< Psalms 135 >
1 Praise Yahweh! You who (do work for/serve) Yahweh, praise him!
१यहोवा की स्तुति करो, यहोवा के नाम की स्तुति करो, हे यहोवा के सेवकों उसकी स्तुति करो,
2 You who stand in the temple of Yahweh our God and in the surrounding courtyard, praise him [MTY]!
२तुम जो यहोवा के भवन में, अर्थात् हमारे परमेश्वर के भवन के आँगनों में खड़े रहते हो!
3 Praise Yahweh, because he does good things [for us]; sing to him [MTY], because he is kind [to us].
३यहोवा की स्तुति करो, क्योंकि वो भला है; उसके नाम का भजन गाओ, क्योंकि यह मनोहर है!
4 He has chosen [us, the descendants of] Jacob; he has chosen [us] Israelis to belong to him [DOU].
४यहोवा ने तो याकूब को अपने लिये चुना है, अर्थात् इस्राएल को अपना निज धन होने के लिये चुन लिया है।
5 I know that Yahweh is great; he is greater than all the gods.
५मैं तो जानता हूँ कि यहोवा महान है, हमारा प्रभु सब देवताओं से ऊँचा है।
6 Yahweh does whatever he desires to do, in heaven and on the earth and in the seas/oceans, [down] to the bottom of the seas.
६जो कुछ यहोवा ने चाहा उसे उसने आकाश और पृथ्वी और समुद्र और सब गहरे स्थानों में किया है।
7 He is the one who causes clouds to appear from very distant places on the earth; he sends lightning with the rain, and he brings the winds from the places where he stores them.
७वह पृथ्वी की छोर से कुहरे उठाता है, और वर्षा के लिये बिजली बनाता है, और पवन को अपने भण्डार में से निकालता है।
8 He is the one who killed [all] the firstborn [males] in Egypt, the firstborn of people and of animals.
८उसने मिस्र में क्या मनुष्य क्या पशु, सब के पहिलौठों को मार डाला!
9 There he performed many kinds of miracles [DOU] to punish the king and all his officials.
९हे मिस्र, उसने तेरे बीच में फ़िरौन और उसके सब कर्मचारियों के विरुद्ध चिन्ह और चमत्कार किए।
10 He destroyed many nations and the powerful kings [who ruled them]:
१०उसने बहुत सी जातियाँ नाश की, और सामर्थी राजाओं को,
11 Sihon, the king of the Amor people-group, and Og, the king of Bashan [region], and all the other kings in Canaan [land].
११अर्थात् एमोरियों के राजा सीहोन को, और बाशान के राजा ओग को, और कनान के सब राजाओं को घात किया;
12 Then he gave their land to [us] Israeli people to belong to us [forever].
१२और उनके देश को बाँटकर, अपनी प्रजा इस्राएल का भाग होने के लिये दे दिया।
13 Yahweh your name will endure forever, and people who are not yet born will remember the great things [that you have done].
१३हे यहोवा, तेरा नाम सदा स्थिर है, हे यहोवा, जिस नाम से तेरा स्मरण होता है, वह पीढ़ी-पीढ़ी बना रहेगा।
14 Yahweh, [you] declare that we your people (are innocent/have not done things that are wrong), and you are merciful to us.
१४यहोवा तो अपनी प्रजा का न्याय चुकाएगा, और अपने दासों की दुर्दशा देखकर तरस खाएगा।
15 But the idols that the [other] people-groups [worship] are only [statues made of] silver and gold, things that humans have made.
१५अन्यजातियों की मूरतें सोना-चाँदी ही हैं, वे मनुष्यों की बनाई हुई हैं।
16 Their idols have mouths, but they cannot say [anything]; they have eyes, but they cannot see [anything].
१६उनके मुँह तो रहता है, परन्तु वे बोल नहीं सकती, उनके आँखें तो रहती हैं, परन्तु वे देख नहीं सकती,
17 They have ears, but they cannot hear [anything], and they are not [even able to] breathe.
१७उनके कान तो रहते हैं, परन्तु वे सुन नहीं सकती, न उनमें कुछ भी साँस चलती है।
18 The people who make those idols are as [powerless as] those idols, and those who trust in those idols [can accomplish no more than] their idols can!
१८जैसी वे हैं वैसे ही उनके बनानेवाले भी हैं; और उन पर सब भरोसा रखनेवाले भी वैसे ही हो जाएँगे!
19 [My fellow] Israelis, praise Yahweh! You [priests] who are descended from Aaron, praise Yahweh!
१९हे इस्राएल के घराने, यहोवा को धन्य कह! हे हारून के घराने, यहोवा को धन्य कह!
20 You [men] who are descended from Levi, [you who assist the priests], praise Yahweh! [All] you who revere Yahweh, praise him!
२०हे लेवी के घराने, यहोवा को धन्य कह! हे यहोवा के डरवैयों, यहोवा को धन्य कहो!
21 Praise Yahweh in [the temple on] Zion [Hill] in Jerusalem, where he lives! Praise Yahweh!
२१यहोवा जो यरूशलेम में वास करता है, उसे सिय्योन में धन्य कहा जाए! यहोवा की स्तुति करो!