< Jeremiah 51 >
1 This is what Yahweh says: “I will inspire/motivate [an army] to destroy Babylon [like a powerful] wind [MET], and [also] to destroy the people of Babylonia.
१यहोवा यह कहता है, मैं बाबेल के और लेबकामै के रहनेवालों के विरुद्ध एक नाश करनेवाली वायु चलाऊँगा;
2 I will send a foreign army to come to get rid of Babylonia [like a strong wind] that blows away chaff. They will attack from every direction on that day of disaster.
२और मैं बाबेल के पास ऐसे लोगों को भेजूँगा जो उसको फटक-फटककर उड़ा देंगे, और इस रीति से उसके देश को सुनसान करेंगे; और विपत्ति के दिन चारों ओर से उसके विरुद्ध होंगे।
3 [I will tell them, ] ‘Do not allow the archers [of Babylon] to [have time to] put on their armor or draw their bows. Do not spare the young men of Babylon. Completely destroy their army.’
३धनुर्धारी के विरुद्ध और जो अपना झिलम पहने हैं धनुर्धारी धनुष चढ़ाए हुए उठे; उसके जवानों से कुछ कोमलता न करना; उसकी सारी सेना को सत्यानाश करो।
4 Their soldiers will fall dead in Babylonia; [they will die after being] wounded in the streets.
४कसदियों के देश में मरे हुए और उसकी सड़कों में छिदे हुए लोग गिरेंगे।
5 [I, ] the Commander of the armies of angels, the Israelis’ God, have not abandoned Israel and Judah. [Even though] their land was full of people who sinned against [me], the Holy God of Israel, I am still their God.
५क्योंकि, यद्यपि इस्राएल और यहूदा के देश, इस्राएल के पवित्र के विरुद्ध किए हुए पापों से भरपूर हो गए हैं, तो भी उनके परमेश्वर, सेनाओं के यहोवा ने उनको त्याग नहीं दिया।
6 [You people of Israel and Judah, ] flee from Babylon! Run away from there! Do not stay there and be killed when I punish [the people of Babylon]! It will be the time when I will get revenge; I will do to them what they deserve.
६“बाबेल में से भागो, अपना-अपना प्राण बचाओ! उसके अधर्म में भागी होकर तुम भी न मिट जाओ; क्योंकि यह यहोवा के बदला लेने का समय है, वह उसको बदला देने पर है।
7 Babylon has been [like] [MET] a gold cup in my hand, [a cup that is full of wine] that caused people all over the earth [who drank some of it to become] drunk. [It is as though] the [rulers of] the nations drank the wine from Babylon, and it caused them to become crazy.
७बाबेल यहोवा के हाथ में सोने का कटोरा था, जिससे सारी पृथ्वी के लोग मतवाले होते थे; जाति-जाति के लोगों ने उसके दाखमधु में से पिया, इस कारण वे भी बावले हो गए।
8 But suddenly Babylon will be conquered. [You foreigners who live in Babylon, ] weep for its people. Give them medicine for their wounds; perhaps they can be healed.”
८बाबेल अचानक ले ली गई और नाश की गई है। उसके लिये हाय-हाय करो! उसके घावों के लिये बलसान औषधि लाओ; सम्भव है वह चंगी हो सके।
9 We [foreigners] would have [tried to] heal them, but [now] they cannot be healed. [So we will not try to help them; ] we will abandon them, and return to our own lands, because [it is as though] the punishment they are receiving is so great that it reaches up to the clouds in sky, [so great that no one can measure it].
९हम बाबेल का इलाज करते तो थे, परन्तु वह चंगी नहीं हुई। इसलिए आओ, हम उसको तजकर अपने-अपने देश को चले जाएँ; क्योंकि उस पर किए हुए न्याय का निर्णय आकाश वरन् स्वर्ग तक भी पहुँच गया है।
10 Yahweh has (vindicated us/shown that we were right); [so] let’s proclaim in Jerusalem everything that Yahweh our God has done [for us].
१०यहोवा ने हमारे धार्मिकता के काम प्रगट किए हैं; अतः आओ, हम सिय्योन में अपने परमेश्वर यहोवा के काम का वर्णन करें।
11 [You enemy soldiers, ] sharpen your arrows! Lift up your shields, [because] Yahweh has incited your kings of Media [and Persia to march with their armies] to Babylon and to destroy it. That is how Yahweh will get revenge on [those foreigners who entered] his temple [in Jerusalem] and defiled it.
११“तीरों को पैना करो! ढालें थामे रहो! क्योंकि यहोवा ने मादी राजाओं के मन को उभारा है, उसने बाबेल को नाश करने की कल्पना की है, क्योंकि यहोवा अर्थात् उसके मन्दिर का यही बदला है
12 Lift up a battle flag close to the walls of Babylon! (Reinforce the/Appoint more) guards, and tell the watchmen to stand [in their positions]! Prepare an ambush, because Yahweh is about to accomplish all that he has planned to do to the people of Babylon.
१२बाबेल की शहरपनाह के विरुद्ध झण्डा खड़ा करो; बहुत पहरुए बैठाओ; घात लगाने वालों को बैठाओ; क्योंकि यहोवा ने बाबेल के रहनेवालों के विरुद्ध जो कुछ कहा था, वह अब करने पर है वरन् किया भी है।
13 Babylon is [a city] near the great [Euphrates] River, a city in which there are many rich people, but it is time for Babylon to be finished; the time [for the city] to exist is ended.
१३हे बहुत जलाशयों के बीच बसी हुई और बहुत भण्डार रखनेवाली, तेरा अन्त आ गया, तेरे लोभ की सीमा पहुँच गई है।
14 The Commander of the armies of angels has solemnly promised, using his own name, “Your cities will be filled with your enemies; I will cause them to be like [SIM] a swarm of locusts; and they will shout triumphantly [when they conquer your city].”
१४सेनाओं के यहोवा ने अपनी ही शपथ खाई है, कि निश्चय मैं तुझको टिड्डियों के समान अनगिनत मनुष्यों से भर दूँगा, और वे तेरे विरुद्ध ललकारेंगे।
15 Yahweh created the earth by his power; he established it by his wisdom, and he stretched out the sky by his understanding.
१५“उसी ने पृथ्वी को अपने सामर्थ्य से बनाया, और जगत को अपनी बुद्धि से स्थिर किया; और आकाश को अपनी प्रवीणता से तान दिया है।
16 When he speaks loudly, there is thunder in the sky; he causes clouds to form in every part of the earth. He sends lightning with the rain and releases the winds from his storehouses.
१६जब वह बोलता है तब आकाश में जल का बड़ा शब्द होता है, वह पृथ्वी की छोर से कुहरा उठाता है। वह वर्षा के लिये बिजली बनाता, और अपने भण्डार में से पवन निकाल ले आता है।
17 People are senseless, and they know very little [HYP]; those who make idols are [always] disappointed, because their idols [do nothing for them]. The images/statues that they make are not real [gods]; they are lifeless.
१७सब मनुष्य पशु सरीखे ज्ञानरहित है; सब सुनारों को अपनी खोदी हुई मूरतों के कारण लज्जित होना पड़ेगा; क्योंकि उनकी ढाली हुई मूरतें धोखा देनेवाली हैं, और उनके कुछ भी साँस नहीं चलती।
18 Idols are worthless; they deserve to be ridiculed; there will be a time when they will [all] be destroyed.
१८वे तो व्यर्थ और ठट्ठे ही के योग्य है; जब उनके नाश किए जाने का समय आएगा, तब वे नाश ही होंगी।
19 But the God whom [we] Israelis [worship] is not like those [idols]; he is the one who created everything [that exists]; [we], the people of Israel, belong to him; his name is ‘the Commander of the armies of angels’.
१९परन्तु जो याकूब का निज भाग है, वह उनके समान नहीं, वह तो सब का बनानेवाला है, और इस्राएल उसका निज भाग है; उसका नाम सेनाओं का यहोवा है।
20 Yahweh says [about the army of Babylonia] (OR, [about a nation that will attack Babylonia)], “You have been [like] [MET] my battle-axe and war-club; with your [power] I have shattered nations and destroyed [many] kingdoms.
२०“तू मेरा फरसा और युद्ध के लिये हथियार ठहराया गया है; तेरे द्वारा मैं जाति-जाति को तितर-बितर करूँगा; और तेरे ही द्वारा राज्य-राज्य को नाश करूँगा।
21 With your [power] I have shattered armies [of other nations]: I destroyed [their] horses and their riders, [their] chariots and [their] chariot-drivers.
२१तेरे ही द्वारा मैं सवार समेत घोड़ों को टुकड़े-टुकड़े करूँगा;
22 With your [power] I shattered men and women, old people and children, young men and young women.
२२तेरे ही द्वारा रथी समेत रथ को भी टुकड़े-टुकड़े करूँगा; तेरे ही द्वारा मैं स्त्री पुरुष दोनों को टुकड़े-टुकड़े करूँगा; तेरे ही द्वारा मैं बूढ़े और लड़के दोनों को टुकड़े-टुकड़े करूँगा, और जवान पुरुष और जवान स्त्री दोनों को मैं तेरे ही द्वारा टुकड़े-टुकड़े करूँगा;
23 With your [power] I shattered shepherds and their flocks [of sheep], farmers and their oxen, governors and [their] officials.”
२३तेरे ही द्वारा मैं भेड़-बकरियों समेत चरवाहे को टुकड़े-टुकड़े करूँगा; तेरे ही द्वारा मैं किसान और उसके जोड़े बैलों को भी टुकड़े-टुकड़े करूँगा; अधिपतियों और हाकिमों को भी मैं तेरे ही द्वारा टुकड़े-टुकड़े करूँगा।
24 But, Yahweh [also] says, “[Soon] I will repay/punish [you] people in Babylon and in the rest of Babylonia for all the evil things that you have done in Jerusalem.
२४“मैं बाबेल को और सारे कसदियों को भी उन सब बुराइयों का बदला दूँगा, जो उन्होंने तुम लोगों के सामने सिय्योन में की है; यहोवा की यही वाणी है।
25 [Babylonia is] [APO] like [MET] a great mountain [from which bandits descend] to (plunder/steal things from) people all over the earth. But I, Yahweh, am the enemy of you [people of Babylonia]. I will raise my fist to strike you. I will knock you down from the cliffs and cause you to be [only] a huge pile of burned rubble.
२५“हे नाश करनेवाले पहाड़ जिसके द्वारा सारी पृथ्वी नाश हुई है, यहोवा की यह वाणी है कि मैं तेरे विरुद्ध हूँ और हाथ बढ़ाकर तुझे ढाँगों पर से लुढ़का दूँगा और जला हुआ पहाड़ बनाऊँगा।
26 Your [city] will be abandoned forever; [even] the stones in your [city] will never [again] be used for buildings. [Your city will be completely destroyed].”
२६लोग तुझ से न तो घर के कोने के लिये पत्थर लेंगे, और न नींव के लिये, क्योंकि तू सदा उजाड़ रहेगा, यहोवा की यही वाणी है।
27 [Tell] the nations to lift up a battle flag! [Tell them to] shout the battle-cry! Gather all their armies to fight against Babylon! Prepare the nations to attack Babylon. Summon [the armies of] the kingdoms [north of Babylonia]—from Ararat, Minni, and Ashkenaz. Appoint a commander for them, and bring [a great number of] horses; [there must be a huge number of horses]; that [huge number] will resemble [SIM] a swarm of locusts.
२७“देश में झण्डा खड़ा करो, जाति-जाति में नरसिंगा फूँको; उसके विरुद्ध जाति-जाति को तैयार करो; अरारात, मिन्नी और अश्कनज नामक राज्यों को उसके विरुद्ध बुलाओ, उसके विरुद्ध सेनापति भी ठहराओ; घोड़ों को शिखरवाली टिड्डियों के समान अनगिनत चढ़ा ले आओ।
28 Prepare the [armies of other nations], armies that will be led by the kings of Media [and Persia], their governors and [their] officials.
२८उसके विरुद्ध जातियों को तैयार करो; मादी राजाओं को उनके अधिपतियों सब हाकिमों सहित और उस राज्य के सारे देश को तैयार करो।
29 [When they attack Babylon, it will be as though] the earth will shake and writhe [in pain], because [those armies] will accomplish everything that Yahweh has planned to do to Babylon; they will destroy it completely, [with the result that] no one will live there [again].
२९यहोवा ने विचारा है कि वह बाबेल के देश को ऐसा उजाड़ करे कि उसमें कोई भी न रहे; इसलिए पृथ्वी काँपती है और दुःखित होती है
30 [When their enemies attack], the strongest warriors in Babylon will not fight. They will remain in their barracks, without any strength. They will be as timid/weak as [SIM] women. [The enemy soldiers] will burn the buildings in the city and pull down the bars [of the city gates].
३०बाबेल के शूरवीर गढ़ों में रहकर लड़ने से इन्कार करते हैं, उनकी वीरता जाती रही है; और यह देखकर कि उनके वासस्थानों में आग लग गई वे स्त्री बन गए हैं; उसके फाटकों के बेंड़े तोड़े गए हैं।
31 Messengers will go quickly, one after another, to tell the king that his city has been captured.
३१एक हरकारा दूसरे हरकारे से और एक समाचार देनेवाला दूसरे समाचार देनेवाले से मिलने और बाबेल के राजा को यह समाचार देने के लिये दौड़ेगा कि तेरा नगर चारों ओर से ले लिया गया है;
32 The places at which people can cross the river [to escape from the city] will be blocked. The dry reeds in the marshes/swamps will be set on fire, and the soldiers of Babylon will be terrified.
३२और घाट शत्रुओं के वश में हो गए हैं, ताल भी सुखाए गए, और योद्धा घबरा उठे हैं।
33 This is what the Commander of the armies of angels, the God whom [we] Israelis [worship], says; “Babylon is like [SIM] wheat on the ground where it is about to be threshed by [animals] tramping on it. Very soon [their enemies] will trample on [the city of] Babylon [MET].”
३३क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा यह कहता है: बाबेल की बेटी दाँवते समय के खलिहान के समान है, थोड़े ही दिनों में उसकी कटनी का समय आएगा।”
34 [The army of] Nebuchadnezzar, the King of Babylon, has attacked and crushed us [Israeli people], and we have no strength [left]. [It is as though] they have swallowed us like a [great] monster that filled its belly with all our tasty parts, and then has spit out [what it did not like].
३४“बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर ने मुझ को खा लिया, मुझ को पीस डाला; उसने मुझे खाली बर्तन के समान कर दिया, उसने मगरमच्छ के समान मुझ को निगल लिया है; और मुझ को स्वादिष्ट भोजन जानकर अपना पेट मुझसे भर लिया है, उसने मुझ को जबरन निकाल दिया है।”
35 [So] the people of [PRS] Jerusalem say [to Yahweh], “Cause the people of Babylon to suffer like they caused us to suffer! Cause the people of Babylonia to be punished for killing [MTY] our people!”
३५सिय्योन की रहनेवाली कहेगी, “जो उपद्रव मुझ पर और मेरे शरीर पर हुआ है, वह बाबेल पर पलट जाए।” और यरूशलेम कहेगी, “मुझ में की हुई हत्याओं का दोष कसदियों के देश के रहनेवालों पर लगे।”
36 And this is what Yahweh replies to the people of Jerusalem: “I will [be like your lawyer to] defend you, and I will avenge you. I will dry up the river in Babylon and [all] the springs of water.
३६इसलिए यहोवा कहता है, “मैं तेरा मुकद्दमा लड़ूँगा और तेरा बदला लूँगा। मैं उसके ताल को और उसके सोतों को सूखा दूँगा;
37 Babylon will become a heap of ruins, a place where jackals/wolves live. It will become a place that people are horrified about and will ridicule; it will be a place where no one lives.
३७और बाबेल खण्डहर, और गीदड़ों का वासस्थान होगा; और लोग उसे देखकर चकित होंगे और ताली बजाएँगे, और उसमें कोई न रहेगा।
38 The people of Babylon will [all] roar like young lions; they will growl like baby lions.
३८“लोग एक संग ऐसे गरजेंगे और गुर्राएँगे, जैसे युवा सिंह व सिंह के बच्चे आहेर पर करते हैं।
39 But while they are extremely hungry, I will prepare a [different kind of] feast for them. [It is as though] I will cause them to drink wine until they are very drunk, [with the result that] they will fall asleep. But they will never wake up from that sleep!
३९परन्तु जब जब वे उत्तेजित हों, तब मैं भोज तैयार करके उन्हें ऐसा मतवाला करूँगा, कि वे हुलसकर सदा की नींद में पड़ेंगे और कभी न जागेंगे, यहोवा की यही वाणी है।
40 I will bring them down to a place where they will be slaughtered, like [SIM] [someone who takes] lambs or rams or goats [to where they will be slaughtered for sacrifices].
४०मैं उनको, भेड़ों के बच्चों, और मेढ़ों और बकरों के समान घात करा दूँगा।
41 People all over the earth [now] (honor/praise) Babylon; they say that it is a great city. But I will cause it to become a [place about which people of all] nations are horrified.
४१“शेशक, जिसकी प्रशंसा सारे पृथ्वी पर होती थी कैसे ले लिया गया? वह कैसे पकड़ा गया? बाबेल जातियों के बीच कैसे सुनसान हो गया है?
42 The [enemies of Babylon] will cover the city [like] huge waves of the sea [DOU].
४२बाबेल के ऊपर समुद्र चढ़ आया है, वह उसकी बहुत सी लहरों में डूब गया है।
43 The towns in Babylonia will become ruins, Babylonia will become a dry desert area. It will be a land in which no one lives and which no one walks through.
४३उसके नगर उजड़ गए, उसका देश निर्जन और निर्जल हो गया है, उसमें कोई मनुष्य नहीं रहता, और उससे होकर कोई आदमी नहीं चलता।
44 And I will punish Bel, [the god that the people] of Babylon [worship], and I will cause the people to give back what they have stolen [MET]. [People of other] nations will no longer come to [worship] Bel. And the walls of Babylon will collapse.”
४४मैं बाबेल में बेल को दण्ड दूँगा, और उसने जो कुछ निगल लिया है, वह उसके मुँह से उगलवाऊँगा। जातियों के लोग फिर उसकी ओर ताँता बाँधे हुए न चलेंगे; बाबेल की शहरपनाह गिराई जाएगी।
45 [Yahweh also says, ] “My people, come out of Babylon! Run away from there! Run, because [I], Yahweh, am extremely angry [MTY] [with the people of Babylon, and I will get rid of them]!
४५हे मेरी प्रजा, उसमें से निकल आओ! अपने-अपने प्राण को यहोवा के भड़के हुए कोप से बचाओ!
46 Do not be discouraged/worried [IDM] or afraid when you hear reports [about what is happening in Babylon]. People will report rumors like that every year, rumors about violent things being done in the land, and rumors about leaders fighting against each other.
४६जब उड़ती हुई बात उस देश में सुनी जाए, तब तुम्हारा मन न घबराए; और जो उड़ती हुई चर्चा पृथ्वी पर सुनी जाएगी तुम उससे न डरना: उसके एक वर्ष बाद एक और बात उड़ती हुई आएगी, तब उसके बाद दूसरे वर्ष में एक और बात उड़ती हुई आएगी, और उस देश में उपद्रव होगा, और एक हाकिम दूसरे के विरुद्ध होगा।
47 But it will soon be the time for me to get rid of the idols in Babylon. [People all over] the land will be ashamed [because of being defeated]; and the corpses of their [soldiers] will lie in the streets.
४७“इसलिए देख, वे दिन आते हैं जब मैं बाबेल की खुदी हुई मूरतों पर दण्ड की आज्ञा करूँगा; उस सारे देश के लोगों का मुँह काला हो जाएगा, और उसके सब मारे हुए लोग उसी में पड़े रहेंगे।
48 Then all [the angels in] heaven and all the [people on] [PRS] the earth will rejoice, because from the north will come [armies] that will destroy Babylon.
४८तब स्वर्ग और पृथ्वी के सारे निवासी बाबेल पर जयजयकार करेंगे; क्योंकि उत्तर दिशा से नाश करनेवाले उस पर चढ़ाई करेंगे, यहोवा की यही वाणी है।
49 Like [the soldiers of Babylon] killed the people of Israel and [also] killed others all over the world [HYP], [the people of] Babylon must also be killed.
४९जैसे बाबेल ने इस्राएल के लोगों को मारा, वैसे ही सारे देश के लोग उसी में मार डाले जाएँगे।
50 You [Israeli people] who have not been killed [MTY], get out of Babylon! Do not wait! [Even though you are in a land] far away [from Israel], think about Yahweh, and think about Jerusalem!”
५०“हे तलवार से बचे हुओं, भागो, खड़े मत रहो! यहोवा को दूर से स्मरण करो, और यरूशलेम की भी सुधि लो:
51 [The Israeli people say], “We are ashamed. We are completely disgraced [DOU], because foreigners have entered Yahweh’s temple [and (defiled it/caused it to become unfit for worship)].”
५१‘हम व्याकुल हैं, क्योंकि हमने अपनी नामधराई सुनी है; यहोवा के पवित्र भवन में विधर्मी घुस आए हैं, इस कारण हम लज्जित हैं।’
52 Yahweh replies, “[That is true], but there will soon be a time when I will destroy the idols in Babylon, and throughout Babylonia there will be wounded people who will groan.
५२“इसलिए देखो, यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आनेवाले हैं कि मैं उसकी खुदी हुई मूरतों पर दण्ड भेजूँगा, और उसके सारे देश में लोग घायल होकर कराहते रहेंगे।
53 Even if [the walls around] Babylon could extend up to the sky, and if its walls/fortifications were extremely strong, I will send [armies] that will destroy the city. [That will surely happen because I, ] Yahweh, have said it.”
५३चाहे बाबेल ऐसा ऊँचा बन जाए कि आकाश से बातें करे और उसके ऊँचे गढ़ और भी दृढ़ किए जाएँ, तो भी मैं उसे नाश करने के लिये, लोगों को भेजूँगा, यहोवा की यह वाणी है।
54 Listen to [the people of] Babylon crying [for help]! And listen to the sounds of things being destroyed all over Babylonia!
५४“बाबेल से चिल्लाहट का शब्द सुनाई पड़ता है! कसदियों के देश से सत्यानाश का बड़ा कोलाहल सुनाई देता है।
55 Yahweh will be destroying Babylon. He will cause the loud noises in the city to cease.
५५क्योंकि यहोवा बाबेल को नाश कर रहा है और उसके बड़े कोलाहल को बन्द कर रहा है। इससे उनका कोलाहल महासागर का सा सुनाई देता है।
56 Enemy troops will surge against the city like [SIM] a great wave. They will capture the city’s mighty soldiers and break their weapons. [That will happen] because Yahweh is a God who punishes [his enemies] justly; he will punish them as they deserve.
५६बाबेल पर भी नाश करनेवाले चढ़ आए हैं, और उसके शूरवीर पकड़े गए हैं और उनके धनुष तोड़ डाले गए; क्योंकि यहोवा बदला देनेवाला परमेश्वर है, वह अवश्य ही बदला लेगा।
57 The king, the Commander of the armies of angels says, “I will cause the city officials and wise men, the army captains and soldiers [in Babylon] to become drunk. They will fall asleep, but they will never wake up [again]!”
५७मैं उसके हाकिमों, पंडितों, अधिपतियों, रईसों, और शूरवीरों को ऐसा मतवाला करूँगा कि वे सदा की नींद में पड़ेंगे और फिर न जागेंगे, सेनाओं के यहोवा, जिसका नाम राजाधिराज है, उसकी यही वाणी है।
58 Yahweh also says, “The thick walls around Babylon will be flattened to the ground. The city gates will be burned. People [from other countries] will work hard [to save the city], but it will be (in vain/useless), because everything [that they have built] will be destroyed by fire.”
५८“सेनाओं का यहोवा यह भी कहता है, बाबेल की चौड़ी शहरपनाह नींव से ढाई जाएगी, और उसके ऊँचे फाटक आग लगाकर जलाए जाएँगे। और उसमें राज्य-राज्य के लोगों का परिश्रम व्यर्थ ठहरेगा, और जातियों का परिश्रम आग का कौर हो जाएगा और वे थक जाएँगे।”
59 Seraiah was the man who made arrangements for the King of Babylon [whenever he traveled]. He was the son of Neraiah and grandson of Mahseiah. When he was about to go to Babylon with King Zedekiah, after Zedekiah had been ruling Judah for almost four years, the prophet Jeremiah gave him a message.
५९यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के चौथे वर्ष में जब उसके साथ सरायाह भी बाबेल को गया था, जो नेरिय्याह का पुत्र और महसेयाह का पोता और राजभवन का अधिकारी भी था,
60 Jeremiah had written on a scroll a list of all the disasters that he had written about, disasters that would soon occur in Babylon.
६०तब यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता ने उसको ये बातें बताई अर्थात् वे सब बातें जो बाबेल पर पड़नेवाली विपत्ति के विषय लिखी हुई हैं, उन्हें यिर्मयाह ने पुस्तक में लिख दिया।
61 He said to Seraiah, “When you arrive in Babylon, read [aloud] everything that I have written [on this scroll].
६१यिर्मयाह ने सरायाह से कहा, “जब तू बाबेल में पहुँचे, तब अवश्य ही ये सब वचन पढ़ना,
62 Then pray, ‘Yahweh, you said that you will thoroughly destroy Babylon, with the result that people and animals will no [longer] live there. You said that it will be desolate forever.’
६२और यह कहना, ‘हे यहोवा तूने तो इस स्थान के विषय में यह कहा है कि मैं इसे ऐसा मिटा दूँगा कि इसमें क्या मनुष्य, क्या पशु, कोई भी न रहेगा, वरन् यह सदा उजाड़ पड़ा रहेगा।’
63 [Then], when you have finished reading [what I have written on] the scroll, tie it to a [heavy] stone and throw it into the Euphrates [River].
६३और जब तू इस पुस्तक को पढ़ चुके, तब इसे एक पत्थर के संग बाँधकर फरात महानद के बीच में फेंक देना,
64 Then say, ‘In the same way, Babylon [and its people] will disappear and never exist again, because of the disasters that Yahweh will cause to occur there’” That is the end of Jeremiah’s messages.
६४और यह कहना, ‘इस प्रकार बाबेल डूब जाएगा और मैं उस पर ऐसी विपत्ति डालूँगा कि वह फिर कभी न उठेगा और वे थके रहेंगे।’” यहाँ तक यिर्मयाह के वचन हैं।