< Job 7 >
1 “People need to work hard on this earth, like soldiers do; all during the time that we are alive, we work hard [RHQ], like laborers/servants do.
“क्या ऐहिक जीवन में मनुष्य श्रम करने के लिए बंधा नहीं है? क्या उसका जीवनकाल मज़दूर समान नहीं है?
2 We are like [SIM] slaves who keep wanting to be in the cool shade, and we are like [SIM] workers who are waiting to be paid.
उस दास के समान, जो हांफते हुए छाया खोजता है, उस मज़दूर के समान, जो उत्कण्ठापूर्वक अपनी मज़दूरी मिलने की प्रतीक्षा करता है.
3 God has given me many months [in which I think that it is] useless [to remain alive]; he has allotted/given to me many nights during which I feel miserable.
इसी प्रकार मेरे लिए निरर्थकता के माह तथा पीड़ा की रातें निर्धारित की गई हैं.
4 When I lie down [at night] I say, ‘How long will it be until morning?’ But nights are long, and I (toss/turn over and over) [on my bed] until dawn.
मैं इस विचार के साथ बिछौने पर जाता हूं, ‘मैं कब उठूंगा?’ किंतु रात्रि समाप्त नहीं होती. मैं प्रातःकाल तक करवटें बदलता रह जाता हूं.
5 My body is covered with maggots and scabs; pus oozes out of my open sores.
मेरी खाल पर कीटों एवं धूल की परत जम चुकी है, मेरी खाल कठोर हो चुकी है, उसमें से स्राव बहता रहता है.
6 My days pass as quickly as a weaver’s (shuttle/stick that takes the thread back and forth), and they end without my confidently expecting [that things will be better the next day].
“मेरे दिनों की गति तो बुनकर की धड़की की गति से भी अधिक है, जब वे समाप्त होते हैं, आशा शेष नहीं रह जाती.
7 God, do not forget that my life is [as short as] a breath [MET]; I [think that] I [SYN] will never again be happy.
यह स्मरणीय है कि मेरा जीवन मात्र श्वास है; कल्याण अब मेरे सामने आएगा नहीं.
8 God, you [SYN] see me now, but [some day] you will not see me any more. You will search for me, but I will be gone [because I will be dead].
वह, जो मुझे आज देख रहा है, इसके बाद नहीं देखेगा; तुम्हारे देखते-देखते मैं अस्तित्वहीन हो जाऊंगा.
9 Like [SIM] clouds (disperse/break up) and then disappear, people [die and] descend to the place where dead people are, and they do not return; (Sheol )
जब कोई बादल छुप जाता है, उसका अस्तित्व मिट जाता है, उसी प्रकार वह अधोलोक में प्रवेश कर जाता है, पुनः यहां नहीं लौटता. (Sheol )
10 they never return to their houses, and people among whom they lived do not remember them any more.
वह अपने घर में नहीं लौटता; न ही उस स्थान पर उसका अस्तित्व रह जाता है.
11 So, I will not be silent; while I am suffering I will speak; I will complain [to God about what has happened to me] because I [SYN] am very angry.
“तब मैं अपने मुख को नियंत्रित न छोड़ूंगा; मैं अपने हृदय की वेदना उंडेल दूंगा, अपनी आत्मा की कड़वाहट से भरके कुड़कुड़ाता रहूंगा.
12 [God, ] why do you watch closely what I am doing? [Do you think that] I am a [dangerous] sea monster?
परमेश्वर, क्या मैं सागर हूं, अथवा सागर का विकराल जल जंतु, कि आपने मुझ पर पहरा बैठा रखा है?
13 When [I lie down at night, ] I think, ‘I will be comforted here on my bed; my pain will be less while I am sleeping.’
यदि मैं यह विचार करूं कि बिछौने पर तो मुझे सुख संतोष प्राप्त हो जाएगा, मेरे आसन पर मुझे इन पीड़ाओं से मुक्ति प्राप्त हो जाएगी,
14 But then you give me dreams that cause me to be afraid; you give me visions that terrify me,
तब आप मुझे स्वप्नों के द्वारा भयभीत करने लगते हैं तथा दर्शन दिखा-दिखाकर आतंकित कर देते हैं;
15 with the result that I would prefer to be strangled to death than to continue to [be alive] being only a bunch of bones.
कि मेरी आत्मा को घुटन हो जाए, कि मेरी पीड़ाएं मेरे प्राण ले लें.
16 I detest continuing to be alive; I do not want to live for many years [HYP]. Allow me to be alone, [because I will be alive] for only a very short remaining time [HYP].
मैं अपने जीवन से घृणा करता हूं; मैं सर्वदा जीवित रहना नहीं चाहता हूं. छोड़ दो मुझे अकेला; मेरा जीवन बस एक श्वास तुल्य है.
17 “We human beings are not [very important]; so, why do you pay a lot of attention to us [DOU]?
“प्रभु, मनुष्य है ही क्या, जिसे आप ऐसा महत्व देते हैं, जिसका आप ध्यान रखते हैं,
18 You look at us every morning [to see what we are doing], and examine us every moment [to see if we are doing what is right].
हर सुबह आप उसका परीक्षण करते, तथा हर पल उसे परखते रहते हैं?
19 (When will you stop looking at me and leave me alone [for a little time], long enough to swallow my spit?/Please stop looking at me and leave me alone [for a little time], long enough to swallow my spit.) [RHQ]
क्या आप अपनी दृष्टि मुझ पर से कभी न हटाएंगे? क्या आप मुझे इतना भी अकेला न छोड़ेंगे, कि मैं अपनी लार को गले से नीचे उतार सकूं?
20 [Why do] you watch me constantly? If I sin, that certainly does not harm you! Why have you set me up like a target to shoot at? Do you consider me to be a heavy load that you are forced to carry?
प्रभु, आप जो मनुष्यों पर अपनी दृष्टि लगाए रखते हैं, क्या किया है मैंने आपके विरुद्ध? क्या मुझसे कोई पाप हो गया है? आपने क्यों मुझे लक्ष्य बना रखा है? क्या, अब तो मैं अपने ही लिए एक बोझ बन चुका हूं?
21 [If I have sinned, ] are you not able to forgive me for my sins— the things that I have done that are wrong? Soon I will lie in my grave; you will search for me, but [you will not find me because] I will be [dead and] gone.”
तब आप मेरी गलतियों को क्षमा क्यों नहीं कर रहे, क्यों आप मेरे पाप को माफ नहीं कर रहे? क्योंकि अब तो तुझे धूल में मिल जाना है; आप मुझे खोजेंगे, किंतु मुझे नहीं पाएंगे.”