< Ezekiel 42 >

1 Then he brought me forth into the outer court, the way towards the north: and he brought me into the chamber that [was] over against the separate place, and which [was] before the building towards the north.
फिर वह पुरुष मुझे बाहरी आँगन में उत्तर की ओर ले गया, और मुझे उन दो कोठरियों के पास लाया जो भवन के आँगन के सामने और उसके उत्तर की ओर थीं।
2 Before the length of a hundred cubits [was] the north door, and the breadth [was] fifty cubits.
सौ हाथ की दूरी पर उत्तरी द्वार था, और चौड़ाई पचास हाथ की थी।
3 Over against the twenty [cubits] which [were] for the inner court, and over against the pavement which [was] for the outer court, [was] gallery against gallery in three [stories].
भीतरी आँगन के बीस हाथ सामने और बाहरी आँगन के फर्श के सामने तीनों महलों में छज्जे थे।
4 And before the chambers [was] a walk of ten cubits breadth inward, a way of one cubit; and their doors towards the north.
कोठरियों के सामने भीतर की ओर जानेवाला दस हाथ चौड़ा एक मार्ग था; और हाथ भर का एक और मार्ग था; और कोठरियों के द्वार उत्तर की ओर थे।
5 Now the upper chambers [were] shorter: for the galleries were higher than these, than the lower, and than the middlemost of the building.
ऊपरी कोठरियाँ छोटी थीं, अर्थात् छज्जों के कारण वे निचली और बिचली कोठरियों से छोटी थीं।
6 For they [were] in three [stories], but had not pillars as the pillars of the courts: therefore [the building] was straitened more than the lowest and the middlemost from the ground.
क्योंकि वे तीन मंजिला थीं, और आँगनों के समान उनके खम्भे न थे; इस कारण ऊपरी कोठरियाँ निचली और बिचली कोठरियों से छोटी थीं।
7 And the wall that [was] without over against the chambers, towards the outer court on the forepart of the chambers, the length of it [was] fifty cubits.
जो दीवार कोठरियों के बाहर उनके पास-पास थी अर्थात् कोठरियों के सामने बाहरी आँगन की ओर थी, उसकी लम्बाई पचास हाथ की थी।
8 For the length of the chambers that [were] in the outer court [was] fifty cubits: and lo, before the temple [were] a hundred cubits.
क्योंकि बाहरी आँगन की कोठरियाँ पचास हाथ लम्बी थीं, और मन्दिर के सामने की ओर सौ हाथ की थी।
9 And from under these chambers [was] the entry on the east side, as one goeth into them from the outer court.
इन कोठरियों के नीचे पूर्व की ओर मार्ग था, जहाँ लोग बाहरी आँगन से इनमें जाते थे।
10 The chambers [were] in the thickness of the wall of the court towards the east, over against the separate place, and over against the building.
१०आँगन की दीवार की चौड़ाई में पूर्व की ओर अलग स्थान और भवन दोनों के सामने कोठरियाँ थीं।
11 And the way before them [was] like the appearance of the chambers which [were] towards the north, as long as they, [and] as broad as they: and all their goings out [were] both according to their fashions, and according to their doors.
११उनके सामने का मार्ग उत्तरी कोठरियों के मार्ग–सा था; उनकी लम्बाई-चौड़ाई बराबर थी और निकास और ढंग उनके द्वार के से थे।
12 And according to the doors of the chambers that [were] towards the south [was] a door in the head of the way, [even] the way directly before the wall towards the east, as one entereth into them.
१२दक्षिणी कोठरियों के द्वारों के अनुसार मार्ग के सिरे पर द्वार था, अर्थात् पूर्व की ओर की दीवार के सामने, जहाँ से लोग उनमें प्रवेश करते थे।
13 Then said he to me, The north chambers [and] the south chambers which [are] before the separate place, they [are] holy chambers, where the priests that approach to the LORD shall eat the most holy things: there shall they lay the most holy things, and the meat-offering, and the sin-offering, and the trespass-offering; for the place [is] holy.
१३फिर उसने मुझसे कहा, “ये उत्तरी और दक्षिणी कोठरियाँ जो आँगन के सामने हैं, वे ही पवित्र कोठरियाँ हैं, जिनमें यहोवा के समीप जानेवाले याजक परमपवित्र वस्तुएँ खाया करेंगे; वे परमपवित्र वस्तुएँ, और अन्नबलि, और पापबलि, और दोषबलि, वहीं रखेंगे; क्योंकि वह स्थान पवित्र है।
14 When the priests enter therein, then shall they not go out of the holy [place] into the outer court, but there they shall lay their garments in which they minister; for they [are] holy; and shall put on other garments, and shall approach to [those things] which [are] for the people.
१४जब जब याजक लोग भीतर जाएँगे, तब-तब निकलने के समय वे पवित्रस्थान से बाहरी आँगन में ऐसे ही न निकलेंगे, अर्थात् वे पहले अपनी सेवा टहल के वस्त्र पवित्रस्थान में रख देंगे; क्योंकि ये कोठरियाँ पवित्र हैं। तब वे दूसरे वस्त्र पहनकर साधारण लोगों के स्थान में जाएँगे।”
15 Now when he had made an end of measuring the inner house, he brought me forth towards the gate whose prospect [is] towards the east, and measured it around.
१५जब वह भीतरी भवन को माप चुका, तब मुझे पूर्व दिशा के फाटक के मार्ग से बाहर ले जाकर बाहर का स्थान चारों ओर मापने लगा।
16 He measured the east side with the measuring reed, five hundred reeds, with the measuring reed around.
१६उसने पूर्वी ओर को मापने के बाँस से मापकर पाँच सौ बाँस का पाया।
17 He measured the north side, five hundred reeds, with the measuring reed around.
१७तब उसने उत्तरी ओर को मापने के बाँस से मापकर पाँच सौ बाँस का पाया।
18 He measured the south side, five hundred reeds, with the measuring reed.
१८तब उसने दक्षिणी ओर को मापने के बाँस से मापकर पाँच सौ बाँस का पाया।
19 He turned about to the west side, [and] measured five hundred reeds, with the measuring reed.
१९और पश्चिमी ओर को मुड़कर उसने मापने के बाँस से मापकर उसे पाँच सौ बाँस का पाया।
20 He measured it by the four sides: it had a wall around, five hundred [reeds] long, and five hundred broad, to make a separation between the sanctuary and the profane place.
२०उसने उस स्थान की चारों सीमाएँ मापी, और उसके चारों ओर एक दीवार थी, वह पाँच सौ बाँस लम्बी और पाँच सौ बाँस चौड़ी थी, और इसलिए बनी थी कि पवित्र और सर्वसाधारण को अलग-अलग करे।

< Ezekiel 42 >