< Deuteronomy 28 >

1 And it shall come to pass, if thou shalt hearken diligently to the voice of the LORD thy God, to observe [and] to do all his commandments which I command thee this day; that the LORD thy God will set thee on high above all nations of the earth:
“यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाएँ, जो मैं आज तुझे सुनाता हूँ, चौकसी से पूरी करने को चित्त लगाकर उसकी सुने, तो वह तुझे पृथ्वी की सब जातियों में श्रेष्ठ करेगा।
2 And all these blessings shall come on thee, and overtake thee, if thou shalt hearken to the voice of the LORD thy God.
फिर अपने परमेश्वर यहोवा की सुनने के कारण ये सब आशीर्वाद तुझ पर पूरे होंगे।
3 Blessed [shalt] thou [be] in the city, and blessed [shalt] thou [be] in the field.
धन्य हो तू नगर में, धन्य हो तू खेत में।
4 Blessed [shall be] the fruit of thy body, and the fruit of thy ground, and the fruit of thy cattle, the increase of thy cattle, and the flocks of thy sheep.
धन्य हो तेरी सन्तान, और तेरी भूमि की उपज, और गाय और भेड़-बकरी आदि पशुओं के बच्चे।
5 Blessed [shall be] thy basket and thy store.
धन्य हो तेरी टोकरी और तेरा आटा गूँधने का पात्र।
6 Blessed [shalt] thou [be] when thou comest in, and blessed [shalt] thou [be] when thou goest out.
धन्य हो तू भीतर आते समय, और धन्य हो तू बाहर जाते समय।
7 The LORD shall cause thy enemies that rise up against thee to be smitten before thy face: they shall come out against thee one way, and flee before thee seven ways.
“यहोवा ऐसा करेगा कि तेरे शत्रु जो तुझ पर चढ़ाई करेंगे वे तुझ से हार जाएँगे; वे एक मार्ग से तुझ पर चढ़ाई करेंगे, परन्तु तेरे सामने से सात मार्ग से होकर भाग जाएँगे।
8 The LORD shall command the blessing upon thee in thy store-houses, and in all that thou settest thy hand to: and he shall bless thee in the land which the LORD thy God giveth thee.
तेरे खत्तों पर और जितने कामों में तू हाथ लगाएगा उन सभी पर यहोवा आशीष देगा; इसलिए जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसमें वह तुझे आशीष देगा।
9 The LORD shall establish thee a holy people to himself, as he hath sworn to thee, if thou shalt keep the commandments of the LORD thy God, and walk in his ways.
यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं को मानते हुए उसके मार्गों पर चले, तो वह अपनी शपथ के अनुसार तुझे अपनी पवित्र प्रजा करके स्थिर रखेगा।
10 And all the people of the earth shall see that thou art called by the name of the LORD; and they shall be afraid of thee.
१०और पृथ्वी के देश-देश के सब लोग यह देखकर, कि तू यहोवा का कहलाता है, तुझ से डर जाएँगे।
11 And the LORD shall make thee to abound in goods, in the fruit of thy body, and in the fruit of thy cattle, and in the fruit of thy ground, in the land which the LORD swore to thy fathers to give thee.
११और जिस देश के विषय यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर तुझे देने को कहा था, उसमें वह तेरी सन्तान की, और भूमि की उपज की, और पशुओं की बढ़ती करके तेरी भलाई करेगा।
12 The LORD shall open to thee his good treasure, the heaven to give rain to thy land in its season, and to bless all the work of thy hand: and thou shalt lend to many nations, and thou shalt not borrow.
१२यहोवा तेरे लिए अपने आकाशरूपी उत्तम भण्डार को खोलकर तेरी भूमि पर समय पर मेंह बरसाया करेगा, और तेरे सारे कामों पर आशीष देगा; और तू बहुतेरी जातियों को उधार देगा, परन्तु किसी से तुझे उधार लेना न पड़ेगा।
13 And the LORD shall make thee the head, and not the tail; and thou shalt be above only, and thou shalt not be beneath; if thou shalt hearken to the commandments of the LORD thy God, which I command thee this day, to observe and to do [them]:
१३और यहोवा तुझको पूँछ नहीं, किन्तु सिर ही ठहराएगा, और तू नीचे नहीं, परन्तु ऊपर ही रहेगा; यदि परमेश्वर यहोवा की आज्ञाएँ जो मैं आज तुझको सुनाता हूँ, तू उनके मानने में मन लगाकर चौकसी करे;
14 And thou shalt not go aside from any of the words which I command thee this day, [to] the right hand or [to] the left, to go after other gods to serve them.
१४और जिन वचनों की मैं आज तुझे आज्ञा देता हूँ उनमें से किसी से दाएँ या बाएँ मुड़कर पराए देवताओं के पीछे न हो ले, और न उनकी सेवा करे।
15 But it shall come to pass, if thou wilt not hearken to the voice of the LORD thy God, to observe to do all his commandments and his statutes which I command thee this day; that all these curses shall come upon thee, and overtake thee:
१५“परन्तु यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की बात न सुने, और उसकी सारी आज्ञाओं और विधियों के पालन करने में जो मैं आज सुनाता हूँ चौकसी नहीं करेगा, तो ये सब श्राप तुझ पर आ पड़ेंगे।
16 Cursed [shalt] thou [be] in the city, and cursed [shalt] thou [be] in the field.
१६श्रापित हो तू नगर में, श्रापित हो तू खेत में।
17 Cursed [shall be] thy basket and thy store.
१७श्रापित हो तेरी टोकरी और तेरा आटा गूँधने का पात्र।
18 Cursed [shall be] the fruit of thy body, and the fruit of thy land, the increase of thy kine, and the flocks of thy sheep.
१८श्रापित हो तेरी सन्तान, और भूमि की उपज, और गायों और भेड़-बकरियों के बच्चे।
19 Cursed [shalt] thou [be] when thou comest in, and cursed [shalt] thou [be] when thou goest out.
१९श्रापित हो तू भीतर आते समय, और श्रापित हो तू बाहर जाते समय।
20 The LORD shall send upon thee cursing, vexation, and rebuke, in all that thou undertakest to perform, until thou shalt be destroyed, and until thou shalt perish quickly; because of the wickedness of thy doings by which thou hast forsaken me.
२०“फिर जिस-जिस काम में तू हाथ लगाए, उसमें यहोवा तब तक तुझको श्राप देता, और भयातुर करता, और धमकी देता रहेगा, जब तक तू मिट न जाए, और शीघ्र नष्ट न हो जाए; यह इस कारण होगा कि तू यहोवा को त्याग कर दुष्ट काम करेगा।
21 The LORD shall make the pestilence cleave to thee, until he shall have consumed thee from off the land, whither thou goest to possess it.
२१और यहोवा ऐसा करेगा कि मरी तुझ में फैलकर उस समय तक लगी रहेगी, जब तक जिस भूमि के अधिकारी होने के लिये तू जा रहा है उस पर से तेरा अन्त न हो जाए।
22 The LORD shall smite thee with a consumption, and with a fever, and with an inflammation, and with an extreme burning, and with the sword, and with blasting, and with mildew: and they shall pursue thee until thou dost perish.
२२यहोवा तुझको क्षयरोग से, और ज्वर, और दाह, और बड़ी जलन से, और तलवार, और झुलस, और गेरूई से मारेगा; और ये उस समय तक तेरा पीछा किए रहेंगे, जब तक तेरा सत्यानाश न हो जाए।
23 And thy heaven that [is] over thy head shall be brass, and the earth that [is] under thee [shall be] iron.
२३और तेरे सिर के ऊपर आकाश पीतल का, और तेरे पाँव के तले भूमि लोहे की हो जाएगी।
24 The LORD shall make the rain of thy land powder and dust: from heaven shall it come down upon thee, until thou art destroyed.
२४यहोवा तेरे देश में पानी के बदले रेत और धूलि बरसाएगा; वह आकाश से तुझ पर यहाँ तक बरसेगी कि तेरा सत्यानाश हो जाएगा।
25 The LORD shall cause thee to be smitten before thy enemies: thou shalt go out one way against them, and flee seven ways before them; and shalt be removed into all the kingdoms of the earth.
२५“यहोवा तुझको शत्रुओं से हरवाएगा; और तू एक मार्ग से उनका सामना करने को जाएगा, परन्तु सात मार्ग से होकर उनके सामने से भाग जाएगा; और पृथ्वी के सब राज्यों में मारा-मारा फिरेगा।
26 And thy carcass shall be food to all fowls of the air, and to the beasts of the earth, and no man shall drive [them] away.
२६और तेरा शव आकाश के भाँति-भाँति के पक्षियों, और धरती के पशुओं का आहार होगा; और उनको कोई भगानेवाला न होगा।
27 The LORD will smite thee with the botch of Egypt, and with the emerods, and with the scab, and with the itch, of which thou canst not be healed.
२७यहोवा तुझको मिस्र के से फोड़े, और बवासीर, और दाद, और खुजली से ऐसा पीड़ित करेगा, कि तू चंगा न हो सकेगा।
28 The LORD shall smite thee with the madness, and blindness, and astonishment of heart:
२८यहोवा तुझे पागल और अंधा कर देगा, और तेरे मन को अत्यन्त घबरा देगा;
29 And thou shalt grope at noon-day, as the blind gropeth in darkness, and thou shalt not prosper in thy ways: and thou shalt be only oppressed and spoiled evermore, and no man shall save [thee].
२९और जैसे अंधा अंधियारे में टटोलता है वैसे ही तू दिन दुपहरी में टटोलता फिरेगा, और तेरे काम-काज सफल न होंगे; और तू सदैव केवल अत्याचार सहता और लुटता ही रहेगा, और तेरा कोई छुड़ानेवाला न होगा।
30 Thou shalt betroth a wife, and another man shall lie with her: thou shalt build a house, and thou shalt not dwell in it: thou shalt plant a vineyard, and shalt not gather the grapes of it.
३०तू स्त्री से ब्याह की बात लगाएगा, परन्तु दूसरा पुरुष उसको भ्रष्ट करेगा; घर तू बनाएगा, परन्तु उसमें बसने न पाएगा; दाख की बारी तू लगाएगा, परन्तु उसके फल खाने न पाएगा।
31 Thy ox [shall be] slain before thy eyes, and thou shalt not eat of it: thy ass [shall be] violently taken away from before thy face, and shall not be restored to thee: thy sheep [shall be] given to thy enemies, and thou shalt have none to rescue [them].
३१तेरा बैल तेरी आँखों के सामने मारा जाएगा, और तू उसका माँस खाने न पाएगा; तेरा गदहा तेरी आँख के सामने लूट में चला जाएगा, और तुझे फिर न मिलेगा; तेरी भेड़-बकरियाँ तेरे शत्रुओं के हाथ लग जाएँगी, और तेरी ओर से उनका कोई छुड़ानेवाला न होगा।
32 Thy sons and thy daughters [shall be] given to another people, and thy eyes shall look, and fail [with longing] for them all the day long: and [there shall be] no might in thy hand.
३२तेरे बेटे-बेटियाँ दूसरे देश के लोगों के हाथ लग जाएँगे, और उनके लिये चाव से देखते-देखते तेरी आँखें रह जाएँगी; और तेरा कुछ बस न चलेगा।
33 The fruit of thy land, and all thy labors, shall be eaten by a nation which thou knowest not: and thou shalt be only oppressed and crushed always:
३३तेरी भूमि की उपज और तेरी सारी कमाई एक अनजाने देश के लोग खा जाएँगे; और सर्वदा तू केवल अत्याचार सहता और पिसता रहेगा;
34 So that thou shalt be mad for the sight of thy eyes which thou shalt see.
३४यहाँ तक कि तू उन बातों के कारण जो अपनी आँखों से देखेगा पागल हो जाएगा।
35 The LORD shall smite thee in the knees, and in the legs, with a sore botch that cannot be healed, from the sole of thy foot to the top of thy head.
३५यहोवा तेरे घुटनों और टाँगों में, वरन् नख से शीर्ष तक भी असाध्य फोड़े निकालकर तुझको पीड़ित करेगा।
36 The LORD shall bring thee, and thy king which thou shalt set over thee, to a nation which neither thou nor thy fathers have known; and there shalt thou serve other gods, wood and stone.
३६“यहोवा तुझको उस राजा समेत, जिसको तू अपने ऊपर ठहराएगा, तेरे और तेरे पूर्वजों के लिए अनजानी एक जाति के बीच पहुँचाएगा; और उसके मध्य में रहकर तू काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना और पूजा करेगा।
37 And thou shalt become an astonishment, a proverb, and a by-word, among all nations whither the LORD shall lead thee.
३७और उन सब जातियों में जिनके मध्य में यहोवा तुझको पहुँचाएगा, वहाँ के लोगों के लिये तू चकित होने का, और दृष्टान्त और श्राप का कारण समझा जाएगा।
38 Thou shalt carry much seed into the field, and shalt gather [but] little: for the locust shall consume it.
३८तू खेत में बीज तो बहुत सा ले जाएगा, परन्तु उपज थोड़ी ही बटोरेगा; क्योंकि टिड्डियाँ उसे खा जाएँगी।
39 Thou shalt plant vineyards and dress [them], but shalt neither drink [of] the wine, nor gather [the grapes]: for the worm shall eat them.
३९तू दाख की बारियाँ लगाकर उनमें काम तो करेगा, परन्तु उनकी दाख का मधु पीने न पाएगा, वरन् फल भी तोड़ने न पाएगा; क्योंकि कीड़े उनको खा जाएँगे।
40 Thou shalt have olive-trees throughout all thy coasts, but thou shalt not anoint [thyself] with the oil: for thy olive shall cast [its fruit].
४०तेरे सारे देश में जैतून के वृक्ष तो होंगे, परन्तु उनका तेल तू अपने शरीर में लगाने न पाएगा; क्योंकि वे झड़ जाएँगे।
41 Thou shalt beget sons and daughters, but thou shalt not enjoy them: for they shall go into captivity.
४१तेरे बेटे-बेटियाँ तो उत्पन्न होंगे, परन्तु तेरे रहेंगे नहीं; क्योंकि वे बन्धुवाई में चले जाएँगे।
42 All thy trees and fruit of thy land shall the locust consume.
४२तेरे सब वृक्ष और तेरी भूमि की उपज टिड्डियाँ खा जाएँगी।
43 The stranger that [is] within thee shall rise above thee very high; and thou shalt come down very low.
४३जो परदेशी तेरे मध्य में रहेगा वह तुझ से बढ़ता जाएगा; और तू आप घटता चला जाएगा।
44 He shall lend to thee, and thou shalt not lend to him: he shall be the head, and thou shalt be the tail.
४४“वह तुझको उधार देगा, परन्तु तू उसको उधार न दे सकेगा; वह तो सिर और तू पूँछ ठहरेगा।
45 Moreover, all these curses shall come upon thee, and shall pursue thee, and overtake thee, till thou art destroyed: because thou hearkenedst not to the voice of the LORD thy God, to keep his commandments and his statutes which he commanded thee:
४५तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की दी हुई आज्ञाओं और विधियों के मानने को उसकी न सुनेगा, इस कारण ये सब श्राप तुझ पर आ पड़ेंगे, और तेरे पीछे पड़े रहेंगे, और तुझको पकड़ेंगे, और अन्त में तू नष्ट हो जाएगा।
46 And they shall be upon thee for a sign and for a wonder, and upon thy seed for ever.
४६और वे तुझ पर और तेरे वंश पर सदा के लिये बने रहकर चिन्ह और चमत्कार ठहरेंगे;
47 Because thou didst not serve the LORD thy God with joyfulness and with gladness of heart, for the abundance of all [things]:
४७“तू जो सब पदार्थ की बहुतायत होने पर भी आनन्द और प्रसन्नता के साथ अपने परमेश्वर यहोवा की सेवा नहीं करेगा,
48 Therefore shalt thou serve thy enemies which the LORD shall send against thee, in hunger, and in thirst, and in nakedness, and in want of all [things]: and he shall put a yoke of iron upon thy neck, until he hath destroyed thee.
४८इस कारण तुझको भूखा, प्यासा, नंगा, और सब पदार्थों से रहित होकर अपने उन शत्रुओं की सेवा करनी पड़ेगी जिन्हें यहोवा तेरे विरुद्ध भेजेगा; और जब तक तू नष्ट न हो जाए तब तक वह तेरी गर्दन पर लोहे का जूआ डाल रखेगा।
49 The LORD shall bring a nation against thee from far, from the end of the earth, [as swift] as the eagle flieth, a nation whose language thou shalt not understand:
४९यहोवा तेरे विरुद्ध दूर से, वरन् पृथ्वी के छोर से वेग से उड़नेवाले उकाब सी एक जाति को चढ़ा लाएगा जिसकी भाषा को तू न समझेगा;
50 A nation of fierce countenance, which shall not regard the person of the old, nor show favor to the young:
५०उस जाति के लोगों का व्यवहार क्रूर होगा, वे न तो बूढ़ों का मुँह देखकर आदर करेंगे, और न बालकों पर दया करेंगे;
51 And he shall eat the fruit of thy cattle, and the fruit of thy land, until thou art destroyed: which [also] shall not leave thee [either] corn, wine, or oil, [or] the increase of thy cattle, or flocks of thy sheep, until he hath destroyed thee.
५१और वे तेरे पशुओं के बच्चे और भूमि की उपज यहाँ तक खा जाएँगे कि तू नष्ट हो जाएगा; और वे तेरे लिये न अन्न, और न नया दाखमधु, और न टटका तेल, और न बछड़े, न मेम्ने छोड़ेंगे, यहाँ तक कि तू नाश हो जाएगा।
52 And he shall besiege thee in all thy gates, until thy high and fortified walls come down, in which thou didst trust, throughout all thy land; and he shall besiege thee in all thy gates throughout all thy land which the LORD thy God hath given thee.
५२और वे तेरे परमेश्वर यहोवा के दिये हुए सारे देश के सब फाटकों के भीतर तुझे घेर रखेंगे; वे तेरे सब फाटकों के भीतर तुझे उस समय तक घेरेंगे, जब तक तेरे सारे देश में तेरी ऊँची-ऊँची और दृढ़ शहरपनाहें जिन पर तू भरोसा करेगा गिर न जाएँ।
53 And thou shalt eat the fruit of thy own body, the flesh of thy sons and of thy daughters which the LORD thy God hath given thee, in the siege and in the straitness with which thy enemies shall distress thee:
५३तब घिर जाने और उस संकट के समय जिसमें तेरे शत्रु तुझको डालेंगे, तू अपने निज जन्माए बेटे-बेटियों का माँस जिन्हें तेरा परमेश्वर यहोवा तुझको देगा खाएगा।
54 [So that] the man [that is] tender among you, and very delicate, his eye shall be evil towards his brother, and towards the wife of his bosom, and towards the remnant of his children whom he shall leave:
५४और तुझ में जो पुरुष कोमल और अति सुकुमार हो वह भी अपने भाई, और अपनी प्राणप्रिय, और अपने बचे हुए बालकों को क्रूर दृष्टि से देखेगा;
55 So that he will not give to any of them of the flesh of his children whom he shall eat: because he hath nothing left him in the siege and in the straitness with which thy enemies shall distress thee in all thy gates.
५५और वह उनमें से किसी को भी अपने बालकों के माँस में से जो वह आप खाएगा कुछ न देगा, क्योंकि घिर जाने और उस संकट में, जिसमें तेरे शत्रु तेरे सारे फाटकों के भीतर तुझे घेर डालेंगे, उसके पास कुछ न रहेगा।
56 The tender and delicate woman among you, who would not venture to set the sole of her foot upon the ground for delicateness and tenderness, her eye shall be evil towards the husband of her bosom, and towards her son, and towards her daughter,
५६और तुझ में जो स्त्री यहाँ तक कोमल और सुकुमार हो कि सुकुमारपन के और कोमलता के मारे भूमि पर पाँव धरते भी डरती हो, वह भी अपने प्राणप्रिय पति, और बेटे, और बेटी को,
57 And towards her young one, her own offspring, and towards her children which she shall bear: for she shall eat them for want of all [things] secretly in the siege and straitness with which thy enemy shall distress thee in thy gates.
५७अपनी खेरी, वरन् अपने जने हुए बच्चों को क्रूर दृष्टि से देखेगी, क्योंकि घिर जाने और उस संकट के समय जिसमें तेरे शत्रु तुझे तेरे फाटकों के भीतर घेरकर रखेंगे, वह सब वस्तुओं की घटी के मारे उन्हें छिपके खाएगी।
58 If thou wilt not observe to do all the words of this law that are written in this book, that thou mayest fear this glorious and fearful name, THE LORD THY GOD;
५८“यदि तू इन व्यवस्था के सारे वचनों का पालन करने में, जो इस पुस्तक में लिखे हैं, चौकसी करके उस आदरणीय और भययोग्य नाम का, जो यहोवा तेरे परमेश्वर का है भय न माने,
59 Then the LORD will make thy plagues wonderful, and the plagues of thy seed, [even] great plagues, and of long continuance, and severe sicknesses, and of long continuance.
५९तो यहोवा तुझको और तेरे वंश को भयानक-भयानक दण्ड देगा, वे दुष्ट और बहुत दिन रहनेवाले रोग और भारी-भारी दण्ड होंगे।
60 Moreover, he will bring upon thee all the diseases of Egypt, of which thou wast afraid; and they shall cleave to thee.
६०और वह मिस्र के उन सब रोगों को फिर तेरे ऊपर लगा देगा, जिनसे तू भय खाता था; और वे तुझ में लगे रहेंगे।
61 Also every sickness, and every plague which [is] not written in the book of this law, them will the LORD bring upon thee, until thou art destroyed.
६१और जितने रोग आदि दण्ड इस व्यवस्था की पुस्तक में नहीं लिखे हैं, उन सभी को भी यहोवा तुझको यहाँ तक लगा देगा, कि तेरा सत्यानाश हो जाएगा।
62 And ye shall be left few in number, whereas ye were as the stars of heaven for multitude; because thou wouldst not obey the voice of the LORD thy God.
६२और तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की न मानेगा, इस कारण आकाश के तारों के समान अनगिनत होने के बदले तुझ में से थोड़े ही मनुष्य रह जाएँगे।
63 And it shall come to pass, [that] as the LORD rejoiced over you to do you good, and to multiply you; so the LORD will rejoice over you to destroy you, and to bring you to naught; and ye shall be plucked from off the land whither thou goest to possess it.
६३और जैसे अब यहोवा को तुम्हारी भलाई और बढ़ती करने से हर्ष होता है, वैसे ही तब उसको तुम्हारा नाश वरन् सत्यानाश करने से हर्ष होगा; और जिस भूमि के अधिकारी होने को तुम जा रहे हो उस पर से तुम उखाड़े जाओगे।
64 And the LORD shall scatter thee among all people from the one end of the earth even to the other; and there thou shalt serve other gods, which neither thou nor thy fathers have known, [even] wood and stone.
६४और यहोवा तुझको पृथ्वी के इस छोर से लेकर उस छोर तक के सब देशों के लोगों में तितर-बितर करेगा; और वहाँ रहकर तू अपने और अपने पुरखाओं के अनजाने काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना करेगा।
65 And among these nations shalt thou find no ease, neither shall the sole of thy foot have rest: but the LORD shall give thee there a trembling heart, and failing of eyes, and sorrow of mind:
६५और उन जातियों में तू कभी चैन न पाएगा, और न तेरे पाँव को ठिकाना मिलेगा; क्योंकि वहाँ यहोवा ऐसा करेगा कि तेरा हृदय काँपता रहेगा, और तेरी आँखें धुँधली पड़ जाएँगी, और तेरा मन व्याकुल रहेगा;
66 And thy life shall hang in doubt before thee; and thou shalt fear day and night, and shalt have no assurance of thy life:
६६और तुझको जीवन का नित्य सन्देह रहेगा; और तू दिन-रात थरथराता रहेगा, और तेरे जीवन का कुछ भरोसा न रहेगा।
67 In the morning thou shalt say, O that it were evening, and at evening thou shalt say, O that it were morning! for the fear of thy heart with which thou shalt fear, and for the sight of thy eyes which thou shalt see.
६७तेरे मन में जो भय बना रहेगा, और तेरी आँखों को जो कुछ दिखता रहेगा, उसके कारण तू भोर को आह मारकर कहेगा, ‘साँझ कब होगी!’ और साँझ को आह मारकर कहेगा, ‘भोर कब होगा!’
68 And the LORD shall bring thee into Egypt again with ships, by the way of which I have said to thee, Thou shalt see it no more again: and there ye shall be sold to your enemies for bond-men and bond-women, and no man shall buy [you].
६८और यहोवा तुझको नावों पर चढ़ाकर मिस्र में उस मार्ग से लौटा देगा, जिसके विषय में मैंने तुझ से कहा था, कि वह फिर तेरे देखने में न आएगा; और वहाँ तुम अपने शत्रुओं के हाथ दास-दासी होने के लिये बिकाऊ तो रहोगे, परन्तु तुम्हारा कोई ग्राहक न होगा।”

< Deuteronomy 28 >