< Esther 9 >
1 The first law that the king had commanded was to be made effective on March 7th. On that day the enemies of the Jews hoped to get rid of them. But instead, on that same day the Jews defeated their enemies.
अब बारहवें महीने या'नी अदार महीने की तेरहवीं तारीख़ को, जब बादशाह के हुक्म और फ़रमान पर 'अमल करने का वक़्त नज़दीक आया, और उस दिन यहूदियों के दुश्मनों को उन पर ग़ालिब होने की उम्मीद थी, हालाँकि इसके अलावा यह हुआ कि यहूदियों ने अपने नफ़रत करनेवालों पर ग़लबा पाया;
2 Throughout the empire, the Jews gathered together in their cities to attack those who wanted to get rid of them. No one could fight against the Jews, because all the other people in the areas where the Jews lived were afraid of them, [so they did not want to help anyone who attacked the Jews].
तो अख़्सूयरस बादशाह के सब सूबों के यहूदी अपने अपने शहर में इकट्ठे हुए कि उन पर जो उनका नुक़्सान चाहते थे, हाथ चलाएँ और कोई आदमी उनका सामना न कर सका, क्यूँकि उनका ख़ौफ़ सब क़ौमों पर छा गया था।
3 All the governors and [other] officials and important people in all the provinces helped the Jews, because they were afraid of Mordecai.
और सूबों के सब अमीरों और नवाबों और हाकिमों और बादशाह के कार गुज़ारों ने यहूदियों की मदद की, इसलिए कि मर्दकै का रौब उन पर छा गया था।
4 They were afraid of him because in all the provinces [they knew that] Mordecai was now the king’s most important official, [with the authority that Haman previously had]. Mordecai was becoming more famous because [the king was giving him] more and more power.
क्यूँकि मर्दकै शाही महल में ख़ास 'ओहदे पर था, और सब सूबों में उसकी शोहरत फैल गई थी, इसलिए कि यह आदमी या'नी मर्दकै बढ़ता ही चला गया।
5 [On March 7th, ] the Jews attacked and killed with their swords all of their enemies. They did whatever they wanted to do, to the people who hated them.
और यहूदियों ने अपने सब दुश्मनों को तलवार की धार से काट डाला और क़त्ल और हलाक किया, और अपने नफ़रत करने वालों से जो चाहा किया।
6 [Just] in Susa alone, the capital city, they killed 500 people.
और सोसन के महल में यहूदियों ने पाँच सौ आदमियों को क़त्ल और हलाक किया,
7 Among those whom they killed were the ten sons of Haman. [Their names were] Parshandatha, Dalphon, Aspatha,
और परशन्दाता और दलफ़ून और असपाता,
8 Poratha, Adalia, Aridatha,
और पोरता और अदलियाह और अरीदता,
9 Parmashta, Arisai, Aridai, and Vaizatha.
और परमश्ता और अरीसै और अरीदै और वैज़ाता,
10 Those were grandsons of Hammedatha and sons of Haman, the enemy of the Jews. The Jews killed them, but they did not take the things that belonged to the people whom they killed.
या'नी यहूदियों के दुश्मन हामान — बिन — हम्मदाता के दसों बेटों को उन्होंने क़त्ल किया, पर लूट पर उन्होंने हाथ न बढ़ाया।
11 [At the end of] that day someone reported to the king the number of people whom the Jews killed in Susa.
उसी दिन उन लोगों का शुमार जो सोसन के महल में क़त्ल हुए बादशाह के सामने पहुँचाया गया।
12 Then the king said to Queen Esther, “The Jews have killed 500 people here in Susa, including the ten sons of Haman! [So I think that] they must have killed many more people in the rest of my empire [RHQ]! [But okay], now what else do you want me to do for you. You tell me, and I will do it.”
और बादशाह ने आस्तर मलिका से कहा, “यहूदियों ने सोसन के महल ही में पाँच सौ आदमियों और हामान के दसों बेटों को कत्ल और हलाक किया है, तो बादशाह के बाक़ी सूबों में उन्होंने क्या कुछ न किया होगा! अब तेरा क्या सवाल है? वह मंजूर होगा, और तेरी और क्या दरख़्वास्त है? वह पूरी की जाएगी।”
13 Esther replied, “If it pleases you, allow the Jews here in Susa to do again tomorrow what [you] commanded [them] to do today. And command that the bodies of Haman’s ten sons be hanged on the gallows/poles.”
आस्तर ने कहा, “अगर बादशाह को मंजूर हो तो उन यहूदियों को जो सोसन में हैं इजाज़त मिले कि आज के फ़रमान के मुताबिक़ कल भी करें, और हामान के दसों बेटे सूली पर चढ़ाए जाएँ।”
14 So the king commanded that the Jews be permitted to kill more of their enemies the next day. After he issued [another] order in Susa, the bodies of Haman’s ten sons were hanged.
इसलिए बादशाह ने हुक्म दिया, “ऐसा ही किया जाए।” और सोसन में उस फ़रमान का ऐलान किया गया; और हामान के दसों बेटों को उन्होंने टाँग दिया।
15 On the next day, the Jews in Susa gathered together and killed 300 more people. But [again, ] they did not take the things that belonged to the people whom they killed.
और वह यहूदी जो सोसन में रहते थे, अदार महीने की चौदहवीं तारीख़ को इकट्ठे हुए और उन्होंने सोसन में तीन सौ आदमियों को क़त्ल किया, लेकिन लूट के माल को हाथ न लगाया।
16 That happened on March 8th. On the following day, the Jews [in Susa] rested and celebrated. In all the other provinces, the Jewish people gathered together to defend themselves, and they killed 75,000 people who hated them, but [again] they did not take the things that belonged to the people whom they killed.
बाक़ी यहूदी जो बादशाह के सूबों में रहते थे, इकट्ठे होकर अपनी अपनी जान बचाने के लिए मुक़ाबिले को अड़ गए, और अपने दुश्मनों से आराम पाया और अपने नफ़रत करनेवालों में से पच्छत्तर हज़ार को क़त्ल किया, लेकिन लूट पर उन्होंने हाथ न बढ़ाया।
17 That occurred on March 7th, and on the following day they rested and celebrated.
यह अदार महीने की तेरहवीं तारीख़ थी, और उसी की चौदहवीं तारीख़ को उन्होंने आराम किया, और उसे मेहमान नवाज़ी और ख़ुशी का दिन ठहराया।
18 After the Jews in Susa gathered together [and killed their enemies] on March 7th and 8th, they rested and celebrated on March 9th.
लेकिन वह यहूदी जो सोसन में थे, उसकी तेरहवीं और चौदहवीं तारीख़ को इकट्ठे हुए, और उसकी पन्द्रहवीं तारीख़ को आराम किया और उसे मेहमान नवाज़ी और ख़ुशी का दिन ठहराया।
19 That is why [every year], on March 8th, the Jews who live in villages now celebrate [defeating their enemies]. They have feasts and give gifts [of food] to each other.
इसलिए देहाती यहूदी जो बिना दीवार बस्तियों में रहते हैं, अदार महीने की चौदहवीं तारीख़ की शादमानी और मेहमान नवाज़ी का और ख़ुशी का और एक दूसरे को तोहफ़े भेजने का दिन मानते हैं।
20 Mordecai wrote down all the things that had happened. Then he sent letters to the Jews who lived throughout the empire of King Xerxes.
मर्दकै ने यह सब अहवाल लिखकर, उन यहूदियों को जो अख़्सूयरस बादशाह के सब सूबों में क्या नज़दीक क्या दूर रहते थे ख़त भेजे,
21 He told them that every year they should celebrate on the 8th and 9th of March,
ताकि उनको ताकीद करे कि वह अदार महीने की चौदहवीं तारीख़ को, और उसी की पन्द्रहवीं को हर साल,
22 because those were the days when the Jews got rid of their enemies. He also told them that they should celebrate on those days by feasting and giving gifts [of food] to each other and to poor people. They would remember it as the month in which they changed from being very sorrowful to being very joyful, from crying to celebrating.
ऐसे दिनों की तरह मानें जिनमें यहूदियों को अपने दुश्मनों से चैन मिला; और वह महीने उनके लिए ग़म से शादमानी में और मातम से ख़ुशी के दिन में बदल गए; इसलिए वह उनको मेहमान नवाज़ी और ख़ुशी और आपस में तोहफ़े भेजने और गरीबों को ख़ैरात देने के दिन ठहराएँ।
23 So the Jews agreed to do what Mordecai wrote. They agreed to celebrate on those days [every year].
यहूदियों ने जैसा शुरू किया था और जैसा मर्दकै ने उनको लिखा था, वैसा ही करने का ज़िम्मा लिया।
24 They would remember how Haman, son of Hammedatha, a descendant of [King] Agag, became an enemy of all the Jews. [They would remember] how he had made an evil plan to kill the Jews, and that he had (cast lots/thrown small marked stones) to choose the day to kill [DOU] them.
क्यूँकि अजाजी हम्मदाता के बेटे हामान, सब यहूदियों के दुश्मन, ने यहूदियों के ख़िलाफ़ उनको हलाक करने की तदबीर की थी, और उसने पूर या'नी पर्ची डाला था कि उनको मिटाये और हलाक करे।
25 [They would remember] that when Esther told the king about Haman’s plan, the king arranged that the evil plan that Haman had made to kill the Jews would fail, and that he [would be killed] instead of the Jews, and that Haman and that his sons were hanged.
तब जब वह मु'आमिला बादशाह के सामने पेश हुआ, तो उसने ख़तों के ज़रिए से हुक्म किया कि वह बुरी तजवीज़, जो उसने यहूदियों के बरख़िलाफ़ की थी उल्टी उस ही के सिर पर पड़े, और वह और उसके बेटे सूली पर चढ़ाए जाएँ।
26 [Because the (lot/small marked stone) that Haman threw was called] Pur, the Jews called these days Purim. And, because of everything that ([Mordecai] wrote/was written) in that letter, and because of all that happened to them,
इसलिए उन्होंने उन दिनों को पूर के नाम की वजह से पूरीम कहा। इसलिए इस ख़त की सब बातों की वजह से, और जो कुछ उन्होंने इस मु'आमिले में ख़ुद देखा था और जो उनपर गुज़रा था उसकी वजह से भी
27 the Jews [throughout the empire] agreed to celebrate in that manner on those two days every year. They said that they would tell their descendants and those people who became Jews to be certain to celebrate this festival every year. They should celebrate just as [Mordecai] told them to do [in the letter] that he wrote.
यहूदियों ने ठहरा दिया, और अपने ऊपर और अपनी नस्ल के लिए और उन सभों के लिए जो उनके साथ मिल गए थे, यह ज़िम्मा लिया ताकि बात अटल हो जाए कि वह उस ख़त की तहरीर के मुताबिक़ हर साल उन दोनों दिनों को मुक़र्ररा वक़्त पर मानेंगे।
28 They said that they would remember and celebrate on those two days every year, in each family, in every city, and in every province. They solemnly declared that they and their descendants would never stop remembering and celebrating those days called Purim.
और यह दिन नसल — दर — नसल हर ख़ान्दान और सूबे और शहर में याद रख्खें और माने जाएँगे, और पूरीम के दिन यहूदियों में कभी मौकू़फ़ न होंगे, न उनकी यादगार उनकी नसल से जाती रहेगी।
29 Then Mordecai and Queen Esther, who was the daughter of Abihail, wrote a second letter about the Purim feast. Esther used the authority that she had because of being the queen to confirm that what Mordecai had written in the first letter was true.
और अबीख़ैल की बेटी आस्तर मलिका, और यहूदी मर्दकै ने पूरीम के बाब के ख़त पर ज़ोर देने के लिए पूरे इख़्तियार से लिखा।
30 What they wrote [in the second letter] was, “We wish that all of you will be living peacefully and safely/righteously. We want you and your descendants to celebrate Purim each year on the days that we two established, and to do the things that we two told you to do.” In that letter, Queen Esther and Mordecai also gave them instructions about (fasting/abstaining from eating food) and being sorrowful. Then copies of that letter were sent to all the Jews who were living in the 127 provinces of the empire.
और उसने सलामती और सच्चाई की बातें लिख कर अख़्सूयरस की बादशाहत के एक सौ सताईस सूबों में सब यहूदियों के पास ख़त भेजे
ताकि पूरीम के इन दिनों को उनके मुक़र्ररा वक़्त के लिए बरक़रार करे जैसा यहूदी मर्दकै और आस्तर मलिका ने उनको हुक्म किया था; और जैसा उन्होंने अपने और अपनी नसल के लिए रोज़ा रखने और मातम करने के बारे में ठहराया था।
32 The letter that Esther wrote about the manner in which they should celebrate the Purim feast was also written in an official record.
और आस्तर के हुक्म से पूरीम की इन रस्मों की तसदीक़ हुई और यह किताब में लिख लिया गया।