< Numbers 19 >
1 Yahweh said to Aaron and Moses/me,
इसके बाद याहवेह ने मोशेह तथा अहरोन को आज्ञा दी:
2 “I am now giving to you another regulation. Tell the Israeli people to bring to you one reddish-brown cow that has no defects. It must be an animal that (has never been/no one has ever) used for plowing ground.
“इस व्यवस्था की विधि जो याहवेह ने दी, वह इस प्रकार है: इस्राएल के घराने को आज्ञा दो कि वे एक ऐसी बछिया लेकर आएं, जो लाल रंग की हो, जिसमें किसी प्रकार का दोष न हो तथा जिस पर जूआ कभी भी न रखा गया हो.
3 Give it to Eleazar, the priest. He must take it outside the camp and slaughter it [and drain the blood in a basin].
तुम ऐसी बछिया पुरोहित एलिएज़र को सौंपोगे. फिर यह बछिया छावनी के बाहर ले जाई जाएगी, तथा एलिएज़र की उपस्थिति में उसका वध किया जाए.
4 He must dip one of his fingers in the blood and sprinkle some of it seven times [on the ground] near the Sacred Tent.
इसके बाद पुरोहित एलिएज़र उसके रक्त की कुछ मात्रा अपनी उंगली में लेकर कुछ रक्त मिलनवाले तंबू के सामने की ओर सात बार छिड़केगा.
5 Then, while Eleazar watches, the cow must be burned completely—its hide, its meat, [the rest of] its blood, and even its dung.
इसके बाद उसके देखते-देखते वह बछिया जला दी जाएगी.
6 Eliezer then must take a stick of cedar wood, a stalk of [a plant named] hyssop, and some scarlet/red yarn, and throw them into the fire where the cow is burning.
इस अवसर पर पुरोहित देवदार की लकड़ी, जूफ़ा झाड़ी तथा लाल रंग की डोरी उस भस्म हो रही बछिया में डाल देगा.
7 “Then the priest must wash his clothes and bathe. After doing that, he may return to the camp. But he will be unfit for doing any sacred work until that evening.
फिर पुरोहित अपने वस्त्र धोकर स्नान करेगा और शिविर में लौट आएगा, किंतु शाम तक वह सांस्कारिक रूप से अपवित्र रहेगा.
8 The man who burns the cow must also wash his clothes and bathe, and he will also be unacceptable to me until that evening.
वह व्यक्ति, जो बछिया को जलाता है, वह अपने वस्त्रों को धोएगा तथा स्नान करेगा तथा शाम तक सांस्कारिक रूप से अपवित्र रहेगा.
9 “Then someone who has not become unacceptable to me must gather up the ashes of the cow and put them in a (sacred place/place that is acceptable to me) outside the camp. The ashes must be kept there for the people of Israel to [use when they] mix it with water for the ritual to remove the guilt of sin.
“इसके बाद एक ऐसा व्यक्ति, जो सांस्कारिक रूप से शुद्ध है, उस बछिया की राख इकट्ठा कर शिविर के बाहर स्वच्छ स्थान पर रख देगा. इस्राएलियों की सभा इसका इस्तेमाल अपवित्रता दूर करने के लिए उसी प्रकार करेंगे, जिस प्रकार जल अशुद्धता दूर करने के लिए इस्तेमाल करते हैं; यह पाप शुद्धि के लिए प्रयोग होगा.
10 The man who gathers up the ashes of the cow must [also] wash his clothes, and he [also] will be unfit to do any more sacred work until that evening. That is a regulation that will never be changed. It must be obeyed by you Israeli people and by any foreigners who live among you.
वह व्यक्ति, जो बछिया की राख इकट्ठा करता है, अपने वस्त्रों को धोएगा तथा वह शाम तक सांस्कारिक रूप से अपवित्र रहेगा. यह इस्राएलियों के लिए तथा उनके बीच रह रहे विदेशियों के लिए हमेशा की विधि रहेगी.
11 “All those who touch a corpse will be unacceptable to me for seven days.
“यदि कोई व्यक्ति किसी के शव से छू जाए तो वह सांस्कारिक रूप से सात दिन तक अपवित्र रहेगा.
12 On the third day and on the seventh day [after touching a corpse], in order to become acceptable to me again, [they must have sprinkled on them] some of that water for removing the guilt of their sin. If they do not do that on both of those days, they will continue to be unacceptable to me.
वह अपनी इस अपवित्रता को तीसरे दिन तथा सातवें दिन जल से दूर करेगा और उसकी अपवित्रता दूर हो जाएगी; किंतु यदि वह तीसरे एवं सातवें दिन स्वयं को शुद्ध न कर सके, वह अपवित्र ही रह जाएगा.
13 All those who touch a corpse, and do not perform in the correct way the ritual to become acceptable to me again, defile Yahweh’s Sacred Tent. They will no longer be permitted to live among the Israeli people. The water to remove the guilt of sin was not sprinkled on them, so they continue to be unacceptable to me.
कोई भी जब किसी मरे हुए व्यक्ति की देह को छू लेता है और शुद्ध होने की प्रक्रिया पूर्ण नहीं करता, वह याहवेह के मिलनवाले तंबू को अपवित्र करता है; ऐसे व्यक्ति को इस्राएल से निकाल दिया जाए. इसलिये कि उस पर अपवित्रता से छुड़ानेवाले जल का छिड़काव नहीं किया गया था, वह अपवित्र ही रहेगा, उस पर उसकी अपवित्रता बनी हुई है.
14 “There is another ritual that must be performed when someone dies inside a tent. All those who were inside that tent when that person died or who enter that tent will be unacceptable to me for seven days.
“शिविर में हुई किसी व्यक्ति की मृत्यु से संबंधित विधि यह है: हर एक व्यक्ति, जो उस शिविर में प्रवेश करता है, तथा हर एक, जो उस शिविर का निवासी है, सात दिन तक अशुद्ध रहेगा.
15 Any jars that are inside that tent that are not covered are not permitted to be used.
हर एक बर्तन, जिस पर न तो ढक्कन रखा हुआ हो और न जिसका मुख बांधकर बंद किया गया हो, अपवित्र माना जाएगा.
16 If someone who is out in a field touches the corpse of someone who was murdered, or who died from natural causes, or if someone touches a bone from some human or touches a grave, that person will be unacceptable to me for seven days.
“इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति खुले मैदान अथवा खेत में किसी ऐसे व्यक्ति को छू लेता है, जो तलवार द्वारा मारा गया है या जिसकी मृत्यु स्वाभाविक रीति से हो चुकी है, अथवा उस व्यक्ति का स्पर्श किसी मनुष्य की हड्डी या किसी कब्र से हो जाता है, वह व्यक्ति सात दिन तक सांस्कारिक रूप से अपवित्र समझा जाएगा.
17 “For someone like that to become acceptable to me again, some of the ashes from [the cow] that was burned must be taken and put in a jar. Then some fresh water must be poured over the ashes.
“उस अशुद्ध व्यक्ति के लिए वे जलाई गई पापबलि की राख लेकर एक बर्तन में बहते हुए जल के साथ मिलाएंगे.
18 Then someone who is still acceptable to me must take a stalk of [a plant named] hyssop and dip it into the water. Then that person must sprinkle some of the water on the tent where that person died, on the things that are in the tent, and on the people who were in the tent. He must also sprinkle some of that water on any person who touched a human bone or who touched a person who died, or who touched a grave.
फिर सांस्कारिक रूप से शुद्ध व्यक्ति एक जूफ़ा लेकर इस मिश्रण में डुबोएगा और उसके शिविर पर, सारी सामग्री पर तथा उन सभी व्यक्तियों पर, जो वहां उपस्थित थे, तथा उस व्यक्ति पर छिड़काव कर देगा, जिसका स्पर्श उस हड्डी से या उस मारे हुए व्यक्ति से या स्वाभाविक रूप से मरे हुए व्यक्ति से या कब्र से हो गया था.
19 On the third day and on the seventh day after that, the person who is acceptable to me must sprinkle some of that water on those who have become unacceptable to me. On the seventh day, the people who are performing that ritual to become acceptable to me again must wash their clothes and bathe. If they do that, on that evening they will become acceptable to me again.
तब वह शुद्ध व्यक्ति अशुद्ध व्यक्ति पर तीसरे दिन भी छिड़काव करेगा तथा सातवें दिन भी. सातवें दिन वह उस अशुद्धता से पवित्र करने की प्रक्रिया पूरी कर चुकेगा. वह अपने वस्त्रों को धोएगा तथा स्नान करेगा तथा वह शाम तक पूरी तरह से शुद्ध हो जाएगा.
20 “If those who have become unacceptable to me do not become acceptable to me again by doing this, they will no longer be permitted to live among the Israeli people, because they have defiled my Sacred Tent. They did not sprinkle on themselves the water that removes the guilt of their sins, so they remain unacceptable to me.
किंतु वह व्यक्ति, जो सांस्कारिक रूप से अशुद्ध है और वह स्वयं को अपनी अशुद्धि से पवित्र नहीं करता, वह व्यक्ति इस्राएली समाज से निकाल दिया जाएगा, क्योंकि उसने याहवेह के पवित्र स्थान को दूषित किया है. उस पर अशुद्धता से छुड़ानेवाले जल का छिड़काव नहीं किया गया है, वह अपवित्र है.
21 That is a law for the Israeli people that will never be changed. Those who sprinkle that water on themselves must then wash their clothes. And anyone who touches that water which removes guilt for sins will remain unacceptable to God until that evening.
तब यह उनके लिए एक सदा की विधि होगी. “वह जो इस जल का छिड़काव करता है, अपने वस्त्र धोएगा, जो कोई उस जल को छूता है, शाम तक सांस्कारिक रूप से अपवित्र रहेगा.
22 “If someone touches a thing or a person that has become unacceptable to me, that person will remain unacceptable to me until that evening.”
इसके अलावा हर एक वस्तु, जो उस अशुद्ध व्यक्ति द्वारा छुई गई हो, वह अपवित्र होगी, तथा वह व्यक्ति जो उसे छूता है शाम तक अपवित्र रहेगा.”