< Obadiah 1 >
1 The vision of Obadiah, —Thus, saith My Lord, Yahweh, concerning Edom—A rumour, have we heard from Yahweh, and, a herald, throughout the nations, hath been sent, Up! and let us rise against her to war.
१ओबद्याह का दर्शन। एदोम के विषय यहोवा यह कहता है: हम लोगों ने यहोवा की ओर से समाचार सुना है, और एक दूत अन्यजातियों में यह कहने को भेजा गया है:
2 Lo! small, have I made thee, among the nations—Despised art thou exceedingly!
२“उठो! हम उससे लड़ने को उठें!” मैं तुझे जातियों में छोटा कर दूँगा, तू बहुत तुच्छ गिना जाएगा।
3 The insolence of thy heart, hath deceived thee, O thou that inhabitest the retreats of the crag, the height of his habitation, —that saith in his heart, Who shall bring me down to the ground?
३हे पहाड़ों की दरारों में बसनेवाले, हे ऊँचे स्थान में रहनेवाले, तेरे अभिमान ने तुझे धोखा दिया है; तू मन में कहता है, “कौन मुझे भूमि पर उतार देगा?”
4 Though thou build high like an eagle, and though, among the stars, thou set thy nest, from thence, will I bring thee down, Declareth Yahweh.
४परन्तु चाहे तू उकाब के समान ऊँचा उड़ता हो, वरन् तारागण के बीच अपना घोंसला बनाए हो, तो भी मैं तुझे वहाँ से नीचे गिराऊँगा, यहोवा की यही वाणी है।
5 If, thieves, had come to thee, if robbers by night—how ruined thou art! Would they not have stolen what sufficed them? If, grape-gatherers, had come to thee, Would they not have left gleanings?
५यदि चोर-डाकू रात को तेरे पास आते, (हाय, तू कैसे मिटा दिया गया है!) तो क्या वे चुराए हुए धन से तृप्त होकर चले न जाते? और यदि दाख के तोड़नेवाले तेरे पास आते, तो क्या वे कहीं-कहीं दाख न छोड़ जाते?
6 How have the things of Esau been searched out! his treasures been sought up!
६परन्तु एसाव का धन कैसे खोजकर लूटा गया है, उसका गुप्त धन कैसे पता लगा लगाकर निकाला गया है!
7 Up to the boundary, have they sent thee—All thy covenant men, they have deceived thee, prevailed against thee—the men thou wast wont to salute, —The partakers of thy bread, have put a net under thee—No understanding in him!
७जितनों ने तुझ से वाचा बाँधी थी, उन सभी ने तुझे सीमा तक ढकेल दिया है; जो लोग तुझ से मेल रखते थे, वे तुझको धोका देकर तुझ पर प्रबल हुए हैं; वे तेरी रोटी खाते हैं, वे तेरे लिये फंदा लगाते हैं उसमें कुछ समझ नहीं है।
8 Shall it not be, in that day, Demandeth Yahweh, —That I will destroy the wise men out of Edom, and understanding out of Mount Esau?
८यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं उस समय एदोम में से बुद्धिमानों को, और एसाव के पहाड़ में से चतुराई को नाश न करूँगा?
9 So shall thy mighty men, O Teman, be dismayed, —to the intent that every man, may be cut off, out of Mount Esau, by slaughter.
९और हे तेमान, तेरे शूरवीरों का मन कच्चा हो जाएगा, और एसाव के पहाड़ पर का हर एक पुरुष घात होकर नाश हो जाएगा।
10 For thy violence against thy brother Jacob, shall shame, cover thee, —so shalt thou be cut off, to times age-abiding.
१०हे एसाव, एक उपद्रव के कारण जो तूने अपने भाई याकूब पर किया, तू लज्जा से ढँपेगा; और सदा के लिये नाश हो जाएगा।
11 In the day when thou didst take thy stand over against him, in the day when foreigners took captive his forces, —and, aliens, entered his gates, and, over Jerusalem, cast lots, even thou, wast like one of them!
११जिस दिन परदेशी लोग उसकी धन-सम्पत्ति छीनकर ले गए, और पराए लोगों ने उसके फाटकों से घुसकर यरूशलेम पर चिट्ठी डाली, उस दिन तू भी उनमें से एक था।
12 Do not, then, look with satisfaction upon the day of thy brother, upon the day of his calamity, Neither rejoice over the sons of Judah—in the day of their ruin, —nor enlarge thy mouth—in the day of distress:
१२परन्तु तुझे उचित नहीं था कि तू अपने भाई के दिन में, अर्थात् उसकी विपत्ति के दिन में उसकी ओर देखता रहता, और यहूदियों के विनाश के दिन उनके ऊपर आनन्द करता, और उनके संकट के दिन बड़ा बोल बोलता।
13 Do not enter into the gate of my people—in the day of their misfortune, Do not, thou also, look with satisfaction on his misery—in the day of his misfortune; neither do thou thrust [thy hands] on his substance—in the day of his misfortune;
१३तुझे उचित नहीं था कि मेरी प्रजा की विपत्ति के दिन तू उसके फाटक में घुसता, और उसकी विपत्ति के दिन उसकी दुर्दशा को देखता रहता, और उसकी विपत्ति के दिन उसकी धन-सम्पत्ति पर हाथ लगाता।
14 Neither do thou stand at the parting of the way, to cut off his fugitives, —neither do thou deliver up his survivors—in the day of distress.
१४तुझे उचित नहीं था कि चौराहों पर उसके भागनेवालों को मार डालने के लिये खड़ा होता, और संकट के दिन उसके बचे हुओं को पकड़ाता।
15 For, near, is the day of Yahweh, upon all the nations, —Just as thou hast done, shall it be done to thee, Thy dealing, shall come back upon thine own head.
१५क्योंकि सारी जातियों पर यहोवा के दिन का आना निकट है। जैसा तूने किया है, वैसा ही तुझ से भी किया जाएगा, तेरा व्यवहार लौटकर तेरे ही सिर पर पड़ेगा।
16 For, as ye have drunk on my holy mountain, all the nations shall drink continually, —Yea they shall drink and swallow down, and shall be, as though they had not been.
१६जिस प्रकार तूने मेरे पवित्र पर्वत पर पिया, उसी प्रकार से सारी जातियाँ लगातार पीती रहेंगी, वे पीएँगे और वे निगल जाएँगे, और ऐसी हो जाएँगी जैसी कभी हुई ही नहीं।
17 But, in Mount Zion, shall be a delivered remnant which shall be holy, —and the house of Jacob shall possess their own possessions;
१७परन्तु उस समय सिय्योन पर्वत पर बचे हुए लोग रहेंगे, ओर वह पवित्रस्थान ठहरेगा; और याकूब का घराना अपने निज भागों का अधिकारी होगा।
18 And the house of Jacob shall be a fire, and the house of Joseph a flame, with the house of Esau for stubble, So shall they kindle upon them, and devour them, —and there shall be no survivor to the house of Esau, for, Yahweh, hath spoken.
१८तब याकूब का घराना आग, और यूसुफ का घराना लौ, और एसाव का घराना खूँटी बनेगा; और वे उनमें आग लगाकर उनको भस्म करेंगे, और एसाव के घराने का कोई न बचेगा; क्योंकि यहोवा ही ने ऐसा कहा है।
19 Then shall they of the South possess Mount Esau, and they of the Lowlands, the Philistines, and they [of the Mountain] shall possess the field of Ephraim, and the field of Samaria, —and Benjamin [shall possess] Gilead;
१९दक्षिण देश के लोग एसाव के पहाड़ के अधिकारी हो जाएँगे, और नीचे के देश के लोग पलिश्तियों के अधिकारी होंगे; और यहूदी, एप्रैम और सामरिया के देश को अपने भाग में कर लेंगे, और बिन्यामीन गिलाद का अधिकारी होगा।
20 And, they of the captivity of this force pertaining to the sons of Israel, [shall possess] that of the Canaanites, up to Zarephath, and, they of the captivity of Jerusalem who are in Sepharad, shall possess the cities of the South.
२०इस्राएलियों के उस दल में से जो लोग बँधुआई में जाकर कनानियों के बीच सारफत तक रहते हैं, और यरूशलेमियों में से जो लोग बँधुआई में जाकर सपाराद में रहते हैं, वे सब दक्षिण देश के नगरों के अधिकारी हो जाएँगे।
21 And saviours shall come up in Mount Zion, to judge the mountain of Esau, —So shall the kingdom, belong unto Yahweh.
२१उद्धार करनेवाले एसाव के पहाड़ का न्याय करने के लिये सिय्योन पर्वत पर चढ़ आएँगे, और राज्य यहोवा ही का हो जाएगा।