< Colossians 4 >

1 you who [are] Masters, that which [is] righteous and that which [is] equal to the slaves do give knowing that also you yourselves have a Master in (heaven. *N(k)O*)
हे स्वामियों, अपने-अपने दासों के साथ न्याय और ठीक-ठीक व्यवहार करो, यह समझकर कि स्वर्ग में तुम्हारा भी एक स्वामी है।
2 In prayer do continue steadfastly watching in it with thanksgiving;
प्रार्थना में लगे रहो, और धन्यवाद के साथ उसमें जागृत रहो;
3 praying at the same time also for us that God may open to us a door for the word to declare the mystery of Christ, on account of which also I have been bound,
और इसके साथ ही साथ हमारे लिये भी प्रार्थना करते रहो, कि परमेश्वर हमारे लिये वचन सुनाने का ऐसा द्वार खोल दे, कि हम मसीह के उस भेद का वर्णन कर सकें जिसके कारण मैं कैद में हूँ।
4 so that I may make clear it as it behooves me to speak.
और उसे ऐसा प्रगट करूँ, जैसा मुझे करना उचित है।
5 In wisdom do walk toward those outside the time redeeming.
अवसर को बहुमूल्य समझकर बाहरवालों के साथ बुद्धिमानी से बर्ताव करो।
6 [Let] the speech of you [be] always in grace, with salt seasoned, to know how it behooves you one each to answer.
तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सुहावना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।
7 The [things] concerning me myself all will make known to you Tychicus the beloved brother and faithful servant and fellow bond-servant in [the] Lord,
प्रिय भाई और विश्वासयोग्य सेवक, तुखिकुस जो प्रभु में मेरा सहकर्मी है, मेरी सब बातें तुम्हें बता देगा।
8 whom I sent to you for this very purpose that (you may know *N(K)(O)*) the [things] concerning (us *N(K)O*) and he may encourage the hearts of you,
उसे मैंने इसलिए तुम्हारे पास भेजा है, कि तुम्हें हमारी दशा मालूम हो जाए और वह तुम्हारे हृदयों को प्रोत्साहित करे।
9 with Onesimus the faithful and beloved brother, who is [one] of you; All things to you they will make known here.
और उसके साथ उनेसिमुस को भी भेजा है; जो विश्वासयोग्य और प्रिय भाई और तुम ही में से है, वे तुम्हें यहाँ की सारी बातें बता देंगे।
10 Greets you Aristarchus the fellow prisoner of mine and Mark the cousin of Barnabas, concerning whom you have received instructions: if he shall come to you, do welcome him;
१०अरिस्तर्खुस जो मेरे साथ कैदी है, और मरकुस जो बरनबास का भाई लगता है। (जिसके विषय में तुम ने निर्देश पाया था कि यदि वह तुम्हारे पास आए, तो उससे अच्छी तरह व्यवहार करना।)
11 and also Jesus who is being named Justus, those being among [the] circumcision these only fellow workers for the kingdom of God, who have been to me a comfort.
११और यीशु जो यूस्तुस कहलाता है, तुम्हें नमस्कार कहते हैं। खतना किए हुए लोगों में से केवल ये ही परमेश्वर के राज्य के लिये मेरे सहकर्मी और मेरे लिए सांत्वना ठहरे हैं।
12 Greets you Epaphras who [is] [one] of you, a servant of Christ (Jesus, *NO*) always struggling for you in the prayers, so that (you may be stood *N(k)O*) mature and (fully complete *N(k)O*) in all [the] will of God.
१२इपफ्रास जो तुम में से है, और मसीह यीशु का दास है, तुम्हें नमस्कार कहता है और सदा तुम्हारे लिये प्रार्थनाओं में प्रयत्न करता है, ताकि तुम सिद्ध होकर पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर की इच्छा पर स्थिर रहो।
13 I bear witness for to him that he has great (labour *N(K)O*) for you and those in Laodicea and [those] of them in Hiera polis.
१३मैं उसका गवाह हूँ, कि वह तुम्हारे लिये और लौदीकिया और हियरापुलिसवालों के लिये बड़ा यत्न करता रहता है।
14 Greets you Luke the physician beloved and also Demas.
१४प्रिय वैद्य लूका और देमास का तुम्हें नमस्कार।
15 do greet the in Laodicea brothers and also (Nympha *N(K)O*) and the in house (of her *N(K)(o)*) church.
१५लौदीकिया के भाइयों को और नुमफास और उसकी घर की कलीसिया को नमस्कार कहना।
16 And when may be read among you the letter, do cause that also in the of [the] Laodiceans church it may be read, and the [one] from Laodicea that also you yourselves may read.
१६और जब यह पत्र तुम्हारे यहाँ पढ़ लिया जाए, तो ऐसा करना कि लौदीकिया की कलीसिया में भी पढ़ा जाए, और वह पत्र जो लौदीकिया से आए उसे तुम भी पढ़ना।
17 And do say to Archippus; do take heed to the ministry that you have received in [the] Lord, that it you may fulfill.
१७फिर अरखिप्पुस से कहना कि जो सेवा प्रभु में तुझे सौंपी गई है, उसे सावधानी के साथ पूरी करना।
18 The greeting in my own hand — by Paul. do remember my chains. Grace [be] with you (Amen. *KO*) (to Colossian it was written from Rome through Tychicus and Onesimus. *K*)
१८मुझ पौलुस का अपने हाथ से लिखा हुआ नमस्कार। मेरी जंजीरों को स्मरण रखना; तुम पर अनुग्रह होता रहे। आमीन।

< Colossians 4 >