< Numbers 20 >

1 In March/April [of the next year], the Israeli people traveled/walked to the Zin Desert and (camped/set up their tents) near Kadesh [town]. While they/we were there, [Moses’/my older sister] Miriam died and was buried there.
पहले महीने में सारे इस्राएल के घराने के लोग ज़िन के निर्जन प्रदेश में पहुंच गए. उन्होंने कादेश में पड़ाव डाला. यहां मिरियम की मृत्यु हो गई और उसे वहीं मिट्टी दी गई.
2 There was no water for the people to drink there, so they came to Aaron and Moses/me.
इस्राएल के घराने के पीने के लिए वहां जल उपलब्ध ही न था. वे लोग मोशेह तथा अहरोन के विरोध में एकजुट हो गए.
3 They complained and said, “We wish that we had died in front of Yahweh’s Sacred Tent when our fellow Israelis died!
लोगों ने मोशेह से यह कहते हुए झगड़ा करना शुरू कर दिया, “सही होता कि हम भी उसी अवसर पर नाश हो गए होते, जब हमारे भाई याहवेह के सामने नाश हुए जा रहे थे!
4 (Did you bring us, who are Yahweh’s people, into this desert to die along with our livestock?/You brought us, who are Yahweh’s people, into this desert to die along with our livestock!) [RHQ]
क्यों आप याहवेह की प्रजा को इस निर्जन प्रदेश में ले आए हैं, कि हम और हमारे पशु सभी मृत्यु के कौर हो जाएं?
5 Why did you bring us from Egypt to this miserable place [RHQ]? There is no grain, there are no figs, no grapes, and no pomegranates here. And there is no water for us to drink!”
क्यों आपने हमें मिस्र देश से निकलने के लिए मजबूर किया; क्या इस बेमतलब के स्थान में लाकर छोड़ने के लिए? यह तो अन्‍न या, अंजीरों या दाख-लताओं या अनारों का देश है ही नहीं, और न ही यहां हमारे लिए पीने का पानी उपलब्ध है!”
6 Aaron and Moses/I turned away from the people and went to the entrance of the Sacred Tent and prostrated themselves/ourselves on the ground. Then Yahweh appeared to them/us with his bright glory,
यह सुन मोशेह तथा अहरोन इस्राएली सभा के सामने से निकलकर मिलनवाले तंबू के प्रवेश के सामने आकर मुंह के बल गिर पड़े. यहां उन्हें याहवेह की महिमा के दर्शन हुआ.
7 and he said to Moses/me,
याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी,
8 “You and Aaron must take Aaron’s walking stick with you and gather all the people together. While the people are watching, command that water will flow out of that [large] rock over there. Water for the people will flow from it; all they and all their livestock will have enough water to drink.”
“अपनी लाठी अपने साथ लेकर तुम और तुम्हारा भाई अहरोन, सारी सभा को इकट्ठा कर उनकी दृष्टि में उस चट्टान से बात करो कि वह अपना जल निकाल दे. ऐसा करके तुम उस चट्टान में से उनके लिए जल निकालोगे कि सारी सभा तथा उनके पशु जल पी सकें.”
9 So Moses/I did what Yahweh told him/me to do. He/I took Aaron’s walking stick from the place in the Sacred Tent where it was kept.
फिर मोशेह ने याहवेह के सामने से वह लाठी उठा ली, ठीक जैसा आदेश उन्हें याहवेह की ओर से मिला था.
10 Then Aaron and he/I summoned all the people to gather at the rock. Then Moses/I shouted to them, “All you rebellious people, listen! Is it necessary for us to give you water from this rock?”
मोशेह एवं अहरोन ने सारी सभा को उस चट्टान के सामने इकट्ठा किया और उनसे कहा, “विद्रोहियो, अब मेरी सुनो. क्या अब हमें तुम्हारे लिए इस चट्टान से जल निकालना होगा?”
11 Then Moses/I raised his/my hand and [instead of speaking to the rock], he/I struck the rock two times with the walking stick. And water gushed/poured out. So all the people and their livestock drank all the water that they wanted.
यह कहते हुए मोशेह ने अपनी बांह ऊंची उठाकर अपनी लाठी से उस चट्टान पर दो बार वार किया और बहुत मात्रा में जल निकलने लगा. सारी सभा एवं पशुओं ने अपनी प्यास बुझा ली.
12 But Yahweh said to Aaron and Moses/me, “You did not believe that I could demonstrate my power to the Israeli people [and give them water without your striking the rock]. So you will not lead them into the land that I am giving to them!”
किंतु याहवेह ने मोशेह एवं अहरोन से कहा, “तुमने मुझमें विश्वास न करके इस्राएल के घराने के सामने मेरी पवित्रता की पुष्टि नहीं की, इसलिये तुम इस सभा को मेरे द्वारा दिए हुए देश में नहीं ले जाओगे.”
13 Later this place was called Meribah, [which means ‘arguing’], because there the Israeli people argued with Yahweh, and there he showed his power to them [by giving them water].
यह मेरिबाह का सोता था जहां इस्राएल के घराने ने याहवेह से झगड़ा किया था और यहां याहवेह ने स्वयं को उनके बीच पवित्र सिद्ध कर दिया.
14 [While the people were] at Kadesh [town], Moses/I sent messengers to the king of Edom to tell him this: “Your relatives, the Israeli people, are sending you this message. You know the many troubles/hardships that have happened to us.
मोशेह ने कादेश से एदोम के राजा को संदेशवाहकों के द्वारा यह संदेश भेजा: “आपके भाई इस्राएल की विनती यह है: आप तो हम पर आई कठिनाइयों को जानते हैं.
15 You know that our ancestors went down to Egypt. You know that they stayed there for many years. They suffered because the [rulers of] Egypt caused them to become their slaves [and to work very hard].
हमारे पूर्वजों ने मिस्र देश में प्रवास किया और हम वहां बहुत समय तक रहते रहे. मिस्रियों ने हमारे साथ तथा हमारे पूर्वजों के साथ क्रूरतापूर्वक व्यवहार किया,
16 “But when they called out to Yahweh, he heard them and sent an angel who brought them out of Egypt. Now we have set up our tents here at Kadesh, a town at the border of your land.
हमने इस पर याहवेह की गुहार लगाई और उन्होंने हमारी सुन ली, तथा अपना एक स्वर्गदूत भेजकर हमें मिस्र देश से निकाल लिया. “अब हम कादेश तक आ पहुंचे हैं, जो आपके देश की सीमा से लगा हुआ है.
17 Please allow us to travel through your country. We will [be careful to] not walk through your fields and your vineyards. We will not even drink water from your wells. As we travel, we will stay on the king’s highway, [the main road that goes from the south to the north], and we will not leave that road until we have crossed the border [of your country in the north].”
कृपया हमें अपने देश में से होकर निकल जाने की अनुमति दे दीजिए. हम न तो आपके किसी खेत में से होकर जाएंगे और न किसी दाख की बारी में से; यहां तक कि हम तो किसी कुएं के जल का भी उपयोग नहीं करेंगे. हम सिर्फ राजमार्ग का ही प्रयोग करेंगे, जब तक हम आपकी सीमा से पार न हो जाएं, हम न दायीं ओर जाएंगे, न बायीं ओर.”
18 But the king of Edom refused. He replied, “Stay out of my country! If you try [to enter it], I will [send my army to] attack you!”
किंतु इस विषय में एदोम का जवाब था: “आप लोग हमारे देश में से होकर नहीं जाएंगे, नहीं तो हम आपको तलवार से रोकेंगे.”
19 The Israeli messengers replied, “[If we travel through your country], we will stay on the main road. If we and any of our livestock drink any of your water, we will pay for it. We want only to travel through your country. We do not want anything else.”
इस्राएलियों ने उससे दोबारा विनती की: “हम सिर्फ राजमार्ग से ही यात्रा करेंगे और यदि हमारे पशु आपका ज़रा सा भी जल पिएंगे, तब हम इसका मूल्य भुगतान कर देंगे. हमें सिर्फ यहां से पैदल ही पैदल जाने की अनुमति दे दीजिए, इसके अलावा कुछ भी नहीं.”
20 But the king replied, “No! Stay out of our country! We will not [allow you] to travel through our land!” Then he sent the strongest soldiers in his army to prevent the Israelis [from entering his country].
किंतु उसका उत्तर यही था: “तुम यहां से होकर नहीं जाओगे.” तब एदोम उनके विरुद्ध एक मजबूत सेना तथा पक्‍के इरादे के साथ खड़ा हो गया.
21 So, because [the king of] Edom refused to allow the Israelis to travel through his country, the Israelis turned [and traveled a different way].
एदोम ने इस्राएल को अपने देश में से होकर जाने की अनुमति नहीं दी; इसलिये इस्राएल ने उस देश से होकर जाने का विचार छोड़ दिया.
22 The Israeli people left Kadesh. They went to Hor Mountain,
इस्राएल के घराने ने कादेश से कूच किया, और पूरी इस्राएली सभा होर पर्वत तक पहुंच गई.
23 [which is at the border of Edom]. While they were there, Yahweh said to Aaron and Moses/me,
एदोम की सीमा पर होर पर्वत पर याहवेह ने मोशेह तथा अहरोन को सूचित किया,
24 “It is time for Aaron to die [EUP]. He will not enter the land that I am giving to you Israelis, because the two of you disobeyed me [when I told you to speak to the rock to cause] the water [to flow] at Meribah.
“अहरोन को उसके पूर्वजों में मिल जाना है; क्योंकि वह उस देश में प्रवेश नहीं करेगा, जो मैंने इस्राएल के घराने को दिया है, क्योंकि तुम दोनों ने मेरिबाह के जल पर मेरे आदेश का विद्रोह किया था.
25 Now you, Moses, take Aaron and his son Eleazar up on Hor Mountain.
अहरोन तथा उसके पुत्र एलिएज़र को होर पर्वत पर ले जाओ.
26 There you must remove Aaron’s robes [that he wears when he does the work of a priest], and put them on his son, Eleazar. Aaron will die up there.”
वहां अहरोन के पुरोहित वस्त्र उतारकर उसके पुत्र एलिएज़र को पहना देना. फिर अहरोन अपने लोगों में मिल जाएगा; वहां उसका देहांत हो जाएगा.”
27 So Moses/I did what Yahweh commanded. The three of them/us climbed up Hor Mountain, while all the Israeli people watched.
तब मोशेह ने ठीक वही किया, जैसा याहवेह ने आदेश दिया था: वे सारी सभा की दृष्टि में होर पर्वत पर चढ़ गए.
28 At the top of the mountain, Moses/I took off the robes that Aaron wore [while he did the work of a priest] and put them on Eleazar. Then Aaron died there on the top of the mountain, and Eleazar and Moses/I went back down.
जब मोशेह ने वे कपड़े अहरोन से उतारकर उसके पुत्र एलिएज़र को पहनाए, तब अहरोन ने वहां पर्वत शिखर पर अपने प्राणों को त्याग दिया. इसके बाद मोशेह एवं एलिएज़र पर्वत से नीचे उतर गए,
29 When the Israeli people realized that Aaron had died, they all mourned for him for 30 days.
जब सारी सभा को यह मालूम चला कि अहरोन की मृत्यु हो चुकी है, तब सारे इस्राएल के घराने ने तीस दिन अहरोन के लिए विलाप किया.

< Numbers 20 >