< 2 Chronicles 23 >

1 After Joash had been hidden in the temple for six years, Jehoiada the priest decided that it was necessary to do something. So he made an agreement with the army commanders of groups of 100 soldiers: Azariah the son of Jeroham, Ishmael the son of Jehohanan, Azariah the son of Obed, Maaseiah the son of Adaiah, and Elishaphat the son of Zicri.
मगर सातवें साल में पुरोहित यहोयादा ने साहस किया और सेना के इन शतपतियों से वाचा बांधी की येरोहाम के पुत्र अज़रियाह, येहोहानन के पुत्र इशमाएल, ओबेद के पुत्र अज़रियाह, अदाइयाह के पुत्र मआसेइयाह और ज़ीकरी के पुत्र एलिषाफत से.
2 They went throughout Judah and gathered the descendants of Levi and the leaders of Israeli families from all the towns. When they came to Jerusalem,
इन्होंने सारी यहूदिया में घूमकर यहूदिया के सारे नगरों से लेवियों को और इस्राएल के पितरों के गोत्रों के प्रधानों को इकट्ठा किया और वे सभी येरूशलेम आ गए.
3 the whole group went to the temple and made an agreement with the young king there. Jehoiada said to them, “This is the son of the previous king of Judah. So he is the one who must rule, like Yahweh promised that the descendants of King David must do.
तब परमेश्वर के भवन में इन सभी ने राजा के साथ वाचा बांधी. पुरोहित यहोयादा ने इन सबको संबोधित करते हुए कहा, “यह देख लीजिए कि शासन राजकुमार ही करेगा, क्योंकि यह दावीद के वंशजों के बारे में की गई याहवेह की भविष्यवाणी के अनुसार है.
4 “So this is what you must do: One-third of you priests and other descendants of Levi who are starting their work on the Sabbath day must guard the doors [of the temple].
आप लोगों को करना यह होगा: वे पुरोहित और लेवी, जो शब्बाथ पर यहां आया करते हैं, उनमें से एक तिहाई द्वारपाल का काम करेंगे,
5 One-third of you must guard the king’s palace, and one-third of you must guard the Foundation Gate. All the other people will be in the courtyards outside the temple.
बाकी एक तिहाई राजा के घर पर होंगे और बाकी एक तिहाई नींव के द्वार पर रहेंगे. बाकी सभी याहवेह के भवन के आंगन में रहेंगे.
6 Only the priests and the descendants of Levi who work there will enter the temple. They will be allowed to enter the temple because they are set apart [for that work]. All the others must remain in the courtyards, obeying what Yahweh has commanded.
यह ध्यान रखा जाए कि पुरोहितों और सेवा के लिए चुने गए लेवियों के अलावा कोई भी याहवेह के भवन में प्रवेश न करे. पुरोहित और लेवी भवन में इसलिये प्रवेश करेंगे, कि वे पवित्र हैं. हर एक व्यक्ति याहवेह की विधि का पालन करेगा.
7 You descendants of Levi must stand around the young king, each of you with your weapon in your hand. Anyone else who tries to enter the temple you must kill. And stay close to the young king, wherever he goes.”
लेवी राजा को घेर लेंगे, हर एक के हाथ में उसके शस्त्र होंगे. यदि कोई भी भवन में आने की कोशिश करे, उसका वध कर दिया जाए. राजा के आने जाने में आप हमेशा राजा के साथ साथ रहेंगे.”
8 So the descendants of Levi and all [the men of] Judah did what Jehoiada had told them. He did not allow anyone to go home after having finished his work on that Sabbath day. Each commander took charge of his men, the ones who were finishing their work on that day and those who were starting their work on that day.
उन्हें जैसा आदेश पुरोहित यहोयादा द्वारा दिया गया था, उन्होंने उसकी एक-एक बात पूरी की. पुरोहित यहोयादा ने छुट्टी पर जा रहे किसी भी दल को शब्बाथ सेवा से अवकाश लेने न दिया. इससे जो अवकाश पर जा रहे थे वे, और जो सेवा के लिए आ रहे थे वे सभी वहां इकट्ठा हो गए.
9 Then Jehoiada gave each of the commanders the spears and the large and small shields that had been put there in the temple by King David.
तब यहोयादा ने परमेश्वर के भवन में जमा राजा दावीद की छोटी और बड़ी ढालें और बर्छियां शतपतियों को दे दी.
10 He commanded all the guards to stand in their positions, each with his sword in his hand, all around the king—around the altar and the temple, from the north side to the south side.
अपने-अपने हाथों में हथियार लिए इन सभी व्यक्तियों को यहोयादा ने राजा के आस-पास भवन में वेदी के पास और भवन के दायीं ओर से बायीं ओर तक ठहरा दिया.
11 Then Jehoiada and his sons brought Joash out. They put a crown on his head and gave him [a scroll] on which were written the rules [that the kings needed to obey], and proclaimed that he was now the king. They anointed him with olive oil and shouted, “We hope that the king will live for many years!”
तब पुरोहित यहोयादा और उसके पुत्रों ने राजकुमार को लेकर बाहर आए, उसके सिर पर मुकुट रखा और उसे साक्षी पत्र दे दिया. उन्होंने उसे राजा घोषित कर उसका राजाभिषेक किया और सबने जयघोष करते हुए कहा, “महाराज जीवित रहें!”
12 When Athaliah heard the noise being made by the people running [toward the king] and cheering, she ran to the temple.
जब अथालियाह ने उस भीड़ का हल्ला और राजा की प्रशंसा में की जा रही जय जयकार सुनी, वह याहवेह के भवन में लोगों के बीच में आ गई.
13 She saw the young king there, standing alongside the pillar at the entrance of the temple, [which is the place at the temple] where the kings usually stood. The army commanders and trumpet players were standing beside the king, and all the people of Judah were rejoicing and blowing trumpets, and singers with their musical instruments were leading the people while they praised God. Then Athaliah tore her robes and started screaming, “You are committing treason!”
उसने दृष्टि की और देखा कि राजा अपने ठहराए हुए खंभे के पास खड़ा हुआ था और शतपति और तुरही वादक राजा के पास खड़े हुए थे. सभी देशवासी आनन्दमग्न हो तुरही फूंक रहे थे, गायक लोग अपने वाद्य-यंत्रों के साथ स्तुति कर रहे थे. यह देख अथालियाह अपने वस्त्र फाड़ चिल्ला उठी, “राजद्रोह! राजद्रोह!”
14 Jehoiada the Supreme Priest said to the army commanders, “Kill her, but do not kill her at the temple of Yahweh!” Then he said to them, “Bring Athaliah out in front of the troops and kill anyone who tries to follow her!”
पुरोहित यहोयादा ने शतपतियों को, जो सेना के अधिकारी थे, आदेश दिया: “उसे बाहर पंक्तियों के बीच में लाया जाए” और जो कोई उसके प्रति सच्चा व्यक्ति हो, उसको तलवार से मार डाला जाए. पुरोहित यह आदेश दे चुका था, “याहवेह के भवन में उसका वध न किया जाए.”
15 [She tried to flee, but] they seized her as she reached the gate where horses enter the palace area, and they killed her there.
तब उन्होंने उसे पकड़ लिया. जब वह राजघराने के घोड़ा फाटक के पास पहुंची, उन्होंने उसका वध कर दिया.
16 Then Jehoiada made an agreement that he and the king and all the other people would be Yahweh’s people.
यहोयादा ने खुद अपने, सारी प्रजा और राजा के साथ यह वाचा बांधी, कि वे अब याहवेह के होकर रहेंगे.
17 Then all the people who were there went to the temple of Baal and tore it down. They smashed the altars [of Baal]. They also killed Mattan, the priest of Baal, in front of those altars.
सारी जनता बाल के भवन को गई ओर उसे नाश कर डाला. उन्होंने वेदियों और मूर्तियों को चूर-चूर कर डाला. तब उन्होंने वेदियों के बीच ही बाल के पुरोहित मत्तान का वध कर डाला.
18 Then Jehoiada appointed the priests, who were also descended from Levi, to work at the temple. They were part of the group to whom King David had given various jobs at the temple, to sacrifice the animals that were to be completely burned on the altar, doing what was written in the laws that Moses had given to them. He also told them to rejoice and sing, which was also what David had commanded.
इसके अलावा यहोयादा ने याहवेह के भवन की देखरेख की जवाबदारी लेवी पुरोहितों को सौंप दी. इन्हें याहवेह के भवन में दावीद द्वारा चुना गया था, कि वे मोशेह की व्यवस्था की पुस्तक के अनुसार होमबलि चढ़ाया करें, यह सब दावीद द्वारा चलाई गई विधि के अनुसार खुशी से गाते हुए किया जाना था.
19 He also put guards at the gates of the temple in order that anyone who was unacceptable to God would not be allowed to enter.
उसने याहवेह के भवन के लिए द्वारपाल चुन दिए, कि किसी भी रूप में सांस्कारिक रूप से अशुद्ध कोई भी व्यक्ति भवन में आ न सके.
20 Jehoiada took with him the army commanders, the important men, the leaders and many others, and brought the king down from the temple. They went into the palace through the Upper Gate, and put the king on his throne.
तब यहोयादा ने शतपतियों, समाज के सम्मान्य व्यक्तियों, प्रजा के प्रशासकों और सारी प्रजा को इकट्ठा किया और याहवेह के भवन में से इन सभी के सामने राजा को बाहर लाया गया. उसे ऊपरी द्वार से लेकर वे राजघराने में आए. वहां उन्होंने राजा को राज सिंहासन पर बैठाया.
21 Then all the people of Judah rejoiced. And there was calm throughout the city, because Athaliah had been killed.
इस पर सारी प्रजा में खुशी छा गई और नगर में शांति भर गई, तलवार से अथालियाह की हत्या हुई थी यह इसका मुख्य कारण था.

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