< Haggai 2 >
1 On October 17 [of that year], Yahweh gave [me], the prophet Haggai, [another] message.
१फिर सातवें महीने के इक्कीसवें दिन को यहोवा का यह वचन हाग्गै भविष्यद्वक्ता के पास पहुँचा,
2 [The message was that I should] say this to Zerubbabel, Jeshua, and to the other people who were still alive [in Jerusalem]:
२“शालतीएल के पुत्र यहूदा के अधिपति जरुब्बाबेल, और यहोसादाक के पुत्र यहोशू महायाजक और सब बचे हुए लोगों से यह बात कह,
3 “Do any of you remember how glorious our former temple was? [If you do, ] what does it look like to you now? It must seem like nothing at all.
३‘तुम में से कौन है, जिसने इस भवन की पहली महिमा देखी है? अब तुम इसे कैसी दशा में देखते हो? क्या यह सच नहीं कि यह तुम्हारी दृष्टि में उस पहले की अपेक्षा कुछ भी अच्छा नहीं है?
4 But now the Commander of the armies of angels says to [all of you], to Zerubbabel and Jeshua and the rest of you people who live in this nation, ‘[Do not be discouraged; ] be strong [DOU], and work [to build this new temple], because I will (be with/help) you.
४तो भी, अब यहोवा की यह वाणी है, हे जरुब्बाबेल, हियाव बाँध; और हे यहोसादाक के पुत्र यहोशू महायाजक, हियाव बाँध; और यहोवा की यह भी वाणी है कि हे देश के सब लोगों हियाव बाँधकर काम करो, क्योंकि मैं तुम्हारे संग हूँ, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।
5 My Spirit remains among you, like I promised your [ancestors] when they left Egypt. [So] do not be afraid!’”
५तुम्हारे मिस्र से निकलने के समय जो वाचा मैंने तुम से बाँधी थी, उसी वाचा के अनुसार मेरा आत्मा तुम्हारे बीच में बना है; इसलिए तुम मत डरो।
6 This is what the Commander of the armies of angels says: “Soon I will shake the sky and the earth, the oceans and the land again.
६क्योंकि सेनाओं का यहोवा यह कहता है, अब थोड़ी ही देर बाकी है कि मैं आकाश और पृथ्वी और समुद्र और स्थल सब को कँपित करूँगा।
7 I will shake [again the people of] all the nations, and as a result they will bring their treasures [to this temple]. I will fill this temple with [my] glory.
७और मैं सारी जातियों को हिलाऊँगा, और सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएँ आएँगी; और मैं इस भवन को अपनी महिमा के तेज से भर दूँगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।
8 The silver and the gold [that they own] are [really] mine, [so they will bring them to me].
८चाँदी तो मेरी है, और सोना भी मेरा ही है, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।
9 [Then] this temple will be more glorious than the former/previous [temple was]. And I will cause things to go well for you all. [That will surely happen because I, ] the Commander of the armies of angels, have said it.”
९इस भवन की पिछली महिमा इसकी पहली महिमा से बड़ी होगी, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है, और इस स्थान में मैं शान्ति दूँगा, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।’”
10 On December 18 of that year, Yahweh gave [another] message to [me], the prophet Haggai.
१०दारा के राज्य के दूसरे वर्ष के नौवें महीने के चौबीसवें दिन को, यहोवा का यह वचन हाग्गै भविष्यद्वक्ता के पास पहुँचा,
11 This is what the Commander of the armies of angels said to me: “Ask the priests [this question] about what is written in the laws [of Moses about sacrifices]:
११“सेनाओं का यहोवा यह कहता है: याजकों से इस बात की व्यवस्था पूछ,
12 ‘If one [of you priests takes from the altar some] meat that was sacrificed and is carrying it in his robes, if his robe touches [some] bread or stew or wine or [olive] oil or some other food, does that food also become (holy/acceptable for a sacrifice)?’” [When he said that to] the priests, they replied, “No.”
१२‘यदि कोई अपने वस्त्र के आँचल में पवित्र माँस बाँधकर, उसी आँचल से रोटी या पकाए हुए भोजन या दाखमधु या तेल या किसी प्रकार के भोजन को छूए, तो क्या वह भोजन पवित्र ठहरेगा?’” याजकों ने उत्तर दिया, “नहीं।”
13 Then Haggai asked them, “If someone becomes unacceptable to God by touching a corpse, and [then he] touches any of those foods, will the food [also] become unacceptable to God?” The priests replied, “Yes.”
१३फिर हाग्गै ने पूछा, “यदि कोई जन मनुष्य की लोथ के कारण अशुद्ध होकर ऐसी किसी वस्तु को छूए, तो क्या वह अशुद्ध ठहरेगी?” याजकों ने उत्तर दिया, “हाँ अशुद्ध ठहरेगी।”
14 Then Haggai replied, “Yahweh says [this]: ‘It is the same with you people and with this nation. Everything that you do and [all the sacrifices] that you all offer are unacceptable to me [because of the sins that you have committed].
१४फिर हाग्गै ने कहा, “यहोवा की यही वाणी है, कि मेरी दृष्टि में यह प्रजा और यह जाति वैसी ही है, और इनके सब काम भी वैसे हैं; और जो कुछ वे वहाँ चढ़ाते हैं, वह भी अशुद्ध है;
15 Think about what has been happening to you before you began to lay the foundation of my temple.
१५“अब सोच-विचार करो कि आज से पहले अर्थात् जब यहोवा के मन्दिर में पत्थर पर पत्थर रखा ही नहीं गया था,
16 When you expected [to harvest] 20 bushels [of grain, you harvested] only ten bushels. When someone went to a [big] wine vat to get 50 gallons [of wine], there were only 20 [gallons in the vat].
१६उन दिनों में जब कोई अन्न के बीस नपुओं की आशा से जाता, तब दस ही पाता था, और जब कोई दाखरस के कुण्ड के पास इस आशा से जाता कि पचास बर्तन भर निकालें, तब बीस ही निकलते थे।
17 I sent (blight/hot winds) and mildew and hail to destroy all your crops. But still you did not return to me.
१७“मैंने तुम्हारी सारी खेती को लू और गेरूई और ओलों से मारा, तो भी तुम मेरी ओर न फिरे, यहोवा की यही वाणी है।
18 Starting from this day, December 18, the day when [you] have laid the foundation of my [new] temple, continue to think carefully [about your situation].
१८अब सोच-विचार करो, कि आज से पहले अर्थात् जिस दिन यहोवा के मन्दिर की नींव डाली गई, उस दिन से लेकर नौवें महीने के इसी चौबीसवें दिन तक क्या दशा थी? इसका सोच-विचार करो।
19 Is there now [RHQ] [any grain] seed left in your barns? [No, because you have eaten the small amount that you harvested]. And there is no fruit on your grapevines and fig trees and pomegranate [trees] and olive trees. But, from now on, I will bless you!’”
१९क्या अब तक बीज खत्ते में है? अब तक दाखलता और अंजीर और अनार और जैतून के वृक्ष नहीं फले, परन्तु आज के दिन से मैं तुम को आशीष देता रहूँगा।”
20 On that same day, Yahweh gave another message to me.
२०उसी महीने के चौबीसवें दिन को दूसरी बार यहोवा का यह वचन हाग्गै के पास पहुँचा,
21 [He said, ] “Tell Zerubbabel the governor of Judah that I am going to shake the sky and the earth.
२१“यहूदा के अधिपति जरुब्बाबेल से यह कह: मैं आकाश और पृथ्वी दोनों को हिलाऊँगा,
22 I will end the power of the kings of [many] nations [DOU]. I will cause their chariots and their drivers, their horses and [the soldiers] who are riding on them to be destroyed. [What will happen is that I will cause the soldiers] to kill each other with their swords.
२२और मैं राज्य- राज्य की गद्दी को उलट दूँगा; मैं अन्यजातियों के राज्य-राज्य का बल तोड़ूँगा, और रथों को चढ़वैयों समेत उलट दूँगा; और घोड़ों समेत सवार हर एक अपने भाई की तलवार से गिरेंगे।
23 Zerubbabel, you serve [me well]. So [I], the Commander of the armies of angels, declare that [like kings wear] signet rings [to show that they have authority to rule people], I will appoint you and cause you [to have authority to rule]. I will do that because I have chosen you. [That will surely happen because I, ] the Commander of the armies of angels, have said it.”
२३सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है, उस दिन, हे शालतीएल के पुत्र मेरे दास जरुब्बाबेल, मैं तुझे लेकर मुहर वाली अंगूठी के समान रखूँगा, यहोवा की यही वाणी है; क्योंकि मैंने तुझी को चुन लिया है, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।”