< 1 Kings 21 >
1 And it came to pass after these things, [that] Naboth the Jezreelite had a vineyard, which [was] in Jezreel, hard by the palace of Ahab king of Samaria.
१नाबोत नामक एक यिज्रेली की एक दाख की बारी सामरिया के राजा अहाब के राजभवन के पास यिज्रेल में थी।
2 And Ahab spoke to Naboth, saying, Give me thy vineyard, that I may have it for a garden of herbs, because it [is] near to my house: and I will give thee for it a better vineyard than it; [or] if it seemeth good to thee, I will give thee the worth of it in money.
२इन बातों के बाद अहाब ने नाबोत से कहा, “तेरी दाख की बारी मेरे घर के पास है, तू उसे मुझे दे कि मैं उसमें साग-पात की बारी लगाऊँ; और मैं उसके बदले तुझे उससे अच्छी एक वाटिका दूँगा, नहीं तो तेरी इच्छा हो तो मैं तुझे उसका मूल्य दे दूँगा।”
3 And Naboth said to Ahab, The LORD forbid it me, that I should give the inheritance of my fathers to thee.
३नाबोत ने अहाब से कहा, “यहोवा न करे कि मैं अपने पुरखाओं का निज भाग तुझे दूँ!”
4 And Ahab came into his house heavy and displeased, because of the word which Naboth the Jezreelite had spoken to him: for he had said, I will not give thee the inheritance of my fathers. And he laid himself down upon his bed, and turned away his face, and would eat no bread.
४यिज्रेली नाबोत के इस वचन के कारण “मैं तुझे अपने पुरखाओं का निज भाग न दूँगा,” अहाब उदास और अप्रसन्न होकर अपने घर गया, और बिछौने पर लेट गया और मुँह फेर लिया, और कुछ भोजन न किया।
5 But Jezebel his wife came to him, and said to him, Why is thy spirit so sad, that thou eatest no bread?
५तब उसकी पत्नी ईजेबेल ने उसके पास आकर पूछा, “तेरा मन क्यों ऐसा उदास है कि तू कुछ भोजन नहीं करता?”
6 And he said to her, Because I spoke to Naboth the Jezreelite, and said to him, Give me thy vineyard for money; or else, if it pleaseth thee, I will give thee [another] vineyard for it: and he answered, I will not give thee my vineyard.
६उसने कहा, “कारण यह है, कि मैंने यिज्रेली नाबोत से कहा ‘रुपया लेकर मुझे अपनी दाख की बारी दे, नहीं तो यदि तू चाहे तो मैं उसके बदले दूसरी दाख की बारी दूँगा’; और उसने कहा, ‘मैं अपनी दाख की बारी तुझे न दूँगा।’”
7 And Jezebel his wife said to him, Dost thou now govern the kingdom of Israel? arise, [and] eat bread, and let thy heart be merry: I will give thee the vineyard of Naboth the Jezreelite.
७उसकी पत्नी ईजेबेल ने उससे कहा, “क्या तू इस्राएल पर राज्य करता है कि नहीं? उठकर भोजन कर; और तेरा मन आनन्दित हो; यिज्रेली नाबोत की दाख की बारी मैं तुझे दिलवा दूँगी।”
8 So she wrote letters in Ahab's name, and sealed [them] with his seal, and sent the letters to the elders and to the nobles that [were] in his city, dwelling with Naboth.
८तब उसने अहाब के नाम से चिट्ठी लिखकर उसकी अंगूठी की छाप लगाकर, उन पुरनियों और रईसों के पास भेज दी जो उसी नगर में नाबोत के पड़ोस में रहते थे।
9 And she wrote in the letters, saying, Proclaim a fast, and set Naboth on high among the people:
९उस चिट्ठी में उसने यह लिखा, “उपवास का प्रचार करो, और नाबोत को लोगों के सामने ऊँचे स्थान पर बैठाना।
10 And set two men, sons of Belial, before him, to bear witness against him, saying, Thou didst blaspheme God and the king. And [then] carry him out, and stone him, that he may die.
१०तब दो नीच जनों को उसके सामने बैठाना जो साक्षी देकर उससे कहें, ‘तूने परमेश्वर और राजा दोनों की निन्दा की।’ तब तुम लोग उसे बाहर ले जाकर उसको पथरवाह करना, कि वह मर जाए।”
11 And the men of his city, [even] the elders and the nobles who were the inhabitants in his city, did as Jezebel had sent to them, [and] as it [was] written in the letters which she had sent to them.
११ईजेबेल की चिट्ठी में की आज्ञा के अनुसार नगर में रहनेवाले पुरनियों और रईसों ने उपवास का प्रचार किया,
12 They proclaimed a fast, and set Naboth on high among the people.
१२और नाबोत को लोगों के सामने ऊँचे स्थान पर बैठाया।
13 And there came in two men, children of Belial, and sat before him: and the men of Belial witnessed against him, [even] against Naboth, in the presence of the people, saying, Naboth blasphemed God and the king. Then they carried him forth out of the city, and stoned him with stones, that he died.
१३तब दो नीच जन आकर उसके सम्मुख बैठ गए; और उन नीच जनों ने लोगों के सामने नाबोत के विरुद्ध यह साक्षी दी, “नाबोत ने परमेश्वर और राजा दोनों की निन्दा की।” इस पर उन्होंने उसे नगर से बाहर ले जाकर उसको पथरवाह किया, और वह मर गया।
14 Then they sent to Jezebel, saying, Naboth is stoned, and is dead.
१४तब उन्होंने ईजेबेल के पास यह कहला भेजा कि नाबोत पथरवाह करके मार डाला गया है।
15 And it came to pass, when Jezebel heard that Naboth was stoned, and was dead, that Jezebel said to Ahab, Arise, take possession of the vineyard of Naboth the Jezreelite, which he refused to give thee for money: for Naboth is not alive, but dead.
१५यह सुनते ही कि नाबोत पथरवाह करके मार डाला गया है, ईजेबेल ने अहाब से कहा, “उठकर यिज्रेली नाबोत की दाख की बारी को जिसे उसने तुझे रुपया लेकर देने से भी इन्कार किया था अपने अधिकार में ले, क्योंकि नाबोत जीवित नहीं परन्तु वह मर गया है।”
16 And it came to pass, when Ahab heard that Naboth was dead, that Ahab arose to go down to the vineyard of Naboth the Jezreelite, to take possession of it.
१६यिज्रेली नाबोत की मृत्यु का समाचार पाते ही अहाब उसकी दाख की बारी अपने अधिकार में लेने के लिये वहाँ जाने को उठ खड़ा हुआ।
17 And the word of the LORD came to Elijah the Tishbite, saying,
१७तब यहोवा का यह वचन तिशबी एलिय्याह के पास पहुँचा,
18 Arise, go down to meet Ahab king of Israel, who [is] in Samaria: behold, [he is] in the vineyard of Naboth, whither he is gone down to possess it.
१८“चल, सामरिया में रहनेवाले इस्राएल के राजा अहाब से मिलने को जा; वह तो नाबोत की दाख की बारी में है, उसे अपने अधिकार में लेने को वह वहाँ गया है।
19 And thou shalt speak to him, saying, Thus saith the LORD, Hast thou killed, and also taken possession? And thou shalt speak to him, saying, Thus saith the LORD, In the place where dogs licked the blood of Naboth shall dogs lick thy blood, even thine.
१९और उससे यह कहना, कि यहोवा यह कहता है, ‘क्या तूने घात किया, और अधिकारी भी बन बैठा?’ फिर तू उससे यह भी कहना, कि यहोवा यह कहता है, ‘जिस स्थान पर कुत्तों ने नाबोत का लहू चाटा, उसी स्थान पर कुत्ते तेरा भी लहू चाटेंगे।’”
20 And Ahab said to Elijah, Hast thou found me, O my enemy? And he answered, I have found [thee]: because thou hast sold thyself to work evil in the sight of the LORD.
२०एलिय्याह को देखकर अहाब ने कहा, “हे मेरे शत्रु! क्या तूने मेरा पता लगाया है?” उसने कहा, “हाँ, लगाया तो है; और इसका कारण यह है, कि जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, उसे करने के लिये तूने अपने को बेच डाला है।
21 Behold, I will bring evil upon thee, and will take away thy posterity, and will cut off from Ahab the males, and him that is shut up and left in Israel,
२१मैं तुझ पर ऐसी विपत्ति डालूँगा, कि तुझे पूरी रीति से मिटा डालूँगा; और तेरे घर के एक-एक लड़के को और क्या बन्धुए, क्या स्वाधीन इस्राएल में हर एक रहनेवाले को भी नाश कर डालूँगा।
22 And will make thy house like the house of Jeroboam the son of Nebat, and like the house of Baasha the son of Ahijah, for the provocation with which thou hast provoked [me] to anger, and made Israel to sin.
२२और मैं तेरा घराना नबात के पुत्र यारोबाम, और अहिय्याह के पुत्र बाशा का सा कर दूँगा; इसलिए कि तूने मुझे क्रोधित किया है, और इस्राएल से पाप करवाया है।
23 And of Jezebel also spoke the LORD, saying, the dogs shall eat Jezebel by the wall of Jezreel.
२३और ईजेबेल के विषय में यहोवा यह कहता है, ‘यिज्रेल के किले के पास कुत्ते ईजेबेल को खा डालेंगे।’
24 Him that dieth of Ahab in the city the dogs shall eat; and him that dieth in the field shall the fowls of the air eat.
२४अहाब का जो कोई नगर में मर जाएगा उसको कुत्ते खा लेंगे; और जो कोई मैदान में मर जाएगा उसको आकाश के पक्षी खा जाएँगे।”
25 But there was none like Ahab, who sold himself to work wickedness in the sight of the LORD, whom Jezebel his wife instigated.
२५सचमुच अहाब के तुल्य और कोई न था जिसने अपनी पत्नी ईजेबेल के उकसाने पर वह काम करने को जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, अपने को बेच डाला था।
26 And he did very abominably in following idols, according to all [things] as did the Amorites, whom the LORD cast out before the children of Israel.
२६वह तो उन एमोरियों के समान जिनको यहोवा ने इस्राएलियों के सामने से देश से निकाला था बहुत ही घिनौने काम करता था, अर्थात् मूरतों की उपासना करने लगा था।
27 And it came to pass, when Ahab heard those words, that he rent his clothes, and put sackcloth upon his flesh, and fasted, and lay in sackcloth, and went softly.
२७एलिय्याह के ये वचन सुनकर अहाब ने अपने वस्त्र फाड़े, और अपनी देह पर टाट लपेटकर उपवास करने और टाट ही ओढ़े पड़ा रहने लगा, और दबे पाँवों चलने लगा।
28 And the word of the LORD came to Elijah the Tishbite, saying,
२८और यहोवा का यह वचन तिशबी एलिय्याह के पास पहुँचा,
29 Seest thou how Ahab humbleth himself before me? because he humbleth himself before me, I will not bring the evil in his days: [but] in his son's days will I bring the evil upon his house.
२९“क्या तूने देखा है कि अहाब मेरे सामने नम्र बन गया है? इस कारण कि वह मेरे सामने नम्र बन गया है मैं वह विपत्ति उसके जीते जी उस पर न डालूँगा परन्तु उसके पुत्र के दिनों में मैं उसके घराने पर वह विपत्ति भेजूँगा।”