< Isaiah 65 >

1 [This is what Yahweh said]: “I was ready to reply [to my people], but no one requested me [to help them]. I was ready to help [even] those who did not call out to me. I continued to say, ‘I am here [to help you]!’
जो मुझ को पूछते भी न थे वे मेरे खोजी हैं; जो मुझे ढूँढ़ते भी न थे उन्होंने मुझे पा लिया, और जो जाति मेरी नहीं कहलाई थी, उससे भी मैं कहता हूँ, “देख, मैं उपस्थित हूँ।”
2 [It is as though] I have continually held out my arms [to show that I am ready to help] my people who rebel [against me], and who [continually] do the evil things that they want to do.
मैं एक हठीली जाति के लोगों की ओर दिन भर हाथ फैलाए रहा, जो अपनी युक्तियों के अनुसार बुरे मार्गों में चलते हैं।
3 They boldly continue to do things that cause me to be angry: They offer sacrifices [to their idols] in their gardens, and they burn incense [to them] on [altars made of] bricks.
ऐसे लोग, जो मेरे सामने ही बारियों में बलि चढ़ा-चढ़ाकर और ईंटों पर धूप जला-जलाकर, मुझे लगातार क्रोध दिलाते हैं।
4 They secretly remain awake at night in burial caves, [talking with the spirits of] ([dead people/their ancestors]). They eat the meat of pigs, and their pots are full of [other] meat that is [also] unacceptable to me.
ये कब्र के बीच बैठते और छिपे हुए स्थानों में रात बिताते; जो सूअर का माँस खाते, और घृणित वस्तुओं का रस अपने बर्तनों में रखते;
5 [Then] they say [to others], ‘Stay away from me; do not come near me, because I am very holy, [with the result that you should not touch me].’ People like that are [like] [MET] smoke in my nose [from] a fire that burns continually.
जो कहते हैं, “हट जा, मेरे निकट मत आ, क्योंकि मैं तुझ से पवित्र हूँ।” ये मेरी नाक में धुएँ व उस आग के समान हैं जो दिन भर जलती रहती है। विद्रोहियों को दण्ड
6 I have written [a record of all the evil things that they have done]. And I will not do nothing about all those things; I will certainly punish them
देखो, यह बात मेरे सामने लिखी हुई है: “मैं चुप न रहूँगा, मैं निश्चय बदला दूँगा वरन् तुम्हारे और तुम्हारे पुरखाओं के भी अधर्म के कामों का बदला तुम्हारी गोद में भर दूँगा।
7 for the sins that they and their ancestors have committed. They have mocked/insulted me by burning incense [to their idols] on the hilltops. So I will punish them like they deserve for doing those things.”
क्योंकि उन्होंने पहाड़ों पर धूप जलाया और पहाड़ियों पर मेरी निन्दा की है, इसलिए मैं यहोवा कहता हूँ, कि, उनके पिछले कामों के बदले को मैं इनकी गोद में तौलकर दूँगा।”
8 This is [also] what Yahweh said: “When there is a cluster of nice grapes on a vine, people do not throw them away, because they know that there is good juice in those grapes. Similarly, because there are some people [in Judah] who faithfully serve/worship me, I will not get rid of all of them.
यहोवा यह कहता है: “जिस भाँति दाख के किसी गुच्छे में जब नया दाखमधु भर आता है, तब लोग कहते हैं, उसे नाश मत कर, क्योंकि उसमें आशीष है, उसी भाँति मैं अपने दासों के निमित्त ऐसा करूँगा कि सभी को नाश न करूँगा।
9 I will spare some of the descendants of Jacob who are living on the hills of Judah. I have chosen them, and they will possess that land; they will worship/serve me, and they will live there.
मैं याकूब में से एक वंश, और यहूदा में से अपने पर्वतों का एक वारिस उत्पन्न करूँगा; मेरे चुने हुए उसके वारिस होंगे, और मेरे दास वहाँ निवास करेंगे।
10 [Then all the land from the] Sharon [Plain near the Mediterranean Sea] and [as far east as] Achor Valley [near Jericho] will become pastureland where their cattle and sheep will rest.
१०मेरी प्रजा जो मुझे ढूँढ़ती है, उसकी भेड़-बकरियाँ तो शारोन में चरेंगी, और उसके गाय-बैल आकोर नामक तराई में विश्राम करेंगे।
11 But [it will be different] for you who have abandoned me, you who do not worship me on [Zion], my sacred hill, you who worship Gad and Meni, [the gods who you think will bring you] good luck and good fortune.
११परन्तु तुम जो यहोवा को त्याग देते और मेरे पवित्र पर्वत को भूल जाते हो, जो भाग्य देवता के लिये मेज पर भोजन की वस्तुएँ सजाते और भावी देवी के लिये मसाला मिला हुआ दाखमधु भर देते हो;
12 [It is I, not Meni, who will decide/say what will happen to you]; you will all [be slaughtered by] swords. [That will happen] because you did not answer when I called out to you. I spoke to you, but you did not pay attention. Instead, you did things that I said are evil; you chose to do things that do not please me.
१२मैं तुम्हें गिन-गिनकर तलवार का कौर बनाऊँगा, और तुम सब घात होने के लिये झुकोगे; क्योंकि, जब मैंने तुम्हें बुलाया तुम ने उत्तर न दिया, जब मैं बोला, तब तुम ने मेरी न सुनी; वरन् जो मुझे बुरा लगता है वही तुम ने नित किया, और जिससे मैं अप्रसन्न होता हूँ, उसी को तुम ने अपनाया।”
13 I, Yahweh the Lord, will give to those who worship and obey me things to eat and drink, and they will be happy; but [all] you evil people will be hungry and thirsty, and you will be [sad and] disgraced.
१३इस कारण प्रभु यहोवा यह कहता है: “देखो, मेरे दास तो खाएँगे, पर तुम भूखे रहोगे; मेरे दास पीएँगे, पर तुम प्यासे रहोगे; मेरे दास आनन्द करेंगे, पर तुम लज्जित होगे;
14 Those who worship and obey me will sing joyfully, but you [evil people] will wail loudly because you will be suffering in your inner beings.
१४देखो, मेरे दास हर्ष के मारे जयजयकार करेंगे, परन्तु तुम शोक से चिल्लाओगे और खेद के मारे हाय! हाय!, करोगे।
15 Those whom I have chosen will use your names when they curse people; [I], Yahweh the Lord, will get rid of you. But I will give to those who worship and obey me a new name [that they will use when they bless people].
१५मेरे चुने हुए लोग तुम्हारी उपमा दे-देकर श्राप देंगे, और प्रभु यहोवा तुझको नाश करेगा; परन्तु अपने दासों का दूसरा नाम रखेगा।
16 The people in this land have had many troubles, but I will cause those troubles to occur no more. Therefore those who ask me to bless them and those who solemnly promise to do something should never forget that I am God, who faithfully [do what I promise to do].”
१६तब सारे देश में जो कोई अपने को धन्य कहेगा वह सच्चे परमेश्वर का नाम लेकर अपने को धन्य कहेगा, और जो कोई देश में शपथ खाए वह सच्चे परमेश्वर के नाम से शपथ खाएगा; क्योंकि पिछला कष्ट दूर हो गया और वह मेरी आँखों से छिप गया है।
17 “Note this: [Some day] I will create a new heaven and a new earth. [They will be very wonderful, with the result that] you will no longer think about all [the troubles] you had previously.
१७“क्योंकि देखो, मैं नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्न करता हूँ; और पहली बातें स्मरण न रहेंगी और सोच-विचार में भी न आएँगी।
18 Be glad and always rejoice because of what I will do: Jerusalem will be a place where [people] rejoice; the people who live there will always be happy.
१८इसलिए जो मैं उत्पन्न करने पर हूँ, उसके कारण तुम हर्षित हो और सदा सर्वदा मगन रहो; क्योंकि देखो, मैं यरूशलेम को मगन और उसकी प्रजा को आनन्दित बनाऊँगा।
19 I will rejoice about Jerusalem, and I will be delighted with my people. [People] will no longer weep or cry because of being distressed.
१९मैं आप यरूशलेम के कारण मगन, और अपनी प्रजा के हेतु हर्षित होऊँगा; उसमें फिर रोने या चिल्लाने का शब्द न सुनाई पड़ेगा।
20 No child will die when it is still an infant; all people will live until they are very old. [People will consider that] anyone who is 100 years old is still young; [they will consider that] anyone who dies who is younger than that has been cursed.
२०उसमें फिर न तो थोड़े दिन का बच्चा, और न ऐसा बूढ़ा जाता रहेगा जिसने अपनी आयु पूरी न की हो; क्योंकि जो लड़कपन में मरनेवाला है वह सौ वर्ष का होकर मरेगा, परन्तु पापी सौ वर्ष का होकर श्रापित ठहरेगा।
21 My people will build houses and [then] live in them. They will plant vineyards and then eat grapes from those vineyards.
२१वे घर बनाकर उनमें बसेंगे; वे दाख की बारियाँ लगाकर उनका फल खाएँगे।
22 As for the houses that they build, no one will [take those houses away from them and] live in them. No one will take a vineyard away from its owner. My chosen people will live a long time, like trees do, and they will enjoy what they have accomplished— [the houses that they have built and the crops that they have planted].
२२ऐसा नहीं होगा कि वे बनाएँ और दूसरा बसे; या वे लगाएँ, और दूसरा खाए; क्योंकि मेरी प्रजा की आयु वृक्षों की सी होगी, और मेरे चुने हुए अपने कामों का पूरा लाभ उठाएँगे।
23 They will not work hard in vain, and their children will not die from some (calamity/terrible thing happening to them). I will [certainly] bless their children and their grandchildren.
२३उनका परिश्रम व्यर्थ न होगा, न उनके बालक घबराहट के लिये उत्पन्न होंगे; क्योंकि वे यहोवा के धन्य लोगों का वंश ठहरेंगे, और उनके बाल-बच्चे उनसे अलग न होंगे।
24 Before they call to me [to help them], I will answer; I will answer their prayers while they are still praying [for me to do something for them].
२४उनके पुकारने से पहले ही मैं उनको उत्तर दूँगा, और उनके माँगते ही मैं उनकी सुन लूँगा।
25 No one will be harmed or injured anywhere on [Zion], my sacred hill: Wolves and lambs will eat grass together [peacefully]; lions will eat hay like oxen do, [and they will not attack people]. Snakes will [not hurt anyone; they will lie on the ground and] eat [only] dirt. [That is surely what it will be like because I], Yahweh, have said it.”
२५भेड़िया और मेम्ना एक संग चरा करेंगे, और सिंह बैल के समान भूसा खाएगा; और सर्प का आहार मिट्टी ही रहेगा। मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई किसी को दुःख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा, यहोवा का यही वचन है।”

< Isaiah 65 >