< Job 24 >
1 “(Why does Almighty [God] not set a time when he will judge [evil people]?/I do not understand why Almighty [God does] not set a time when he will judge [evil people].) [RHQ] Those who know him never [RHQ] see him do that!
“सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने न्याय-दिवस को ठहराया क्यों नहीं है? तथा वे, जो उन्हें जानते हैं, इस दिन की प्रतीक्षा करते रह जाते हैं?
2 [Some evil people] remove the markers of boundaries of [other people’s] land, [in order to steal their land]; they seize/steal [other people’s] sheep and put them in their own pastures.
कुछ लोग तो भूमि की सीमाओं को परिवर्तित करते रहते हैं; वे भेड़ें पकड़कर हड़प लेते हैं.
3 [Some] (take away/steal) the donkeys that belong to orphans, and they take widow’s oxen to guarantee that the widows will pay back the money that they loaned to those widows.
वे पितृहीन के गधों को हकाल कर ले जाते हैं. वे विधवा के बैल को बंधक बना लेते हैं.
4 [Some] shove poor people off the road (OR, prevent poor people from (obtaining their rights/being treated justly)), and they force poor people to find places to hide from them.
वे दरिद्र को मार्ग से हटा देते हैं; देश के दीनों को मजबूर होकर एक साथ छिप जाना पड़ता है.
5 The result is that poor people have to search for food in the desert like wild donkeys do.
ध्यान दो, दीन वन्य गधों-समान भोजन खोजते हुए भटकते रहते हैं, मरुभूमि में अपने बालकों के भोजन के लिए.
6 The poor people harvest left-over grain in other people’s fields, and gather grapes from vineyards that belong to wicked men.
अपने खेत में वे चारा एकत्र करते हैं तथा दुर्वृत्तों के दाख की बारी से सिल्ला उठाते हैं.
7 During the night they have nothing to cover their bodies, nothing to keep them warm.
शीतकाल में उनके लिए कोई आवरण नहीं रहते. उन्हें तो विवस्त्र ही रात्रि व्यतीत करनी पड़ती है.
8 When it rains on the mountains, the poor people become very wet, so they huddle under the rock ledges to be protected [from the rain].
वे पर्वतीय वृष्टि से भीगे हुए हैं, सुरक्षा के लिए उन्होंने चट्टान का आश्रय लिया हुआ है.
9 [Some evil men] snatch infants away from their widowed mothers [SYN], and they say ‘I will return your babies to you when you repay the money that I lent to you.’
अन्य वे हैं, जो दूधमुंहे, पितृहीन बालकों को छीन लेते हैं; ये ही हैं वे, जो दीन लोगों से बंधक वस्तु कर रख लेते हैं.
10 But the poor people walk around with no clothes on; they are hungry while they are working to carry [other people’s] bundles of grain [to the places where their grain will be threshed].
उन्हीं के कारण दीन को विवस्त्र रह जाना पड़ता है; वे ही भूखों से अन्न की पुलियां छीने लेते हैं.
11 Poor people press olives to make [olive] oil; they tread on grapes [to make juice for wine], but [they are not allowed to drink any of it when] they become thirsty.
दीनों की दीवारों के भीतर ही वे तेल निकालते हैं; वे द्राक्षरस-कुण्ड में अंगूर तो रौंदते हैं, किंतु स्वयं प्यासे ही रहते हैं.
12 In the cities, people who are wounded and dying cry out [to God for help], but God does not heed their prayers.
नागरिक कराह रहे हैं, तथा घायलों की आत्मा पुकार रही है. फिर भी परमेश्वर मूर्खों की याचना की ओर ध्यान नहीं देते.
13 Some wicked people avoid the light [because they do evil things in the dark]; they do not walk on roads that are lighted.
“कुछ अन्य ऐसे हैं, जो ज्योति के विरुद्ध अपराधी हैं, उन्हें इसकी नीतियों में कोई रुचि नहीं है, तब वे ज्योति के मार्गों पर आना नहीं चाहते.
14 Murderers steal things during the night, and then they arise before dawn in order that they may [go out again and] kill needy [DOU] people.
हत्यारा बड़े भोर उठ जाता है, वह जाकर दीनों एवं दरिद्रों की हत्या करता है, रात्रि में वह चोरी करता है.
15 Those who want to commit adultery wait for twilight/evening; they say ‘I do not want anyone to see me,’ so they keep their faces covered.
व्यभिचारी की दृष्टि रात आने की प्रतीक्षा करती रहती है, वह विचार करता है, ‘तब मुझे कोई देख न सकेगा.’ वह अपने चेहरे को अंधेरे में छिपा लेता है.
16 It is during the night that robbers break into houses [to steal things], but during the day they hide because they want to avoid [being seen in] the light.
रात्रि होने पर वे सेंध लगाते हैं, तथा दिन में वे घर में छिपे रहते हैं; प्रकाश में उन्हें कोई रुचि नहीं रहती.
17 All of those [people] want to do their evil things at night, not in the morning [when it is light], because they are not afraid of [the things that happen during the] night that terrify others.”
उनके सामने प्रातःकाल भी वैसा ही होता है, जैसा घोर अंधकार, क्योंकि उनकी मैत्री तो घोर अंधकार के आतंक से है.
18 “[But it is wicked people] who are swept/carried away by floods, and God curses the land that they own, and no one goes to work in their vineyards.
“वस्तुतः वे जल के ऊपर के फेन समान हैं; उनका भूखण्ड शापित है. तब कोई उस दिशा में दाख की बारी की ओर नहीं जाता.
19 Just like the snow melts away when it is hot and there is no rain, those who have sinned disappear into the place where dead people are. (Sheol )
सूखा तथा गर्मी हिम-जल को निगल लेते हैं, यही स्थिति होगी अधोलोक में पापियों की. (Sheol )
20 Not even their mothers remember them now; wicked people are destroyed like trees that are cut down, and maggots eat their corpses.
गर्भ उन्हें भूल जाता है, कीड़े उसे ऐसे आहार बना लेते हैं; कि उसकी स्मृति भी मिट जाती है, पापी वैसा ही नष्ट हो जाएगा, जैसे वृक्ष.
21 They mistreat women who have been unable to give birth to children and women who no longer have children [to take care of them], and they never do good things for widows.
वह बांझ स्त्री तक से छल करता है तथा विधवा का कल्याण उसके ध्यान में नहीं आता.
22 But God, by his power, gets rid of mighty/influential people. God acts and causes the wicked people to die.
किंतु परमेश्वर अपनी सामर्थ्य से बलवान को हटा देते हैं; यद्यपि वे प्रतिष्ठित हो चुके होते हैं, उनके जीवन का कोई आश्वासन नहीं होता.
23 God allows them to think that they are secure and safe, but he is watching [MTY] them all the time.
परमेश्वर उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हैं, उनका पोषण करते हैं, वह उनके मार्गों की चौकसी भी करते हैं.
24 They prosper for a little while, and then [suddenly] they are gone; they disappear like weeds wither and die; they are like [SIM] stalks of grain that have been cut off.
अल्पकाल के लिए वे उत्कर्ष भी करते जाते हैं, तब वे नष्ट हो जाते हैं; इसके अतिरिक्त वे गिर जाते हैं तथा वे अन्यों के समान पूर्वजों में जा मिलते हैं; अन्न की बालों के समान कट जाना ही उनका अंत होता है.
25 If this is not true, is there [RHQ] anyone who will show that I am a liar and prove that what I have said is not true?”
“अब, यदि सत्य यही है, तो कौन मुझे झूठा प्रमाणित कर सकता है तथा मेरी बात को अर्थहीन घोषित कर सकता है?”