< Leviticus 13 >
1 And Yahweh spake unto Moses and unto Aaron, saying—
१फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
2 When, any man, shall have—in the skin of his flesh—a rising, or a scab, or a bright spot, and it shall become in the skin of his flesh the plague-spot of leprosy, then shall he be brought in unto Aaron the priest, or unto one of his sons the priests;
२“जब किसी मनुष्य के शरीर के चर्म में सूजन या पपड़ी या दाग हो, और इससे उसके चर्म में कोढ़ की व्याधि के समान कुछ दिखाई पड़े, तो उसे हारून याजक के पास या उसके पुत्र जो याजक हैं, उनमें से किसी के पास ले जाएँ।
3 and the priest shall view the spot in the skin of his flesh—if, the hair in the plague, have turned white and the appearance of the spot be deeper than the skin of his flesh, the plague-spot of leprosy, it is, —so the priest shall view him and pronounce him unclean.
३जब याजक उसके चर्म की व्याधि को देखे, और यदि उस व्याधि के स्थान के रोएँ उजले हो गए हों और व्याधि चर्म से गहरी दिखाई पड़े, तो वह जान ले कि कोढ़ की व्याधि है; और याजक उस मनुष्य को देखकर उसको अशुद्ध ठहराए।
4 But, if the bright spot, though white in the skin of his flesh, is not deeper in appearance than the skin, and, the hair, hath not turned white, then shall the priest shut up the plagued one, seven days.
४पर यदि वह दाग उसके चर्म में उजला तो हो, परन्तु चर्म से गहरा न देख पड़े, और न वहाँ के रोएँ उजले हो गए हों, तो याजक उसको सात दिन तक बन्द करके रखे;
5 And the priest shall view him on the seventh day, and lo! if the spot hath stayed to his sight, and the spot hath not spread in the skin, then shall the priest shut him up seven days more,
५और सातवें दिन याजक उसको देखे, और यदि वह व्याधि जैसी की तैसी बनी रहे और उसके चर्म में न फैली हो, तो याजक उसको और भी सात दिन तक बन्द करके रखे;
6 Then shall the priest view him on the seventh day, a second time, and lo! if the spot is, faint, and the spot hath not spread in the skin, then shall the priest pronounce him clean—it is, a scab, and he shall wash his clothes, and be clean.
६और सातवें दिन याजक उसको फिर देखे, और यदि देख पड़े कि व्याधि की चमक कम है और व्याधि चर्म पर फैली न हो, तो याजक उसको शुद्ध ठहराए; क्योंकि उसके तो चर्म में पपड़ी है; और वह अपने वस्त्र धोकर शुद्ध हो जाए।
7 But if the scab shall have, verily spread, in the skin, since he was shown to the priest that he might be cleansed, then shall he shew himself again unto the priest;
७पर यदि याजक की उस जाँच के पश्चात् जिसमें वह शुद्ध ठहराया गया था, वह पपड़ी उसके चर्म पर बहुत फैल जाए, तो वह फिर याजक को दिखाया जाए;
8 and the priest shall take a view, and lo! if the scab hath spread in the skin, then shall the priest pronounce him unclean—leprosy, it is.
८और यदि याजक को देख पड़े कि पपड़ी चर्म में फैल गई है, तो वह उसको अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ ही है।
9 When, the plague of leprosy, cometh to be in any human being, then shall he be brought in unto the priest;
९“यदि कोढ़ की सी व्याधि किसी मनुष्य के हो, तो वह याजक के पास पहुँचाया जाए;
10 and the priest shall take a view, and lo! if there is a white rising in the skin and, the same, hath turned the hair white, —and there be a wound of raw flesh in the rising,
१०और याजक उसको देखे, और यदि वह सूजन उसके चर्म में उजली हो, और उसके कारण रोएँ भी उजले हो गए हों, और उस सूजन में बिना चर्म का माँस हो,
11 an old leprosy, it is in the skin of his flesh, and the priest shall pronounce him unclean, —he shall not shut him up, for unclean, he is.
११तो याजक जाने कि उसके चर्म में पुराना कोढ़ है, इसलिए वह उसको अशुद्ध ठहराए; और बन्द न रखे, क्योंकि वह तो अशुद्ध है।
12 But, if the leprosy, cometh quite out, in the skin, and the leprosy covereth all the skin of him that, is plagued, from his head even unto his feet, —so far as appeareth to the eyes of the priest,
१२और यदि कोढ़ किसी के चर्म में फूटकर यहाँ तक फैल जाए, कि जहाँ कहीं याजक देखे रोगी के सिर से पैर के तलवे तक कोढ़ ने सारे चर्म को छा लिया हो,
13 then shall the priest takes view and lo! if the leprosy hath covered all his flesh, then shall he pronounce clean him that was plagued, —all of it, hath turned white, clean, he is.
१३तो याजक ध्यान से देखे, और यदि कोढ़ ने उसके सारे शरीर को छा लिया हो, तो वह उस व्यक्ति को शुद्ध ठहराए; और उसका शरीर जो बिलकुल उजला हो गया है वह शुद्ध ही ठहरे।
14 But, the very day there appeareth in him raw flesh, he shall be unclean;
१४पर जब उसमें चर्महीन माँस देख पड़े, तब तो वह अशुद्ध ठहरे।
15 so then the priest shall view the raw flesh, and pronounce him unclean, —as for the raw flesh, unclean, it is, leprosy, it is.
१५और याजक चर्महीन माँस को देखकर उसको अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वैसा चर्महीन माँस अशुद्ध ही होता है; वह कोढ़ है।
16 Or, if the raw flesh turn again and be changed to white, then shall he come in unto the priest;
१६पर यदि वह चर्महीन माँस फिर उजला हो जाए, तो वह मनुष्य याजक के पास जाए,
17 and the priest shall view him, and lo! if the spot hath changed to white, then shall the priest pronounce clean him that was plagued—clean, he is.
१७और याजक उसको देखे, और यदि वह व्याधि फिर से उजली हो गई हो, तो याजक रोगी को शुद्ध जाने; वह शुद्ध है।
18 And, when, any one’s flesh, hath, in the skin thereof, a boil, —and then it is healed;
१८“फिर यदि किसी के चर्म में फोड़ा होकर चंगा हो गया हो,
19 but in the place of the boil, is a white rising, or a bright spot, reddish white, then shall it be shown unto the priest.
१९और फोड़े के स्थान में उजली सी सूजन या लाली लिये हुए उजला दाग हो, तो वह याजक को दिखाया जाए;
20 And the priest shall take a view and lo! if the appearance thereof, is lower than the skin, and, the hair thereof, hath turned white, then shall the priest pronounce him unclean—the plague-spot of leprosy, it, is, in the boil, broken out.
२०और याजक उस सूजन को देखे, और यदि वह चर्म से गहरा दिखाई पड़े, और उसके रोएँ भी उजले हो गए हों, तो याजक यह जानकर उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ की व्याधि है जो फोड़े में से फूटकर निकली है।
21 But, if the priest shall view it and lo! there is no white hair therein, and it is not deeper than the skin, and, in itself, is faint, then shall the priest shut him up seven days;
२१परन्तु यदि याजक देखे कि उसमें उजले रोएँ नहीं हैं, और वह चर्म से गहरी नहीं, और उसकी चमक कम हुई है, तो याजक उस मनुष्य को सात दिन तक बन्द करके रखे।
22 and, if it, clearly spreadeth, in the skin, then shall the priest pronounce him unclean—a plague-spot, it is.
२२और यदि वह व्याधि उस समय तक चर्म में सचमुच फैल जाए, तो याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ की व्याधि है।
23 But if in its place the bright spot stayeth hath not spread, a boil, it is, —and the priest shall pronounce him clean.
२३परन्तु यदि वह दाग न फैले और अपने स्थान ही पर बना रहे, तो वह फोड़े का दाग है; याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए।
24 Or, when, any one’s flesh, hath in the skin thereof a fiery burning, —and the burning wound becometh a bright spot reddish white, or white,
२४“फिर यदि किसी के चर्म में जलने का घाव हो, और उस जलने के घाव में चर्महीन दाग लाली लिये हुए उजला या उजला ही हो जाए,
25 then shall the priest view it—and lo! if the hair is turned white in the bright spot and the appearance thereof is deeper than the skin, leprosy, it is, broken out, in the burning, —so the priest shall pronounce him unclean, the plague-spot of leprosy, it is.
२५तो याजक उसको देखे, और यदि उस दाग में के रोएँ उजले हो गए हों और वह चर्म से गहरा दिखाई पड़े, तो वह कोढ़ है; जो उस जलने के दाग में से फूट निकला है; याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि उसमें कोढ़ की व्याधि है।
26 But, if the priest shall view it and lo! there is not, in the bright spot white hair, and it is not deeper than the skin but, itself, is faint, then shall the priest shut him up seven days;
२६पर यदि याजक देखे, कि दाग में उजले रोएँ नहीं और न वह चर्म से कुछ गहरा है, और उसकी चमक कम हुई है, तो वह उसको सात दिन तक बन्द करके रखे,
27 and the priest shall view him on the seventh day, —if it, hath plainly spread in the skin, then shall the priest pronounce him unclean, the plague-spot of leprosy, it is.
२७और सातवें दिन याजक उसको देखे, और यदि वह चर्म में फैल गई हो, तो वह उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि उसको कोढ़ की व्याधि है।
28 But, if, in its place the bright spot hath stayed, and hath not spread in the skin, but, itself, is faint, the rising of a burning, it is, —and the priest shall pronounce him clean, for only the inflaming of the burning, it is.
२८परन्तु यदि वह दाग चर्म में नहीं फैला और अपने स्थान ही पर जहाँ का तहाँ बना हो, और उसकी चमक कम हुई हो, तो वह जल जाने के कारण सूजा हुआ है, याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए; क्योंकि वह दाग जल जाने के कारण से है।
29 And, when there cometh to be in, any man or woman, a spot, —in the head or in the beard,
२९“फिर यदि किसी पुरुष या स्त्री के सिर पर, या पुरुष की दाढ़ी में व्याधि हो,
30 then shall the priest view the spot and lo! if, the appearance thereof, is deeper than the skin, and, therein, is yellow, thin hair, then shall the priest pronounce him unclean a scall, it is, a leprosy of the head or of the beard, it is.
३०तो याजक व्याधि को देखे, और यदि वह चर्म से गहरी देख पड़े, और उसमें भूरे-भूरे पतले बाल हों, तो याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; वह व्याधि सेंहुआ, अर्थात् सिर या दाढ़ी का कोढ़ है।
31 But when the priest vieweth the spot, and lo! there is, no appearance, of it deeper than the skin, and, no dark hair, is therein, then shall the priest shut up him that hath the plague-spot of scall, seven days;
३१और यदि याजक सेंहुएँ की व्याधि को देखे, कि वह चर्म से गहरी नहीं है और उसमें काले-काले बाल नहीं हैं, तो वह सेंहुएँ के रोगी को सात दिन तक बन्द करके रखे,
32 and the priest shall view the spot on the seventh day, and lo! if the scall hath not spread, and there hath not come to be therein yellow hair, —and, the appearance of the scall, is not deeper than the skin,
३२और सातवें दिन याजक व्याधि को देखे, तब यदि वह सेंहुआ फैला न हो, और उसमें भूरे-भूरे बाल न हों, और सेंहुआ चर्म से गहरा न देख पड़े,
33 then shall he shave himself, but the scall, shall he not shave, and the priest shall shut up him who hath the scall seven days, more;
३३तो यह मनुष्य मुँड़ा जाए, परन्तु जहाँ सेंहुआ हो वहाँ न मुँड़ा जाए; और याजक उस सेंहुएँ वाले को और भी सात दिन तक बन्द करे;
34 then shall the priest view the scall, on the seventh day, and lo! if the scall hath not spread in the skin, and, the appearance thereof, is not deeper than the skin, then shall the priest pronounce him clean, and he shall wash his clothes, and be clean.
३४और सातवें दिन याजक सेंहुएँ को देखे, और यदि वह सेंहुआ चर्म में फैला न हो और चर्म से गहरा न देख पड़े, तो याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए; और वह अपने वस्त्र धोकर शुद्ध ठहरे।
35 But, if the scall do indeed spread in the skin, —after he hath been pronounced clean,
३५पर यदि उसके शुद्ध ठहरने के पश्चात् सेंहुआ चर्म में कुछ भी फैले,
36 then shall the priest take a view, and lo! if the scall hath spread in the skin, the priest shall not search for the yellow hair—unclean, he is.
३६तो याजक उसको देखे, और यदि वह चर्म में फैला हो, तो याजक भूरे बाल न ढूँढ़े, क्योंकि वह मनुष्य अशुद्ध है।
37 But, if in his eyes, the scall is at a stay, and dark hair hath grown up therein, the scall is healed, clean, he is, —and the priest shall pronounce him clean.
३७परन्तु यदि उसकी दृष्टि में वह सेंहुआ जैसे का तैसा बना हो, और उसमें काले-काले बाल जमे हों, तो वह जाने की सेंहुआ चंगा हो गया है, और वह मनुष्य शुद्ध है; याजक उसको शुद्ध ही ठहराए।
38 And when either, man or woman, hath in the skin of their flesh bright spots, —bright spots that are white,
३८“फिर यदि किसी पुरुष या स्त्री के चर्म में उजले दाग हों,
39 then shall the priest take a view and lo! if, in the skin of their flesh, are bright spots that are dull white, dead white spot, it is, that hath broken through in the skin—clean, he is.
३९तो याजक देखे, और यदि उसके चर्म में वे दाग कम उजले हों, तो वह जाने कि उसको चर्म में निकली हुई दाद ही है; वह मनुष्य शुद्ध ठहरे।
40 And, when, any man’s, head loseth its hair, though, bald, he is, clean.
४०“फिर जिसके सिर के बाल झड़ गए हों, तो जानना कि वह चन्दुला तो है परन्तु शुद्ध है।
41 And if, in front, his head loseth its hair, though bald in the forehead, he is, clean.
४१और जिसके सिर के आगे के बाल झड़ गए हों, तो वह माथे का चन्दुला तो है परन्तु शुद्ध है।
42 But, should there be, in the baldness behind, or in the baldness in front, a spot that is reddish white, leprosy broken out, it is, in his baldness behind, or in his baldness in front.
४२परन्तु यदि चन्दुले सिर पर या चन्दुले माथे पर लाली लिये हुए उजली व्याधि हो, तो जानना कि वह उसके चन्दुले सिर पर या चन्दुले माथे पर निकला हुआ कोढ़ है।
43 So the priest shall view it, and lo! if, the rising-spot, be reddish white in his baldness behind or in his baldness in front, —like the appearance of leprosy in the skin of the flesh,
४३इसलिए याजक उसको देखे, और यदि व्याधि की सूजन उसके चन्दुले सिर या चन्दुले माथे पर ऐसी लाली लिये हुए उजली हो जैसा चर्म के कोढ़ में होता है,
44 a leprous man, is he, unclean, he is, —unclean, shall the priest pronounce him in his head, is his plague.
४४तो वह मनुष्य कोढ़ी है और अशुद्ध है; और याजक उसको अवश्य अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह व्याधि उसके सिर पर है।
45 Now, as for the leper in whom is the plague, His clothes, shall be rent, And, his head, shall be bare, And, his beard, shall he cover, —And, Unclean! Unclean! shall he cry.
४५“जिसमें वह व्याधि हो उस कोढ़ी के वस्त्र फटे और सिर के बाल बिखरे रहें, और वह अपने ऊपरवाले होंठ को ढाँपे हुए अशुद्ध, अशुद्ध पुकारा करे।
46 All the days that the plague is in him, shall he continue unclean, Unclean, he is, —Alone, shall he remain, Outside the camp, shall be his dwelling.
४६जितने दिन तक वह व्याधि उसमें रहे उतने दिन तक वह तो अशुद्ध रहेगा; और वह अशुद्ध ठहरा रहे; इसलिए वह अकेला रहा करे, उसका निवास-स्थान छावनी के बाहर हो।
47 And, when, in a garment, there is a plague-spot of leprosy, —whether in a garment of wool, or a garment of flax;
४७“फिर जिस वस्त्र में कोढ़ की व्याधि हो, चाहे वह वस्त्र ऊन का हो चाहे सनी का,
48 either in warp or in weft, made with flax, or with wool, —or in a skin, or in anything wrought of skin;
४८वह व्याधि चाहे उस सनी या ऊन के वस्त्र के ताने में हो चाहे बाने में, या वह व्याधि चमड़े में या चमड़े की बनी हुई किसी वस्तु में हो,
49 and the spot cometh to be of a greenish yellow or reddish, in the garment or in the skin, whether in warp or in weft, or in any utensil of skin, the plague-spot of leprosy, it is, —and shall be shown unto the priest;
४९यदि वह व्याधि किसी वस्त्र के चाहे ताने में चाहे बाने में, या चमड़े में या चमड़े की किसी वस्तु में हरी हो या लाल सी हो, तो जानना कि वह कोढ़ की व्याधि है और वह याजक को दिखाई जाए।
50 and the priest shall view the spot, —and shall shut up him that is plagued seven days;
५०और याजक व्याधि को देखे, और व्याधिवाली वस्तु को सात दिन के लिये बन्द करे;
51 then shall he view the spot, on the seventh day if the spot hath spread in the garment whether in warp or in weft, or in the skin, or anything which may be made of skin for service, the spot is a fretting leprosy, unclean, it is.
५१और सातवें दिन वह उस व्याधि को देखे, और यदि वह वस्त्र के चाहे ताने में चाहे बाने में, या चमड़े में या चमड़े की बनी हुई किसी वस्तु में फैल गई हो, तो जानना कि व्याधि गलित कोढ़ है, इसलिए वह वस्तु, चाहे कैसे ही काम में क्यों न आती हो, तो भी अशुद्ध ठहरेगी।
52 Then shall he burn up the garment whether it be in the warp or the weft in wool or in flax, or any utensil of skin, wherein shall be the plague-spot, —for, a fretting leprosy, it is, in fire, shall it be burnt up.
५२वह उस वस्त्र को जिसके ताने या बाने में वह व्याधि हो, चाहे वह ऊन का हो चाहे सनी का, या चमड़े की वस्तु हो, उसको जला दे, वह व्याधि गलित कोढ़ की है; वह वस्तु आग में जलाई जाए।
53 But if the priest shall take a view, and lo! the spot has not spread, in the garment, either in warp or in weft, —or in any utensil of skin,
५३“यदि याजक देखे कि वह व्याधि उस वस्त्र के ताने या बाने में, या चमड़े की उस वस्तु में नहीं फैली,
54 then shall the priest give command, and they shall wash that wherein is the spot, —and he shall shut it up seven days more;
५४तो जिस वस्तु में व्याधि हो उसके धोने की आज्ञा दे, तब उसे और भी सात दिन तक बन्द करके रखे;
55 then shall the priest take a view after the plagued garment hath been washed and lo! if the spot hath not changed its look, then though the spot hath not spread, yet unclean, it is, in the fire, shalt thou burn it up, —a sunken spot, it is, in the back thereof, or in the front thereof.
५५और उसके धोने के बाद याजक उसको देखे, और यदि व्याधि का न तो रंग बदला हो, और न व्याधि फैली हो, तो जानना कि वह अशुद्ध है; उसे आग में जलाना, क्योंकि चाहे वह व्याधि भीतर चाहे ऊपरी हो तो भी वह खा जानेवाली व्याधि है।
56 And, if the priest hath taken a view, and lo! the spot is, faint, since it hath been washed, then shall he rend it out of the garment, or out of the skin, whether out of the warp or out of the weft;
५६पर यदि याजक देखे, कि उसके धोने के पश्चात् व्याधि की चमक कम हो गई, तो वह उसको वस्त्र के चाहे ताने चाहे बाने में से, या चमड़े में से फाड़कर निकाले;
57 and, if it appear still in the garment—either in the warp or in the weft, or in any utensil of skin, a breaking out, it is, —in the fire, shalt thou burn up that wherein is the plague.
५७और यदि वह व्याधि तब भी उस वस्त्र के ताने या बाने में, या चमड़े की उस वस्तु में दिखाई पड़े, तो जानना कि वह फूटकर निकली हुई व्याधि है; और जिसमें वह व्याधि हो उसे आग में जलाना।
58 But, as for the garment—whether the warp or the weft or any utensil of skin which thou shalt wash, and the plague shall depart therefrom, then shall it be washed a second time, and shall be clean.
५८यदि उस वस्त्र से जिसके ताने या बाने में व्याधि हो, या चमड़े की जो वस्तु हो उससे जब धोई जाए और व्याधि जाती रही, तो वह दूसरी बार धुलकर शुद्ध ठहरे।”
59 This, is the law as to the plague-spot of leprosy, in a garment of wool or of flax, whether in the warp or the weft, or in any utensil of skin, —To pronounce it clean, or to pronounce it unclean.
५९ऊन या सनी के वस्त्र में के ताने या बाने में, या चमड़े की किसी वस्तु में जो कोढ़ की व्याधि हो उसके शुद्ध और अशुद्ध ठहराने की यही व्यवस्था है।