम यहूदा पर चढ़ाई करके उसको घबरा दें, और उसको अपने वश में लाकर ताबेल के पुत्र को राजा नियुक्त कर दें।
7 Thus saith the Lord GOD, It shall not stand, neither shall it come to pass.
७इसलिए प्रभु यहोवा ने यह कहा है कि यह युक्ति न तो सफल होगी और न पूरी।
8 For the head of Syria [is] Damascus, and the head of Damascus [is] Rezin; and within sixty five years shall Ephraim be broken, that it be not a people.
८क्योंकि अराम का सिर दमिश्क, और दमिश्क का सिर रसीन है। फिर एप्रैम का सिर सामरिया और सामरिया का सिर रमल्याह का पुत्र है। पैंसठ वर्ष के भीतर एप्रैम का बल इतना टूट जाएगा कि वह जाति बनी न रहेगी।
9 And the head of Ephraim [is] Samaria, and the head of Samaria [is] Remaliah's son. If ye will not believe, surely ye shall not be established.
९यदि तुम लोग इस बात पर विश्वास न करो; तो निश्चय तुम स्थिर न रहोगे।’”
10 Moreover, the LORD spoke again to Ahaz, saying,
१०फिर यहोवा ने आहाज से कहा,
11 Ask thee a sign from the LORD thy God; ask it either in the depth, or in the hight above. (Sheol )
११“अपने परमेश्वर यहोवा से कोई चिन्ह माँग; चाहे वह गहरे स्थान का हो, या ऊपर आकाश का हो।” (Sheol )
12 But Ahaz said, I will not ask, neither will I tempt the LORD.
१२आहाज ने कहा, “मैं नहीं माँगने का, और मैं यहोवा की परीक्षा नहीं करूँगा।”
13 And he said, Hear ye now, O house of David? [Is it] a small thing for you to weary men, but will ye weary my God also?
१३तब उसने कहा, “हे दाऊद के घराने सुनो! क्या तुम मनुष्यों को थका देना छोटी बात समझकर अब मेरे परमेश्वर को भी थका दोगे?
14 Therefore the LORD himself will give you a sign; Behold, a virgin shall conceive, and bear a son, and shall call his name Immanuel.
१४इस कारण प्रभु आप ही तुम को एक चिन्ह देगा। सुनो, एक कुमारी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखेगी।
15 Butter and honey shall he eat, that he may know to refuse the evil, and choose the good.
१५और जब तक वह बुरे को त्यागना और भले को ग्रहण करना न जाने तब तक वह मक्खन और मधु खाएगा।
16 For before the child shall know to refuse the evil, and choose the good, the land that thou abhorrest shall be forsaken by both her kings.
१६क्योंकि उससे पहले कि वह लड़का बुरे को त्यागना और भले को ग्रहण करना जाने, वह देश जिसके दोनों राजाओं से तू घबरा रहा है निर्जन हो जाएगा।
17 The LORD will bring upon thee, and upon thy people, and upon thy father's house, days that have not come, from the day that Ephraim departed from Judah; [even] the king of Assyria.
१७यहोवा तुझ पर, तेरी प्रजा पर और तेरे पिता के घराने पर ऐसे दिनों को ले आएगा कि जब से एप्रैम यहूदा से अलग हो गया, तब से वैसे दिन कभी नहीं आए - अर्थात् अश्शूर के राजा के दिन।”
18 And it shall come to pass in that day, [that] the LORD will hiss for the fly that [is] in the uttermost part of the rivers of Egypt, and for the bee that [is] in the land of Assyria.
१८उस समय यहोवा उन मक्खियों को जो मिस्र की नदियों के सिरों पर रहती हैं, और उन मधुमक्खियों को जो अश्शूर देश में रहती हैं, सीटी बजाकर बुलाएगा।
19 And they shall come, and shall rest all of them in the desolate valleys, and in the holes of the rocks, and upon all thorns, and upon all bushes.
१९और वे सब की सब आकर इस देश के पहाड़ी नालों में, और चट्टानों की दरारों में, और सब कँटीली झाड़ियों और सब चराइयों पर बैठ जाएँगी।
20 In the same day will the LORD shave with a razor that is hired, [namely], by them beyond the river, by the king of Assyria, the head, and the hair of the feet: and it shall also consume the beard.
२०उसी समय प्रभु फरात के पारवाले अश्शूर के राजा रूपी भाड़े के उस्तरे से सिर और पाँवों के रोएँ मूँण्ड़ेगा, उससे दाढ़ी भी पूरी मुड़ जाएगी।
21 And it shall come to pass in that day, [that] a man shall nourish a young cow, and two sheep;
२१उस समय ऐसा होगा कि मनुष्य केवल एक बछिया और दो भेड़ों को पालेगा;
22 And it shall come to pass, for the abundance of milk [that] they shall give, he shall eat butter: for butter and honey shall every one eat that is left in the land.
२२और वे इतना दूध देंगी कि वह मक्खन खाया करेगा; क्योंकि जितने इस देश में रह जाएँगे वह सब मक्खन और मधु खाया करेंगे।
23 And it shall come to pass in that day, [that] every place shall be, where there were a thousand vines at a thousand pieces of silver, it shall [even] be for briers and thorns.
२३उस समय जिन-जिन स्थानों में हजार टुकड़े चाँदी की हजार दाखलताएँ हैं, उन सब स्थानों में कटीले ही कटीले पेड़ होंगे।
24 With arrows and with bows shall [men] come thither; because all the land shall become briers and thorns.
२४तीर और धनुष लेकर लोग वहाँ जाया करेंगे, क्योंकि सारे देश में कटीले पेड़ हो जाएँगे;
25 And [on] all hills that shall be digged with the mattock, there shall not come thither the fear of briers and thorns: but it shall be for the sending forth of oxen, and for the treading of lesser cattle.
२५और जितने पहाड़ कुदाल से खोदे जाते हैं, उन सभी पर कटीले पेड़ों के डर के मारे कोई न जाएगा, वे गाय-बैलों के चरने के, और भेड़-बकरियों के रौंदने के लिये होंगे।