< Jeremiah 28 >

1 When Zedekiah had been the King of Judah for more than three years, late in the (summer/hot season), Azzur’s son Hananiah, a prophet from Gibeon [city], spoke to me in the [courtyard of the] temple, while [all] the priests and other people were listening. He said,
झूठे भविष्यद्वक्ता हाननियाह से येरेमियाह का सामना: तब उसी वर्ष यहूदिया के राजा सीदकियाहू के राज्य-काल के प्रारंभ ही में, वस्तुतः चौथे वर्ष के पांचवें माह में अज्ज़ूर के पुत्र गिबयोनवासी हाननियाह ने, जो भविष्यद्वक्ता था, मुझसे याहवेह के भवन में पुरोहितों एवं सारे उपस्थित लोगों के समक्ष यह कहा:
2 “This is what the Commander of the armies of angels, the God whom [we] Israelis [worship], says: ‘I will cause the king of Babylon to stop ruling/controlling [MET] [all of you].
“इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह का यह संदेश सुनो: ‘मैंने बाबेल के राजा का जूआ भंग कर दिया है.
3 (Within two years/Before two years have ended), I will cause to be brought bring back to this temple all the valuable things that King Nebuchadnezzar’s [soldiers] took from this temple and took to Babylon.
दो ही वर्षों के अंतराल में मैं याहवेह के भवन के उन सारे बर्तनों को जिन्हें बाबेल का राजा नबूकदनेज्ज़र इस स्थान से बाबेल को ले गया है, इसी स्थान पर लौटा ले आने पर हूं.
4 And I will also cause King Jehoiachin to be brought back here, and all the [other] people who were captured and taken to Babylon. The king of Babylon has [forced you to do what he wants, like someone] puts a yoke [on the neck of an ox to force it to do what he] wants [MET] it to do. But I will cause that to end. [That will happen because] I, Yahweh, have said it.’”
मैं यहोइयाकिम के पुत्र यहूदिया के राजा यकोनियाह को भी इस स्थान पर लौटा ले आने पर हूं तथा यहूदिया के उन सभी बंदियों को, जो बाबेल चले गए थे,’ यह याहवेह की वाणी है, ‘क्योंकि मैं बाबेल के राजा का जूआ तोड़ दूंगा.’”
5 I replied to Hananiah in front of [all] the priests and other people who were standing outside the temple.
यह सुन भविष्यद्वक्ता येरेमियाह ने भविष्यद्वक्ता हाननियाह को पुरोहितों एवं याहवेह के भवन में उपस्थित सारे लोगों के समक्ष संबोधित करते हुए कहा.
6 I said, “(Amen/May that happen)! I desire/hope that what you have predicted will happen. I hope/desire that Yahweh will do everything that you have said! I hope/desire that he will cause [men from Babylon] to bring back from Babylon [all] the valuable things that were in this temple, and all the people who were taken [to Babylon].
भविष्यद्वक्ता येरेमियाह के वचन इस प्रकार थे, “आमेन! याहवेह ऐसा ही हो जाने दें! तुम्हारे द्वारा की गई भविष्यवाणी की याहवेह पुष्टि करें, जो तुम्हारे द्वारा की गई है, कि याहवेह के भवन के बर्तन तथा बाबेल के सारे बंदियों को इस स्थान पर लौटा लाया जाएगा.
7 But now listen to what I say to you while all these people are listening.
फिर भी, अब मेरा यह वचन सुन लो जो मैं तुम्हारे तथा इन सभी लोगों के सुनने में प्रस्तुत करने पर हूं:
8 Many years ago, those who were prophets before you and I [became prophets] spoke messages about many nations and great kingdoms. They predicted/prophesied that wars and disasters and plagues/diseases would occur in those nations.
प्राचीन काल से मेरे और तुम्हारे प्राचीन काल भविष्यद्वक्ता अनेक देशों तथा शक्तिशाली राज्यों के विरुद्ध युद्ध, अकाल संकट तथा महामारी की भविष्यवाणी करते आए हैं.
9 [So now you or] any other prophet who predicts that things will go well [for us must show that your message is correct. Only] if what you predict actually happens will we know that you were truly appointed by Yahweh.”
वह भविष्यद्वक्ता, जो शांति कल्याण की भविष्यवाणी करता है और उस भविष्यद्वक्ता की भविष्यवाणी चरितार्थ हो जाती है, तब वही भविष्यद्वक्ता याहवेह द्वारा भेजा गया सही भविष्यद्वक्ता होगा.”
10 Then Hananiah took the yoke off my neck and broke it.
यह सुन हाननियाह ने भविष्यद्वक्ता येरेमियाह की गर्दन पर रखा जूआ लेकर तोड़ डाला.
11 Then he said this to all the people who were there: “This is what Yahweh says: ‘Just like Hananiah has broken this yoke, within two years I will cause King Nebuchadnezzar of Babylon to [stop forcing the people to do what he wants, which has been like] a heavy yoke on all their necks [MET].’” After Hananiah said that, I left the temple area.
हाननियाह ने सभी उपस्थित लोगों के समक्ष यह कहा, “याहवेह का संदेश यह है: ‘मैं दो वर्ष के भीतर ही भीतर सारी जनताओं की गर्दन पर से बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र का जूआ तोड़ डालूंगा.’” तब भविष्यद्वक्ता येरेमियाह वहां से चले गए.
12 [Soon] after Hananiah had broken the yoke that was around my neck, Yahweh gave this message to me:
भविष्यद्वक्ता हाननियाह द्वारा भविष्यद्वक्ता येरेमियाह की गर्दन पर रखे जूए को तोड़ देने के बाद, येरेमियाह को याहवेह का यह संदेश प्राप्‍त हुआ:
13 “Go and say this to Hananiah: ‘Yahweh says that you have broken a wooden yoke, but that he will replace it with an iron yoke.
“जाकर हाननियाह से यह कहना: ‘यह याहवेह द्वारा भेजा गया संदेश है: तुमने तो काठ के जुओं को तोड़ दिया है, किंतु तुम्हीं ने उनके स्थान पर लोहे के जूए निर्मित कर दिए हैं.
14 I have forced the people of all these nations to [become slaves of] King Nebuchadnezzar of Babylon. That is [like] [MET] an iron yoke around their necks. I have put everything, even wild animals, under his control.’”
क्योंकि इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह का संदेश यह है: मैंने इन सारी जनताओं की गर्दन पर लोहे का जूआ रख दिया है कि वे बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र के अधीन हो जाएं, वे निश्चयतः उसके अधीन रहेंगे. मैंने तो नबूकदनेज्ज़र को मैदान के पशुओं पर भी अधिकार दे दिया है.’”
15 Then I [went to] Hananiah and said to him, “Hananiah, listen [to this]: Yahweh has not appointed you; instead, [you have told] lies to the people, and they have believed your lies.
तब भविष्यद्वक्ता येरेमियाह ने भविष्यद्वक्ता हाननियाह को संबोधित किया, “अब यह सुन लो, हाननियाह! याहवेह ने तुम्हें भेजा ही नहीं है, तुमने इन लोगों को असत्य पर विश्वास करने पर विवश किया है.
16 Therefore, this is what Yahweh says: ‘You will [soon] die. Before the end of this year, you will die, because you have rebelled against Yahweh.’”
इसलिये याहवेह का संदेश यह है: ‘यह देखना कि मैं तुम्हें आकाश तल पर से ही हटा देने पर हूं. तुम्हारी मृत्यु इसी वर्ष हो जाएगी, क्योंकि तुमने याहवेह के विरुद्ध विद्रोह करने की युक्ति की है.’”
17 Hananiah died two months later.
उसी वर्ष सातवें माह में, भविष्यद्वक्ता हाननियाह की मृत्यु हो गई.

< Jeremiah 28 >