< Exodus 15 >

1 Then he sang Moses and [the] people of Israel the song this to Yahweh and they said saying I will sing to Yahweh for certainly he is exalted [the] horse and rider its he has thrown in the sea.
तब मूसा और इस्राएलियों ने यहोवा के लिये यह गीत गाया। उन्होंने कहा, “मैं यहोवा का गीत गाऊँगा, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है; घोड़ों समेत सवारों को उसने समुद्र में डाल दिया है।
2 [is] might My and strength Yahweh and he has become of me salvation this [is] God my and I will glorify him [the] God of father my and I will exalt him.
यहोवा मेरा बल और भजन का विषय है, और वही मेरा उद्धार भी ठहरा है; मेरा परमेश्वर वही है, मैं उसी की स्तुति करूँगा, (मैं उसके लिये निवास-स्थान बनाऊँगा), मेरे पूर्वजों का परमेश्वर वही है, मैं उसको सराहूँगा।
3 Yahweh [is] a man of war Yahweh [is] name his.
यहोवा योद्धा है; उसका नाम यहोवा है।
4 [the] chariots of Pharaoh and army his he has thrown in the sea and [the] choicest of officers his they have been sunk in [the] sea of reed[s].
फ़िरौन के रथों और सेना को उसने समुद्र में डाल दिया; और उसके उत्तम से उत्तम रथी लाल समुद्र में डूब गए।
5 [the] deeps They have covered them they went down in [the] depths like a stone.
गहरे जल ने उन्हें ढाँप लिया; वे पत्थर के समान गहरे स्थानों में डूब गए।
6 Right [hand] your O Yahweh [was] glorious in power right [hand] your O Yahweh it shattered [the] enemy.
हे यहोवा, तेरा दाहिना हाथ शक्ति में महाप्रतापी हुआ हे यहोवा, तेरा दाहिना हाथ शत्रु को चकनाचूर कर देता है।
7 And in [the] greatness of majesty your you threw down [those who] rose against you you sent forth anger your it consumed them like stubble.
तू अपने विरोधियों को अपने महाप्रताप से गिरा देता है; तू अपना कोप भड़काता, और वे भूसे के समान भस्म हो जाते हैं।
8 And by [the] breath of nostrils your they were piled up [the] waters they stood up like a heap streams they congealed [the] deeps in [the] heart of [the] sea.
तेरे नथनों की साँस से जल एकत्र हो गया, धाराएँ ढेर के समान थम गईं; समुद्र के मध्य में गहरा जल जम गया।
9 He said [the] enemy I will pursue I will overtake I will divide [the] plunder it will be full of them self my I will draw sword my it will dispossess them hand my.
शत्रु ने कहा था, मैं पीछा करूँगा, मैं जा पकड़ूँगा, मैं लूट के माल को बाँट लूँगा, उनसे मेरा जी भर जाएगा। मैं अपनी तलवार खींचते ही अपने हाथ से उनको नाश कर डालूँगा।
10 You blew with breath your it covered them [the] sea they sank like lead in [the] waters mighty.
१०तूने अपने श्वास का पवन चलाया, तब समुद्र ने उनको ढाँप लिया; वे समुद्र में सीसे के समान डूब गए।
11 Who? [is] like you among the gods O Yahweh who? [is] like you glorious in holiness awesome of praises doing wonder[s].
११हे यहोवा, देवताओं में तेरे तुल्य कौन है? तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी, और अपनी स्तुति करनेवालों के भय के योग्य, और आश्चर्यकर्मों का कर्ता है।
12 You stretched out right [hand] your it swallowed up them [the] earth.
१२तूने अपना दाहिना हाथ बढ़ाया, और पृथ्वी ने उनको निगल लिया है।
13 You have guided in covenant loyalty your [the] people which you have redeemed you have led [them] by strength your to [the] abode of holiness your.
१३अपनी करुणा से तूने अपनी छुड़ाई हुई प्रजा की अगुआई की है, अपने बल से तू उसे अपने पवित्र निवास-स्थान को ले चला है।
14 They have heard peoples they tremble! anguish it has seized [the] inhabitants of Philistia.
१४देश-देश के लोग सुनकर काँप उठेंगे; पलिश्तियों के प्राणों के लाले पड़ जाएँगे।
15 Then they are terrified [the] chiefs of Edom [the] leaders of Moab it has seized them trembling they have melted away all [the] inhabitants of Canaan.
१५एदोम के अधिपति व्याकुल होंगे; मोआब के पहलवान थरथरा उठेंगे; सब कनान निवासियों के मन पिघल जाएँगे।
16 It has fallen on them terror and dread on [the] greatness of strength your they have become still like stone until it has passed by people your O Yahweh until it has passed by [the] people which you have bought.
१६उनमें डर और घबराहट समा जाएगा; तेरी बाँह के प्रताप से वे पत्थर के समान अबोल होंगे, जब तक, हे यहोवा, तेरी प्रजा के लोग निकल न जाएँ, जब तक तेरी प्रजा के लोग जिनको तूने मोल लिया है पार न निकल जाएँ।
17 You will bring them and you will plant them on [the] mountain of inheritance your a place to dwell you you have made O Yahweh a sanctuary O Lord they have established hands your.
१७तू उन्हें पहुँचाकर अपने निज भागवाले पहाड़ पर बसाएगा, यह वही स्थान है, हे यहोवा जिसे तूने अपने निवास के लिये बनाया, और वही पवित्रस्थान है जिसे, हे प्रभु, तूने आप ही स्थिर किया है।
18 Yahweh - he will reign for ever and ever.
१८यहोवा सदा सर्वदा राज्य करता रहेगा।”
19 For it came [the] horse[s] of Pharaoh with chariot[s] his and with horsemen his in the sea and he brought back Yahweh over them [the] waters of the sea and [the] people of Israel they walked on the dry ground in [the] middle of the sea.
१९यह गीत गाने का कारण यह है, कि फ़िरौन के घोड़े रथों और सवारों समेत समुद्र के बीच में चले गए, और यहोवा उनके ऊपर समुद्र का जल लौटा ले आया; परन्तु इस्राएली समुद्र के बीच स्थल ही स्थल पर होकर चले गए।
20 And she took Miriam the prophetess [the] sister of Aaron the tambourine in hand her and they went out all the women behind her with tambourines and with dancing.
२०तब हारून की बहन मिर्याम नाम नबिया ने हाथ में डफ लिया; और सब स्त्रियाँ डफ लिए नाचती हुई उसके पीछे हो लीं।
21 And she sang to them Miriam sing to Yahweh for certainly he is exalted horse and rider its he has thrown in the sea.
२१और मिर्याम उनके साथ यह टेक गाती गई कि: “यहोवा का गीत गाओ, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है; घोड़ों समेत सवारों को उसने समुद्र में डाल दिया है।”
22 And he led out Moses Israel from [the] sea of reed[s] and they went out into [the] wilderness of Shur and they went three days in the wilderness and not they found water.
२२तब मूसा इस्राएलियों को लाल समुद्र से आगे ले गया, और वे शूर नामक जंगल में आए; और जंगल में जाते हुए तीन दिन तक पानी का सोता न मिला।
23 And they came Marah towards and not they were able to drink waters from Marah for [were] bitter they there-fore someone called name its Marah.
२३फिर मारा नामक एक स्थान पर पहुँचे, वहाँ का पानी खारा था, उसे वे न पी सके; इस कारण उस स्थान का नाम मारा पड़ा।
24 And they grumbled the people on Moses saying what? will we drink.
२४तब वे यह कहकर मूसा के विरुद्ध बड़बड़ाने लगे, “हम क्या पीएँ?”
25 And he cried out to Yahweh and he showed him Yahweh a tree and he threw [it] into the waters and they became sweet the waters there he made for it a decree and a custom and there he put to [the] test it.
२५तब मूसा ने यहोवा की दुहाई दी, और यहोवा ने उसे एक पौधा बता दिया, जिसे जब उसने पानी में डाला, तब वह पानी मीठा हो गया। वहीं यहोवा ने उनके लिये एक विधि और नियम बनाया, और वहीं उसने यह कहकर उनकी परीक्षा की,
26 And he said certainly [if] you will listen to [the] voice of - Yahweh God your and the right in view his you will do and you will give ear to commandments his and you will keep all decrees his any sickness which I put on Egypt not I will put on you for I [am] Yahweh [who] heals you.
२६“यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा का वचन तन मन से सुने, और जो उसकी दृष्टि में ठीक है वही करे, और उसकी आज्ञाओं पर कान लगाए और उसकी सब विधियों को माने, तो जितने रोग मैंने मिस्रियों पर भेजे हैं उनमें से एक भी तुझ पर न भेजूँगा; क्योंकि मैं तुम्हारा चंगा करनेवाला यहोवा हूँ।”
27 And they came Elim towards and [were] there two [plus] ten springs of water and seventy palm trees and they encamped there at the water.
२७तब वे एलीम को आए, जहाँ पानी के बारह सोते और सत्तर खजूर के पेड़ थे; और वहाँ उन्होंने जल के पास डेरे खड़े किए।

< Exodus 15 >