< Psalms 139 >
1 Yahweh, you have examined me, and you know [everything about] me.
ऐ ख़ुदावन्द! तूने मुझे जाँच लिया और पहचान लिया।
2 You know when I sit down and when I stand up. [Even though you are] far away from me, you know what I am thinking.
तू मेरा उठना बैठना जानता है; तू मेरे ख़याल को दूर से समझ लेता है।
3 When I travel and when I lie down, you know everything that I do.
तू मेरे रास्ते की और मेरी ख़्वाबगाह की छान बीन करता है, और मेरे सब चाल चलन से वाक़िफ़ है।
4 Yahweh, even before I say [MTY] anything, you know everything that I am going to say!
देख! मेरी ज़बान पर कोई ऐसी बात नहीं, जिसे तू ऐ ख़ुदावन्द पूरे तौर पर न जानता हो।
5 You protect me on all sides; you put your hand on me [to protect me with your power] [MTY].
तूने मुझे आगे पीछे से घेर रखा है, और तेरा हाथ मुझ पर है।
6 I am not able to understand that you know [everything about me]. That is too great for me to really understand.
यह इरफ़ान मेरे लिए बहुत 'अजीब है; यह बुलन्द है, मैं इस तक पहुँच नहीं सकता।
7 (Where could I go to escape from your Spirit?/I could not go anywhere to escape from your Spirit.) [RHQ] (Where could I go to get away from you?/I could not go anywhere to get away from you.) [RHQ]
मैं तेरी रूह से बचकर कहाँ जाऊँ? या तेरे सामने से किधर भागूँ?
8 If I went up to heaven, you would be there. If I lay down in the place where the dead people are, you would be there. (Sheol )
अगर आसमान पर चढ़ जाऊँ, तो तू वहाँ है। अगर मैं पाताल में बिस्तर बिछाऊँ, तो देख तू वहाँ भी है! (Sheol )
9 If I had wings and flew very far east [MTY], or if I flew west and made a place to live [on an island] in the ocean,
अगर मैं सुबह के पर लगाकर, समन्दर की इन्तिहा में जा बसूँ,
10 you would be there also, to lead me by your hand, and you would help me.
तो वहाँ भी तेरा हाथ मेरी राहनुमाई करेगा, और तेरा दहना हाथ मुझे संभालेगा।
11 I could request the darkness to hide me, or I could request the light around me to become darkness,
अगर मैं कहूँ कि यक़ीनन तारीकी मुझे छिपा लेगी, और मेरी चारों तरफ़ का उजाला रात बन जाएगा।
12 but even [if that happened], the darkness would not be darkness for you! For you, the night is [as bright] as the daytime is, because for you, daylight and darkness are (not different/the same).
तो अँधेरा भी तुझ से छिपा नहीं सकता, बल्कि रात भी दिन की तरह रोशन है; अँधेरा और उजाला दोनों एक जैसे हैं।
13 You created [all] the parts of my body; you put [the parts of] my body together when I was still in my mother’s womb.
क्यूँकि मेरे दिल को तू ही ने बनाया; मेरी माँ के पेट में तू ही ने मुझे सूरत बख़्शी।
14 I praise you because you made my [body in a very] awesome and wonderful way. Everything that you do is amazing! I know that very well.
मैं तेरा शुक्र करूँगा, क्यूँकि मैं 'अजीबओ — ग़रीब तौर से बना हूँ। तेरे काम हैरत अंगेज़ हैं मेरा दिल इसे खू़ब जानता है।
15 When my body was being formed, while it was being put together where no one else could see it, you saw it!
जब मैं पोशीदगी में बन रहा था, और ज़मीन के तह में 'अजीब तौर से मुरतब हो रहा था, तो मेरा क़ालिब तुझ से छिपा न था।
16 You saw me before I was born. You wrote in your book the number of days that you had decided that I would live. You did that before any of those days had [even] started!
तेरी आँखों ने मेरे बेतरतीब माद्दे को देखा, और जो दिन मेरे लिए मुक़र्रर थे, वह सब तेरी किताब में लिखे थे; जब कि एक भी वुजूद में न आया था।
17 God, what you think about me is very precious (OR, is very hard to understand). There is a great number of things that you think about.
ऐ ख़ुदा! तेरे ख़याल मेरे लिए कैसे बेशबहा हैं। उनका मजमूआ कैसा बड़ा है!
18 If I could count them, [I would see that] they are more than the grains of sand [at the seashore]. And when I wake up, I am still with you [and I know that there are still more of your thoughts about me to count].
अगर मैं उनको गिनूँ तो वह शुमार में रेत से भी ज़्यादा हैं। जाग उठते ही तुझे अपने साथ पाता हूँ।
19 God, I desire that you would kill all the wicked people! And I wish that violent [MTY] men would (leave/go away from) me.
ऐ ख़ुदा! काश के तू शरीर को क़त्ल करे। इसलिए ऐ ख़ूनख़्वारो! मेरे पास से दूर हो जाओ।
20 They say wicked/malicious things about you; they slander your name.
क्यूँकि वह शरारत से तेरे ख़िलाफ़ बातें करते हैं: और तेरे दुश्मन तेरा नाम बेफ़ायदा लेते हैं।
21 Yahweh, I certainly [RHQ] hate those who hate you! And I despise [RHQ] those who rebel against you.
ऐ ख़ुदावन्द! क्या मैं तुझ से 'अदावत रखने वालों से 'अदावत नहीं रखता, और क्या मैं तेरे मुख़ालिफ़ों से बेज़ार नहीं हूँ?
22 I hate them completely, and I consider that they are my enemies.
मुझे उनसे पूरी 'अदावत है, मैं उनको अपने दुश्मन समझता हूँ।
23 God, search my inner being; find out what I am thinking!
ऐ ख़ुदा, तू मुझे जाँच और मेरे दिल को पहचान। मुझे आज़मा और मेरे ख़यालों को जान ले!
24 Find out whether there is anything evil in my [inner being], and lead me along the road [that leads to my being with you] forever.
और देख कि मुझ में कोई बुरा चाल चलन तो नहीं, और मुझ को हमेशा की राह में ले चल!