< Esther 4 >

1 When Mordecai found out about those [letters, he was so anguished that] he tore his clothes and put on [rough] sackcloth and [threw] ashes over himself. Then he went into the city, crying very loudly.
यह सब, जो कुछ किया गया था, मालूम हुआ तब मोरदकय ने अपने वस्त्र फाड़ दिए, टाट ओढ़े, देह पर भस्म लगाकर शोक करता रहा, और ऊंची आवाज से चिल्लाते हुए नगर चौक से
2 He stood outside the gate of the palace, because no one who was wearing sackcloth was allowed to enter the palace.
राजमहल प्रवेश द्वार पर जा पहुंचा. टाट ओढ़ के राजमहल के द्वार से प्रवेश करना मना था.
3 In every province [of the empire], when the letter from the king was read to the Jewish people, they cried and mourned. They (fasted/abstained from eating food), and wailed loudly. Many of them also put on sackcloth and threw ashes on themselves and lay [on the ground].
सारे साम्राज्य में जहां-जहां राजाज्ञा तथा आदेश पहुंच चुका था, यहूदियों में गहन वेदना-विलाप फैल चुका था. यहूदी उपवास कर रहे थे; रो रहे थे, हां, चिल्लाते भी. अनेकों ने भस्म के साथ टाट ओढ़ लिए थे.
4 When Esther’s maids and other officials came to her and told her what Mordecai had done, she was very distressed. So she sent to Mordecai [some good] clothes to wear instead of the sackcloth, but he refused to take them.
एस्तेर की परिचारिकाओं एवं खोजों ने उसे इसकी सूचना दी. जिससे वह बहुत संकट में थी. उसने मोरदकय के लिए वस्त्र भेज दिए, कि वह अपने टाट वस्त्र छोड़ दे, किंतु मोरदकाय ने ये वस्त्र अस्वीकार कर दिए.
5 Then Esther summoned Hathach, one of the king’s officials whom he had appointed to help take care of Esther. She told him to go [out and talk] to Mordecai to find out what was distressing him and why [he was wearing sackcloth to show] that he was grieving.
तब एस्तेर ने राजा के खोजों में से हाथाख नाम खोजा को बुलवाया, जिसे स्वयं राजा ने ही एस्तेर की सेवा के लिए नियुक्त किया था; एस्तेर ने हाथाख को मोरदकय से यह मालूम करने के लिए प्रेषित किया, कि यह सब क्या हो रहा है तथा इसके पीछे क्या कारण है?
6 Hathach went to Mordecai, who was in the plaza in front of the palace gate.
तब हाथाख राजमहल प्रवेश द्वार के सामने नगर चौक पर गया.
7 Mordecai told him everything that had happened. He told him how much money Haman had promised to give to the government if the king commanded that all the Jews be killed.
मोरदकय ने उसे अपने साथ हुए समस्त घटना का विवरण दे दिया तथा यह भी कि हामान ने यहूदियों को नष्ट करने पर राजकोष में ठीक-ठीक कितना धन देने की प्रतिज्ञा की है.
8 Mordecai also gave to Hathach a copy of the decree that had been read in Susa, [in which it was stated] that all the Jews must be killed. He told Hathach to show the copy to Esther. He told Hathach to explain to Esther what (it meant/would happen). Then he told him to urge her to go to the king and request the king to act mercifully to her people.
मोरदकय ने तो उसे उस राजाज्ञा जो शूशन नगर में उनके नाश के लिए निकाली जा चुकी थी, उसकी एक नकल भी इस उद्देश्य से सौंप दी, कि हाथाख यह एस्तेर को दिखा दे तथा उसे इस विषय की सूचना प्राप्‍त हो सके; और एस्तेर राजा से उसकी कृपा की याचना करे तथा राजा के सामने अपने लोगों का पक्ष समर्थन कर सके.
9 So Hathach returned to Esther and told her what Mordecai said.
हाथाख ने वहां से लौटकर मोरदकय द्वारा प्रकट की गई समस्त बात एस्तेर को बता दी.
10 Then Esther told Hathach to [return to] Mordecai [and] tell this [to him]:
इस पर एस्तेर ने हाथाख को मोरदकय तक यह संदेश पहुंचाने का आदेश दिया,
11 “There is a law [about people going to talk to the king]. All the king’s officials and all the people in the empire know this law. [In that law it states that] anyone who goes to the king in his inner court without having been summoned by the king must be executed. Only those to whom the king has extended his scepter/staff will not be executed. And a month has passed since the king has summoned me, [so what will happen to me if I try to see him and he doesn’t want to see me?]”
“राजा के सारे कर्मचारी एवं राजा के सारे साम्राज्य की प्रजा इस बात को जानती हैं, कि कोई स्त्री अथवा पुरुष यदि बुलाहट के बिना राजा के भीतरी आंगन में प्रवेश कर जाता है, उनके लिये एक ही नियम बनाकर रखा है, उसे मृत्यु दंड दिया जाए. उसके जीवित रह सकने का मात्र एक ही कानून शेष रहता है यदि राजा उसकी ओर अपना स्वर्ण राजदंड बढ़ाए, कि वह जीवित रह सके. मालूम है कि गत तीस दिनों से राजा द्वारा मुझे बुलाया नहीं गया है.”
12 So Hathach [went back to] Mordecai [and] told [him] what Esther had said.
जब एस्तेर की ये बातें मोरदकय को सुनाई गई,
13 Mordecai replied, “[Go back and] tell this to Esther: 'Do not think that just because you live there in the palace, you will escape when all the other Jews [are killed].
मोरदकय ने आग्रह किया कि एस्तेर को यह उत्तर भेज दिया जाए: “इस सोच में न रह जाना कि तुम्हारे राजमहल में रहने के कारण तुम समस्त यहूदियों पर आए संकट से बच जाओगी.
14 If you say nothing now, someone from some other place will rescue [many of] us Jews, but you and your relatives will be killed. Furthermore, (perhaps [God]/who knows if [God]) has put you here [as queen] (for a situation like this/to prevent this from happening to us)!'” [RHQ]
यदि तुम इस अवसर पर चुप रहीं, यहूदियों के लिए निश्चय किसी अन्य जगह से राहत और उद्धार तो आ ही जाएगा, किंतु तुम एवं तुम्हारा कुल मिट जाएगा. कौन इस मर्म को समझ सकता है कि तुम्हें यह राजपद इस परिस्थिति के लिए प्रदान किया गया है?”
15 Then [after Hathach told this to] Esther, [she] told him to return to Mordecai and say this to him:
तब एस्तेर ने उन्हें मोरदकय के लिए इस उत्तर के साथ भेजा,
16 “Gather together all the Jews here in Susa, and tell them to (fast/abstain from food) for my sake. Tell them to not eat or drink anything for three days and nights. My maids and I will also fast. Then, I will go to talk to the king. Even if (I am executed/they execute me) for disobeying the law [by seeing him when he does not hold out the scepter/staff toward me, I am willing for that to happen”].
“जाइए और शूशन नगर के सभी यहूदियों को एकत्र कीजिए तथा मेरे लिए उपवास कीजिए; तीन दिन तथा तीन रात को कोई भी कुछ न खाए और न ही कुछ पिए. अपनी परिचारिकाओं के साथ स्वयं मैं भी इसी प्रकार उपवास करूंगी. तब मैं इसी स्थिति में राजा के पास भीतर जाऊंगी, जो नियम के विरुद्ध है. तब यदि मेरा नाश होता है, तो हो जाए.”
17 So [after Hathach told this to Mordecai, ] Mordecai went and did what Esther told him to do.
मोरदकय ने जाकर ठीक यही किया, जैसा एस्तेर ने उसे आज्ञा दी थी.

< Esther 4 >