< 2 Samuel 7 >
1 After [King] David began to live in his palace, Yahweh protected him from all his enemies.
१जब राजा अपने भवन में रहता था, और यहोवा ने उसको उसके चारों ओर के सब शत्रुओं से विश्राम दिया था,
2 One day he said to the prophet Nathan, “[It is not right that] I am here, living in a [beautiful] house made of cedar [wood], but the chest that contains God’s Ten Commandments is kept in a tent!”
२तब राजा नातान नामक भविष्यद्वक्ता से कहने लगा, “देख, मैं तो देवदार के बने हुए घर में रहता हूँ, परन्तु परमेश्वर का सन्दूक तम्बू में रहता है।”
3 Then Nathan said to the king, “Yahweh is helping/directing you, so do [regarding that chest] whatever you are thinking.”
३नातान ने राजा से कहा, “जो कुछ तेरे मन में हो उसे कर; क्योंकि यहोवा तेरे संग है।”
4 But that night, Yahweh said to Nathan,
४उसी रात को यहोवा का यह वचन नातान के पास पहुँचा,
5 “Go and tell my servant, David, that this is what [I], Yahweh, am saying to him: ‘You are not the one [RHQ] who should build a temple for me to live in.
५“जाकर मेरे दास दाऊद से कह, ‘यहोवा यह कहता है, कि क्या तू मेरे निवास के लिये घर बनवाएगा?
6 I have not lived in any building from the day that I brought the Israeli people up from Egypt until now. Instead, I have been living in a tent, moving from one place to another [when the Israelis] moved to other places.
६जिस दिन से मैं इस्राएलियों को मिस्र से निकाल लाया आज के दिन तक मैं कभी घर में नहीं रहा, तम्बू के निवास में आया-जाया करता हूँ।
7 Wherever I went with all the Israelis [as they traveled], I never said [RHQ] to any of their leaders whom I appointed to lead them, “Why have you not built me a temple made of cedar [wood]?”’
७जहाँ-जहाँ मैं समस्त इस्राएलियों के बीच फिरता रहा, क्या मैंने कहीं इस्राएल के किसी गोत्र से, जिसे मैंने अपनी प्रजा इस्राएल की चरवाही करने को ठहराया है, ऐसी बात कभी कही, कि तुम ने मेरे लिए देवदार का घर क्यों नहीं बनवाया?’
8 So this is what you should say to my servant David: ‘The Almighty Commander of the armies of angels says that he took you from a pasture where you were taking care of sheep, [and appointed you] to become the ruler of my Israeli people.
८इसलिए अब तू मेरे दास दाऊद से ऐसा कह, ‘सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि मैंने तो तुझे भेड़शाला से, और भेड़-बकरियों के पीछे-पीछे फिरने से, इस मनसा से बुला लिया कि तू मेरी प्रजा इस्राएल का प्रधान हो जाए।
9 I have (been with/helped) you wherever you have gone. I have gotten rid of all your enemies as you advanced. I will enable you to become very famous, as well-known as the names of all the greatest men [who have ever lived] on the earth.
९और जहाँ कहीं तू आया गया, वहाँ-वहाँ मैं तेरे संग रहा, और तेरे समस्त शत्रुओं को तेरे सामने से नाश किया है; फिर मैं तेरे नाम को पृथ्वी पर के बड़े-बड़े लोगों के नामों के समान महान कर दूँगा।
10 Formerly, during the time that I appointed leaders for my Israeli people, many violent groups oppressed the Israelis. But this will not happen any more. I have chosen a place where my Israeli people can live [peacefully] and no one will disturb them any more. I will give them rest from [being attacked by] their enemies. And I will defeat all your enemies. I declare to you that I, Yahweh, will enable your descendants to rule after you [die].
१०और मैं अपनी प्रजा इस्राएल के लिये एक स्थान ठहराऊँगा, और उसको स्थिर करूँगा, कि वह अपने ही स्थान में बसी रहेगी, और कभी चलायमान न होगी; और कुटिल लोग उसे फिर दुःख न देने पाएँगे, जैसे कि पहले करते थे,
११वरन् उस समय से भी जब मैं अपनी प्रजा इस्राएल के ऊपर न्यायी ठहराता था; और मैं तुझे तेरे समस्त शत्रुओं से विश्राम दूँगा। यहोवा तुझे यह भी बताता है कि यहोवा तेरा घर बनाए रखेगा।
12 When your life ends [EUP] and you go to be with your ancestors, I will appoint one of your sons to be king, and I will enable his kingdom to (be strong/resist all their enemies).
१२जब तेरी आयु पूरी हो जाएगी, और तू अपने पुरखाओं के संग जा मिलेगा, तब मैं तेरे निज वंश को तेरे पीछे खड़ा करके उसके राज्य को स्थिर करूँगा।
13 He is the one who will arrange for a temple to be built for me [MTY], and I will cause his [descendants] to be kings [MTY] [of Israel] forever.
१३मेरे नाम का घर वही बनवाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्थिर रखूँगा।
14 I will be [like] a father to him, and [it will be as though] he [is] a son to me [MET]. When he does something that is wrong, I will punish him as fathers punish their sons.
१४मैं उसका पिता ठहरूँगा, और वह मेरा पुत्र ठहरेगा। यदि वह अधर्म करे, तो मैं उसे मनुष्यों के योग्य दण्ड से, और आदमियों के योग्य मार से ताड़ना दूँगा।
15 But I will not stop faithfully loving him as I stopped loving Saul, whom I removed from being king before you became king.
१५परन्तु मेरी करुणा उस पर से ऐसे न हटेगी, जैसे मैंने शाऊल पर से हटा ली थी और उसको तेरे आगे से दूर किया था।
16 Your descendants will rule the kingdom [of Israel] forever. Their rule will never end. [DOU]’”
१६वरन् तेरा घराना और तेरा राज्य मेरे सामने सदा अटल बना रहेगा; तेरी गद्दी सदैव बनी रहेगी।’”
17 So Nathan told David everything that Yahweh had told him.
१७इन सब बातों और इस दर्शन के अनुसार नातान ने दाऊद को समझा दिया।
18 Then David went into [the Sacred Tent] and sat in the presence of Yahweh, and prayed this: “Yahweh, my God, I am not worthy [RHQ] [for you to have done all these things] for me, and my family is not worthy, either.
१८तब दाऊद राजा भीतर जाकर यहोवा के सम्मुख बैठा, और कहने लगा, “हे प्रभु यहोवा, क्या कहूँ, और मेरा घराना क्या है, कि तूने मुझे यहाँ तक पहुँचा दिया है?
19 “And now, O Yahweh my God, in addition to everything else, you have spoken about what will happen to my descendants in the future for many generations.
१९तो भी, हे प्रभु यहोवा, यह तेरी दृष्टि में छोटी सी बात हुई; क्योंकि तूने अपने दास के घराने के विषय आगे के बहुत दिनों तक की चर्चा की है, हे प्रभु यहोवा, यह तो मनुष्य का नियम है।
20 “Yahweh God, what more can I, David, say to you [for honoring me]? Although you know very well [what I am like], Yahweh my God, you have done things for me as though I was the most important man [on the earth]!
२०दाऊद तुझ से और क्या कह सकता है? हे प्रभु यहोवा, तू तो अपने दास को जानता है!
21 For my sake and because it is what you wanted to do, you have done all these great things for me.
२१तूने अपने वचन के निमित्त, और अपने ही मन के अनुसार, यह सब बड़ा काम किया है, कि तेरा दास उसको जान ले।
22 “Yahweh my God, you are great. There is no one like you. Only you are God, just as we have always heard.
२२इस कारण, हे यहोवा परमेश्वर, तू महान है; क्योंकि जो कुछ हमने अपने कानों से सुना है, उसके अनुसार तेरे तुल्य कोई नहीं, और न तुझे छोड़ कोई और परमेश्वर है।
23 And there is no other nation in the world like Israel. Israel is the only nation on the earth whose people you went out to rescue [RHQ]. By the great and awesome things that you did, you have become famous/well-known throughout the world. As your people advanced [through this land], you expelled other people-groups [who were here in Canaan], who worshiped other gods.
२३फिर तेरी प्रजा इस्राएल के भी तुल्य कौन है? वह तो पृथ्वी भर में एक ही जाति है जिसे परमेश्वर ने जाकर अपनी निज प्रजा करने को छुड़ाया, इसलिए कि वह अपना नाम करे, (और तुम्हारे लिये बड़े-बड़े काम करे) और तू अपनी प्रजा के सामने, जिसे तूने मिस्री आदि जाति-जाति के लोगों और उनके देवताओं से छुड़ा लिया, अपने देश के लिये भयानक काम करे।
24 And you caused us Israeli people to be your people forever, and you, Yahweh, have become our God!
२४और तूने अपनी प्रजा इस्राएल को अपनी सदा की प्रजा होने के लिये ठहराया; और हे यहोवा, तू आप उसका परमेश्वर है।
25 “And now, Yahweh my God, [I pray that you will] cause the things that you promised to me about my descendants to be fulfilled forever, and [that you will] do the things that you said [that you would do].
२५अब हे यहोवा परमेश्वर, तूने जो वचन अपने दास के और उसके घराने के विषय दिया है, उसे सदा के लिये स्थिर कर, और अपने कहने के अनुसार ही कर;
26 When that happens, you will become famous forever, and people will exclaim, ‘The Almighty Commander of the armies of angels is the God who rules Israel.’ And you will cause that forever there will be descendants of mine who will rule.
२६और यह कर कि लोग तेरे नाम की महिमा सदा किया करें, कि सेनाओं का यहोवा इस्राएल के ऊपर परमेश्वर है; और तेरे दास दाऊद का घराना तेरे सामने अटल रहे।
27 “Yahweh Almighty, the God whom we Israeli people [worship], you have revealed to me that you will make some of my descendants kings. For that reason, I have been brave enough to pray like this to you.
२७क्योंकि, हे सेनाओं के यहोवा, हे इस्राएल के परमेश्वर, तूने यह कहकर अपने दास पर प्रगट किया है, कि मैं तेरा घर बनाए रखूँगा; इस कारण तेरे दास को तुझ से यह प्रार्थना करने का हियाव हुआ है।
28 So now, O Yahweh Almighty, because you are God, we can trust that you will do what you promise. You have promised these good things to me.
२८अब हे प्रभु यहोवा, तू ही परमेश्वर है, और तेरे वचन सत्य हैं, और तूने अपने दास को यह भलाई करने का वचन दिया है;
29 So now I ask you that if it pleases you, you will bless my descendants, in order that they may continue [to rule] forever. Yahweh God, you have promised these things, and [so I know that] you will keep blessing my descendants forever.”
२९तो अब प्रसन्न होकर अपने दास के घराने पर ऐसी आशीष दे, कि वह तेरे सम्मुख सदैव बना रहे; क्योंकि, हे प्रभु यहोवा, तूने ऐसा ही कहा है, और तेरे दास का घराना तुझ से आशीष पाकर सदैव धन्य रहे।”