< 1 Samuel 5 >

1 After the army of the Philistia people-group captured God’s sacred chest in Ebenezer [town], they took it to Ashdod [which is one of their biggest cities].
तब फिलिस्तीनियों ने परमेश्वर के संदूक को छीनकर उसे एबेन-एज़र से अशदोद को ले गए.
2 They carried it into the temple of [their god] Dagon, and placed it alongside a statue of Dagon.
उन्होंने परमेश्वर के संदूक को दागोन के मंदिर में ले जाकर उसे देवता के पास ही रख दिया.
3 But early the next morning, when the people of Ashdod [went to see it, they saw that] the statue had fallen on its face in front of Yahweh’s sacred chest! So they set the statue up in its place again.
तड़के, जब अशदोदवासी जागे, उन्होंने देखा कि याहवेह के संदूक के सामने दागोन भूमि पर मुंह के बल पड़ा हुआ था. तब उन्होंने दागोन को उठाकर दोबारा उसके स्थान पर स्थापित कर दिया.
4 But the following morning, [they saw that] it had fallen down in front of the sacred chest again. But this time, the statue’s head and hands had broken off, and were lying in the doorway. Only its body remained intact/unbroken.
जब वे अगले दिन सुबह उठे, उन्होंने देखा कि दागोन दोबारा याहवेह के संदूक के सामने मुंह के बल भूमि पर पड़ा हुआ था. इसके अलावा दागोन का सिर और उसके दोनों हाथ कटे हुए ड्योढ़ी पर पड़े हुए थे-मुंह के बल उसका धड़ समूचा था.
5 That is the reason that since that time, the priests of Dagon and everyone else who enters the temple of Dagon in Ashdod do not step on the doorsill [where the hands and head of Dagon fell].
वही कारण है कि आज तक, न तो दागोन के पुरोहित और न ही कोई भी, जो दागोन के मंदिर में प्रवेश करता है, अशदोद नगर में दागोन के मंदिर की ड्योढ़ी पर पैर नहीं रखता.
6 Then Yahweh [SYN] powerfully caused the people of Ashdod and the people who lived in nearby villages to have (a very great plague/serious illness) of tumors.
याहवेह ने अशदोद नगरवासियों पर प्रबल प्रहार किया. अशदोद तथा अन्य निकटवर्ती क्षेत्रों में लोगों को गिल्टियों से पीड़ित किया.
7 The men of Ashdod realized why this was happening, and they cried out, “The god of the Israeli people is punishing us and is also punishing our god Dagon. So we cannot allow the sacred chest of the god of the Israelis to remain here!”
जब अशदोदवासियों ने स्थिति की विवेचना की, वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे, “यह सही नहीं कि इस्राएल के परमेश्वर की मंजूषा हमारे मध्य में रहे, क्योंकि उनके परमेश्वर ने न केवल हम पर, बल्कि हमारे देवता दागोन तक पर प्रहार किया है.”
8 They summoned the five kings of the Philistia people-group, and asked them, “What should we do with the sacred chest of the god of the Israelis?” The kings replied, “Take the sacred chest to Gath [city].” So they moved it to Gath.
इसलिये उन्होंने फिलिस्तीनियों के सभी अगुओं को इकट्ठा किया और उनके सामने इस प्रश्न पर विचार किया गया, “इस्राएल के परमेश्वर के संदूक के विषय में क्या किया जाना सही होगा?” सबने कहा, “इस्राएल के परमेश्वर के संदूक को गाथ नगर भेज दिया जाना सही होगा.” तो इस्राएल के परमेश्वर के संदूक का स्थान बदलकर गाथ नगर कर दिया गया.
9 But after they took it to Gath, Yahweh powerfully struck the people of that city also, with the result that many men, including young men and old men, got tumors on their skin. Then the people became very afraid.
यह होने पर याहवेह ने उस नगर पर भी वार किया. इससे वहां घोर आतंक फैल गया. याहवेह ने उस नगर के हर एक व्यक्ति पर वार किया, तब उन सभी को गिल्टियां निकल आए.
10 So they took the sacred chest to Ekron [city]. But when the men carried the sacred chest into Ekron, the people there cried out, “Why are you bringing the sacred chest of the God of the Israelis into our city [RHQ]? [By doing that] you will cause us and the rest of our people to die!”
तब उन्होंने परमेश्वर के संदूक को एक्रोन नगर भेज दिया, मगर जब परमेश्वर का संदूक एक्रोन नगर पहुंचा, एक्रोन वासी यह चिल्लाने लगे, “हमें मारने के उद्देश्य से इस्राएल के परमेश्वर का संदूक यहां लाया गया है.”
11 The people were terrified/in panic because [they knew that] God was starting to punish them severely. So they summoned the [five] kings of the Philistia people-group again, and [pleaded with them], saying, “Take this sacred chest of the god of the Israelis back to its own place! If you do not do that quickly, we will all die!”
तब फिलिस्तीनियों के सभी अगुओं की सभा बुलाई गई और यह प्रस्ताव निकाला गया. “इस्राएल के परमेश्वर का संदूक यहां से बाहर भेज दिया जाए. सही है कि यह उसके निर्धारित स्थान पर जाए, कि यह हमारी और हमारी प्रजा की हत्या न कर सकें.” पूरा नगर मृत्यु के आतंक की चपेट में आ पड़ा था. वहां परमेश्वर उन पर बहुत ही प्रबल प्रहार कर रहे थे.
12 Some of the people in Ekron had already died, and the rest of the people were suffering because of tumors on their skin. So they all cried out to their gods [MTY] [to help them].
जिन लोगों की अभी मृत्यु नहीं हुई थी, उनकी देह गिल्टियों से भरी पड़ी थी. नगर की दोहाई स्वर्ग तक जा पहुंची.

< 1 Samuel 5 >