< Psalms 65 >

1 God, it is right/appropriate [for us] to praise you in Jerusalem, and to do what [we] have promised you that [we] would do,
प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन, गीत हे परमेश्वर, सिय्योन में स्तुति तेरी बाट जोहती है; और तेरे लिये मन्नतें पूरी की जाएँगी।
2 [because] you answer our prayers. People everywhere will come to you
हे प्रार्थना के सुननेवाले! सब प्राणी तेरे ही पास आएँगे।
3 because of the sins [that they have committed]. Our many sins are like a very heavy burden to us, but you forgive us.
अधर्म के काम मुझ पर प्रबल हुए हैं; हमारे अपराधों को तू क्षमा करेगा।
4 You are pleased with those whom you have chosen to live close to your temple. We are happy with all the blessings that we receive from [worshiping in] your sacred temple.
क्या ही धन्य है वह, जिसको तू चुनकर अपने समीप आने देता है, कि वह तेरे आँगनों में वास करे! हम तेरे भवन के, अर्थात् तेरे पवित्र मन्दिर के उत्तम-उत्तम पदार्थों से तृप्त होंगे।
5 [God, when we pray to you], you answer us and save us by doing awesome deeds; you are the one who rescues us; people who live in very remote places on the earth, on the other side of the oceans, trust in you.
हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, हे पृथ्वी के सब दूर-दूर देशों के और दूर के समुद्र पर के रहनेवालों के आधार, तू धार्मिकता से किए हुए अद्भुत कार्यों द्वारा हमें उत्तर देगा;
6 By your strength you put the mountains in their places, [showing that] you are very powerful.
तू जो पराक्रम का फेंटा कसे हुए, अपनी सामर्थ्य के पर्वतों को स्थिर करता है;
7 You calm the seas when they roar, and you stop the waves from crashing [on the shore]; you [also] calm people when they (make a great uproar/shout angrily together).
तू जो समुद्र का महाशब्द, उसकी तरंगों का महाशब्द, और देश-देश के लोगों का कोलाहल शान्त करता है;
8 People who live in very remote/distant places on the earth (are awed by/revere) you because of the miracles that you perform; because of what you do, people who live far to the west and far to the east shout joyfully.
इसलिए दूर-दूर देशों के रहनेवाले तेरे चिन्ह देखकर डर गए हैं; तू उदयाचल और अस्ताचल दोनों से जयजयकार कराता है।
9 You take care of the soil and send rain, causing many good things to grow; you fill the streams with water, and cause grain/crops to grow. That is what you have determined/said would happen.
तू भूमि की सुधि लेकर उसको सींचता है, तू उसको बहुत फलदायक करता है; परमेश्वर की नदी जल से भरी रहती है; तू पृथ्वी को तैयार करके मनुष्यों के लिये अन्न को तैयार करता है।
10 You [send plenty of rain] on the fields that have been plowed, and you fill the furrows with water. With showers you soften the [hard clods/lumps of] soil, and you bless the soil by causing young plants to grow.
१०तू रेघारियों को भली भाँति सींचता है, और उनके बीच की मिट्टी को बैठाता है, तू भूमि को मेंह से नरम करता है, और उसकी उपज पर आशीष देता है।
11 Because you bless the soil, there are very good crops at harvest season; wherever you have gone [MTY], good crops are very abundant [IDM].
११तेरी भलाइयों से, तू वर्ष को मुकुट पहनता है; तेरे मार्गों में उत्तम-उत्तम पदार्थ पाए जाते हैं।
12 The pastures are full of flocks [of sheep and goats]; [it is as though] the hills are very joyful.
१२वे जंगल की चराइयों में हरियाली फूट पड़ती हैं; और पहाड़ियाँ हर्ष का फेंटा बाँधे हुए है।
13 The meadows are full of sheep and goats, and the valleys are full of grain; [it is as though] they [also] sing and shout joyfully.
१३चराइयाँ भेड़-बकरियों से भरी हुई हैं; और तराइयाँ अन्न से ढँपी हुई हैं, वे जयजयकार करती और गाती भी हैं।

< Psalms 65 >