< Matthew 7 >
1 Do not judge, and you will not be judged.
बुराई न करो, कि तुम्हारी भी बुराई न की जाए।
2 For with the judgment you judge, you will be judged, and with the measure that you measure, it will be measured out to you.
क्यूँकि जिस तरह तुम बुराई करते हो उसी तरह तुम्हारी भी बुराई की जाएगी और जिस पैमाने से तुम नापते हो उसी से तुम्हारे लिए नापा जाएगा।
3 Why do you look at the tiny piece of straw that is in your brother's eye, but you do not notice the log that is in your own eye?
तू क्यूँ अपने भाई की आँख के तिनके को देखता है और अपनी आँख के शहतीर पर ग़ौर नहीं करता?
4 How can you say to your brother, 'Let me take out the piece of straw that is in your eye,' while the log is in your own eye?
और जब तेरी ही आँख में शहतीर है तो तू अपने भाई से क्यूँ कर कह सकता है, 'ला, तेरी आँख में से तिनका निकाल दूँ?
5 You hypocrite! First take the log out of your own eye, and then you will see clearly to take out the piece of straw that is in your brother's eye.
ऐ रियाकार, पहले अपनी आँख में से तो शहतीर निकाल, फिर अपने भाई की आँख में से तिनके को अच्छी तरह देख कर निकाल सकता है।
6 Do not give what is holy to the dogs, and do not throw your pearls in front of the hogs. Otherwise they may trample them underfoot, and then turn and tear you to pieces.
पाक चीज़ कुत्तों को ना दो, और अपने मोती सुअरों के आगे न डालो, ऐसा न हो कि वो उनको पाँव के तले रौंदें और पलट कर तुम को फाड़ें।
7 Ask, and it will be given to you. Seek, and you will find. Knock, and it will be opened to you.
माँगो तो तुम को दिया जाएगा। ढूँडो तो पाओगे; दरवाज़ा खटखटाओ तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा।
8 For everyone who asks, receives; everyone who seeks, finds; and to the person who knocks, it will be opened.
क्यूँकि जो कोई माँगता है उसे मिलता है; और जो ढूँडता है वो पाता है और जो खटखटाता है उसके लिए खोला जाएगा।
9 Or which one of you, if his son asks for a loaf of bread, will give him a stone?
तुम में ऐसा कौन सा आदमी है, कि अगर उसका बेटा उससे रोटी माँगे तो वो उसे पत्थर दे?
10 Or if he asks for a fish, will give him a snake?
या अगर मछली माँगे तो उसे साँप दे!
11 Therefore, if you who are evil know how to give good gifts to your children, how much more will your Father in heaven give good things to those who ask him?
पस जबकि तुम बुरे होकर अपने बच्चों को अच्छी चीज़ें देना जानते हो, तो तुम्हारा बाप जो आसमान पर है; अपने माँगने वालों को अच्छी चीज़ें क्यूँ न देगा।
12 Therefore, whatever things you want people to do to you, you should also do to them, for this is the law and the prophets.
पस जो कुछ तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें वही तुम भी उनके साथ करो; क्यूँकि तौरेत और नबियों की ता'लीम यही है।
13 Enter through the narrow gate. For wide is the gate and broad is the way that leads to destruction, and there are many people who go through it.
तंग दरवाज़े से दाख़िल हो, क्यूँकि वो दरवाज़ा चौड़ा है, और वो रास्ता चौड़ा है जो हलाकत को पहुँचाता है; और उससे दाख़िल होने वाले बहुत हैं।
14 But the gate is narrow and the way is difficult that leads to life, and there are few who find it.
क्यूँकि वो दरवाज़ा तंग है और वो रास्ता सुकड़ा है जो ज़िन्दगी को पहुँचाता है और उस के पाने वाले थोड़े हैं।
15 Beware of false prophets, who come to you in sheep's clothing but are truly ravenous wolves.
झूठे नबियों से ख़बरदार रहो! जो तुम्हारे पास भेड़ों के भेस में आते हैं; मगर अन्दर से फाड़ने वाले भेड़िये की तरह हैं।
16 By their fruits you will know them. Do people gather grapes from a thornbush or figs from thistles?
उनके फलों से तुम उनको पहचान लोगे; क्या झाड़ियों से अंगूर या ऊँट कटारों से अंजीर तोड़ते हैं?
17 In the same way, every good tree produces good fruit, but the bad tree produces bad fruit.
इसी तरह हर एक अच्छा दरख़्त अच्छा फल लाता है और बुरा दरख़्त बुरा फल लाता है।
18 A good tree cannot produce bad fruit, nor can a bad tree produce good fruit.
अच्छा दरख़्त बुरा फल नहीं ला सकता, न बुरा दरख़्त अच्छा फल ला सकता है।
19 Every tree that does not produce good fruit is cut down and thrown into the fire.
जो दरख़्त अच्छा फल नहीं लाता वो काट कर आग में डाला जाता है।
20 So then, you will recognize them by their fruits.
पस उनके फलों से तुम उनको पहचान लोगे।
21 Not everyone who says to me, 'Lord, Lord,' will enter into the kingdom of heaven, but only those who do the will of my Father who is in heaven.
“जो मुझ से ऐ ख़ुदावन्द! ‘ऐ ख़ुदावन्द!’ कहते हैं उन में से हर एक आस्मान की बादशाही में दाख़िल न होगा। मगर वही जो मेरे आस्मानी बाप की मर्ज़ी पर चलता है।
22 Many people will say to me in that day, 'Lord, Lord, did we not prophesy in your name, in your name drive out demons, and in your name do many mighty deeds?'
उस दिन बहुत से मुझसे कहेंगे, ‘ऐ ख़ुदावन्द! ख़ुदावन्द! क्या हम ने तेरे नाम से नबुव्वत नहीं की, और तेरे नाम से बदरूहों को नहीं निकाला और तेरे नाम से बहुत से मोजिज़े नहीं दिखाए?’
23 Then will I openly declare to them, 'I never knew you! Get away from me, you evildoers!'
उस दिन मैं उन से साफ़ कह दूँगा, मेरी तुम से कभी वाक़फ़ियत न थी, ऐ बदकारो! मेरे सामने से चले जाओ।”
24 Therefore, everyone who hears my words and obeys them will be like a wise man who built his house upon a rock.
“पस जो कोई मेरी यह बातें सुनता और उन पर अमल करता है वह उस अक़्लमन्द आदमी की तरह ठहरेगा जिस ने चट्टान पर अपना घर बनाया।
25 The rain came down, the floods came, and the winds blew and beat upon that house, but it did not fall down, for it was built on the rock.
और मेंह बरसा और पानी चढ़ा और आन्धियाँ चलीं और उस घर पर टक्करें लगीं; लेकिन वो न गिरा क्यूँकि उस की बुनियाद चट्टान पर डाली गई थी।
26 But everyone who hears my words and does not obey them will be like a foolish man who built his house upon the sand.
और जो कोई मेरी यह बातें सुनता है और उन पर अमल नहीं करता वह उस बेवक़ूफ़ आदमी की तरह ठहरेगा जिस ने अपना घर रेत पर बनाया।
27 The rain came down, the floods came, and the winds blew and struck that house, and it fell, and its destruction was complete.”
और मेंह बरसा और पानी चढ़ा और आन्धियाँ चलीं, और उस घर को सदमा पहुँचा और वो गिर गया, और बिल्कुल बरबाद हो गया।”
28 It came about that when Jesus finished speaking these words, the crowds were astonished by his teaching,
जब ईसा ने यह बातें ख़त्म कीं तो ऐसा हुआ कि भीड़ उस की तालीम से हैरान हुई।
29 for he taught them as one who had authority, and not as their scribes.
क्यूँकि वह उन के आलिमों की तरह नहीं बल्कि साहिब — ए — इख़्तियार की तरह उनको ता'लीम देता था।