< Psalms 102 >
1 Yahweh, listen to what I am praying; hear me while I cry out to you!
संकट में पुकारा आक्रांत पुरुष की अभ्यर्थना. वह अत्यंत उदास है और याहवेह के सामने अपनी हृदय-पीड़ा का वर्णन कर रहा है याहवेह, मेरी प्रार्थना सुनिए; सहायता के लिए मेरी पुकार आप तक पहुंचे.
2 Do not (turn away/hide yourself) from me when I (have troubles/am distressed)! Listen to me, and answer me quickly now, when I am calling out to you!
मेरी पीड़ा के समय मुझसे अपना मुखमंडल छिपा न लीजिए. जब मैं पुकारूं. अपने कान मेरी ओर कीजिए; मुझे शीघ्र उत्तर दीजिए.
3 My life is ending, like smoke that disappears [SIM]; I have [a high fever which] burns my body like a fire burns [SIM].
धुएं के समान मेरा समय विलीन होता जा रहा है; मेरी हड्डियां दहकते अंगारों जैसी सुलग रही हैं.
4 [I feel like] I am drying up like grass [SIM] that has been beaten/trampled down, and I no longer have a desire to eat food.
घास के समान मेरा हृदय झुलस कर मुरझा गया है; मुझे स्मरण ही नहीं रहता कि मुझे भोजन करना है.
5 I groan loudly, and my bones can be seen under my skin [because I have become very thin].
मेरी सतत कराहटों ने मुझे मात्र हड्डियों एवं त्वचा का ढांचा बनाकर छोड़ा है.
6 I am like a [lonely and despised] vulture in the desert, like an owl by itself in the abandoned ruins [of a building/city].
मैं वन के उल्लू समान होकर रह गया हूं, उस उल्लू के समान, जो खंडहरों में निवास करता है.
7 I lie awake [at night]; [because there is no one to comfort me], I am like a lonely bird [sitting] on a housetop [SIM].
मैं सो नहीं पाता, मैं छत के एकाकी पक्षी-सा हो गया हूं.
8 All during the day my enemies insult me; those who make fun of me mention my name [and say, “May you be like him”] when they curse people.
दिन भर मैं शत्रुओं के ताने सुनता रहता हूं; जो मेरी निंदा करते हैं, वे मेरा नाम शाप के रूप में जाहिर करते हैं.
9 Because you are very angry [DOU] with me, now [I sit in] ashes [while I am suffering greatly]; and those ashes [fall on] the bread/food that I eat, and what I drink has my tears mixed with it. [It is as though] you have picked me up and thrown me away!
राख ही अब मेरा आहार हो गई है और मेरे आंसू मेरे पेय के साथ मिश्रित होते रहते हैं.
यह सब आपके क्रोध, उग्र कोप का परिणाम है क्योंकि आपने मुझे ऊंचा उठाया और आपने ही मुझे अलग फेंक दिया है.
11 My time to remain alive is like an evening shadow [that will soon be gone] [SIM]. I am withering like grass withers [in the hot sun].
मेरे दिन अब ढलती छाया-समान हो गए हैं; मैं घास के समान मुरझा रहा हूं.
12 But Yahweh, you are our king who rules [MTY] forever; people who are not yet born will remember you.
किंतु, याहवेह, आप सदा-सर्वदा सिंहासन पर विराजमान हैं; आपका नाम पीढ़ी से पीढ़ी स्थायी रहता है.
13 You will arise and be merciful to [the people of] [MTY] Jerusalem; it is now time for you to do that; this is the time for you to be kind to them.
आप उठेंगे और ज़ियोन पर मनोहरता करेंगे, क्योंकि यही सुअवसर है कि आप उस पर अपनी कृपादृष्टि प्रकाशित करें. वह ठहराया हुआ अवसर आ गया है.
14 Even though (the city has been destroyed/our enemies have destroyed our city), we who serve you still love the stones that [were formerly] in the city walls; because now there is rubble everywhere, we, your people, are very sad when we see it.
इस नगर का पत्थर-पत्थर आपके सेवकों को प्रिय है; यहां तक कि यहां की धूल तक उन्हें द्रवित कर देती है.
15 Yahweh, [some day the people of other] nations will revere you [MTY]; all the kings on earth will see that you are very glorious/great.
समस्त राष्ट्रों पर आपके नाम का आतंक छा जाएगा, पृथ्वी के समस्त राजा आपकी महिमा के सामने नतमस्तक हो जाएंगे.
16 You will rebuild Jerusalem, and you will appear there with your glory/brightness.
क्योंकि याहवेह ने ज़ियोन का पुनर्निर्माण किया है; वे अपने तेज में प्रकट हुए हैं.
17 You will listen to the prayers of your people who are homeless, and you will (not ignore them/do what they request) [LIT] when they plead with you to help them.
याहवेह लाचार की प्रार्थना का प्रत्युत्तर देते हैं; उन्होंने उनकी गिड़गिड़ाहट का तिरस्कार नहीं किया.
18 Yahweh, [I want to] write these words in order that people in future years [will know what] you have done, in order that people who are not born yet will praise you.
भावी पीढ़ी के हित में यह लिखा जाए, कि वे, जो अब तक अस्तित्व में ही नहीं आए हैं, याहवेह का स्तवन कर सकें:
19 They will know that you looked down from your holy/sacred place in heaven [DOU] and saw [what was happening on] the earth.
“याहवेह ने अपने महान मंदिर से नीचे की ओर दृष्टि की, उन्होंने स्वर्ग से पृथ्वी पर दृष्टि की,
20 They will know that you hear prisoners groaning and that you will set free those who have been told, “You will be executed.”
कि वह बंदियों का कराहना सुनें और उन्हें मुक्त कर दें, जिन्हें मृत्यु दंड दिया गया है.”
21 As a result, people in Jerusalem will praise you [DOU] for what you [have done]
कि मनुष्य ज़ियोन में याहवेह की महिमा की घोषणा कर सकें तथा येरूशलेम में उनका स्तवन,
22 when many people [from other people-groups] and [those who are citizens of other] kingdoms gather to worship you.
जब लोग तथा राज्य याहवेह की वंदना के लिए एकत्र होंगे.
23 [But now] you have caused me to become weak while I am still young; [I think that] I will (not live much longer/ very long/soon die).
मेरी जीवन यात्रा पूर्ण भी न हुई थी, कि उन्होंने मेरा बल शून्य कर दिया; उन्होंने मेरी आयु घटा दी.
24 I say to you, “My God, do not cause me to die now, before I become old! You live forever!
तब मैंने आग्रह किया: “मेरे परमेश्वर, मेरे जीवन के दिनों के पूर्ण होने के पूर्व ही मुझे उठा न लीजिए; आप तो पीढ़ी से पीढ़ी स्थिर ही रहते हैं.
25 You created the world long ago, and you made (the heavens/everything in the sky) with your own hands.
प्रभु, आपने प्रारंभ में ही पृथ्वी की नींव रखी, तथा आकाशमंडल आपके ही हाथों की कारीगरी है.
26 The earth and the heavens/sky will disappear, but you will remain. They will wear out like clothes wear out. You will get rid of them like [people get rid of] old clothes, and they will no longer exist,
वे तो नष्ट हो जाएंगे किंतु आप अस्तित्व में ही रहेंगे; वे सभी वस्त्र समान पुराने हो जाएंगे. आप उन्हें वस्त्रों के ही समान परिवर्तित कर देंगे उनका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.
27 but you are [not like the things that you created], [because you are] always the same; you never die.
आप न बदलनेवाले हैं, आपकी आयु का कोई अंत नहीं.
28 [Some day] our children will live safely [in Jerusalem], and their descendants will be protected in your presence.”
आपके सेवकों की सन्तति आपकी उपस्थिति में निवास करेंगी; उनके वंशज आपके सम्मुख स्थिर रहेंगे.”