< Genesis 26 >

1 And it was a famine in the land besides the famine former which it was in [the] days of Abraham and he went Isaac to Abimelech [the] king of [the] Philistines Gerar towards.
उस देश में अकाल पड़ा, वह उस पहले अकाल से अलग था जो अब्राहम के दिनों में पड़ा था। इसलिए इसहाक गरार को पलिश्तियों के राजा अबीमेलेक के पास गया।
2 And he appeared to him Yahweh and he said may not you go down Egypt towards dwell in the land which I will say to you.
वहाँ यहोवा ने उसको दर्शन देकर कहा, “मिस्र में मत जा; जो देश मैं तुझे बताऊँ उसी में रह।
3 Sojourn in the land this so I may be with you and I will bless you for to you and to offspring your I will give all the lands these and I will establish the oath which I swore to Abraham father your.
तू इसी देश में रह, और मैं तेरे संग रहूँगा, और तुझे आशीष दूँगा; और ये सब देश मैं तुझको, और तेरे वंश को दूँगा; और जो शपथ मैंने तेरे पिता अब्राहम से खाई थी, उसे मैं पूरी करूँगा।
4 And I will multiply offspring your like [the] stars of the heavens and I will give to offspring your all the lands these and they will bless themselves by offspring your all [the] nations of the earth.
और मैं तेरे वंश को आकाश के तारागण के समान करूँगा; और मैं तेरे वंश को ये सब देश दूँगा, और पृथ्वी की सारी जातियाँ तेरे वंश के कारण अपने को धन्य मानेंगी।
5 Consequence that he listened Abraham to voice my and he kept duty my commandments my statutes my and laws my.
क्योंकि अब्राहम ने मेरी मानी, और जो मैंने उसे सौंपा था उसको और मेरी आज्ञाओं, विधियों और व्यवस्था का पालन किया।”
6 And he dwelt Isaac in Gerar.
इसलिए इसहाक गरार में रह गया।
7 And they asked [the] men of the place of wife his and he said [is] sister my she for he was afraid to say wife my lest they should kill me [the] men of the place on Rebekah for [was] good of appearance she.
जब उस स्थान के लोगों ने उसकी पत्नी के विषय में पूछा, तब उसने यह सोचकर कि यदि मैं उसको अपनी पत्नी कहूँ, तो यहाँ के लोग रिबका के कारण जो परम सुन्दरी है मुझ को मार डालेंगे, उत्तर दिया, “वह तो मेरी बहन है।”
8 And it was that they had become long to him there the days and he looked down Abimelech [the] king of [the] Philistines through the window and he saw and there! Isaac [was] playing with Rebekah wife his.
जब उसको वहाँ रहते बहुत दिन बीत गए, तब एक दिन पलिश्तियों के राजा अबीमेलेक ने खिड़की में से झाँककर क्या देखा कि इसहाक अपनी पत्नी रिबका के साथ क्रीड़ा कर रहा है।
9 And he summoned Abimelech Isaac and he said surely here! [is] wife your she and how? did you say [is] sister my she and he said to him Isaac for I thought lest I should die on her.
तब अबीमेलेक ने इसहाक को बुलवाकर कहा, “वह तो निश्चय तेरी पत्नी है; फिर तूने क्यों उसको अपनी बहन कहा?” इसहाक ने उत्तर दिया, “मैंने सोचा था, कि ऐसा न हो कि उसके कारण मेरी मृत्यु हो।”
10 And he said Abimelech what? this have you done to us like a little he lay with one of the people wife your and you will bring on us guilt.
१०अबीमेलेक ने कहा, “तूने हम से यह क्या किया? ऐसे तो प्रजा में से कोई तेरी पत्नी के साथ सहज से कुकर्म कर सकता, और तू हमको पाप में फँसाता।”
11 And he commanded Abimelech all the people saying who [-ever] touches the man this and wife his certainly he will be put to death.
११इसलिए अबीमेलेक ने अपनी सारी प्रजा को आज्ञा दी, “जो कोई उस पुरुष को या उस स्त्री को छूएगा, वह निश्चय मार डाला जाएगा।”
12 And he sowed Isaac in the land that and he found in the year that one hundred measures and he blessed him Yahweh.
१२फिर इसहाक ने उस देश में जोता बोया, और उसी वर्ष में सौ गुणा फल पाया; और यहोवा ने उसको आशीष दी,
13 And he became great the man and he went continuously and becoming great until for he became great exceedingly.
१३और वह बढ़ा और उसकी उन्नति होती चली गई, यहाँ तक कि वह बहुत धनी पुरुष हो गया।
14 And it be[longed] to him livestock of flock and livestock of herd and service much and they envied him [the] Philistines.
१४जब उसके भेड़-बकरी, गाय-बैल, और बहुत से दास-दासियाँ हुईं, तब पलिश्ती उससे डाह करने लगे।
15 And all the wells which they had dug [the] servants of father his in [the] days of Abraham father his they stopped up them [the] Philistines and they filled them earth.
१५इसलिए जितने कुओं को उसके पिता अब्राहम के दासों ने अब्राहम के जीते जी खोदा था, उनको पलिश्तियों ने मिट्टी से भर दिया।
16 And he said Abimelech to Isaac go from with us for you have become [too] powerful for us much.
१६तब अबीमेलेक ने इसहाक से कहा, “हमारे पास से चला जा; क्योंकि तू हम से बहुत सामर्थी हो गया है।”
17 And he went from there Isaac and he encamped in [the] wadi of Gerar and he dwelt there.
१७अतः इसहाक वहाँ से चला गया, और गरार की घाटी में अपना तम्बू खड़ा करके वहाँ रहने लगा।
18 And he returned Isaac and he dug - [the] wells of water which people had dug in [the] days of Abraham father his and they had stopped up them [the] Philistines after [the] death of Abraham and he called them names like the names which he had called them father his.
१८तब जो कुएँ उसके पिता अब्राहम के दिनों में खोदे गए थे, और अब्राहम के मरने के पीछे पलिश्तियों ने भर दिए थे, उनको इसहाक ने फिर से खुदवाया; और उनके वे ही नाम रखे, जो उसके पिता ने रखे थे।
19 And they dug [the] servants of Isaac in the wadi and they found there a well of water living.
१९फिर इसहाक के दासों को घाटी में खोदते-खोदते बहते जल का एक सोता मिला।
20 And they disputed [the] herdsmen of Gerar with [the] herdsmen of Isaac saying [belongs] to us the water and he called [the] name of the well Esek for they quarreled with him.
२०तब गरार के चरवाहों ने इसहाक के चरवाहों से झगड़ा किया, और कहा, “यह जल हमारा है।” इसलिए उसने उस कुएँ का नाम एसेक रखा; क्योंकि वे उससे झगड़े थे।
21 And they dug a well another and they disputed also on it and he called name its Sitnah.
२१फिर उन्होंने दूसरा कुआँ खोदा; और उन्होंने उसके लिये भी झगड़ा किया, इसलिए उसने उसका नाम सित्ना रखा।
22 And he moved on from there and he dug a well another and not they disputed on it and he called name its Rehoboth and he said that now he has made space Yahweh for us and we will be fruitful in the land.
२२तब उसने वहाँ से निकलकर एक और कुआँ खुदवाया; और उसके लिये उन्होंने झगड़ा न किया; इसलिए उसने उसका नाम यह कहकर रहोबोत रखा, “अब तो यहोवा ने हमारे लिये बहुत स्थान दिया है, और हम इस देश में फूले-फलेंगे।”
23 And he went up from there Beer Sheba.
२३वहाँ से वह बेर्शेबा को गया।
24 And he appeared to him Yahweh in the night that and he said I [am] [the] God of Abraham father your may not you be afraid for [am] with you I and I will bless you and I will multiply offspring your for sake of Abraham servant my.
२४और उसी दिन यहोवा ने रात को उसे दर्शन देकर कहा, “मैं तेरे पिता अब्राहम का परमेश्वर हूँ; मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ, और अपने दास अब्राहम के कारण तुझे आशीष दूँगा, और तेरा वंश बढ़ाऊँगा।”
25 And he built there an altar and he called on [the] name of Yahweh and he pitched there tent his and they dug there [the] servants of Isaac a well.
२५तब उसने वहाँ एक वेदी बनाई, और यहोवा से प्रार्थना की, और अपना तम्बू वहीं खड़ा किया; और वहाँ इसहाक के दासों ने एक कुआँ खोदा।
26 And Abimelech he came to him from Gerar and Ahuzzah close friend his and Phicol [the] commander of army his.
२६तब अबीमेलेक अपने सलाहकार अहुज्जत, और अपने सेनापति पीकोल को संग लेकर, गरार से उसके पास गया।
27 And he said to them Isaac why? have you come to me and you you hate me and you sent away me from with you.
२७इसहाक ने उनसे कहा, “तुम ने मुझसे बैर करके अपने बीच से निकाल दिया था, अब मेरे पास क्यों आए हो?”
28 And they said certainly we have seen that he has been Yahweh - with you and we said let it be please an oath between us between us and between you and let us make a covenant with you.
२८उन्होंने कहा, “हमने तो प्रत्यक्ष देखा है, कि यहोवा तेरे साथ रहता है; इसलिए हमने सोचा, कि तू तो यहोवा की ओर से धन्य है, अतः हमारे तेरे बीच में शपथ खाई जाए, और हम तुझ से इस विषय की वाचा बन्धाएँ;
29 If you will do with us harm just as not we have touched you and just as we have done with you only good and we sent away you in peace you now [are] blessed of Yahweh.
२९कि जैसे हमने तुझे नहीं छुआ, वरन् तेरे साथ केवल भलाई ही की है, और तुझको कुशल क्षेम से विदा किया, उसके अनुसार तू भी हम से कोई बुराई न करेगा।”
30 And he prepared for them a feast and they ate and they drank.
३०तब उसने उनको भोज दिया, और उन्होंने खाया-पिया।
31 And they rose early in the morning and they swore an oath each to brother his and he sent off them Isaac and they went from with him in peace.
३१सवेरे उन सभी ने तड़के उठकर आपस में शपथ खाई; तब इसहाक ने उनको विदा किया, और वे कुशल क्षेम से उसके पास से चले गए।
32 And it was - on the day that and they came [the] servants of Isaac and they told to him on [the] causes of the well which they had dug and they said to him we have found water.
३२उसी दिन इसहाक के दासों ने आकर अपने उस खोदे हुए कुएँ का वृत्तान्त सुनाकर कहा, “हमको जल का एक सोता मिला है।”
33 And he called it Shibah there-fore [the] name of the city [is] Beer Sheba until the day this.
३३तब उसने उसका नाम शिबा रखा; इसी कारण उस नगर का नाम आज तक बेर्शेबा पड़ा है।
34 And he was Esau a son of forty year[s] and he took a wife Judith [the] daughter of Beeri the Hittite and Basemath [the] daughter of Elon the Hittite.
३४जब एसाव चालीस वर्ष का हुआ, तब उसने हित्ती बेरी की बेटी यहूदीत, और हित्ती एलोन की बेटी बासमत को ब्याह लिया;
35 And they were bitterness of spirit to Isaac and to Rebekah.
३५और इन स्त्रियों के कारण इसहाक और रिबका के मन को खेद हुआ।

< Genesis 26 >