< 2 Kings 10 >
1 And Ahab had seventy sons in Samaria. And Jehu wrote letters, and sent to Samaria, to the rulers of Jezreel, to the elders, and to them that brought up Ahab's [children], saying,
१अहाब के सत्तर बेटे, पोते, सामरिया में रहते थे। अतः येहू ने सामरिया में उन पुरनियों के पास, और जो यिज्रेल के हाकिम थे, और जो अहाब के लड़कों के पालनेवाले थे, उनके पास पत्रों को लिखकर भेजा,
2 Now as soon as this letter cometh to you, seeing your master's sons [are] with you, and [there are] with you chariots and horses, a fortified city also, and armor;
२“तुम्हारे स्वामी के बेटे, पोते तो तुम्हारे पास रहते हैं, और तुम्हारे रथ, और घोड़े भी हैं, और तुम्हारे एक गढ़वाला नगर, और हथियार भी हैं; तो इस पत्र के हाथ लगते ही,
3 Look out the best and meetest of your master's sons, and set [him] on his father's throne, and fight for your master's house.
३अपने स्वामी के बेटों में से जो सबसे अच्छा और योग्य हो, उसको छांटकर, उसके पिता की गद्दी पर बैठाओ, और अपने स्वामी के घराने के लिये लड़ो।”
4 But they were exceedingly afraid, and said, Behold, two kings stood not before him: how then shall we stand?
४परन्तु वे बहुत डर गए, और कहने लगे, “उसके सामने दो राजा भी ठहर न सके, फिर हम कहाँ ठहर सकेंगे?”
5 And he that [was] over the house, and he that [was] over the city, the elders also, and those who brought up [the children], sent to Jehu, saying, We [are] thy servants, and will do all that thou shalt bid us; we will not make any king: do thou [that which is] good in thy eyes.
५तब जो राजघराने के काम पर था, और जो नगर के ऊपर था, उन्होंने और पुरनियों और लड़कों के पालनेवालों ने येहू के पास यह कहला भेजा, “हम तेरे दास हैं, जो कुछ तू हम से कहे, उसे हम करेंगे; हम किसी को राजा न बनाएँगे, जो तुझे भाए वही कर।”
6 Then he wrote a letter the second time to them, saying, if ye [are] mine, and [if] ye will hearken to my voice, take ye the heads of the men your master's sons, and come to me to Jezreel by to-morrow this time. Now the king's sons [being] seventy persons, [were] with the great men of the city, who brought them up.
६तब उसने दूसरा पत्र लिखकर उनके पास भेजा, “यदि तुम मेरी ओर के हो और मेरी मानो, तो अपने स्वामी के बेटों-पोतों के सिर कटवाकर कल इसी समय तक मेरे पास यिज्रेल में हाजिर होना।” राजपुत्र तो जो सत्तर मनुष्य थे, वे उस नगर के रईसों के पास पलते थे।
7 And it came to pass, when the letter came to them, that they took the king's sons, and slew seventy persons, and put their heads in baskets, and sent [them] to him to Jezreel.
७यह पत्र उनके हाथ लगते ही, उन्होंने उन सत्तरों राजपुत्रों को पकड़कर मार डाला, और उनके सिर टोकरियों में रखकर यिज्रेल को उसके पास भेज दिए।
8 And there came a messenger, and told him, saying, They have brought the heads of the king's sons. And he said, Lay ye them in two heaps at the entrance of the gate until the morning.
८जब एक दूत ने उसके पास जाकर बता दिया, “राजकुमारों के सिर आ गए हैं।” तब उसने कहा, “उन्हें फाटक में दो ढेर करके सवेरे तक रखो।”
9 And it came to pass in the morning, that he went out, and stood, and said to all the people, Ye [are] righteous: behold, I conspired against my master, and slew him: but who slew all these?
९सवेरे उसने बाहर जा खड़े होकर सब लोगों से कहा, “तुम तो निर्दोष हो, मैंने अपने स्वामी से राजद्रोह की युक्ति करके उसे घात किया, परन्तु इन सभी को किसने मार डाला?
10 Know now that there shall fall to the earth nothing of the word of the LORD, which the LORD spoke concerning the house of Ahab; for the LORD hath done [that] which he spoke by his servant Elijah.
१०अब जान लो कि जो वचन यहोवा ने अपने दास एलिय्याह के द्वारा कहा था, उसे उसने पूरा किया है; जो वचन यहोवा ने अहाब के घराने के विषय कहा, उसमें से एक भी बात बिना पूरी हुए न रहेगी।”
11 So Jehu slew all that remained of the house of Ahab in Jezreel, and all his great men, and his kinsmen, and his priests, until he left him none remaining.
११तब अहाब के घराने के जितने लोग यिज्रेल में रह गए, उन सभी को और उसके जितने प्रधान पुरुष और मित्र और याजक थे, उन सभी को येहू ने मार डाला, यहाँ तक कि उसने किसी को जीवित न छोड़ा।
12 And he arose and departed, and came to Samaria. [And] as he [was] at the shearing-house in the way,
१२तब वह वहाँ से चलकर सामरिया को गया। और मार्ग में चरवाहों के ऊन कतरने के स्थान पर पहुँचा ही था,
13 Jehu met with the brethren of Ahaziah king of Judah, and said, Who [are] ye? And they answered, We [are] the brethren of Ahaziah; and we go down to salute the children of the king and the children of the queen.
१३कि यहूदा के राजा अहज्याह के भाई येहू से मिले और जब उसने पूछा, “तुम कौन हो?” तब उन्होंने उत्तर दिया, “हम अहज्याह के भाई हैं, और राजपुत्रों और राजमाता के बेटों का कुशल क्षेम पूछने को जाते हैं।”
14 And he said, Take them alive. And they took them alive, and slew them at the pit of the shearing-house, [even] two and forty men; neither left he any of them.
१४तब उसने कहा, “इन्हें जीवित पकड़ो।” अतः उन्होंने उनको जो बयालीस पुरुष थे, जीवित पकड़ा, और ऊन कतरने के स्थान की बावली पर मार डाला, उसने उनमें से किसी को न छोड़ा।
15 And when he had departed thence, he lighted on Jehonadab the son of Rechab [coming] to meet him: and he saluted him, and said to him, Is thy heart right, as my heart [is] with thy heart; And Jehonadab answered, It is. If it is, give [me] thy hand. And he gave [him] his hand; and he took him up to him into the chariot.
१५जब वह वहाँ से चला, तब रेकाब का पुत्र यहोनादाब सामने से आता हुआ उसको मिला। उसका कुशल उसने पूछकर कहा, “मेरा मन तो तेरे प्रति निष्कपट है, क्या तेरा मन भी वैसा ही है?” यहोनादाब ने कहा, “हाँ, ऐसा ही है।” फिर उसने कहा, “ऐसा हो, तो अपना हाथ मुझे दे।” उसने अपना हाथ उसे दिया, और वह यह कहकर उसे अपने पास रथ पर चढ़ाने लगा,
16 And he said, Come with me, and see my zeal for the LORD. So they made him ride in his chariot.
१६“मेरे संग चल और देख, कि मुझे यहोवा के निमित्त कैसी जलन रहती है।” तब वह उसके रथ पर चढ़ा दिया गया।
17 And when he came to Samaria, he slew all that remained to Ahab in Samaria, till he had destroyed him, according to the saying of the LORD, which he spoke to Elijah.
१७सामरिया को पहुँचकर उसने यहोवा के उस वचन के अनुसार जो उसने एलिय्याह से कहा था, अहाब के जितने सामरिया में बचे रहे, उन सभी को मार के विनाश किया।
18 And Jehu convened all the people, and said to them, Ahab served Baal a little; [but] Jehu shall serve him much.
१८तब येहू ने सब लोगों को इकट्ठा करके कहा, “अहाब ने तो बाल की थोड़ी ही उपासना की थी, अब येहू उसकी उपासना बढ़के करेगा।
19 Now therefore call to me all the prophets of Baal, all his servants, and all his priests; let none be wanting: for I have a great sacrifice [to do] to Baal: whoever shall be wanting, he shall not live. But Jehu did [it] in subtilty, to the intent that he might destroy the worshipers of Baal.
१९इसलिए अब बाल के सब नबियों, सब उपासकों और सब याजकों को मेरे पास बुला लाओ, उनमें से कोई भी न रह जाए; क्योंकि बाल के लिये मेरा एक बड़ा यज्ञ होनेवाला है; जो कोई न आए वह जीवित न बचेगा।” येहू ने यह काम कपट करके बाल के सब उपासकों को नाश करने के लिये किया।
20 And Jehu said, Proclaim a solemn assembly for Baal. And they proclaimed [it].
२०तब येहू ने कहा, “बाल की एक पवित्र महासभा का प्रचार करो।” और लोगों ने प्रचार किया।
21 And Jehu sent through all Israel: and all the worshipers of Baal came, so that there was not a man left that came not. And they came into the house of Baal; and the house of Baal was full from one end to another.
२१येहू ने सारे इस्राएल में दूत भेजे; तब बाल के सब उपासक आए, यहाँ तक कि ऐसा कोई न रह गया जो न आया हो। वे बाल के भवन में इतने आए, कि वह एक सिरे से दूसरे सिरे तक भर गया।
22 And he said to him that [was] over the vestry, Bring forth vestments for all the worshipers of Baal. And he brought them forth vestments.
२२तब उसने उस मनुष्य से जो वस्त्र के घर का अधिकारी था, कहा, “बाल के सब उपासकों के लिये वस्त्र निकाल ले आ।” अतः वह उनके लिये वस्त्र निकाल ले आया।
23 And Jehu went, and Jehonadab the son of Rechab, into the house of Baal, and said to the worshipers of Baal, Search, and look that there are here with you none of the servants of the LORD, but the worshipers of Baal only.
२३तब येहू रेकाब के पुत्र यहोनादाब को संग लेकर बाल के भवन में गया, और बाल के उपासकों से कहा, “ढूँढ़कर देखो, कि यहाँ तुम्हारे संग यहोवा का कोई उपासक तो नहीं है, केवल बाल ही के उपासक हैं।”
24 And when they went in to offer sacrifices and burnt-offerings, Jehu appointed eighty men without, and said, [If] any of the men whom I have brought into your hands escape, [he that letteth him go], his life [shall be] for the life of him.
२४तब वे मेलबलि और होमबलि चढ़ाने को भीतर गए। येहू ने तो अस्सी पुरुष बाहर ठहराकर उनसे कहा था, “यदि उन मनुष्यों में से जिन्हें मैं तुम्हारे हाथ कर दूँ, कोई भी बचने पाए, तो जो उसे जाने देगा उसका प्राण, उसके प्राण के बदले जाएगा।”
25 And it came to pass, as soon as he had made an end of offering the burnt-offering, that Jehu said to the guard and to the captains, Go in, [and] slay them; let none come forth. And they smote them with the edge of the sword; and the guard and the captains cast [them] out, and went to the city of the house of Baal.
२५फिर जब होमबलि चढ़ चुका, तब येहू ने पहरुओं और सरदारों से कहा, “भीतर जाकर उन्हें मार डालो; कोई निकलने न पाए।” तब उन्होंने उन्हें तलवार से मारा और पहरुए और सरदार उनको बाहर फेंककर बाल के भवन के नगर को गए।
26 And they brought forth the images out of the house of Baal, and burned them.
२६और उन्होंने बाल के भवन में की लाठें निकालकर फूँक दीं।
27 And they broke down the image of Baal, and broke down the house of Baal, and made it a draught-house to this day.
२७और बाल के स्तम्भ को उन्होंने तोड़ डाला; और बाल के भवन को ढाकर शौचालय बना दिया; और वह आज तक ऐसा ही है।
28 Thus Jehu destroyed Baal out of Israel.
२८अतः येहू ने बाल को इस्राएल में से नाश करके दूर किया।
29 Yet [from] the sins of Jeroboam the son of Nebat, who made Israel to sin, Jehu departed not from after them, [to wit], the golden calves that [were] in Beth-el, and that [were] in Dan.
२९तो भी नबात के पुत्र यारोबाम, जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार करने, अर्थात् बेतेल और दान में के सोने के बछड़ों की पूजा, उससे येहू अलग न हुआ।
30 And the LORD said to Jehu, Because thou hast done well in executing [that which is] right in my eyes, [and] hast done to the house of Ahab according to all that [was] in my heart, thy children of the fourth [generation] shall sit on the throne of Israel.
३०यहोवा ने येहू से कहा, “इसलिए कि तूने वह किया, जो मेरी दृष्टि में ठीक है, और अहाब के घराने से मेरी इच्छा के अनुसार बर्ताव किया है, तेरे परपोते के पुत्र तक तेरी सन्तान इस्राएल की गद्दी पर विराजती रहेगी।”
31 But Jehu took no heed to walk in the law of the LORD God of Israel with all his heart: for he departed not from the sins of Jeroboam, who made Israel to sin.
३१परन्तु येहू ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की व्यवस्था पर पूर्ण मन से चलने की चौकसी न की, वरन् यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार करने से वह अलग न हुआ।
32 In those days the LORD began to cut Israel short: and Hazael smote them in all the borders of Israel;
३२उन दिनों यहोवा इस्राएल की सीमा को घटाने लगा, इसलिए हजाएल ने इस्राएल के उन सारे देशों में उनको मारा:
33 From Jordan eastward, all the land of Gilead, the Gadites, and the Reubenites, and the Manassites, from Aroer, which [is] by the river Arnon, even Gilead and Bashan.
३३यरदन से पूरब की ओर गिलाद का सारा देश, और गादी और रूबेनी और मनश्शेई का देश अर्थात् अरोएर से लेकर जो अर्नोन की तराई के पास है, गिलाद और बाशान तक।
34 Now the rest of the acts of Jehu, and all that he did, and all his might, [are] they not written in the book of the chronicles of the kings of Israel?
३४येहू के और सब काम और जो कुछ उसने किया, और उसकी पूर्ण वीरता, यह सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?
35 And Jehu slept with his fathers: and they buried him in Samaria. And Jehoahaz his son reigned in his stead.
३५अन्त में येहू मरकर अपने पुरखाओं के संग जा मिला, और सामरिया में उसको मिट्टी दी गई, और उसका पुत्र यहोआहाज उसके स्थान पर राजा बन गया।
36 And the time that Jehu reigned over Israel in Samaria [was] twenty and eight years.
३६येहू के सामरिया में इस्राएल पर राज्य करने का समय तो अट्ठाईस वर्ष का था।